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एक विदेशी मुद्रा विशेषज्ञ बनें

एक विदेशी मुद्रा विशेषज्ञ बनें
आर्थिक जानकारों के मुताबिक जैसे-जैसे सकल घरेलु उत्पाद बढ़ता है, उसी अनुपात में अर्थव्यवस्था में बाहरी ऋण के कंपोनेंट भी बढ़ जाते हैं। आर्थिक गतिविधि और निवेश में बढ़ोतरी होने का मतलब है कि कर्ज में बढ़ोतरी। कहने का मतलब यह है कि सकल घरेलू उत्पाद के साथ विदेशी ऋण के बढ़ने में कुछ भी असामान्य नहीं है। खास बात यह है कि ऋण चुकाने के लिए किसी भी देश के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है या नहीं।

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फोरेक्स – करेंसी एक्सचेंज

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फोरेक्स करेंसी
फोरेक्स ट्रेवल कार्ड और फोरेक्स करेंसी (प्रचलित दर की उपलब्धता) यू एस डॉलर (USD) यूएई दिरहाम (AED)
यूरो (EUR) स्विस फ्रैंक(CHF)
स्टर्लिंग पॉण्ड (GBP) औस्ट्रेलियन डॉलर (AUD)
सिंगापोर डॉलर(SGD) जापानी येन (JPY)
Canadian Dollar (CAD)

रुपये में भारी गिरावट, न्‍यूनतम बंद स्‍तर पर एक विदेशी मुद्रा विशेषज्ञ बनें पहुंचा

अमेरिकी फेडरल रिजर्व की एक महत्वपूर्ण बैठक से पहले मंगलवार को अंतर बैंक विदेशी मुद्रा बाजार में आज डॉलर के मुकाबले रुपये की विनियम दर 90 पैसे की भारी गिरावट दर्ज की गई और भारतीय मुद्रा 58.77 पर बंद हुई। रुपये एक विदेशी मुद्रा विशेषज्ञ बनें की यह अब तक की न्यूनतम बंद दर है।

मुंबई : अमेरिकी फेडरल रिजर्व की एक महत्वपूर्ण बैठक से पहले मंगलवार को अंतर बैंक विदेशी मुद्रा बाजार में आज डॉलर के मुकाबले रुपये की विनियम दर 90 पैसे की भारी गिरावट दर्ज की गई और भारतीय मुद्रा 58.77 पर बंद हुई। रुपये की यह अब तक की न्यूनतम बंद दर है।
फेडरल रिजर्व की आज शुरू हो रही दो दिन की बैठक में अमेरिका में बैंकों के पास ऋण के लिए नकदी बढ़ाने की मौजूदा नीति में बदलाव पर काई फैसला किया जा सकता है। सस्ते कर्ज की नीति में बदलाव की आशंका में स्थानीय बैंकों और आयातकों की ओर से डॉलर की लिवाली चल पड़ी और रुपया 90 पैसे गिरावट के साथ 58.77 रुपये प्रति डॉलर के सर्वकालिक निम्न स्तर पर बंद हुआ।
विदेशी पूंजी की निकासी से भी बाजार धारणा प्रभावित हुई। विदेशी संस्थागत निवेशक दो दिन में 750 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री की है। मई अंत एक विदेशी मुद्रा विशेषज्ञ बनें से विदेशी संस्थागत निवेशकों ने पांच अरब डॉलर के बांड भी बेच चुके हैं। उनकी ओर से आगे भी विकवाली बने रहने के आसार हैं।
अंतर बैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 58.25 रुपये प्रति डॉलर पर खुला और 58.81 रुपये प्रति डालर तक लुढ़क गया। अंत में रुपया 90 पैसे अथवा 1.56 प्रतिशत की गिरावट के साथ 58.77 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ। इससे पहले 11 जून को रुपया कारोबार के दौरान 58.98 के सर्वकालिक निम्न स्तर तक चला गया था। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि रुपया 59 प्रति डॉलर तक गिर सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक आज के कारोबार के लिए 58.4515 रुपये प्रति डॉलर और 77.9110 रुपये प्रति यूरो की संदर्भ दर निर्धारित की थी। पौंड, यूरा और जापानी येन के मुकाबले भी रुपये में गिरावट आई। (एजेंसी)

श्रीलंका संकट में क्यों फंसा, भारत के लिए भी सबक

श्रीलंका में जो हो रहा है, भयावह है। केवल वहां के नागरिकों के लिए यह महा विपत्ति काल नहीं है, बल्कि हमारे लिए भी एक सबक है। किसी देश में जब घनघोर परिवारवाद हो, सत्ता में आने या बने रहने के लिए अर्थव्यवस्था के नियमों को ताक पर रखकर सिर्फ लोकलुभावन नीतियां बनें, जब राष्ट्रीय सुरक्षा को ताक पर रखकर सत्ता में बैठे लोग अपने हितों की चिंता करें और जो शासक दुश्मन और दोस्त में फर्क ना समझ पाए तो वह श्रीलंका हो जाता है।

भारत के दक्षिणी छोर पर बसे द्वीप श्रीलंका के सामने ईंधन, भोजन, दवा, घर की अन्य सभी आवश्यक वस्तुओं का संकट है। पेट्रोल-डीजल मिल नहीं रहे। पेट्रोल पंपों पर सेना तैनात कर दी एक विदेशी मुद्रा विशेषज्ञ बनें गई है। 13 घंटे की लंबी बिजली कटौती हो रही है, सार्वजनिक परिवहन समय से चल नहीं रहे हैं। त्यागपत्र दे चुके, प्रधानमंत्री अपनी जान बचाने के लिए श्रीलंका नेवी के बंकर में छुपे हुए हैं। पूरे श्रीलंका में व्यापक सामाजिक अशांति फैली एक विदेशी मुद्रा विशेषज्ञ बनें हुई है। श्रीलंका की समस्या बहुत गहरी है और इसका हल फिलहाल नजर नहीं आ रहा है।

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Foreign debt : मोदी राज में नहीं घटे विदेशी कर्ज, 2013 की तुलना में 211.3 अरब डॉलर की हुई बढ़ोतरी

Foreign debt : मोदी राज में नहीं घटे विदेशी कर्ज, 2013 की तुलना में 211.3 अरब डॉलर की हुई बढ़ोतरी

Foreign debt India : मोदी सरकार ( Modi government ) चाहे अर्थव्यवस्था में सुधार और मजबूती का दावा कितना भी क्यों न कर ले, सच को छुपाना उसके लिए संभव नहीं है। आरबीआई के आंकड़ों पर ही गौर फरमाएं तो सच यही है कि मोदी के आठ साल के कार्यकाल में भारतीयों पर विदेशी कर्ज ( Foreign debt India ) कम होने के बजाय बढ़ा है। हाल ही में वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग ने विदेशी कर्ज को लेकर जो रिपोर्ट जारी की है उसमें भी इसी बात का जिक्र है। जब मोदी देश के पीएम बने तो देश पर विदेशी कर्ज ( foreign loan ) का बोझ 409.4 अरब डॉलर था, जो 2022 में बढ़कर 620.7 अरब डॉलर हो गया। यानि मोदी राज में विदेशी कर्ज ( foreign debt ) में 211.3 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई है। यानि हर भारतीय पर विदेशी कर्ज का बोझ पहले की तुलना में काफी बढ़ गया है।

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