निवेश उत्पाद

निवेश की लुभावनी तस्वीर
किसी भी वर्ष में आर्थिक वृद्धि या तो मौजूदा क्षमता के बेहतर उपयोग या नए निवेश की वज़ह से हो सकती है। हालाँकि, मध्यम से दीर्घ अवधि तक विकास का मुख्य चालक निवेश है। उच्च निवेश दर के बिना, उच्च वृद्धि दर को बनाए रखना मुश्किल है। कॉर्पोरेट क्षेत्र के बजाय हाउसहोल्ड 2011-12 और 2016-17 के बीच निवेश दर में गिरावट के लिये ज़िम्मेदार है|
निवेश उत्पाद
1. डी0ई0डी0एस0 योजनान्तर्गत जीरो करप्शन बेस्ड पॉलिसी के अन्तर्गत एन0एन0के0बी0जी0एस0 योजनान्तर्गत सुरक्षित निवेश की व्यवस्था प्राविधानित है।
2. एम0एस0पी0 (न्यूनतम समर्थन मूल्य) योजनान्तर्गत खाद्यान्नों यथा धान/गेहूं/सब्जियॉं (समस्त कच्चा माल श्रेणी)/दलहन(समस्त कच्चा माल श्रेणी)/तिलहन(समस्त कच्चा माल श्रेणी) की खरीद पर सुरक्षित निवेश की सम्भावना। समस्त खरीददारी जी0पी0एस0 के अन्तर्गत सी0सी0टी0वी0 में निगरानी सहित खरीददारी की व्यवस्था प्रस्तावित न्याय पंचायत स्तरीय कृषक सेवा केन्द्र/मिनी कलेक्शन सेण्टर/दुग्ध कलेक्शन सेण्टर पर खरीददारी की व्यवस्था सुनिश्चित किया जाना प्राविधानित है।
3. खाद (जैविक एवं रासायनिक) बीज, कृषि संयंत्र इत्यादि में सुरक्षित निवेश की पूर्ण सम्भावना। समस्त श्रेणी के निवेश पर न्यूनतम 8 प्रतिशत ब्याज दर, जिस पर त्रैमासिक चक्रवृद्धि ब्याज दर लागू होगी तथा इस पर निवेश उत्पाद गॉरन्टीड ब्याज दर देय होगी, पर निवेश का प्रावधान प्राविधानित है।
4. संस्थान के क्रमशः 18 मण्डलों अथवा मण्डलों के जनपदों में यूनिटों की प्रस्तावित अन्य यूनिटों में सुरक्षित निवेश की पूर्ण सम्भावना।
5. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लगभग 65 देशों में मांग/पूर्ति सिद्धांतानुसार विपणन/पूर्ति इकाई की स्थापना, निर्यात, ढांचा इत्यादि व्यवस्थांतर्गत सुरक्षित निवेश की व्यवस्था प्राविधानित है |
केंद्रीय कृषि विकास संस्थान में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 3.59% (अनुबंध युक्त) एवं घरेलू निवेश (कुछ निवेश मामलों को छोड़कर) निवेश में ब्याज की दर 8 से 8.5 प्रतिशत (शर्तों सहित) त्रैमासिक चक्रवृद्धि ब्याज (शर्तों सहित) लागू होगा जो समय-समय पर परिवर्तनीय होगा |
केन्द्रीय कार्यालय/मुख्यालय हेतु महत्वपूर्ण सूचना
सर्वसाधारण को सूचित किया जाता है कि केन्द्रीय कृषि विकास संस्थान द्वारा निजी केन्द्रीय कार्यालय/मुख्यालय की स्थापना हेतु दिनांक 17 जनवरी 2020 में श्रीमान कृषि सचिव भारत सरकार नई दिल्ली के सम्मुख प्रस्तुत किये गए खरीद प्रस्ताव पर जारी आदेश डायरी संख्या 472175 दिनांक 17 जनवरी 2020 के तहत केन्द्रीय कृषि विकास संस्थान से जारी प्रस्ताव पत्रांक 43/के.कृ.वि.सं./2019-20 दिनांक 20 जनवरी 2020 के क्रम में श्रीमान सहायक महानिदेशक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद स्तरीय जारी स्वीकृति/सुझाव आदेश पत्र संख्या 366924/स.म.(त.स.) दिनांक 23.03.2020 तत्क्रम श्रीमान कृषि सचिव भारत सरकार नई दिल्ली 106/के.कृ.वि.सं./2019-20 दिनांक 26 फरवरी 2020 को खरीद कार्यवाही विषयक आख्या/प्रस्ताव/रिपोर्ट अथवा संस्थागत स्वीकृति प्रदान की गयी । मा.मुख्यमंत्री जी उ.प्र.शासन को केन्द्रीय कार्यालय/मुख्यालय की स्थापना हेतु खरीद प्रस्ताव पर जारी आदेश संख्या CRCD000732687864 दिनांक 30 जनवरी 2020 के क्रम में ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के आदेश पत्रांक-ग्रे.नो./संस्थागत/2020/995 दिनांक 04.02.2020 कार्यवाही सम्पन्न करायी जा चुकी है। तत्क्रम केन्द्रीय कार्यालय/मुख्यालय का एन.सी.आर.के ग्रेटर नोएडा में स्थापना हेतु मा.मुख्यमंत्री जी उ.प्र.शासन के कार्यालय से दिनांक 27 जून 2022 में जारी CRCF0013886793 के क्रम में दिनांक 27 जुलाई 2022 में विभिन्न कार्यवाही पश्चात केंद्रीय कार्यालय के नियंत्रणाधीन केंद्रीय मुख्यालय का अनुमोदन प्राप्त हो चुका है | केन्द्रीय कृषि विकास संस्थान द्वारा राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय अथवा वैश्विक स्तरीय केंद्रीय कार्यालय हेतु श्रीमान प्रमुख सचिव माननीय मुख्यमंत्री जी उत्तर प्रदेश शासन CRCD000561464368 दिनांक 27.01.2022 के क्रम में लखनऊ उत्तर प्रदेश में केंद्रीय कार्यालय प्रस्तावित अथवा कार्यवाही प्रचलित है। केन्द्रीय कृषि विकास संस्थान द्वारा केंद्रीय कार्यालय के नियंत्रणाधीन वैश्विक स्तरीय केंद्रीय वित्तीय कार्यालय मुंबई महाराष्ट्र में स्थापना प्रस्तावित है।
सूचना : सर्वसाधारण को सूचित किया जाता है कि वर्तमान में संस्थागत संपर्क कार्यालय एवं दूरभाष सुविधाएं कोरोना आदि कारणों से प्रभावित हैं, जिन्हें जनसामान्य हेतु शीघ्र उपलब्ध कराया जाना सुनिश्चित होगा | सूचना : सर्वसाधारण को सूचित किया जाता है कि वर्तमान में संस्थागत संपर्क कार्यालय एवं दूरभाष सुविधाएं कोरोना आदि कारणों से प्रभावित हैं, जिन्हें जनसामान्य हेतु शीघ्र उपलब्ध कराया जाना सुनिश्चित होगा | सूचना : सर्वसाधारण को सूचित किया जाता है कि वर्तमान में संस्थागत संपर्क कार्यालय एवं दूरभाष सुविधाएं कोरोना आदि कारणों से प्रभावित हैं, जिन्हें जनसामान्य हेतु शीघ्र उपलब्ध कराया जाना सुनिश्चित होगा | सूचना : सर्वसाधारण को सूचित किया जाता है कि वर्तमान में संस्थागत संपर्क कार्यालय एवं दूरभाष सुविधाएं कोरोना आदि कारणों से प्रभावित हैं, जिन्हें जनसामान्य हेतु शीघ्र उपलब्ध कराया जाना सुनिश्चित होगा |
निवेश करना सीखें
अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फण्ड (एआईएफ) निवेश का अपेक्षाकृत नया साधन है और कुछ वर्षों में इसका प्रचलन काफी बढ़ा है. विगत तीन वर्षों में सरकार के विभिन्न नियामक सुधारों, जैसे कि कमोडिटी डेरिवेटिव्स में निवेश करने की इजाजत, केटेगरी 1 और 2 फंड्स के लिए टैक्स पास-थ्रू ढांचा का क्रियान्वयन और आटोमेटिक रूट के तहत फण्ड में विदेशी निवेशों का समावेश के कारण वैकल्पिक निवेशों की तेज वृद्धि हुयी है.निवेश उत्पाद
इस आलेख में हम आपको अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स और इससे सम्बंधित हर चीज के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी देंगे. तो चलिए हम सबसे पहले अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स यानी वैकल्पिक निवेश फंड्स को समझने के साथ शुरुआत करते हैं.
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अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स क्या हैं ?
अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स भारत में स्थापित या निगमित निजी तौर पर समुच्चित निवेश साधन है. यह जानकार निवेशकों से फण्ड एकत्र करके उनका समुच्चय खडा करता है जिनमें भारतीय और विदेशी दोनों होते हैं. इस तरह जमा फण्ड को अपारंपरिक विकल्पों, जैसे कि रियल एस्टेट फंड्स, हेज फंड्स, प्राइवेट इक्विटी आदि में निवेश कर दिया जाता है. निवेश के उत्पाद की व्यापक रेंज से निवेशकों को अपने निवेश पोर्टफोलियो को व्यापक बनाने और विविधीकृत करने में मदद मिलती है.
ये फंड्स प्रचलित विधि वाले निवेश मद, जैसे कि इक्विटी, नियत आमदनी, और नकदी में निवेश नहीं करते और इसी कारण से वे निवेश उत्पाद निवेश के परम्परागत विकल्पों से भिन्न होते हैं. दूसरे शब्दों में अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट किसी संपदा श्रेणी में किया गया निवेश है जो शेयर, बांड्स और नकदी का समावेश नहीं होता है. साधारण रूप से कहें तो निवेश के परम्परागत स्वरूप का कोई भी वैकल्पिक रूप अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट के श्रेणी में आता है.
अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स भारी-भरकम राशि निवेश करने वाले धनी लोगों, कॉर्पोरेट और संस्थागत ग्राहकों के लिए एक आदर्श निवेश साधन है. ये प्राइवेट इन्वेस्टमेंट फंड्स है और प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (आईपीओ) या किसी दूसरे तरह के सार्वजनिक निर्गम के माध्यम से नहीं मिलते हैं. इसलिए उनके विनियम दूसरे फण्ड प्रबंधन के विनियमों से भिन्न होते हैं.
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भारत में अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट्स का वर्गीकरण
अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट में निम्नलिखित सम्मिलित हैं :
टैन्जबल रियल एस्टेट (भौतिक अचल संपत्ति)
इनमें भौतिक सम्पदाएँ शामिल हैं जिनका उनके स्वरुप या गुणों के कारण स्वाभाविक मूल्य होता है, जैसे कि बेशकीमती धातु की वस्तुओं, तेल, दुर्लभ सिक्के, कलाकृति, आभूषण आदि. निवेशक सीधे इन संपदाओं को खरीद सकते हैं या इस तरह की संपत्तियों में विशेषज्ञ फण्ड में निवेश कर सकते हैं.
हेज फंड्स (बचाव निधि)
इन फंड्स द्वारा जोखिमों में विविधता के उद्देश्य से विविध संपदा श्रेणियों में निवेश किया जाता है. फण्ड मैनेजर निधि संग्रह करते हैं, उन्हें सामूहिक लाभ कोष निवेश उत्पाद में डालते हैं और विविध वित्तीय विपत्रों में निवेश कर देते हैं. वे घरेलू और विदेशी दोनों बाज़ारों में एक से अधिक रणनीतियों, जैसे कि दीर्घ, अल्प, लाभ उठाया हुआ, व्युत्पन्न स्थितियों, आदि का प्रयोग करते हैं.
प्राइवेट इक्विटी और स्टॉक्स (निजी इक्विटी और शेयर)
प्राइवेट इक्विटी कम्पनियां अधिकांशतः संस्थागत और गैर-संस्थागत निवेशकों से निधियाँ एकत्र करती हैं. इसमें फण्ड द्वारा निवेश को संभावनाशील प्राइवेट कंपनियों में कंपनी के स्टॉक्स और शेयरों के बदले में लगा दिया जाता है. इससे आम तौर पर निवेशकों का जोखिम प्रोफाइल कम हो जाता है.निवेश उत्पाद
यह निवेश का मिश्रित रास्ता है. इसमें म्यूच्यूअल फण्ड और एक्सचेंज पर क्रय-विक्रय किये गए फंड्स होते हैं.
इंफ्रास्ट्रक्चर फंड्स (आधारभूत संरचना फंड्स)
इंफ्रास्ट्रक्चर फंड्स द्वारा सड़क, बंदरगाह, पुल, जल मार्ग और बिजली उत्पादन जैसी आधारभूत संरंच्नाओं के निर्माण में संलग्न कंपनियों में निवेश किया जाता है.
स्टार्ट-अप या अर्ली स्टेज फंड्स (स्टार्ट-अप फंड्स या शुरुआती चरण के फंड्स)
इन फंड्स द्वारा सुदृढ़ वृद्धि की संभावना प्रदर्शित करने वाले स्टार्ट-अप तथा लघु एवं मंझोले आकार के उद्यमों में निवेश किया जाता है. ये फंड्स ज्यादा जोखिम, ज्यादा रिटर्न के सिद्धांत पर प्रदर्शन करते हैं.
डेब्ट फंड्स (ऋण फंड्स)
ये फंड्स मुख्यतः अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स के घोषित उद्देश्यों के आधार पर सूचीबद्ध और असूचीबद्ध कंपनियों के ऋण विपत्रों में निवेश करते हैं.
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के विनियमों के अनुसार अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स को तीन वर्गों में बांटा गया है – श्रेणी 1, श्रेणी 2 और श्रेणी 3. श्रेणी 1 के अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स (एआईएफ) में स्टार्ट-अप, इंफ्रास्ट्रक्चर फंड्स, और अर्ली स्टेट वेंचर फंड्स सम्मिलित हैं. श्रेणी 2 के एआईएफ में प्राइवेट इक्विटी, डेब्ट फंड्स, रियल एस्टेट फंड्स और संकत्ग्रत संपत्तियां शामिल हैं. श्रेणी 3 के एआईएफ में हेज फंड्स, विविध व्यापार रणनीतियों वाले फंड्स, और अल्पकालिक रिटर्न वाले फंड्स आते हैं.
अब इनमें से एक-एक को विस्तार से समजिये.
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अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स के प्रकार
श्रेणी 1 के अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स
प्रथम श्रेणी के अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स का मुख्य लक्ष्य स्टार्ट-अप में, प्रारम्भिक चरण के उपक्रमों में, लघु एवं मंझोले उद्योगों में या सरकार की नज़र में आर्थिक और सामाजिक रूप से व्यावहारिक माने जाने वाले अन्य क्षेत्रों में निवेश करना होता है. ये फंड्स भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक और फायदेमंद है और विकास को रफ़्तार देते हैं, इसलिए इन्हें सरकार, सेबी और अन्य नियामकों द्वारा प्रोत्साहित किया जाता है. चूंकि इन फंड्स द्वारा सामाजिक रूप से वांछित व्यावसायिक क्षेत्रों में निवेश किये जाते हैं, इसलिए इसके पीछे मुनाफ़ा कमाने का इरादा हो भी सकता है, नहीं भी हो सकता है. श्रेणी 1 के एआईएफ में सोशल वेंचर फंड्स, इंफ्रास्ट्रक्चर फंड्स, एंजेल फंड्स, वेंचर कैपिटल फंड्स और एसएमई फंड्स सम्मिलित हैं.
श्रेणी 2 के अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स
द्वितीय श्रेणी के अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स अपनी प्रकृति में अपेक्षाकृत क्लोज-एंडेड (सीमित अवधि के लिए) होते हैं. इन फंड्स में निवेश करने के लिए पूंजी पैदा करने के लिए ऋण लेने की मनाही है. किन्तु, इस नियम का एक अपवाद है कि ये एआइएफ अपने परिचालन की दैनिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए उधार जे सकते हैं या लाभ उठाने की रणनीति का इस्तेमाल कर सकते हैं. श्रेणी 2 के एआईएफ में प्राइवेट इक्विटी फंड्स या डेब्ट फंड्स शामिल हैं. इसके अलावा इन एआईएफ फंड्स को सरकार, सेबी या किसी और विनियामक से प्रोत्साहन या रियायत नहीं मिलती है. यह निवेश उत्पनिवेश उत्पाद ाद एक विविध श्रेणी का फण्ड है और इसमें वैसे एआईएफ सम्मिलित है जो श्रेणी 1 और श्रेणी 3 के दायरे में नहीं आते हैं.
श्रेणी 3 के अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स
तृतीय श्रेणी के अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स वैसे फंड्स होते हैं जिनकी खरीद-बिक्री अल्पकालिक रिटर्न अर्जित करने के इरादे से की जाती है. इनमें हेज फंड्स और पब्लिक इक्विटी में प्राइवेट निवेश (पीआइपीई) फंड्स शामिल हैं. ये ओपन-एंडेड (असीमित अवधि) फंड्स हैं और इन्हें सरकार, सेबी या किसी दूसरे विनियामक से प्रोत्साहन या रियायत नहीं मिलती है. इन फंड्स द्वारा मार्जिन ट्रेडिंग, निवेश उत्पाद आर्बिट्राज, फ्यूचर्स ट्रेडिंग, डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग आदि जैसी जटिल व्यापार रणनीतियों का प्रयोग किया जाता है. श्रेणी 3 के एआइएफ को सूचीबद्ध और असूचीबद्ध डेरिवेटिव्स पर निवेश करने के लिए लीवरिज के इस्तेमाल की इजाजत होती है.
अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स के लिए फण्ड संग्रह और निवेश के प्रतिबन्ध
अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स मुख्यतः निजी स्थापन के माध्यम से फंड्स एकत्र करते हैं. इसके अलावा उन्हें किसी निवेशक से 1 करोड़ रुपये के कम का निवेश स्वीकार करने की अनुमति नहीं होती है.
अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फण्ड या इसके अंतर्गत कोई योजना 1000 से अधिक निवेशकों को स्वीकार नहीं कर सकती. इन योजनाओं में न्यूनतम योग्य राशि 20 करोड़ रुपये है. दूसरे शब्दों में हरेक योजना में कम से कम 20 करोड़ रुपये का कोष रहना ही चाहिए. किन्तु एंजेल फंड्स को अपेक्षाकृत कम योग्य राशि की अनुमति है.
हाल के समय में भारत में अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट का प्रचलन काफी तेजी से बढ़ा है. सीमित परम्परागत जोखिमों के साथ निवेश का यह शानदार माध्यम है. इसके अलावा, बाज़ार की परिस्थितियों का इस पर सीमित असर होता है.
आप भी अल्टरनेटिव फंड्स में निवेश करने का विचार कर सकते हैं. लेकिन, निवेश करने के पहले इसका पिछला रिकॉर्ड और इसका प्रबंधन करने वाले लोगों की विश्वसनीयता को लेकर पूरा संतुष्ट हो लेना ज़रूरी है. बेहतर होगा कि निवेश करने के पहले फण्ड प्रबंधक द्वारा अपनाई गयी रणनीतियों को एयर ओम फिम्ड्स से जुड़े जोखिमों को समझ लें.
निवेश उत्पाद
भारत का खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र उत्पादन, वृद्धि, खपत और निर्यात की निवेश उत्पाद दृष्टि से सबसे बड़ा क्षेत्र है। भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में फल और सब्जियां, मसाले, मांस और पोल्ट्री, दूध और दूध उत्पाद, मदिरा, मत्स्य उद्योग, वृक्षारोपण अनाज प्रसंस्करण और उपभोक्ता निवेश उत्पाद उत्पाद समूह जैसे मिष्ठान्न, चाकलेट और कोको उत्पाद, सोया आधारित उत्पाद, मिनरल जल, उच्च प्रोटीन खाद्य आदि शामिल हैं। अगस्त 1991 में उदारीकरण से लेकर खाद्य और कृषि-प्रसंस्करण क्षेत्र के विभिन्न क्षेत्र के संबंध में परियोजना लगाने के लिए प्रस्ताव प्राप्त हुए है। इसके अलावा, सरकार ने निवेश को ध्यान में रखते हुए संयुक्त उपक़्रम, विदेशी सहयोग, औद्योगिक लाइसेंस और 100 % निर्यात उन्मुख इकाईयों के प्रस्ताव स्वीकृत किए हैं। इसमें 10,000 करोड़ रुपए से अधिक का विदेशी निवेश शामिल है।
वर्ष 2020-21 के दौरान भारत का प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात 36,946.20 करोड़/ 4,987.76 मिलियन अमरीकी डॉलर था, जिसमें आम का गूदा (714.41 करोड़ / 96.43 मिलियन अमरीकी डॉलर), प्रसंस्कृत सब्जियां (3718.65 रुपए/ 501.56 मिलियन अमरीकी डॉलर), खीरा एवं ककड़ी (सूखी एवं संरक्षित) (1651.83 रुपए/ 223.05 मिलियन अमरीकी डॉलर), प्रसंस्कृत फल, जूस और मेवे (3173.42 रुपए/ 428.39 मिलियन अमरीकी डॉलर), दालें (2,116.69 रुपए/ 284.26 मिलियन अमरीकी डॉलर), मूंगफली (5,381.61 रुपए/ 727.40 मिलियन अमरीकी डॉलर), ग्वारगम (1949.07 रुपए/ 262.99 मिलियन अमरीकी डॉलर), गुड़ एवं कंफेक्शनरी (2659.57 रुपए/ 358.88 मिलियन अमरीकी डॉलर), कोको उत्पाद (1108.38 रुपए/ 149.78 मिलियन अमरीकी डॉलर), अनाज निर्मित उत्पाद (4705.81 रुपए/ 635.75 मिलियन अमरीकी डॉलर), मादक पेय (2386.91 रुपए/ 322.12 मिलियन अमरीकी डॉलर), विविध निर्मित उत्पाद (5866.44 रुपए/ 793.08 मिलियन अमरीकी डॉलर) और मिल के उत्पाद (1513.44 रुपए/ 204.03 मिलियन अमरीकी डॉलर)।
भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मुख्यतः निर्यात उन्मुख है। भारत की भौगोलिक स्थिति इसे यूरोप, मध्य एशिया, जापान, सिंगापुर, थाइलैण्ड, मलेशिया और कोरिया से सम्पर्क की अद्वितीय सुविधा प्रदान करती है। इसका एक उदाहरण भारत की स्थिति की वजह से भारत और खाड़ी क्षेत्र के मध्य कृषि प्रसंस्कृत खाद्य के व्यापार की मात्रा है।
विश्व अर्थव्यवस्था (7 ट्रिलियन यूएसडी) में खुदरा व्यापार एक सबसे बड़ा क्षेत्र है जो कि भारत में परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की गैर प्रतिस्पर्धात्मकता की एक मुख्य वजह विपणन प्रणाली की लागत और गुणवत्ता है। विश्व में 72 प्रतिशत से अधिक खाद्य की बिक़्री सुपर स्टोर्स के माध्यम से होती है। भारत में काफी संभावनाएं हैं और एक बड़े खुदरा व्यापार परिवर्तन के लिए अनुकूल स्थिति है। भारत में संगठित खुदरा क्षेत्र छोटा होने के साथ सभी विश्व बाजारों में भारत काफी संभावना से भरा है और सभी विश्व बाजारों से कम प्रतिस्पर्धी भी है।
बचत खाता खोलने से पहले पांच चीजों का ध्यान रखें
क्या आप बचत खाता खोलने जा रहे हैं? इतने सारे उपलब्ध विकल्पों को देखकर आप सोच में पड़ सकते हैं, क्योंकि भारत में 1500 बैंक (सार्वजनिक क्षेत्र, निजी लघु फाइनेंस, शहरी सहकारिता और विदेशी बैंक) संचालित हो रहे हैं। इनमें से अधिकांश बैंकों में कई तरह के बचत खातों का विकल्प है।
आपके लिये क्या सही है, इसका चुनाव कैसे करेंगे? यहां कुछ गाइडलाइन्स दी गई हैं, जिनका पालन आप फैसला लेने के दौरान कर सकते हैं।
बैंक का वर्गीकरण
पहले कई छोटे सहकारी बैंकों के धराशायी होने के कुछ मामले सामने आए हैं। इससे उनके जमाकर्ताओं को काफी तकलीफ उठानी पड़ी। ऐसे में एक बड़े बैंक को चुनकर आप इस जोखिम को काफी हद तक कम कर सकते हैं।
बड़े बैंक का मतलब शाखाओं और एटीएम का विस्तृत नेटवर्क से भी होगा। इससे ना केवल आपको रोजमर्रा के कामों में आसानी होगी, बल्कि किसी आपात स्थिति में भी इससे काफी मदद मिलेगी।
अंत में, एक बड़े बैंक के पास अधिक मजबूत कोर बैंकिंग प्रणाली होगी, जो आपको नेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग जैसी सेवाओं तक 24x7 पहुंच प्रदान करेगी। यह आपके बैंकिंग कार्यों को बहुत सुविधाजनक बना सकता है।
न्यूनतम बैलेंस
भले ही आपने बड़े बैंक का चुनाव किया होगा, लेकिन अधिकांशत: उनके पास अलग-अलग न्यूनमत बैलेंस आवश्यकता के साथ कई सारे बचत खाते का विकल्प होगा। यह एक महीने में आपके खाते में होने वाली सभी क्लोजिंग बैलेंस राशि के औसत को बताता है, ताकि कोई जुर्माना ना लगे।
आमतौर पर, ज्यादा न्यूनतम बैलेंस के साथ अतिरिक्त सेवाएं भी साथ होती हैं और उनमें ज्यादा बार मासिक ट्रांजैक्शन, चेक पिक-अप और कैश डिलिवरी जैसी सेवाएं होती हैं। सारे फीचर्स को सावधानी से पढ़ें और देखें कि आपके लिये कौन-सा सबसे उपयुक्त है।
ब्याज दर
ज्यादातर बैंक अपने बचत खाते में हर दिन के बैलेंस पर ब्याज देते हैं। इसका भुगतान हर तिमाही में होता है। ब्याज दर में विभिन्नता हो सकती है, यह 3.5% से लेकर 7% तक हो सकता है।
हालांकि, सामान्य नियम है कि उच्च ब्याज दर के लिये ज्यादा न्यूनतम बैलेंस रखने की जरूरत होती है।
शुल्क
सभी बैंक अलग-अलग बचत खाते के लेन-देन और सेवाओं पर शुल्क लेते हैं। यह डेबिट कार्ड के लिये वार्षिक निवेश उत्पाद शुल्क से लेकर चेकबुक, डिमांड ड्राफ्ट और खाते का प्रिंटेड विवरण जारी करने जैसी सेवाओं का शुल्क हो सकता है। इसके अलावा, आपसे मासिक लेन-देन और किसी अन्य बैंक के एटीएम से नकद निकासी की तय संख्या से ज्यादा के लिये शुल्क लिया जा सकता है।
कोई भी फैसला लेने से पहले सभी शुल्कों का शेड्यूल देख लेना बेहतर होता है।
अन्य बैंकिंग उत्पाद
एक बचत खाता, उस बैंक द्वारा दिए जाने वाले अन्य बैंकिंग उत्पादों तक पहुंचने का एक जरिया होता है। इसके अंतर्गत क्रेडिट कार्ड, ऋण, बीमा और निवेश उत्पाद जैसे म्युचुअल फंड और शेयर बाजार में निवेश करने के लिये डीमैट खाते, शामिल हैं। कुछ बैंक शाखाएं आपकी कीमती चीजों को रखने के लिये सुरक्षित जमा लॉकर्स की भी पेशकश करती है।
कोई भी फैसला लेने से पहले इन सारे उत्पादों की उपलब्धता की जांच जरूर कर लें।
ऐक्सिस बैंक बचत खातों की एक पूरी श्रृंखला की पेशकश करता है, जोकि ग्राहकों निवेश उत्पाद की अलग-अलग जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। और अधिक जानने के लिये यहां क्लिक करें।
अस्वीकरण: कंटेंट क्रिएशन और क्यूरेशन फर्म द सोर्स ने इस लेख को लिखा है। ऐक्सिस बैंक किसी भी तरह से लेखक के विचारों को प्रभावित नहीं करता है। ऐक्सिस बैंक और सोर्स, कंटेंट और जानकारी के आधार पर किसी भी वित्तीय निर्णय लेने के लिये पाठक द्वारा किए गए किसी भी प्रत्यक्ष / अप्रत्यक्ष नुकसान या दायित्व के लिये जिम्मेदार नहीं होंगे। कोई भी वित्तीय निर्णय लेने से पहले कृपया अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह लें।