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30 साल पहले विदेशी मुद्रा भंडार पर था संकट, भारत को ऐसे मिला 500 अरब डॉलर का मुकाम

विदेशी मुद्रा भंडार 500 अरब डॉलर के पार

  • नई दिल्‍ली,
  • 13 जून 2020,
  • (अपडेटेड 13 जून 2020, 1:28 PM IST)
  • भारत का विदेशी मुद्रा भंडार चीन और जापान के बाद सबसे ज्‍यादा
  • भारत को इस मुकाम पर पहुंचने में करीब 30 साल का समय लगा

हर हफ्ते की तरह इस बार भी केंद्रीय रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा भंडार के आंकड़े जारी किए हैं. इस बार के आंकड़े बेहद खास हैं. दरअसल, पहली बार भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 500 अरब डॉलर के पार पहुंच गया है. इसी के साथ भारत का विदेशी मुद्रा भंडार चीन और जापान के बाद सबसे ज्‍यादा हो गया है. भारत को इस मुकाम पर पहुंचने में करीब 30 साल का समय लगा है.

विदेशी मुद्रा भंडार में 1 ट्रिलियन डॉलर की रिकॉर्ड गिरावट

विदेशी मुद्रा भंडार में 1 ट्रिलियन डॉलर की रिकॉर्ड गिरावट

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार इस साल 96 अरब डॉलर घटकर 538 अरब डॉलर हो गया है.

वैश्विक विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड तेजी से गिर रहा है. भारत से लेकर चेक गणराज्य तक के केंद्रीय बैंक अपनी मुद्रा का समर्थन करने के लिए हस्तक्षेप कर रहे हैं. ब्लूमबर्ग में छपी रिपोर्ट विदेशी मुद्रा क्यों? के मुताबिक, वह वर्ष 2003 से इसका डाटा एकत्र कर रहा है और यह अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है. इस साल विदेशी मुद्रा क्यों? वैश्विक विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर या 7.8 फीसदी की गिरावट के साथ 12 ट्रिलियन डॉलर हो गया है. गिरावट का सबसे बड़ा कारण डॉलर का येन और यूरो जैसी मुद्राओं के मुकाबले दो दशक के उच्च स्तर पर पहुंच जाना है. डॉलर की तेजी ने सभी देशों के केंद्रीय बैंक को दबाव में ला दिया है.

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उदाहरण के तौर पर भारत का ही विदेशी मुद्रा भंडार इस साल 96 अरब डॉलर घटकर 538 अरब डॉलर हो गया है. भारत के केंद्रीय बैंक ने कहा कि इस वित्तीय वर्ष के दौरान संपत्ति के मूल्यांकन में 67 प्रतिशत की गिरावट आई है. इस साल डॉलर के मुकाबले रुपये में लगभग 9 प्रतिशत की गिरावट आई है और पिछले महीने यह रिकॉर्ड स्तर पर था. भारतीय केंद्रीय बैंक को रुपये की गिरावट रोकने के लिए हस्तक्षेप करना पड़ा.

इसी तरह 1998 के बाद पहली बार जापान ने 20 बिलियन डॉलर खर्च कर येन को संभाला. इससे उसके रिजर्व का लगभग 19 प्रतिशत तक कम हुआ. चेक गणराज्य का भी फरवरी से अब तक 19 प्रतिशत रिजर्व कम हुआ है. आमतौर पर सभी देशों के केंद्रीय बैंक विदेशी पूंजी आने पर डॉलर खरीदते हैं और खराब समय आने पर इसे कम कर अपनी मुद्रा को ताकत देते हैं, मगर इस बार मामला गंभीर दिख रहा है.

डच बैंक एजी के मुख्य अंतरराष्ट्रीय रणनीतिकार एलन रस्किन ने बताया कि एशिया के कुछ देशों के पास अभी भी विदेशी मुद्रा भंडार काफी है. वह अपनी मुद्रा की गिरावट रोकने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार को और कम कर सकते हैं. भारत के पास अभी भी वर्ष 2017 की तुलना में 49 प्रतिशत ज्यादा विदेशी मुद्रा भंडार है और यह नौ महीने के आयात के भुगतान के लिए पर्याप्त है. शुक्रवार को इंडोनेशिया, मलेशिया, चीन और थाइलैंड अपने नवीनतम विदेशी मुद्रा भंडार के आंकड़े जारी करेंगे. हालांकि, अन्य देशों के विदेशी मुद्रा भंडार जल्द समाप्त हो रहे हैं. ब्लूमबर्ग के आंकड़ों से पता चलता विदेशी मुद्रा क्यों? है कि इस साल 42 फीसदी की गिरावट के बाद पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा क्यों? 14 अरब डॉलर का भंडार तीन महीने के आयात को भी कवर करने के लिए पर्याप्त नहीं है.

RBI Action: वैश्विक मंदी की अटकलों के बीच विदेशी मुद्रा लाने के नियम किए गए विदेशी मुद्रा क्यों? आसान, चिंता में क्यों है आरबीआइ

RBI action to boost indian economy विदेशी मुद्रा क्यों? वैश्विक मंदी की अटकलों के बीच आरबीआइ ने बड़े फैसले लिए हैं। आरबीआइ (Reserve Bank of India) ने देश में विदेशी मुद्रा लाने के नियमों को आसान बना दिया है। जानें क्‍यों चिंतित है केंद्रीय रिजर्व बैंक.

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। डालर के मुकाबले लगातार विदेशी मुद्रा क्यों? विदेशी मुद्रा क्यों? रुपये की घटती कीमत, देश में बढ़ते कारोबार घाटे (निर्यात के मुकाबले आयात पर ज्यादा खर्च) और वैश्विक मंदी की अटकलों के बीच आरबीआइ ने देश में विदेशी मुद्रा लाने के नियमों को आसान बना दिया है। केंद्रीय बैंक ने इस बारे में पांच अहम कदम उठाकर पहली बार यह संकेत दिया है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइ) द्वारा भविष्य में भी पैसा निकाले जाने की संभावना विदेशी मुद्रा क्यों? है और इससे रुपये की कीमत और गिरावट आ सकती है।

RBI Action: वैश्विक मंदी की अटकलों के बीच विदेशी मुद्रा लाने के नियम किए गए आसान, चिंता में क्यों है आरबीआइ

RBI action to विदेशी मुद्रा क्यों? boost indian economy वैश्विक मंदी की अटकलों के बीच आरबीआइ ने बड़े फैसले लिए हैं। आरबीआइ (Reserve Bank of India) ने देश में विदेशी मुद्रा लाने के नियमों को आसान बना दिया है। जानें क्‍यों चिंतित है केंद्रीय रिजर्व बैंक.

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। डालर के मुकाबले लगातार रुपये की घटती कीमत, देश में बढ़ते कारोबार घाटे (निर्यात के मुकाबले आयात पर ज्यादा खर्च) और वैश्विक मंदी की अटकलों के बीच आरबीआइ ने देश में विदेशी मुद्रा लाने के नियमों को आसान बना दिया है। केंद्रीय बैंक ने इस बारे में पांच अहम कदम उठाकर पहली बार यह संकेत दिया है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइ) द्वारा भविष्य में भी पैसा निकाले विदेशी मुद्रा क्यों? जाने की संभावना है और इससे रुपये की कीमत और गिरावट आ सकती है।

विदेशी मुद्रा भंडार का अर्थव्यवस्था के लिए महत्व

  • विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी सरकार और RBI को आर्थिक विकास में गिरावट के कारण पैदा हुए किसी भी बाहरी या अंदरुनी वित्तीय संकट से निपटने में सहायता करती है.
  • यह आर्थिक मोर्चे पर संकट के समय देश को आरामदायक स्थिति उपलब्ध कराती है।
  • वर्तमान विदेशी भंडार देश के आयात बिल को एक वर्ष तक संभालने के लिए पर्याप्त है।
  • विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी से रुपए को डॉलर के मुकाबले स्थिति दृढ़ करने में सहायता मिलती है।
  • वर्तमान समय में विदेशी मुद्रा भंडार सकल घरेलू उत्पाद (GDP) अनुपात लगभग 15% है।
  • विदेशी मुद्रा भंडार आर्थिक संकट के बाजार को यह भरोसा देता है कि देश बाहरी और घरेलू समस्याओं से निपटने में सक्षम है।
  • आरबीआई विदेशी मुद्रा भंडार के कस्टोडियन और मैनेजर के रूप में कार्य करता है। यह कार्य सरकार से साथ मिलकर तैयार किए गए पॉलिसी फ्रेमवर्क के अनुसार होता है।
  • आरबीआई रुपए की स्थिति को सही रखने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का प्रयोग करता है। जब रुपया कमजोर होता है तो आरबीआई डॉलर की बिक्री करता है। जब रुपया मजबूत होता है तब डॉलर की खरीदारी की जाती है। कई बार आरबीआई विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने के लिए बाजार से डॉलर की खरीदारी भी करता है।
  • जब आरबीआई डॉलर में बढ़ोतरी करता है तो उतनी राशि के बराबर रुपया निर्गत करता है। इस अतिरिक्त तरलता (liquidity) को आरबीआई बॉन्ड, सिक्योरिटी और एलएएफ ऑपरेशन के माध्यम से प्रबंधन करता है।
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