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Trading कितने प्रकार के होते हैं

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शेयर मार्केट में ब्रोकर क्या है? ब्रोकरेज चार्जेस की गणना किस प्रकार की जाती है?

शेयर मार्केट में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के शेयर की खरीद बेच होती है जिसके लिए हमारे पास डीमैट अकाउंट तथा ट्रेडिंग अकाउंट का होना आवश्यक है परंतु हमें पता होना चाहिए कि हम सीधे तौर पर शेयर मार्केट (Share Market) में शेयर की खरीद बेच नहीं कर सकते हैं इसके लिए हमें एक माध्यम की आवश्यकता होती है जिसे ब्रोकर (Broker) कहा जाता है। ब्रोकर द्वारा हमें इंटरनेट पर एक ब्रोकिंग प्लेटफार्म प्रदान किया जाता है जिसकी मदद से हम शेयर संबंधित लेन देन कर पाते हैं।

ब्रोकर क्या है? | Broker in Hindi

ब्रोकर(Broker) एक वित्तीय माध्यम बिचौलिया अथवा एजेंट होता है जिसके माध्यम से हम शेयर मार्केट में शेयर को खरीद बेच कर पाते हैं। ब्रोकर हमें विभिन्न वित्तीय साधनों जैसे Stocks Futures तथा derivative की खरीद बेच में मदद करता है।

शेयर ब्रोकर क्या है?

शेयर मार्केट में मुख्यतः दो प्रकार के ब्रोकर होते हैं

  • Full Time ब्रोकर – वे ब्रोकर जो शेयर की खरीद बेच के माध्यम के साथ-साथ अन्य सुविधाओं जैसे मार्केट रिपोर्ट्स शेयर के संबंध में सलाह, शेयर के बारे में रिसर्च आदि उपलब्ध कराते हैं वह Full Time ब्रोकर कहलाते हैं
  • Discount ब्रोकर – वे ब्रोकर जो कम ब्रोकिंग चार्जेस के साथ शेयरों की खरीद बेच में मदद करते हैं वे डिस्काउंट ब्रोकर कहलाते हैं ये अन्य कोई सुविधा नहीं प्रदान करते हैं

ब्रोकिंग चार्जेस क्या होते हैं?

वे शुल्क जो ब्रोकर द्वारा अपनी सुविधाओं के एवज में लिया जाता है उसे ब्रोकिंग चार्जेस कहते हैं सभी ब्रोकरो के चार्ज एक से नहीं होते हैं यह इस पर भी निर्भर करते हैं कि किस प्रकार के ट्रांजैक्शन हमारे द्वारा किए जाते हैं यह शुल्क ब्रोकर द्वारा समय समय पर घटाया या बढ़ाया भी जा सकता है।

भारत में किस प्रकार के ब्रोकर प्लान उपलब्ध हैं?

भारत में ब्रोकर द्वारा बता दो प्रकार के प्लान प्रदान किए जाते हैं

  1. Monthly Unlimited trading plan इसके अंतर्गत निवेशकों अथवा शेयरधारकों को एक निश्चित मासिक राशि शुल्क के रूप में ब्रोकर(Broker) को प्रदान की जाती है इसके तहत वे एक माह में असीमित stocks तथा securities की खरीद बेच कर सकते हैं।
  2. Flat per trade brokerage इसके अंतर्गत निवेशकों अथवा शेयरधारकों को प्रति सौदा के हिसाब से ब्रोकर को शुल्क चुकाना पड़ता है।

ट्रेडिंग हेतु ब्रोकरेज चार्ज की गणना किस प्रकार की जाती है?

ब्रोकर(Broker) शुल्क या ब्रोकरेज की गणना शेयर की खरीद बेच पर कुल कीमत के आधार पर एक निश्चित प्रतिशत के रूप में तय की जाती है यह मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है

  • Intraday Trading जब किसी व्यक्ति द्वारा Trading कितने प्रकार के होते हैं शेयर की खरीद तथा बेच एक ही दिन में की जाती है उस स्थिति में व्यक्ति द्वारा किए गए सौदे पर Intraday Trading शुल्क चुकाया जाता है।

जैसे किसी व्यक्ति द्वारा शेयर Trading कितने प्रकार के होते हैं को खरीद कर उसी दिन ट्रेडिंग सेशन की समाप्ति के पूर्व शेयर को बेच दिया जाता है एसएसबी में ब्रोकर(Broker) शुल्क की गणना इंट्राडे ट्रेडिंग के अंतर्गत की जाती है इस स्थिति के लिए बेचे गाए और खरीदे गाए शेयर की संख्या समान होना आवश्यक है। इस प्रकार के सौदे पर ब्रोकर द्वारा लगाया गया intraday Trading शुल्क 0.01% से 0.05% के मध्य खरीद बेच किए गए शेयर की संख्या पर आधारित होता है। Intraday ब्रोकिंग शुल्क की गणना के लिए शेयर की बाजार कीमत को शेयर की संख्या तथा इंट्राडे शुल्क प्रतिशत के साथ गुणा कर की जाती है

  • Delivery Charges जब किसी व्यक्ति द्वारा शेयर मार्केट (Share Market) में शेयर की खरीद बेच 1 दिन में नहीं Trading कितने प्रकार के होते हैं की जाती है तब उस स्थिति में ब्रोकिंग चार्जेस की गणना डिलीवरी शुल्क के अंतर्गत की जाती है।

इस स्थिति में डिलीवरी चार्ज 0.2% तथा 0.75 % के मध्य होता है जो कि सौदे में किए गए शेयर की संख्या पर निर्भर करता है।

इस प्रकार से डिलीवरी चार्ज की गणना के लिए डिलीवरी चार्ज प्रतिशत को खरीद बेच में प्रयुक्त शेयर की संख्या से गुणा किया जाता है।

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग शुल्क के अलावा अन्य कौन-कौन से शुल्क होते हैं?

ब्रोकर के सभी चार्ज

  • Transaction Charges शेयर मार्केट(Share Market) में शेयर की खरीद बेच के दौरान स्टॉक एक्सचेंज द्वारा शुल्क लिया जाता है जिसे ट्रांजैक्शन चार्जेस कहा जाता है यह ट्रांजैक्शन चार्ज मुख्य रूप से नेशनल स्टॉक एक्सचेंज एनएसई तथा मुंबई स्टॉक एक्सचेंज बीएसई द्वारा लिए जाते हैं।
  • Security Transaction charges यह शुल्क सौदे (trade) में उपयुक्त securities की कीमत के आधार पर लगाया जाता है।
  • Commodity transaction charges यह शुल्क स्टॉक एक्सचेंज में commodity derivative के सौदे (trade) पर लगाया जाता है।
  • Stamp duty (स्टांप शुल्क) यह शुल्क राज्य सरकार द्वारा securities इसकी trading पर लगाया जाता है।
  • GST (goods and service tax)वस्तु एवम सेवा कर यह शुल्क केंद्र सरकार द्वारा ट्रांजैक्शन चार्जेस तथा ब्रोकिंग शुल्क पर लगाया जाता है। वर्तमान में यह 18% है।
  • SEBI turnover charges यह शुल्क बाजार नियामक Trading कितने प्रकार के होते हैं संस्था सेबी द्वारा सभी प्रकार के वित्तीय लेन देन जैसे stocks तथा सभी securities (debt को छोड़कर आदि पर लगाया जाता है।
  • DP( Depository Participants)

जब हम किसी शेयर की खरीद बेच एक ही trading session के दौरान नहीं करते हैं। उस स्थिति में यह शुल्क depository participants द्वारा लिया जाता है। Intraday Trading के दौरान यह शुल्क देय नहीं होता Trading कितने प्रकार के होते हैं है। यह शुल्क शेयर की संख्या पर निर्भर ना होकर एक निश्चित राशि के रूप में लिया जाता है।

शेयर मार्केट में ब्रोकर से जुड़े कुछ सवाल जवाब

शेयर मार्केट(Share Market) में कितने प्रकार के ब्रोकर होते हैं?

शेयर मार्केट में कितने दो प्रकार के ब्रोकर होते हैं-
Full Time ब्रोकर तथा Discount ब्रोकर

शेयर और शेयर के प्रकार

इससे पहले की आप शेयर मार्किट Trading कितने प्रकार के होते हैं की बारीकियों को समझे, यह जरूरी है की आप शेयर को ठीक से समझे | इस आर्टिकल के जरिये आप निम्नलिखित विषयों के बारे में ठीक से समझेंगे :

  • शेयर क्या है
  • शेयर कितने प्रकार होते हैं

शेयर क्या हैं:

जब भी हम किसी चीज़ का निर्माण करते है तो उस पे हमारा पूर्ण स्वामित्व होता है और जब भी हमे पैसों की जरुरत पड़ती है तो हम उसे चीज़ को बेच देते है | एक गौर करने वाली बात यह हैं कि जब हम उस चीज़ को बचेंगे तो हमारा अधिकार उस पे से पूर्ण रूप से खत्म हो जाता है | लेकिन जब कोई व्यक्ति किसी कंपनी का निर्माण करता है तो वह नहीं चाहता की उसका अधिकार उस कंपनी से पूर्ण रूप से खत्म हो अतः वह अपना ही एक हिस्सा ही बेचता है और वह ऐसा इसलिए करता है क्योंकि किसी भी कंपनी में हिस्सा होना एक तरह का एसेट या संपत्ति होता है जो भविष्य में उस व्यक्ति को आय देगा | इसलिए जब भी कोई व्यक्ति किसी कंपनी का निर्माण करता है तो कानूनी तौर पे एक कंपनी एक इकाई जगह कई सरे इकाई में बाँट दिया जाता है | तो जब भी किसी भी व्यक्ति को अगर कभी भी पैसों की जरुरत पड़े तो उससे पूरी कंपनी बेचने की जरुरत न पड़े | सामान्यता कंपनी मालिक को पैसों की जरुरत पड़ती है – जब उससे कंपनी का विस्तार करना होता है या फिर निजी कारणों से उससे अपना हिस्सा बेच के पैसा जुटाना पड़ता हैं | यदि शेयर्स की संकल्पना न होते तो उस व्यक्ति को पैसे जुटाने के लिए अपने कंपनी में से पूर्ण रूप से अपना स्वामित्व खोना पड़ता | अब जबकि शेयर की आवश्यकता या महत्व हम जाते है इसलिए अब हम शेयर को ठीक तरीके से परिभाषित कर सकते हैं |

शेयर : वित्तीय भाषा में , शेयर का मतलब यह होता है कि किसी व्यक्ति का कंपनी में हिस्सा होना | शेयर को अंश के नाम से भी जाना जाता है | किसी भी कंपनी का स्वामित्व को कई सरे टुकड़ों में बाँट दिया जाता है | एक शेयर उसी स्वामित्व का सबसे छोटा इकाई होता है यानि कि यदि कोई व्यक्ति किसी कंपनी में मालिक है तो कम से कम उसके पास उस कंपनी का एक शेयर तो होगा ही | जिस व्यक्ति के पास जितना शेयर्स होगा वह व्यक्ति उस कंपनी का उतना ही मालिक होगा |

शेयर कितने प्रकार होते हैं

सामान्यता शेयर के दो प्रकार होते है, पहला – ऑर्डिनरी शेयर अथवा साधारण शेयर और दूसरा – प्रिफरेंशियल शेयर्स अथवा वरीय शेयर|

ऑर्डिनरी शेयर अथवा साधारण शेयर : Trading कितने प्रकार के होते हैं यदि कोई निवेशक साधारण शेयर्स का धारक होता है तो वह आंशिक हिस्सेदारी का प्रतिनिधित्व करते हैं | आम शेयरधारक कंपनी के मुनाफ़ा में हिस्सा डिविडेंड या लाभांश के रूप में पता है | यदि किसी भी करना से कंपनी बंद होने वाली है तो सबसे आखिर में आम शेयर धारको का बची हुई पूंजी में हक़ होता है |

प्रिफरेंशियल Trading कितने प्रकार के होते हैं शेयर्स अथवा वरीय शेयर: यदि कोई व्यक्ति प्रिफरेंशियल या वरीय शेयरधारक है तो वह कंपनी की प्राथिमिकता की लिस्ट में आम शेयरधारको से ऊपर होता है यानि की यदि डिविडेंड या लाभांश देने की स्तिथि या फिर कंपनी बंद होने की स्तिथि में सबसे पहले भुगतान प्रिफरेंशियल या वरीय शेयरधारको किया जाता है |

शेयर्स या स्टॉक्स से जुडी ऐसी ही जानकारी के लिए कृपया नॉलेज सेन्टर पे जाये |
(नोट : कृपया निवेश और शेयरो के व्यापार करने से पहले खुद एक बार रिसर्च कर ले क्यूँकि यहाँ पे जो भी जानकारी है वह सिर्फ जानकारी के लिए है और सिर्फ उसी के आधार पे निवेश या फिर शेयर्स व्यापार करना सही नहीं होगा|)

Demat and Trading अकाउंट की पूरी जानकारी

Photo of Rishika Mukherjee

जैसा कि हम सभी जानते है कि परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है। प्राचीन काल से लेकर आज तक हमारे रहन सहन, काम करने के तरीकों आदि में भारी बदलाव आया है तथा टेक्नोलॉजी की वजह से दुनिया लगातार बदल रही है। इसके कारण शेयर मार्किट में ट्रेडिंग करने तथा इन्वेस्टिंग करने के तरीकों में भी काफी बदलाव आया है।

मार्च 2020 के बाद से ही बड़ी संख्या में डीमैट अकाउंट खुलने लगे है तथा विशेष रूप से हमारे देश के युवा लोग इस क्षेत्र की और काफी आकर्षित हो रहे है लेकिन यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है कि अभी भी बहुत सरे लोगों को शेयर मार्केट तथा इससे जुडी बहुत सारी बेसिक डिटेल्स का भी पता नहीं है।

तो आज के इस ब्लॉग में हम डीमैट अकाउंट तथा ट्रेडिंग अकाउंट के बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करेंगे।

Demat Account क्या है ?

हम सभी बैंक अकाउंट के नाम तथा इसके उपयोग के बारे में परिचित है। हमारे बैंक अकाउंट में हम पैसे रख सकते है तथा निकाल सकते है तथा जमा भी करवा सकते है। एक डीमैट अकाउंट भी हमारे बैंक अकाउंट की तरह सिक्योरिटीज को इलेक्ट्रॉनिक रूप में होल्ड करने के काम आता है।

अगर आपके पास फिजिकल शेयर्स है तथा आप उनको इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में एक सुरक्षित जगह पर रखना चाहते है तो उस स्थिति में आप एक डीमैट अकाउंट खुलवाकर अपने शेयर्स को सुरक्षित रूप से इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में रख सकते है। इसके अलावा आप इस खाते में पैसे भी रख सकते है जिनकी मदद से आप शेयर्स खरीद सकते है। लेकिन यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है कि आपको यहां पर बैंक अकाउंट की तरह किसी प्रकार के मिनिमम शेयर्स या पैसे रखने की जरूरत नहीं पड़ती। अगर आपके पास 0 शेयर्स है तो भी आपका डीमैट अकाउंट एक्टिव रह सकता है।

लेकिन इस अकाउंट की मदद से आप सिक्योरिटीज की खरीददारी तथा बिकवाली नहीं कर सकते अर्थात ट्रेडिंग नहीं कर सकते।

डीमैट अकाउंट के प्रकार -

हमने यह तो समझ लिया कि एक डीमैट अकाउंट क्या होता है तो आइये अब यह समझ लेते है कि ये कितने प्रकार के होते है तथा उनमें क्या क्या फर्क होता है -

1. Regular Demat Account -

अगर आप एक सामान्य भारतीय नागरिक है तो यह अकाउंट आपके लिए एक आदर्श अकाउंट है जिसमे आप अपनी सिक्योरिटीज तथा इक्विटीज को होल्ड करके रख सकते हो तथा इसकी मदद से आप IPOs में भी इन्वेस्ट कर सकते हो।

लेकिन Trading कितने प्रकार के होते हैं समस्या तब खड़ी होती है जब आप उन शेयर्स को बेचना चाहते है और उसके लिए आपको एक डीमैट अकाउंट की जरूरत पड़ेगी।

सेबी के नए नियम के अनुसार आपको 50 हजार रूपये से कम की होल्डिंग्स के लिए किसी भी प्रकार के Maintenance Charges देने की भी जररूत नहीं पड़ेगी।

2. Repatriable Demat Account -

अगर आप एक NRI है तथा आप जिस देश में रहते है उस देश से भारत में फण्ड ट्रांसफर करना चाहते है तो ये अकाउंट आपके लिए ही बना है जिसमे आप एक साल में अधिकतम 1 मिलियन USD तक का फण्ड ट्रांसफर कर सकते है लेकिन इस प्रकार का डीमैट अकाउंट खुलवाने के लिए आपको एक NRE Bank Account की जरूरत पड़ेगी।

Non - Resident External या NRE अकाउंट एक बैंक अकाउंट है जो एक NRI द्वारा उसके वर्तमान देश से भारत में पैसे ट्रांसफर करने के काम आता है तथा यह अकाउंट रूपये के Denominations पर आधारित है।

3. Non - Repatriable Demat Account -

यह अकाउंट भी उन लोगों के लिए है जो भारत से बाहर रहते है लेकिन Repatriable Account की तरह आप इसमें विदेश से हमारे देश में पैसे ट्रांसफर नहीं कर सकते। अगर आप इस प्रकार का अकाउंट खुलवाना चाहते है तो आपके पास एक NRO अकाउंट होना चाहिए।

अगर आप वर्तमान में विदेश में रह रहे है लेकिन आप जब भारत में थे तब आपने कुछ शेयर्स खरीदे थे तथा अब आप उन शेयर्स को होल्ड करना चाहते है तो यह अकाउंट आपके लिए बिल्कुल सही है।

Trading क्या है?

जैसे कि हमने पहले भी चर्चा की थी कि एक डीमैट अकाउंट में आप केवल सिक्योरिटीज को होल्ड करके रख सकते है लेकिन अगर आप इनकी खरीददारी तथा बिकवाली करना चाहते है तो इसके लिए आपके पास एक ट्रेडिंग अकाउंट होना चाहिए इसको भी हम निम्नलिखित प्रकारों में बाँट सकते है -

1. Equity तथा Derivatives Trading Account

यह सबसे आम ट्रेडिंग अकाउंट है जिसकी मदद से आप Shares , Futures तथा Options में ट्रेड कर सकते है। ये सारे Transactions आप अपने घर से ही कर सकते हो या फिर अपने ब्रोकर को कॉल करके भी बता सकते हो तथा आपका ब्रोकर आपका ये काम कर देगा। आपके सभी अकाउंट T+1 Day के हिसाब से Execute हो जाएंगे।

अगर आप केवल Futures and Options में ही ट्रेड करते है तो आपको डीमैट अकाउंट की भी जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि यह ट्रेड एक विशेष समय में ही ख़तम हो जाता है लेकिन स्टॉक्स के लिए आपको डीमैट अकाउंट की जरूरत पड़ सकती है।

2. Commodity Trading Account

अगर आप Multi Commodity Exchange (MCX) में ट्रेड करना चाहते है तो आपको एक कमोडिटी ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत पड़ेगी इस अकाउंट को खुलवाने के बाद आप आसानी से कमोडिटी futures and Options में ट्रेड कर सकते है।

यहां पर भी transactions T+1 Day के आधार पर ही Execute होते है।

3. Discount Trading Account

जो लोग भारी संख्या में स्टॉक्स का Transactions करते है तो इस प्रकार के अकाउंट में फीस काफी कम लगती है लेकिन ये किसी भी प्रकार की एडिशनल सर्विसेज प्रदान नहीं करते है लेकिन Call and Trade जैसी सर्विसेज का फायदा आप कुछ एक्स्ट्रा फीस देकर उठा सके है।

एक इन्वेस्टर के तौर पर आप उपरोक्त तीनों में से किसी भी प्रकार का अकाउंट खुलवा सकते हो। कई बैंक्स आपको 3-in-1 की भी सुविधा भी प्रदान करती है। जो भी ब्रोकिंग फर्म्स बैंकों से जुडी होती है उनमें आप इस प्रकार के अकाउंट का फायदा उठा सकते हो इसमें आपको बैंकिंग सर्विसेज के साथ-साथ ट्रेडिंग तथा डीमैट अकाउंट की सर्विसेज भी मिलती है।

डीमैट अकाउंट तथा ट्रेडिंग अकाउंट में अंतर :-

आधार

डीमैट अकाउंट

ट्रेडिंग अकाउंट

उपयोग

शेयर्स तथा सिक्योरिटीज को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में स्टोर करने के लिए एक डीमैट अकाउंट की जरूरत पड़ती है

सिक्योरिटीज को खरीदने तथा बेचने के लिए एक ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत पड़ती है

पहचान

डीमैट अकाउंट खुलने Trading कितने प्रकार के होते हैं के बाद इन्वेस्टर को एक यूनिक ID नंबर दिया जाएगा

इसमें आपको अकाउंट खुलवाने के बाद एक ट्रेडिंग ID दी जाएगी

उद्देश्य

शेयर्स की सुरक्षा के लिए

शेयर्स तथा सिक्योरिटीज की खरीददारी तथा बिकवाली की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए


एक ट्रेडिंग तथा डीमैट अकाउंट कैसे खुलवाएं?

एक ट्रेडिंग तथा डीमैट अकाउंट खुलवाने के लिए आपकी उम्र 18 साल से ज्यादा होनी चाहिए या फिर आपको अभिभावकों की कानूनी परमिशन चाहिए होगी तथा उसके बाद आप शेयर्स तथा सिक्योरिटीज की खरीददारी तथा बिकवाली कर सकते है।

इसके अलावा आपको एक पैन कार्ड की जरूरत पड़ेगी तथा इन स्टेप्स को फॉलो करना होगा -

1 डीमैट अकाउंट खुलवाने के लिए आपको Depository Participant या DP से संपर्क करना होगा जिसके बारे में आप Central Depository Services या फिर National Securities Depository Limited से जानकारी प्राप्त कर सकते है। ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाने के लिए आपको एक ब्रोकर या ब्रोकिंग फर्म से संपर्क करना होगा।

2 अपने एड्रेस प्रूफ, पैन कार्ड, ID प्रूफ आदि देने के बाद आपको एक KYC भरनी पड़ेगी।

3 डीमैट अकाउंट की स्थिति में आपको एक एग्रीमेंट साइन करना होगा। इसकी एक कॉपी अपने पास जरूर रखें।

4 ट्रेडिंग अकाउंट के लिए आपको एक वेरिफिकेशन प्रोसेस से गुजरना होगा।

5 थोड़े समय बाद आपके डीमैट अकाउंट तथा ट्रेडिंग अकाउंट खुल जाएंगे तथा आप उनका उपयोग कर सकते है।

निष्कर्ष -

हम आशा करते Trading कितने प्रकार के होते हैं है कि इस आर्टिकल में लिखी गयी बातें आपके ट्रेडिंग तथा डीमैट अकाउंट से सम्बंधित सारे डाउट्स दूर कर देगी तथा आपको एक सही डीमैट तथा ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाने में सहायता मिलेगी।

शेयर मार्किट एक ऐसी जगह है जहां आप अगर बिना नॉलेज काम करते है तो आपको नकारात्मक परिणाम मिल सकते है। इसलिए आपको हमेशा इसके बारे में कुछ नया सीखते रहना चाहिए।

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