रुझान रेखा

Updated Fri, 11 Mar 2022 12:53 AM IST
'लक्ष्मण रेखा तोड़ना बड़े साहस का काम,' 'साहित्य आजतक' में बोले मोरारी बापू
संत मोरारी बापू ने कहा कि रघुकुल की रीति है कि प्राण चले जाएं, मगर वचन नहीं जाना चाहिए. लेकिन लक्ष्मण की जो परंपरा है, वो केवल समांतर रेखाओं में नहीं चले, रुझान रेखा उसमें जीवन के लिए समाज के लिए नई नई रेखाएं निर्मित की हैं. राम की तो जय-जयकार होती है दुनिया में. लक्ष्मण को आलोचना का सामना करना पड़ता है.रुझान रेखा
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 18 नवंबर 2022,
- (अपडेटेड 18 नवंबर 2022, 7:24 PM IST)
Sahitya Aaj Tak 2022: ठीक दो साल बाद साहित्य आजतक का मंच एक बार फिर सज गया है. आज से 20 नवंबर तक यानी पूरे तीन दिन दिल्ली के मेजर ध्यानचऺद नेशनल स्टेडियम में साहित्य का मेला लग गया है. इस कार्यक्रम में राम कथावाचक मोरारी बापू भी शामिल हुए. उन्होंने 'राम ही राम' कार्यक्रम में सवालों के जवाब दिए और धर्म के प्रति युवाओं के रुझान की तारीफ की. मोरारी बापू ने लक्ष्मण रेखा पर भी खुलकर चर्चा की. मोरारी बापू ने कहा कि लक्ष्मण रेखा जागरूक पुरुष ही रेखांकित करता है. लक्ष्मण रेखा तोड़ना बड़ा साहस है.
मोरारी बापू से पूछा गया कि हम राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहते हैं. रामायण से लक्ष्मण रेखा भी क्या है, वो सीखी जा सकती है. आज के समाज और युग में मर्यादा टूट रही है. लक्ष्मण रेखाएं लगातार भंग हो रही हैं. इन दोनों को वापस कैसे लाएं? इस सवाल पर मोरारी बापू ने कहा- इसलिए राम और लक्ष्मण को, इनके चरित्र को सुनना पड़ेगा, पढ़ना पड़ेगा. समरिक चरित्र से उनका अवलोकन करके मूल्याकन करना चाहिए. भगवान राम की मर्यादा ने जगत में राम राज्य दिया. जब इन दोनों के बीच में अपनी बात कहता हूं. राम की मर्यादा है कि रघुकुल रीति सदा चली आई.
लक्ष्मणजी बोलते हैं तो उनके प्रति रोष होता है
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उन्होंने कहा- रघुकुल की रीति है कि प्राण चले जाएं, मगर वचन नहीं जाना चाहिए. लेकिन लक्ष्मण की जो परंपरा है, वो केवल समांतर रेखाओं में नहीं चले, उसमें जीवन के लिए समाज के लिए नई नई रेखाएं निर्मित की हैं. राम की तो जय-जयकार होती है दुनिया में. लक्ष्मण को आलोचना का सामना करना पड़ता है. लक्ष्मण जी की आलोचना जनक महाराज ने की. परशुराम जी तो बहुत खफा हो गए थे. कहीं भी लक्ष्मण जी बोलते हैं तो उसके रुझान रेखा रुझान रेखा प्रति रोष होता है. जो लक्ष्मण रेखा तोड़ेगा, उसको अपमान को भोग बनना पड़ेगा. लेकिन, लक्ष्मण रेखा तोड़ना बड़ा साहस है. जागरूक पुरुष ही लक्ष्मण रेखांकित करता है.
ये चार चीजें होंगी तो राम राज्य आएगा
मोरारी बापू ने आगे कहा- लक्ष्मण के बारे में हम कहते हैं कि वे 14 साल सोये नहीं. इसका मतलब कि जागरूक. जीवन में राम की मर्यादा और लक्ष्मण जी की सावधानी. भरत का प्रेम. शत्रुघ्न का मौन. ये चारों चीजें होंगी तो वहां किसी भी व्यक्ति के जीवन में, परिवार और देश और विश्व के जीवन में राम राज्य आ सकता है.
गांधीजी ने भी राम कीर्तन नहीं छोड़ी.
मोरारी बापू से एक और सवाल किया गया कि राम की बात करते हैं. राम सब बनना चाहते हैं. राम सबके आदर्श हैं. आज का समाज बिना लक्ष्मण-भरत के भी पूरा नहीं होगा. लेकिन, हनुमान, भरत, लक्ष्मण कोई नहीं बनना चाहता है? जिन्होंने राम को बनाया, वो मिसिंग हैं. इस पर उन्होंने कहा- राम नाम लेकर निरंतर काम करना चाहिए. लक्ष्मण और हनुमान जी सतत काम करते हैं. लेकिन, उसके पीछे राम नाम का बल है. तो हम क्या करते हैं कि हम तो सेवा करते हैं. काम करते हैं. राम नाम में हमारी रुचि नहीं है. राम पर भी प्रश्न चिह्न लगाते हैं. ये सब बातें आती हैं. लेकिन गांधी जी ने प्रार्थना जिंदगी भर छोड़ी नहीं. राम संकीर्तन छोड़ा नहीं. इसके कारण, कोई माने या ना माने, राम नाम की भूमिका से जो राम काम प्रगट हुआ था, इसके कारण हमें आजादी प्राप्त हुई थी.
विभीषण को हनुमान जी ने दिया था ये संदेश
उन्होंने कहा- आज के समाज को राम नाम के साथ राम का काम करना ही चाहिए. हनुमान जी लंका में गए और विभीषण से मिले. विभीषण ने कहा कि आज मुझे पक्का हो गया कि हनुमानजी आप मुझे मिले. राम ने मुझ पर कृपा की. हनुमान जी ने डांटा और कहा कि तेरे जैसे आदमी पर राम कृपा कभी कर ही नहीं सकते हैं. इस पर विभीषण ने कहा कि महाराज आप मुझे दुख देने आए हैं या सुख देने आए हैं. मैं निरंतर राम नाम लेना लेता हूं. देखो पूरी दीवार पर राम नाम लिखा है. तुलसी का गमला लगाया है. मंदिर है. मुझे पर कृपा नहीं? हनुमान जी बोले- कभी नहीं होगी. फिर विभीषण ने कहा कि तुम सिर्फ राम का नाम लेते हो, राम का काम नहीं करते हो. जिसका नाम लेता है, उनकी धर्मपत्नी मां जानकी को तेरा भाई रावण चुराकर ले आया. रावण के खिलाफ तूने कभी आवाज नहीं उठाई. विभीषण सहमत होते गए. अगर आप राम नाम लेते हैं और राम का काम नहीं करते हैं तो राम कृपा नहीं करते हैं. विभीषण ने उसी समय संकल्प किया कि मैं आज से राम का काम शुरू करूंगा. हनुमानजी बोले- उसके बाद तो कभी नहीं करेंगे. सिर्फ राम प्रेम करेंगे और कृपा से प्रेम का दर्जा बहुत ज्यादा है.
आलोचना पर क्या बोले मोरारी बापू
मोरारी बापू से सवाल पूछा गया कि आप एक प्रोग्रेसिव गुरु माने जाते हैं. आपने कई पुरानी परंपराओं को तोड़ा. जैसे- आप सेक्स वर्कर्स से मिलने गए. ट्रांसजेंडर्स से मिलने गए. आपने रुझान रेखा उनके लिए बहुत काम किया. लेकिन, आपकी भी आलोचना हुई. राम राज्य में भी आलोचक थे, आज के युग में भी आप भले मानवता के लिए करते हैं, लेकिन उसकी भी आलोचना होती है. इस आलोचना को आप किस रूप में लेते हैं. हम सबको किस रूप में लेना चाहिए?
इस पर उन्होंने कहा- अलोचना में आलोचन शब्द है. इसको संस्कृत के शब्द के रूप में लो. आज की जो आलोचना है, उसमें लोचन नहीं है. अंधी आलोचना है. आंख के बिना जो भी आप अवलोकन करोगे, उसमें सत्य नहीं निकलेगा. उसमें कम से कम दृष्टि तो होनी चाहिए. मैं एक सांस्कारित दृष्टांत देता हूं- जिसको सबसे बड़ी कमाई होती है, कोई उद्योगपति हो या अन्य- उसकी कमाई ज्यादा होती और उसको टैक्स ज्यादा चुकाना पड़ता है- दुनिया में जिसको बहुत आदर मिलता हो, ऊंचाई मिलती हो, लोग उसकी पवित्रता, पूज्यनीयता और उसकी प्रियता को प्रणाम करता हो, उसको ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ता है. आलोचना भी ऐसी ही होगी. लेकिन अगर कोई आलोचना करे और हमें ये पता लगे कि ये हम सत्य हैं तो ये आलोचक हमारी आलोचना नहीं कर रहा है, अपने खानदान का परिचय दे रहा है.
मैं भी इंसान, कमजोरियां सबमें होती हैं
दुखी या व्यथित होने के सवाल पर मोरारी बापू ने कहा- दुख होता है. मैं राम, रामकथा और रामकथा देने वाला मेरा बुद्ध पुरुष, मेरा परम सदगुरु, इतनी आस्था रखता हूं कि मुझे ये द्वंद्व ज्यादा असर नहीं करता है. बाकी तो इंसान हूं. कमजोरियां तो सबमें होती हैं. लेकिन ये ज्यादा टिकाऊ नहीं होती हैं. ये तुरंत निकल जाती रुझान रेखा हैं. जिस पर वस्तु का तुरंत प्रभाव पड़ता है, वो आगे नहीं बढ़ सकता है. ये मुश्किल कहना है. लेकिन, राम नाम और राम कथा दी है, उसके दृढ़ाश्य से हम आगे निकल सकते हैं.
बिधूना सीट पर पहली बार विधायक बनी महिला
कानपुर ब्यूरो
Updated Fri, 11 Mar 2022 12:53 AM IST
बिधूना। सन 1952 से 2017 तक विधानसभा चुनाव में बिधूना विधानसभा सीट पर पुरुषों का कब्जा रहा। यहां पहली बार महिला विधायक के तौर पर सपा की रेखा वर्मा चुनाव जीती रुझान रेखा हैं।
इस बार सपा ने रेखा वर्मा, भाजपा ने रिया शाक्य और कांग्रेस ने सुमन व्यास को उतारकर महिलाओं पर भरोसा जताया। तो वहीं बसपा ने गौरव रघुवंशी रुझान रेखा को मैदान में उतारा था।
चुनाव के शुरुआती रुझान में ही लगने लगा था कि चाहे सपा जीते या भाजपा लेकिन इस सीट का इतिहास बदल जाएगा। इस बार महिला विधायक ही बनेगी।
अंतिम परिणाम में रेखा वर्मा भाजपा की रिया शाक्य को हरा कर विधायक बनीं। उन्हें बिधूना विधानसभा क्षेत्र की पहली महिला विधायक बनने का गौरव प्राप्त हुआ।
ससुर छह बार तो पति एक बार रह चुके विधायक
रेखा वर्मा के ससुर स्वर्गीय धनीराम वर्मा छह बार तो पति डॉ. महेश वर्मा एक बार विधायक चुने जा चुके हैं। स्व. धनीराम वर्मा 1980 में औरैया तो 1989, 1991, 1993, 1996 व 2007 में बिधूना विधानसभा से विधायक चुने गए थे।
इस दौरान वह 15 दिसंबर 1993 से 20 जून 1995 तक उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष रहे। 21 अप्रैल 1997 से 15 सितंबर 2001 तक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे।
धनीराम वर्मा ने 2009 में सपा छोड़कर विधानसभा की सदस्यता त्यागपत्र दे दिया। इसके बाद हुए उपचुनाव में डॉ. महेश वर्मा बसपा से चुनाव लड़े और जीत हासिल कर विधायक बने।
बिधूना। सन 1952 से 2017 तक विधानसभा चुनाव में बिधूना विधानसभा सीट पर पुरुषों का कब्जा रहा। यहां पहली बार महिला विधायक के तौर पर सपा की रेखा रुझान रेखा वर्मा चुनाव जीती हैं।
इस बार सपा ने रेखा वर्मा, भाजपा ने रिया शाक्य और कांग्रेस ने सुमन व्यास को उतारकर महिलाओं पर भरोसा जताया। तो वहीं बसपा ने गौरव रुझान रेखा रघुवंशी को मैदान में उतारा था।
चुनाव के शुरुआती रुझान में ही लगने लगा था कि चाहे सपा जीते या भाजपा लेकिन इस सीट का इतिहास बदल जाएगा। इस बार महिला विधायक ही बनेगी।
अंतिम परिणाम में रेखा वर्मा भाजपा की रिया शाक्य को हरा कर विधायक बनीं। उन्हें बिधूना विधानसभा क्षेत्र की पहली महिला विधायक बनने का गौरव प्राप्त हुआ।
ससुर छह बार तो पति एक बार रह चुके विधायक
रेखा वर्मा के ससुर स्वर्गीय धनीराम वर्मा छह बार तो पति डॉ. महेश वर्मा एक बार विधायक चुने जा चुके हैं। स्व. धनीराम वर्मा 1980 में औरैया तो 1989, 1991, 1993, 1996 व 2007 में बिधूना विधानसभा से विधायक चुने गए थे।
इस दौरान वह 15 दिसंबर 1993 से 20 जून 1995 तक उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष रहे। 21 अप्रैल 1997 से 15 सितंबर 2001 तक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे।
धनीराम वर्मा ने 2009 में सपा छोड़कर विधानसभा की सदस्यता त्यागपत्र दे दिया। इसके बाद हुए उपचुनाव में डॉ. महेश वर्मा बसपा से चुनाव लड़े और जीत हासिल कर विधायक बने।
Someshwar Election 2022 Final Result: सोमेश्वर सीट से कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या जीतीं, कांग्रेस उम्मीदवार राजेंद्र बाराकोटी को 5,293 वोटों से हराया
Someshwar MLA Vidhan Sabha Election Result 2022 LIVE Updates : सोमेश्वर सीट पर 2017 में भी बीजेपी की रेखा आर्या और कांग्रेस के राजेंद्र बाराकोटी आमने-सामने थे. उस चुनाव में दोनों के बीच हार-जीत का अंतर मात्र 710 वोटों का रहा था और रेखा आर्या ने जीत दर्ज की थी.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: दीपक पोखरिया
Updated on: Mar 11, 2022 | 2:46 AM
सोमेश्वर चुनाव परिणाम 2022 LIVE Updates in Hindi: उत्तराखंंड विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Assembly Election) में सोमेश्वर विधानसभा सीट (Someshwar Assembly Seat) पर बीजेपी उम्मीदवार रेखा आर्या ने जीत दर्ज की है. रेखा आर्या (Rekha Arya) ने कांग्रेस उम्मीदवार राजेंद्र बाराकोटी को 5,293 वोटों से हराया है. रेखा आर्या को 26,161 वोट और राजेंद्र बाराकोटी को 20,868 वोट मिले. इससे पहले रुझानों में भी रेखा आर्या ही आगे चल रही थी. सोमेश्वर (Someshwar) उत्तराखंड की आरक्षित सीटों में शुमार हैं, जिसके तहत इस सीट पर अनुसूचित जाति के उम्मीदवार ही चुनाव लड़ सकते हैं. असल में बीजेपी के लोकसभा सांसद अजय टम्टा और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा की ये परंपरागत सीट है. दोनों ही इस सीट से पूर्व में विधायक रह चुके हैं.
बीजेपी की महिला दलित फेस बन कर उभरी हैं रेखा आर्या
उत्तराखंड की राजनीति में रेखा आर्या किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. वो सोमेश्वर से बीजेपी के टिकट पर दो बार विधायक निर्वाचित हो चुकी हैं. 2012 में उन्होंने कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी के अजय टम्टा के सामने निर्दलीय चुनाव लड़ा था. जिसमें वह दूसरे स्थान पर रही थी. 2014 में अजय टम्टा के सांसद निर्वाचित होने के बाद हुए उपचुनाव में रेखा आर्या कांग्रेस के टिकट पर विधायक बनीं, लेकिन 2016 में उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया. इसके बाद बीजेपी ने उन्हें 2017 का चुनाव अपने सिंबल पर सोमेश्वर से लड़ाया, जिसमें उन्हें विजय मिली. इस जीत के बाद रेखा आर्या को उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया.
कांग्रेस का भरोसा बन कर उभरे हैं राजेंद्र बाराकोटी
सोमेश्वर सीट पर कांग्रेस ने इस बार भी राजेंद्र बाराकोटी पर दांव लगाया है. राजेंद्र बाराकोटी ने 2017 में भी कांग्रेस के टिकट पर सोमेश्वर से चुनाव लड़ा था. असल में राजेंद्र बाराकोटी उत्तराखंड कांग्रेस का दलित चेहरा हैं और वो सोमेश्वर में कांग्रेस का भरोस बन कर उभरे हैं. कांग्रेस ने राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा की दावेदारी के बीच इस बार भी राजेंद्र बाराकोटी पर दांव लगाया है. उनकी क्षेत्र में मजबूत पकड़ है. इस चुनाव में भी उन्हें भरपूर जनसमर्थन मिला है. जिसके बाद से इस सीट पर कांटे के मुकाबले का अनुमान लगाया जा रहा है.
2017 में आर्या और बाराकोटी के बीच हुई थी कांटे की जंग
सोमेश्वर सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर होती रही है. अभी तक हुए इस सीट पर एक उपचुनाव को मिलाकर 6 चुनाव हो चुके हैं. जिसमें से 5 के परिणाम जारी हो चुके हैं. छठा चुनाव 2022 का है. इसमें से तीन चुनाव में बीजेपी ने जीत दर्ज की है, तो 2 चुनाव में कांग्रेस विजय हुई है. वहीं 2017 में इस सीट पर बीजेपी की रेखा आर्या और कांग्रेस के राजेंद्र बाराकोटी के बीच मुकाबला हुआ है. 2017 में रेखा आर्या ने राजेंद्र बाराकोटी को मात्र 710 वोटों के अंतर से हराया था.
कुल मतदाता
सोमेश्वर विधानसभा अल्मोड़ा जिले की 6 विधानसभा सीटों में शुमार है. चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार इस विधानसभा सीट पर कुल पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 85826 है, जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 43961 है, जबकि 41865 महिला मतदाता इस सीट पर पंजीकृत हैं.
महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने NCWEB को सराहा, कहा- शिक्षा ने दिए लड़कियों के सशक्तीकरण को पंख
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। नान कालेजिएट महिला शिक्षा बोर्ड (Non Collegiate Women’s Education) Board) के प्रति छात्राओं का रुझान बढ़ा है। ताजा आंकड़ों के अनुसार, NCWEB के तहत तकरीबन 9000 छात्राओं ने पीडीपी कार्यक्रम के लिए पंजीकरण कराया है। इसकी कक्षाएं आनलाइन मोड के तहत आयोजित की जाएंगी।
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने गैर-कालेजिएट महिला शिक्षा बोर्ड की छात्राओं के लिए क्षमता निर्माण और व्यक्तित्व विकास कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र के दौरान कहा कि महिलाएं देश की लगभग आधी आबादी हैं। ऐसे में उनका शिक्षा के जरिये सशक्तीकरण देश को विकास के पथ पर ले जाने के लिए बहुत जरूरी है।
रेखा शर्मा ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय महिला आयोग का ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों को समर्थन देने का मकसद छात्राओं को एक मंच प्रदान करना भी है। इस मंच के जरिये छात्राएं बोलने के साथ कार्य करने का कौशल और डिजिटल उपकरण भी सीख सकती हैं।
उधर, स्थायी समिति के अध्यक्ष, एनसीडब्ल्यूईबी और दिल्ली विश्वविद्यालय के कालेजों के डीन प्रो. बलराम पाणि ने कहा कि इस तरह के व्यक्तित्व विकास कार्यक्रम विशेष रूप से एनसीडब्ल्यूईबी की छात्रओं के लिए नियमित अंतराल पर आयोजित किए जाने चाहिए।
डीयू में पढ़ रही एनसीडब्ल्यूईबी से जुड़ी 30,000 से अधिक छात्राएं
वहीं, एनसीडब्ल्यूईबी की निदेशक प्रो. गीता भट्ट ने कहा कि बड़ी संख्या में एनसीडब्ल्यूईबी की छात्राएं पिछड़े सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि से आती हैं। ऐसे में इस तरह के व्यक्तित्व विकास कार्यक्रम उनके लिए बहुत फायदेमंद साबित होते हैं। गीता भट्ट के मुताबिक, फिलहाल 31,000 से अधिक छात्राएं एनसीडब्ल्यूईबी के जरिये दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ रही हैं।
पेशेवर करियर कौशल को शामिल करने पर जोर
आनलाइन कार्यक्रम को लेकर उन्होंने कहा कि एनसीडब्ल्यूईबी व्यक्तिगत क्षमता निर्माण के साथ पेशेवर करियर कौशल को शामिल करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। इसके तहत विशेष रोजगार के लिए अपना बायो डेटा तैयार करने के अलावा, समूह चर्चा में भाग लेना भी शामिल होगा।
उन्होंने बताया कि कार्यशाला में डिजिटल साक्षरता के साथ-साथ इंटरनेट मीडिया के प्रभावी इस्तेमाल पर भी एक सत्र भी शामिल है। इस दौरान इसमें शामिल छात्राओं को विभिन्न भुगतान गेटवे के बारे में भी सिखाया जाएगा।
कार्यक्रम में एनसीडब्ल्यूईबी के केंद्र प्रभारी और अतिथि अध्यापक भी उपस्थित थे, जबकि कार्यक्रम का संचालन डा. उमाशंकर (उप- निदेशक, एनसीडब्ल्यूईबी) ने किया। वहीं, कार्यक्रम के अंत में डा. सुनील कुमार (केंद्र प्रभारी, दीन दयाल उपाध्याय) ने इस आयोजन में शामिल होने के लिए सबका धन्यवाद दिया।
NCWEB
After the establishment of the University of Delhi in 1922, an amendment of the Delhi University Act in 1943, Women students were enabled to give examinations with special coaching but without attending regular classes. This gave shape to the Non-Collegiate Women’s Education Board (NCWEB).
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G. T. B. Rd, University of Delhi, Delhi 110007