स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे किया जाता है

Stop Loss कैसे लगाये – Trading Account में शेयर पर स्टॉप लोस कैसे लगते है ?
शेयर मार्किट में ट्रेडिंग करते समय Stop Loss एक ढाल कि तरह काम करता है . क्योंकि stop loss शेयर पर ट्रेडिंग करते समय ट्रेडिंग में loss होने से आपको बचाता है .
आप चाहे इंट्राडे या डे ट्रेडिंग करे या फिर scalping Trading आपको Stop Loss हमेशा लगाना चाहिए. अगर आप stop loss के बारे में नहीं जानते कि stop loss क्या है तो चलिए जानते है .
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Stop Loss Kya Hai ?
Stop Loss एक ऐसा विकल्प होता है जिसका उपयोग करके आप ट्रेडिंग के समय होने वाले नुकसान को कम कर सकते है .
लेकिन stop loss का उपयोग लोग सिर्फ ट्रेडिंग में होने वाले नुकसान के लिए नहीं करते बल्कि लोग stop loss का उपयोग ट्रेडिंग में मुनाफा कमाने के लिए भी करते है .
तो stop loss के बारे में और भी विस्तार से जानने के लिए आप हमारी नीचे दी गई पोस्ट को पढ़े इसमें आपको stop loss क्या होता है उसकी पूरी जानकारी मिल जायगी .
स्टॉप लोस के बारे में जानने के बाद अब बरी आती है stop loss को लगाने कि, तो चलिए जानते है कि stop loss कैसे लगाये .
Stop Loss Kaise Lagaye?
स्टॉप लोस को लगाने से पहले आपको अपनी ट्रेडिंग कि एक योजना बनानी पड़ेगी ताकि आप आसानी से stop loss को कैलकुलेट कर सके.
चलिए एक उदाहरण से समझते है .
मान लेते है कि आप ने एक कम्पनी को चुना जिसके शेयर पर आप आज ट्रेडिंग करेंगे . आपने उस company के Share कि कीमत पर analysis किया और पाया कि रोज इस कंपनी के शेयर में 20 रूपए प्रति शेयर का उतार-चढ़ाब आता है .
तो अब अपने एक योजना बनाई कि में शेयर को कम दाम पर खरीदूंगा और उसके बाद शेयर कि कीमत पर 20 रूपए बढ़ जाने पर इसे बेच दुगा .
मान लेते है कि शेयर मार्किट के शुरू होते ही शेयर कि कीमत 175 रूपए प्रति शेयर है और अपने 175 रूपए प्रति शेयर कि कीमत पर शेयर खरीद लिए .
अब शेयर कि कीमत बढ़ना शुरू हुई और अब आपने शेयर को बेचने के लिए शेयर कि कीमत आपके target के हिसाब से 190 रूपए प्रति शेयर रख दी .
ताकि जैसे ही शेयर कि कीमत 190 रूपए प्रति शेयर तक पहुचे तो आपके शेयर अपने आप बिक जाये और 15 रूपए प्रति शेयर का मुनाफा आपके खाते में जामा हो जाये .
चुकी शेयर मार्किट में शेयर कि कीमत घटती और बढ़ती रहती है तो अब बरी आती है stop loss लगाने कि तो आपने अपने analysis के हिसाब से stop loss लगा दिया 167 रूपए प्रति शेयर का .
यानि अगर आपके ख़रीदे गए शेयर कि कीमत से शेयर कि कीमत 8 रूपए प्रति शेयर घटती है तो आपके शेयर अपने आप बिक जाये ताकि आपको ज्यादा नुकसान ना हो .
Share कि कीमत बढ़ने पर Stop Loss लगाना ?
अब मान लेते है कि आपके शेयर कि कीमत और बढ़ कर 189 रूपए प्रति शेयर हो गई और स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे किया जाता है आपको लगता है कि शेयर कि कीमत 5 रूपए प्रति शेयर और बढ़ेगी .
तो ऐसी इस्थिती में आप अपने stop loss और target दोनों को बदल सकते है . अब ऐसी इस्थिती में आप अपने शेयर का टारगेट 200 रूपए प्रति शेयर रख सकते है .
वही अपना stop loss 195 रूपए प्रति शेयर . इससे अगर भविष्य में शेयर कि कीमत 200 रूपए प्रति शेयर से घटना शुरू हो गई तब भी आपको आपका बुक किया गया मुनाफा मिल जाये .
Trading Account Me Stop Loss Kaise Lagaye ?
ट्रेडिंग अकाउंट में हमेशा दो विकल्प होते है Buy और Sell या तो आप शेयर को खरीदेंगे या बेचेंगे. आप भी ट्रेडिंग में यही करते है .
तो Stop Loss हमेशा Sell पर लगाया जाता है ताकि आपके नुकसान को बचाया जा सके और टारगेट भी Sell पर लगाया जाता है ताकि मुनाफा कमाया जा सके .
लेकिन जब आपके पास शेयर होंगे ही नहीं तो आप बेचेंगे क्या ? तो ऐसी इस्थिती में आप Buy के विकल्प का उपयोग करते है ताकि आप अपनी मर्ज़ी कि कंपनी के शेयर खरीद सकते .
आप जब किसी ब्रोकर के पास ट्रेडिंग अकाउंट खोलते है तो वो आपको एक software देता है जिसकी मदद से आप स्टॉक एक्सचेंज में शेयर खरीद व् बेच सकते है . तो उसी software में आपको stop loss लगाने का विकल्प मिलता है जिसकी मदद से आप Stop Loss लगा सकते है .
अब आप जान गए है कि Stop Loss Kaise Lagaye अगर अभी भी आपके मान में स्टॉप लोस से जुढ़े सवाल है जो आप हम से पूछना चाहते है तो “सवाल पूछे” बटन को दबा कर पूछ सकते है .
अगर आपको हमारी यह पोस्ट स्टॉप लोस कैसे लगाए अच्छी लगी तो अपने दोस्तों और परिवार के लोगों के साथ शेयर करे ताकि जब भी वो कभी ट्रेडिंग करे तो stop loss का उपयोग कर सके .
ट्रिगर प्राइस क्या होता है?
इसका मतलब यह है कि ट्रिगर प्राइस आपके दोनों ऑर्डर में से किसी एक को एक्टिवेट करने का काम करता है।
ट्रिगर प्राइस का इस्तेमाल स्टॉप लॉस ऑर्डर के लिए किया जाता है। अगर आपने Buy की पोजीशन क्रिएट की है तो उसमें आप स्टॉपलॉस लगाकर ट्रिगर प्राइस का यूज कर सकते हैं। अगर आपने सेल की पोजीशन क्रिएट की है तो उसमें भी आप स्टॉपलॉस लगाकर ट्रिगर प्राइस का यूज कर सकते हैं।
जब भी आप स्टॉप लॉस ऑर्डर प्लेस करते हैं तो आपको दो तरह के प्राइस एंटर करने पड़ते हैं: ट्रिगर प्राइस और लिमिट प्राइस। जब भी शेयर का मूल्य आपके द्वारा दर्ज किए गए ट्रिगर प्राइस तक पहुंच जाता है तो सिस्टम द्वारा आपका स्टॉप लॉसआर्डर एक्टिवेट हो जाता है और जब वह प्राइस आपके द्वारा दर्ज किए गए लिमिट प्राइस पर पहुंच जाता है तो आपका स्टॉपलॉस आर्डर एग्जीक्यूट हो जाता है।
जब तक स्टॉक का प्राइस आपके द्वारा दर्ज किए गए ट्रिगर प्राइस तक नहीं पहुंचता है तब तक आपका ऑर्डर सिर्फ आपके स्टॉक ब्रोकर तक ही रहता है। यह एक्सचेंज में नहीं भेजा जाता है और जैसे ही स्टॉक का प्राइस ट्रिगर प्राइस तक पहुंच जाता है आपका ऑर्डर एक्टिव ऑर्डर में आ जाता है और लिमिट प्राइस तक पहुंचते ही एग्जीक्यूट हो जाता है।
उदाहरण के तौर पर मान लीजिए आपने कोई शेयर 100 रुपए में खरीदा है और आप उसका स्टॉप लॉस ₹90 रखना चाहते हैं। स्टॉप लॉस का यहां मतलब यह है कि जब भी स्टॉक का प्राइस गिरने लगे और ₹90 से नीचे चला जाए तो आप उस स्टॉक को बेचना चाहेंगे तो ज्यादा नुकसान सहना नहीं जाएंगे और आप ₹10 के नुकसान के साथ ही मार्केट से एग्जिट करना पसंद करेंगे।
इस स्थिति में जब आप अपना स्टॉपलॉस आर्डर लगाने लगेंगे तो आपको ट्रिगर प्राइस दर्ज करने के लिए पूछा जाएगा। वह ट्रिगर प्राइस आपकी मर्जी का होगा आप जहां चाहे वहां ट्रिगर प्राइस रख सकते हैं। मान लीजिए अगर आप ट्रिगर प्राइस ₹95 रख देते हैं और लिमिट प्राइस ₹90 दर्ज कर देते हैं।
तो इस स्थिति में जब भी स्टॉक का प्राइस गिरने लगेगा और ₹95 पर आ जाएगा तो आपका स्टॉप लॉस ऑर्डर ऑटोमेटिकली एक्टिवेट हो जाएगा और जब यह गिरते-गिरते ₹90 को पार कर जाएगा तो आपका स्टॉप लॉस ऑर्डर एक्जिक्यूट हो जाएगा और आपके द्वारा खरीदा गया शेयर अपने आप ₹90 पर बिक जाएगा।
ट्रिगर प्राइस को शेयर को कम दाम पर खरीदने और ज्यादा दाम पर बेचने के लिए भी सेट किया जाता है।
स्टॉक मार्केट में बने रहना हो तो हमें हमेशा स्टॉप लॉस के साथ ही काम करना चाहिए और एक सीमित नुकसान के साथ मार्केट से निकल जाना चाहिए अगर मार्केट हमारी दिशा में ना चल रहा हो।
स्टॉप लॉस की गणना कैसे करें?
स्टॉप लॉस की गणना करें शेयर बाजार व्यापार में हानि सीमा निर्धारित करने में पारंपरिक तरीकों में से एक है। यह ब्रोकर को स्टॉक बेचने का अधिकार प्रदान करता है जब कीमत एक निश्चित स्तर तक पहुंच जाती है। उदाहरण के लिए, A XYZ शेयरों में निवेश करना चाहता है जिनकी कीमत 100 रुपये है। ए 95 रुपये पर स्टॉप-लॉस ऑर्डर देने का फैसला कर सकता है, जिसका मतलब है कि प्रति यूनिट 5 रुपये का नुकसान हो सकता है। इसलिए यदि कीमतें गिरने लगती हैं तो ब्रोकर अपनी जोखिम सीमा को सीमित करने के लिए शेयरों को बेच देगा। इसी तरह, यदि कीमतें 150 पर बढ़ने लगती हैं, तो ए 130 पर स्टॉप-लॉस ऑर्डर इनपुट कर सकता है जो व्यापारी को स्थिति को बनाए रखने में मदद करेगा क्योंकि यह अपने लाभ को बनाए रखने में मदद करेगा।
स्टॉप-लॉस ऑर्डर का उद्देश्य उच्च नुकसान को रोकना और अस्थिर बाजार में एक अतिरिक्त लाभ प्राप्त करना है। स्टॉप-लॉस ऑर्डर व्यापारियों को भारी रिटर्न बनाने में मदद करते हैं। हालांकि, इसे बुद्धिमानी से उपयोग करने के लिए यह समझना वास्तव में महत्वपूर्ण है कि स्टॉप-लॉस ऑर्डर की गणना कैसे करें।
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स्टॉप लॉस की गणना करने के 3 तरीके हैं
प्रतिशत विधि Percentage Method
प्रतिशत विधि में, इंट्राडे व्यापारी एक प्रतिशत तय करता है जहां स्टॉप लॉस असाइन किया जा सकता है। यह दिन के व्यापारियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले सबसे आम तरीकों में से एक है। इस विधि में, व्यापारी नुकसान की एक निश्चित राशि खो देता है क्योंकि प्रतिशत पहले से तय किया जाता है। यह विधि व्यापारियों को एक निर्णय लेने में मदद करती है जो किसी भी भावना से मुक्त है।
उदाहरण के लिए, A ने XYZ का शेयर 100 रुपये पर खरीदा है। यहां स्टॉप लॉस ऑर्डरतब ट्रिगर होगा जब स्टॉक 10% पर मूल्य खोना शुरू कर देगा। इसलिए जब शेयर गिरना शुरू होगा और 90 रुपये प्रति शेयर तक पहुंच जाएगा। ब्रोकर जोखिम को सीमित करने के लिए सभी खरीदे गए शेयरों को बेच देगा।
मूविंग एवरेज विधि Moving Average Method
चलती औसत विधि को अन्य तरीकों की तुलना में एक आसान विधि माना जाता है क्योंकि यह सरल गणित है क्योंकि इस प्रक्रिया में चलती औसत को स्टॉक की कीमतों पर लागू स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे किया जाता है किया जाता है और फिर स्टॉप लॉस को चलती औसत स्तर से नीचे सौंपा जाता है क्योंकि यह एक अलग दिशा में जाने के लिए कुछ जगह देगा। लंबी अवधि के चार्ट में चलती औसत को लागू करना बेहतर माना जाता है क्योंकि यह एक इष्टतम परिणाम प्रदान करेगा।
उदाहरण के लिए, A ने उसी शेयर को 100 रुपये पर खरीदा है और मूविंग एवरेज 96 रुपये दिखाता है, तो स्टॉप लॉस 93 रुपये पर असाइन किया जाएगा। इससे व्यापारियों को स्टॉप लॉस को स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे किया जाता है इष्टतम स्तर पर रखने में मदद मिलेगी क्योंकि इसे चलती औसत के बहुत करीब नहीं रखा जाना चाहिए।
मूविंग एवरेज विधि Moving Average Method
स्टॉप लॉस की गणना के अन्य तरीकों की तुलना में समर्थन विधि थोड़ी मुश्किल है। बेहतर तरीके से समझने के लिए, दिन के कारोबार में समर्थन स्तर को समझना बहुत महत्वपूर्ण है।
स्टॉप लॉस की गणना करने के लिए समर्थन विधि Support Method to Calculate Stop Loss
इंट्राडे ट्रेडिंग में, दो स्तरों को देखा जा सकता है जिन्हें समर्थन और प्रतिरोध के रूप में जाना जाता है। समर्थन वह चरण है जब कीमत गिरने के साथ शेयरों की मांग बढ़ने लगती है और जिससे कुछ समय के लिए कीमत की स्थिरता आती है। समर्थन विधि में, व्यापारी स्टॉप लॉस को समर्थन स्तर से नीचे रखता है।
आइए इसे एक उदाहरण से समझें, मान लें कि श्री ए द्वारा खरीदे गए एक्सवाईजेड स्टॉक की कीमत 200 रुपये पर हालिया समर्थन स्तर तक पहुंच गई है, व्यापारी को अपने रिटर्न की सुरक्षा के लिए स्टॉप ऑर्डर 190 रुपये पर रखना चाहिए।
अंत में, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि स्टॉप-लॉस ऑर्डर की गणना स्टॉक क्षणों की समझ के साथ बेहतर तरीके से की जा सकती है क्योंकि विधियां उच्च रिटर्न की गारंटी नहीं देती हैं। स्टॉप-लॉस ऑर्डर लगाने से पहले बाजार कारकों का विश्लेषण करना हमेशा उचित होता है।
अगर आपको ब्लॉग अच्छा लगे तो कमेंट सेक्शन में लिखें… 🙂 तब तक हैप्पी इन्वेस्टिंग।
शेयर बाज़ार में स्टॉप लॉस क्या है | Stop Loss Meaning in Hindi
यदि आप शेयर बाजार में ट्रेडिंग करते हैं, तो आपने स्टॉप लॉस के बारे में जरूर सुना होगा और यदि आप शेयर बाजार में अभी नए-नए हैं, तो आप को स्टॉप लॉस के बारे में जानना काफी महत्वपूर्ण है. क्योंकि इसके मदद से आप शेयर बाजार में अपने होने वाले लॉस को बचा सकते हैं.
शेयर बाजार में Stock को दो प्रकार से एक्सेक्यूट (Execute) करा सकते हैं पहला मार्केट ऑर्डर (Market Order) और दूसरा लिमिट ऑर्डर (Limit Order).
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What is Stop Loss in Share Market in Hindi
Stop Loss का प्रयोग Stock Execute होने के बाद ही किया जाता है. स्टॉप लॉस के मदद से मार्केट में होने वाले नुकसान से आप बच सकते हैं.
स्टॉप लॉस का प्रयोग आप चाहे डे ट्रेडिंग (Day trading) या इंट्राडे (Intraday) या फिर स्कल्पिंग (Scalping) Trading के लिए कर सकते हैं.
शेयर बाजार में स्टॉक का प्राइस ऊपर–नीचे होता रहता हैं. इसका मतलब है कि मार्केट में स्टॉक का प्राइस अचानक ऊपर की ओर चला जायेगा. जिससे आपको प्रॉफिट भी हो सकता है, लेकिन प्राइस नीचे की ओर भी आ सकता है जिसे आपको नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. इसलिए एक अच्छा ट्रेडर बनने के लिए आपको हमेशा स्टॉपलॉस का प्रयोग करना चाहिए.
Advantage of Stop Loss (स्टॉप लॉस लगाने के फायदे)
- Stop Loss ऑप्शन के मदद से अपने risk को कम कर सकते हैं.
- Stop Loss के मदद से एक trader अपने capital को भी बचा सकता हैं,
- Stop Loss को trail करके अपने profit भी secure कर सकते हैं.
- Stoploss के मदद से आप trading में काफ़ी समय तक टीक भी सकते हैं.
- Stop Loss एक risk management का हिस्सा भी हैं.
Disadvantage of Stop Loss (स्टॉप लॉस लगाने के नुकसान)
- Stop Loss के नियम जानें बिन यदि आप stop loss लगाते हैं, तो स्टॉप लॉस जल्दी-जल्दी hit होगा.
- स्टॉप लॉस सिर्फ intraday के लिए ही सही है, होल्डिंग स्टॉक के लिए नहीं.
- शेयर बाजार में यदि ज्यादा volatility (उतार-चढ़ाव) हैं, तो stop loss hit होने का संभावना काफी ज्यादा रहता हैं.
स्टॉप लॉस कैसे लगाएं
चलिए हम एक उदाहरण से जानते हैं कि स्टॉप लॉस का प्रयोग कैसे करते हैं.
उदाहरण के लिए, मान लीजिए की अनिल प्रति शेयर ₹500 की दर से ABC कंपनी में 100 शेयर खरीदता है. अचानक शेयर की कीमत प्रति शेयर के हिसाब से ₹10 गिर जाता है. शेयर की कीमत ₹490 हो जाता हैं. अनिल अपने नुकसान को सीमित करना चाहता है, तो वह ₹450 रुपए पर एक स्टॉप लॉस ऑर्डर लगा देता है, अगर कीमत ₹450 रुपए से नीचे भी गिर जाता है, तो अनिल का स्टॉपलॉस हिट कर जाएगा और उसे एक सीमित नुकसान होगा. यानी अनिल का जो Broker होगा. वह ₹450 की कीमत पर शेयर को बेच देगा और आगे होने वाले नुकसान को रोक लेगा.
दूसरी ओर यदि शेयर की कीमत बढ़ जाती है ₹550 रुपए प्रति शेयर हो जाता. तो अनिल अपने शेयर को बेच कर मुनाफा कमा सकता है या फिर stop-loss को ट्रेल कर अपने प्रॉफिट को secure कर सकता है.
शेयर मार्केट में ट्रिगर प्राइस क्या हैं (What is Trigger Price)
शेयर मार्केट में दो प्रकार से आर्डर को एग्जीक्यूट किए जाते हैं. पहला Buy और दूसरा Sell. ट्रिगर प्राइस का प्रयोग मार्केट में buy ओर sell के आर्डर को एक्टिवेट करने के लिए उपयोग करते हैं।
ट्रिगर प्राइस को आप buy करने के लिए या फिर sell करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। जब किसी शेयर पर स्टॉप लॉस लगाते हैं, तो वहां पर ट्रिगर प्राइस का इस्तेमाल किया जाता है.
यदि आप कोई शेयर buy या sell करना चाहते हैं तो उसमें स्टॉप लॉस लगाते समय आप ट्रिगर प्राइस भी लगा सकते हैं।
Trigger price meaning in Hindi
जब आप शेयर पर स्टॉप लॉस लगाने जाएंगे, तो वहां पर आपको तो ऑप्शन मिलेगा. पहला ट्रिगर प्राइस (Trigger Price) दूसरा लिमिट प्राइस (Limit Price). अब ट्रिगर प्राइस ऑप्शन में आपको एक प्राइस दर्ज करना है. जोकि लिमिट प्राइस से अधिक और मार्केट प्राइस से कम यानी कि दोनों वैल्यू के बीच का कोई एक प्राइस दर्ज करना है. जैसे ही शेयर का प्राइस आपके द्वारा दर्ज किए गए ट्रिगर प्राइस तक पहुंचता है. आपका stop-loss ऑर्डर सिस्टम के द्वारा एक्टिवेट कर दिया जाएगा. और जब भी मार्केट प्राइस आपके द्वारा दर्ज किए गए लिमिट प्राइस तक पहुंचता है आपका stop-loss आर्डर एग्जीक्यूट हो जाएगा ।
इसमें एक बात और भी ध्यान रखिएगा. की जब तक स्टॉक का प्राइस दर्ज किए गए ट्रिगर प्राइस तक नहीं पहुंचता तब तक ऑर्डर आपके स्टॉक ब्रोकर तक ही रहेगा। इस ऑर्डर को एक्सचेंज तक नहीं भेजा जायेगा।
FAQ’s
Q1. शेयर खरीदते समय स्टॉप लॉस कैसे लगाएं ?
Ans. शेयर खरीदते समय आपको अपने risk और reward पॉइंट्स जैसे 1:2 को तय कर लेना चाहिए. उसके अनुसार स्टॉपलॉस लगाए।
Q2. ट्रिगर प्राइस क्या होता है ?
Ans. ट्रिगर प्राइस का प्रयोग मार्केट में buy ओर sell के आर्डर को एक्टिवेट करने के लिए उपयोग करते हैं।
Q3. ट्रिगर प्राइस और लिमिट प्राइस में क्या अंतर है ?
Ans. ट्रिगर प्राइस स्टॉप लॉस को एक्टिवेट करता है और लिमिट प्राइस स्टॉक को Execute करता है|