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अस्थिर ब्याज क्या है?

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Explained: होम लोन की ब्याज दरें क्यों गिर रही हैं और घर खरीदारों को क्या करना चाहिए?

Explained: होम लोन की ब्याज दरों में लगातार कमी आ रही है, ऐसे में क्या है यह घर खरीदने के लिए उचित समय आ गया है या फिर अभी और इंतजार करना चाहिए.

Published: October 19, 2021 12:08 PM IST

SBI home loan interest rate processing fee

Home Loan Rates: बैंक और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां होमबॉयर्स के लिए 14 लाख करोड़ रुपये से अधिक के हाउसिंग लोन सेगमेंट में ऑफर पर ब्याज दरों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रही हैं. भारतीय स्टेट बैंक, एचडीएफसी और कोटक महिंद्रा बैंक ने होम लोन की दरों को लगभग 15 वर्षों में सबसे निचले स्तर तक घटा दिया है, अन्य लेंडर्स इस दौड़ में शामिल होने के लिए कमर कस रहे हैं.

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किन बैंकों ने हाउसिंग लोन की दरों में की है कटौती?

1 मार्च को, कोटक महिंद्रा बैंक ने अपने होम लोन की ब्याज दर को 10 आधार अंकों से घटाकर 6.65% प्रति वर्ष कर दिया, जो बाजार में सबसे कम है. इसने कहा कि दरें उधारकर्ताओं के क्रेडिट स्कोर और लोन से मूल्य (एलटीवी) अनुपात से जुड़ी हुई हैं. ब्याज दरें वेतनभोगी और स्व-नियोजित ग्राहक दोनों वर्गों के लिए लागू होंगी.

उसी दिन, एसबीआई ने 6.70% (31 मार्च, 2021 को समाप्त होने वाली सीमित पेशकश) से शुरू होने वाली ब्याज दरों के साथ 70 बीपीएस तक की ब्याज रियायतों की पेशकश की. दो दिन बाद, एचडीएफसी ने होम लोन की ब्याज दरों को 5 आधार अंकों से घटाकर 6.75% कर दिया.

SBI प्रोसेसिंग फीस में भी 100 फीसदी की छूट दे रहा है. ब्याज रियायत ऋण राशि और उधारकर्ता के सिबिल स्कोर पर आधारित है. उधारकर्ता 5 बीपीएस की अतिरिक्त ब्याज रियायत पाने के लिए योनो ऐप के माध्यम से घर से आवेदन कर सकता है. महिला उधारकर्ताओं को विशेष 5-बीपीएस रियायत उपलब्ध कराई जा रही है. एसबीआई के डीएमडी (खुदरा व्यवसाय) सलोनी नारायण ने कहा, “कम ब्याज दरें होम लोन में सबसे अच्छी ब्याज दरों में से एक हैं, जिसकी कोई भी इच्छा कर सकता है.”

जानें- बैंक ऐसा क्यों कर रहे हैं?

आरबीआई के अनुसार, मार्च 2020 में हाउसिंग लोन की वृद्धि में मामूली गिरावट आई और यह महामारी के कारण 2020-21 में और बढ़ गई. जनवरी 2020 में 17.5% से, जनवरी 2021 में होम लोन की वृद्धि घटकर 7.7% हो गई. बैंकों ने महसूस किया है कि वर्तमान परिदृश्य में आवास ऋण सुरक्षित दांव हैं क्योंकि डिफ़ॉल्ट का जोखिम न्यूनतम है. एसबीआई के मामले में सकल गैर-निष्पादित संपत्ति सिर्फ 0.67% है.

एसबीआई के नेतृत्व में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, जो पहले बड़े कॉर्पोरेट लोन पर ध्यान केंद्रित कर रहे थे, अब आवास लोन ग्राहकों को लक्षित कर रहे हैं. एचडीएफसी और एलआईसी हाउसिंग जैसी हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां भी आक्रामक रूप से अपनी दरों का मूल्य निर्धारण कर रही हैं. प्रतिस्पर्धा गिरती ब्याज दरों में परिलक्षित होती है, जो ऐसे समय में आ रही है जब रियल एस्टेट क्षेत्र में एक तरह की तेजी देखी जा रही है.

क्या आपको अभी होम लोन लेना चाहिए?

कोटक महिंद्रा बैंक ने शुरुआत में दरों में कटौती करते हुए कहा, “यह वास्तव में घर खरीदने का सबसे अच्छा समय है.” ”एक राष्ट्रीयकृत बैंक के एक अधिकारी ने कहा कि होम लोन की ब्याज दरें 15 साल के निचले स्तर पर हैं और संपत्ति की कीमतें सुस्त बनी हुई हैं, यह होम लोन के लिए जाने का एक आदर्श समय हो सकता है. यह निकट भविष्य में सबसे कम संभव ईएमआई हो सकती है. बॉन्ड यील्ड बढ़ रही है. हम नहीं जानते कि ब्याज दरें किस ओर जा रही हैं.

बैंक उम्मीद कर रहे हैं कि चल रहे आर्थिक सुधार से अधिक घरेलू खरीदारी होगी. मई की नीति में रेपो दर को 40 आधार अंकों से घटाकर 4% करने के बाद, आरबीआई ने दरों को अपरिवर्तित रखा है. औसतन, SBI प्रतिदिन लगभग 1,000 होम लोन ग्राहकों को अपने साथ लेता है. “महामारी से प्रेरित लॉकडाउन से रियल एस्टेट क्षेत्र को भारी झटका लगने के बावजूद, हाउसिंग बिजनेस वर्टिकल ने होम लोन कारोबार में अद्वितीय वृद्धि दर्ज की. एसबीआई के अध्यक्ष दिनेश खारा ने कहा कि एसबीआई ने दिसंबर 2020 में उच्चतम सोर्सिंग, प्रतिबंधों, संवितरण और वृद्धि के साथ होम लोन में वृद्धि देखी, जो बैंक ने दर्ज की थी.

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महंगाई रोकने के लिए ब्याज दरों में देरी को लेकर रिजर्व बैंक की आलोचना करना ठीक नहीं: डी सुब्बाराव

‘‘केंद्रीय बैंकों से भविष्य का सटीक अनुमान लगाने की उम्मीद करना अनुचित है.’’

रिजर्व बैंक ने इस महीने की शुरुआत में ब्याज दर बढ़ाने को लेकर बिना तय कार्यक्रम के बैठक की थी और प्रमुख नीतिगत अस्थिर ब्याज क्या है? दर रेपो में 0.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी की घोषणा की थी. अगस्त, 2018 के बाद यह पहला मौका था जब नीतिगत दर बढ़ाई गई.

  • News18Hindi
  • Last Updated : May 18, 2022, 23:05 IST

नई दिल्ली . भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव ने बुधवार को कहा कि बढ़ती मुद्रास्फीति को रोकने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि में विलंब को लेकर आरबीआई की आलोचना करना अनुचित है. उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी भी केंद्रीय बैंक के लिए भविष्य का सटीक अनुमान लगाना कठिन होता है.

इस महीने की शुरुआत में मौद्रिक नीति अस्थिर ब्याज क्या है? समिति (एमपीसी) ने प्रमुख ब्याज दर बढ़ाने को लेकर बिना तय कार्यक्रम के बैठक की थी और प्रमुख नीतिगत दर रेपो में 0.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी की घोषणा की थी. अगस्त, 2018 के बाद यह पहला मौका था जब नीतिगत दर बढ़ाई गई.

मौद्रिक नीति का असर देर से दिखता है
सुब्बाराव ने कहा कि मौद्रिक नीति अस्थिर ब्याज क्या है? का असर देर से होता है, ऐसे में दरों में हाल में की गई वृद्धि से मुद्रास्फीति तुरंत कम होने की संभावना नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘मौद्रिक हालात को मजबूत करने के लिए एमपीसी की गैर-निर्धारित बैठक जैसे जल्दबाजी में उठाए कदम से कई सवाल खड़े हुए हैं.’’

मडिया द्वारा उनसे पूछा गया था कि बढ़ती मुद्रास्फीति को देखते हुए आरबीआई ने ब्याज दरें पहले ही क्यों नहीं बढ़ा दीं. इस पर सुब्बाराव ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि यह आलोचना अनुचित है.’’ इस साल अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति आठ साल के सर्वोच्च स्तर 7.79 फीसदी अस्थिर ब्याज क्या है? पर पहुंच गई जबकि मुद्रास्फीति लगातार सातवें महीने भी तेजी से बढ़ी. सरकार ने आरबीआई से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि मुद्रास्फीति चार फीसदी (दो फीसदी कम या ज्यादा) बनी रहे.

सटीक अनुमान लगाने की उम्मीद करना अनुचित
सुब्बाराव ने कहा कि दुनियाभर के अन्य केंद्रीय बैंकों की तरह आरबीआई को भी तेजी से बदलते भू-राजनीतिक हालात अस्थिर ब्याज क्या है? और अस्थिरता के बीच ही कदम उठाने होते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘केंद्रीय बैंकों से भविष्य का सटीक अनुमान लगाने की उम्मीद करना अनुचित है.’’

क्या ब्याज दरें बढ़ाने का वृद्धि पर असर पड़ेगा? इस पर आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कहा, ‘‘दरों में बढोतरी से वृद्धि में तेजी प्रभावित होगी और असर कुछ हद तक तो पड़ेगा ही. लेकिन यह कुछ समय के लिए होगा, मध्यावधि तक कीमतों में स्थिरता सतत वृद्धि के लिए सहायक होगी.’’

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SoftBank में सैकड़ों कर्मियों की होगी छंटनी, ऊंची ब्याज दरें और राजनीतिक अस्थिरता ने बढ़ाई दिक्कतें

जापान के सॉफ्टबैंक ग्रुप कॉर्प (SoftBank Group Corp) ने छंटनी का फैसला किया है

सॉफ्टबैंक ग्रुप के विजन फंड (Vision Fund) यूनिट और सॉफ्टबैंक ग्रुप इंटरनेशनल (SoftBank Group International) के दुनिया भर में मौजूद 150 कर्मियों को निकाला जाएगा।

जापान के सॉफ्टबैंक ग्रुप कॉर्प (SoftBank Group Corp) ने छंटनी का फैसला किया है। ग्रुप के विजन फंड (Vision Fund) यूनिट और सॉफ्टबैंक ग्रुप इंटरनेशनल (SoftBank Group International) के दुनिया भर में मौजूद 150 कर्मियों को निकाला जाएगा। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने यह जानकारी सूत्रों के हवाले से दी है।

कंपनी के सीईओ Masayoshi Son ने यह फैसला भारी नुकसान के चलते लिया है। गुरुवार को कर्मियों को नोटिस भेजा गया है और इसका असर विजन फंड यूनिट और सॉफ्टबैंक ग्रुप इंटरनेशनल के करीब 30 फीसदी कर्मियों पर पड़ेगा।

RBI की क्रेडिट पॉलिसी का ऐलान, ब्याज दरों में बदलाव नहीं

भारतीय रिजर्व बैंक ने क्रेडिट पॉलिसी का ऐलान कर दिया है. आरबीआई ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किए हैं. लिहाजा रेपो रेट 7.25 फीसदी, रिवर्स रेपो रेट 6.25 फीसदी और सीआरआर 4 फीसदी पर कायम है.

भारतीय रिजर्व बैंक

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 30 जुलाई 2013,
  • (अपडेटेड 30 जुलाई 2013, 5:55 PM IST)

भारतीय रिजर्व बैंक ने क्रेडिट पॉलिसी का ऐलान कर दिया है. आरबीआई ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किए हैं.

आरबीआई ने कहा है कि मुद्रा बाजार में स्थिरता आने के बाद तरलता घटाने के लिए हाल में उठाए गए कदम वापस लिए जाएंगे. मौजूदा कारोबारी साल की पहली तिमाही समीक्षा घोषणा में रिजर्व बैंक ने मौजूदा कारोबारी साल के लिए विकास दर के अनुमान को 5.7 फीसदी से घटाकर 5.5 फीसदी कर दिया और कहा कि घरेलू और वैश्विक आर्थिक अस्थिर ब्याज क्या है? अनिश्चितता भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकती है.

आरबीआई ने रिपर्चेज दर या रेपो दर को 7.25 फीसदी पर बरकरार रखा, इसके साथ ही रिवर्स रेपो दर भी 6.25 फीसदी के पुराने स्तर पर बनी रही. रेपो दर वह दर है, जिस पर बैंक आरबीआई से कर्ज लेते हैं, वहीं रिवर्स रेपो दर वह दर है, जिस पर आरबीआई बैंकों से उधार लेती है.

नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) को भी चार फीसदी पर बरकरार रखा गया. बैंक अपनी कुल जमा राशि का एक निश्चित अनुपात आरबीआई में जमा रखते हैं, इसे ही सीआरआर कहते हैं.

रिजर्व बैंक के गवर्नर डी. सुब्बाराव ने कहा, 'भारत अभी एक तिराहे पर खड़ा है, जहां बाहरी क्षेत्र की चिंताओं के कारण हमें अपने कुछ मौद्रिक नीति अधिकार को कुछ हद तक छोड़ना पड़ रहा है.'

उन्होंने कहा कि पिछले दो सप्ताहों में रिजर्व बैंक द्वारा तरलता घटाने के लिए उठाए गए कदमों का मकसद विदेशी मुद्रा बाजार की असामान्य अस्थिरता को रोकना था.

उन्होंने कहा, 'जब मुद्रा बाजार में स्थिरता आ जाएगी, तो इन कदमों को चरणबद्ध तरीके से वापस लिया जा सकता है, जिसके बाद मौद्रिक नीति को महंगाई पर चौकसी बरतते हुए विकासोन्मुख किया जा सकता है.'

गवर्नर ने यह भी कहा कि निवेश और जोखिम उठाने की प्रवृत्ति घटी है, साथ ही लागत तथा समय के बढ़ने से परिदृश्य खराब हुआ है, जिसके कारण नकदी का प्रवाह घटा है और भरोसे में कमी आई है.

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