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Nykaa के बोनस शेयर जारी करने से सबसे अधिक रिटेल निवेशकों को नुकसान, यहां समझें पूरा गणित

Nykaa के बोनस शेयर जारी करने के फैसले ने सबसे अधिक रिटेल निवेशकों को नुकसान पहुंचा है, फंड मैनेजर्स और एनालिस्ट्स कंपनी के बोनस शेयर जारी करने के समय और इरादे को लेकर सवाल कर रहे हैं

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नायका के बोनस शेयर (Nykaa Bonus Shares) जारी करने का फैसला उन शेयरधारकों पर टैक्स का अतिरिक्त बोझ ला सकता है, जो अपनी होल्डिंग को इस वक्त बेचने का सोच रहे हैं। यह टैक्स का बोझ सबसे अधिक IPO के दौरान कंपनी पर निवेश करने वाले निवेशकों पर बढ़ा है। मनीकंट्रोल के एक कैलकुलेशन के मुताबिक, अगर IPO निवेशक आज सोमवार 14 नवंबर को 210 रुपये के भाव पर नायका के 5 बोनस शेयर बेचते हैं तो उन्हें 915 रुपये का लॉन्ग टर्म नुकसान होगा। इसके अलावा उन्हें शेयर को बेचने से मिलने 1,050 रुपये पर 157.50 रुपये का टैक्स भी चुकाना होगा।

अभी Nykaa का शेयर बेचने पर क्या होगा?

इस अधिक स्पष्ट तरीके से समझने के लिए, मान लीजिए कि आपने IPO के दौरान Nykaa का एक शेयर 1,125 रुपये के भाव पर खरीदा है। बोनस शेयर के बाद आपको कंपनी के 5 अतिरिक्त शेयर मिल गए हैं और इसके लिए आपको कोई टैक्स नहीं देना पड़ा है। लेकिन अब अगर आप इन सभी 6 शेयर को आज के मौजूदा बाजार भाव 210 रुपये प्रति शेयर पर बेचते हैं, तो आपको उस शेयर पर 915 रुपये का लॉस होगा, जो आपने IPO के दौरान खरीदा था। इसे लॉन्ग-टर्म कैपिटल लॉस माना जाएगा।

Bonus Shares के लिए अलग टैक्स कैलकुलेशन होगा

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वहीं आपके 5 बोनस शेयर पर आपका कुल मुनाफा 1,050 रुपये (210 रुपये x 5) माना जाएगा और यह शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन में आएगा। टैक्स नियमों के मुकाबिक, लॉन्ग-टर्म कैपिटल लॉस को आप शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन के बदले में नहीं दिखा सकते हैं। इसका मतलब है कि आप इस मुनाफे पर 15 फीसदी का शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स (STCG Tax) देना होगा, जो करीब 157.50 रुपये आएगा।

पूरे ट्रांजैक्शन पर शुद्ध रूप से इतना घाटा होगा

इस तरह आपको इस ट्रांजैक्शन से शुद्ध रुप से 892.50 रुपये मिलेंगे और पूरे ट्रांजैक्शन पर आपको 22.50 रुपये का शुद्ध रूप से घाटा होगा।

Bonus Shares नहीं मिलने पर इतने का होता लाभ

अब मानिए आपको Nykaa की तरफ से कोई बोनस शेयर नहीं मिला है और आप बस IPO के समय खरीदे उसी एक शेयर को बेच रहे हैं। बिना बोनस इश्यू के Nykaa के शेयर आज 1,260 रुपये (210 रुपये x 6) पर कारोबार कर रहे होते हैं। इस तरह शेयर बेचने पर आपको 135 रुपये (1,260 रुपये -Rs 1,125 रुपये) का मुनाफा होता।

Nykaa के शेयरों में बोनस शेयर की खबर के बाद से पिछले कुछ दिनों में तेजी आई है। अगर आपने Nykaa के IPO के दौरान खरीदे 1 शेयर और 5 बोनस शेयर को 10 नवंबर को उस समय के 175 रुपये के भाव पर बेचा होता, तो आपको शुद्ध रूप से 206 रुपये का घाटा होता।

एक्सपर्ट भी Nykaa के बोनस इश्यू पर उठा रहे सवाल

Nykaa बोर्ड के बोनस शेयर जारी करने के फैसले ने उन रिटेल निवेशकों को सबसे अधिक खराब स्थिति में ला दिया है, जिन्होंने IPO के दौरान या उसके बाद कंपनी में निवेश किया था। फंड मैनेजर्स और एनालिस्ट्स कंपनी के बोनस शेयर जारी के समय और इरादे को लेकर सवाल कर रहे हैं।

पोर्टफोलियो मैनेजमेंट और इनवेस्टमेंट एडवाइजरी फर्म iThought के फाउंडर श्याम शेखर ने कहा, "Nykaa साफ तौर से सही मैसेज देने में फेल रही है। जब कंपनी का फाउंडर खुद इनवेस्टमेंट बैंकिंग इंडस्ट्री से हो और वह ऐसे कदम उठाए गो तो यह देश के कॉरपोरेट गवर्नेंस के लिए एक चेतावनी की घंटी है। साफ तौर पर इंडीपेंडेंट डायरेक्टर भी अपनी ड्यूटी निभाने में नाकाम रहे हैं। शेयरहोल्डर्स के साथ गलत हो रहा है।" Nykaa ने अपने निवेशकों को 1:5 के अनुपात में बोनस शेयर जारी किया है और 10 नवंबर से उसके स्टॉक एक्स-बोनस के तौर पर कारोबार कर रहे हैं।

डिस्क्लेमरः यहां दिए जाने वाले शेयर बाजार को कैसे समझें विचार और निवेश सलाह, निवेश विशेषज्ञों के अपने निजी विचार और राय होते हैं। Moneycontrol यूजर्स को सलाह देता है कि वह कोई निवेश निर्णय लेने के पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह लें।

Nifty in Hindi: निफ्टी क्या है? – इसकी गणना कैसे होती है

निफ्टी क्या है?- इसकी गणना कैसे होती है? यदि आप इस सवाल का जवाब खोजते हुए, यहाँ आये है, तो आप बिल्कुल सही जगह आये है। इस article में हम सबने Nifty50 और National Stock Exchange से संबंधित सभी जानकारियों को समाहित किया है।

What is Nifty in Hindi?

निफ्टी क्या है?

NSE का full form National Stock Exchange of India है। निफ्टी में 50 कंपनियां शामिल होती है। इसकी शुरुआत नवंबर 1994 को हुयी थी। Nifty शब्द- National और Fifty से मिलकर बना है। यहाँ Fifty नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में शामिल 50 कंपनियों के लिए है।

निफ्टी, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का सूचकांक है

निफ्टी(Nifty) के बारें में जानने के पहले आपको शेयर बाजार क्या है तथा इसमें निवेश कैसे करते है, इस बात की जानकारी होनी चाहिए।

संक्षेप में :
Stock Market(शेयर बाजार) :- शेयर बाजार में शेयरों की खरीद-बिक्री होती है।
Equity(शेयर) :- शेयर का अर्थ होता है हिस्सा, किसी कंपनी में लगने वाले पूंजी(capital) शेयर बाजार को कैसे समझें का हिस्सा।

भारत में दो सूचकांक है

निफ्टी की जानकारी?

Nifty नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध 50 प्रमुख कंपनियों के शेयरों का सूचकांक है। यह National Stock Exchange में शामिल कंपनियों को Index करता है।

NSE में 1600 से भी ज्यादा companies registered है। निफ्टी इन सभी कंपनियों को इंडेक्स नही करता। निफ्टी में इंडेक्स होने के लिए देश के 12 अलग-अलग सेक्टर की 50 सबसे बड़ी, आर्थिक रूप से मजबूत तथा सबसे ज्यादा मार्केट कैप वाली कंपनियों को चुना जाता है।

ये कंपनिया देश शेयर बाजार को कैसे समझें के कई क्षेत्रों(sector) जैसे – Bank, Real estate, Media, Information technology, Auto, Financial services, Pharma, Metal, FMCG, Energy इत्यादि वर्गों से आती है।

निफ्टी की शुरुआत वर्ष 1994 से हुयी थी, जबकि इसका base year एक वर्ष बाद नवंबर 1995 शेयर बाजार को कैसे समझें है, तथा base value 1000 है।

यहाँ Base Year तथा Base Value कहने का मतलब यह है की Nifty को वर्ष 1995 के Market Cap एवं base value 1000 को आधार मानकर कैलकुलेट करते है।

Nifty का प्रबंधन India Index Services and Products (IISL) करता है। निफ्टी के टॉप 50 कंपनियों में शामिल होने के लिए बीएसई-सेंसेक्स की तरह ही कंपनियों को कई शर्तों को पूरा करने की जरुरत पड़ती है। जिन्हें आप हमारे पिछले लेख: सेंसेक्स क्या होता है? में पढ़ सकते है।

निफ्टी की गणना कैसे होती है?

How Nifty is calculated in Hindi

निफ्टी की गणना(Calculation of Nifty) सेंसेक्स के तरह ही Free-float Market Capitalisation के आधार पर की जाती है। Nifty की गणना करते वक्त सेंसेक्स की गणना में उपयोग शेयर बाजार को कैसे समझें किये जानेवाले पद्धति का ही इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन कुछ टर्म निफ्टी में बदल जाते है।

जो इस प्रकार है –

  • Nifty की गणना करते वक्त आधार वर्ष(base year) 1995 और आधार वैल्यू(base value) 1000 का उपयोग किया जाता है।
  • Nifty की गणना में देश के 12 अलग-अलग सेक्टर की 50 सबसे ज्यादा मार्केट कैप वाली कंपनियों को चुना जाता है।

Market capitalisation तथा Free-float Market capitalisation क्या है

इन दोनों बातों को जानना आपके लिए अत्यंत आवश्यक है। इससे संबंधित बातों को हमने पिछले आर्टिकल सेंसेक्स क्या है – आसानी से समझे में काफी अच्छे से बताया है, आप वहां इसके बारे में ज्यादा जानकारी हासिल कर सकते है।

Market Capitalisation(बाजार पूंजी) : Market Capitalisation किसी कंपनी की कीमत होती है।

Free-float Market Capitalisation : यह किसी कंपनी के शेयर का वो खुला हुआ हिस्सा होता है जो खरीदने के लिए उपलब्ध होता है। इसे open market share भी कहते है। ये स्टॉक मार्केट से खरीदा जा सकता है।

1991 – 2022 के वर्षों में निफ्टी का प्रदर्शन

NIFTY 1991-2022 Tradingview chart

NIFTY 1991-2022, Source: TradingView chart

निफ्टी क्या होता है और इसकी गणना कैसे होती है? आप जान चुके होंगे। शेयर बाजार में निवेश करने के पहले किन जरुरी बातों का ध्यान हमेशा रखना चाहिए आप इस निचे के लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते है।
शेयर बाजार में निवेश के कुछ जरूरी टिप्स(10+ Tips for Investing in Share Bazar)

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शेयर मार्किट में CE और PE क्या है? 5 मिनट में समझें [2022] | What is CE & PE Stock Market Example in Hindi?

जो लोग वित्तीय पृष्ठभूमि से नहीं हैं, उनके लिए ऑप्शन ट्रेडिंग भ्रम से भरी है। बहुत सारे शब्द हैं जिन्हें समझना मुश्किल है। अगर आप शेयर मार्किट में CE और PE को अच्छे से समझना चाहते हो तो यह ब्लॉग पोस्ट सिर्फ आपके लिए है। पहली बार जब कोई ऑप्शन ट्रेडिंग सीखना शुरू करते हैं हर किसी के मन में यह सवाल आता है कि Stock Market में CE और PE क्या है?

तो लेख में हम इन शर्तों के बारे में आपके भ्रम को दूर करने के लिए उदाहरण के साथ सीई और पीई पर विवरण में चर्चा करेंगे। तो चलिए चर्चा करना शुरू करते हैं कि CE और PE क्या है?

Table of Contents

CE और PE क्या है? – What is CE & PE Share Market Example in Hindi?

CE क्या है?

CE कॉल ऑप्शन (Call Option) का शॉर्ट फॉर्म है, हालांकि वास्तव में इसका पूरा नाम कॉल यूरोपियन (Call European) है। CE निवेश अनुबंध (Contracts) हैं जो निवेशक को एक निश्चित समय सीमा के भीतर एक निश्चित लागत पर स्टॉक, बॉन्ड, उत्पाद, या अन्य संपत्ति या साधन खरीदने का अधिकार प्रदान करते हैं, वो भी बिना प्रतिबद्धता के।

मूल संपत्ति एक शेयर, बांड या कमोडिटी है। जब मूल संपत्ति का मूल्य बढ़ता है, तो कॉल खरीदार को लाभ होता है।

प्रतिभूतियों पर कॉल विकल्प (Call Option) निवेशक को एक निश्चित तिथि (समाप्ति तिथि) से पहले एक निश्चित कीमत (स्ट्राइक प्राइस) पर फर्म के शेयरों की निश्चित संख्या हासिल करने का विकल्प प्रदान करते हैं।

कॉल ऑप्शन (CE) कब खरीदें? – When to Buy Call Option in Hindi?

मान लें कि रिलायंस की वार्षिक आम बैठक (AGM) आ रही है, और आप उम्मीद करते हैं कि बैठक में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया जाएगा। हालाँकि स्टॉक वर्तमान में INR 1950 पर कारोबार कर रहा है, आप मानते हैं कि यह समाचार कीमत को अधिक बढ़ा देगा, संभवतः INR 1950 से ऊपर।

हालांकि, आप कैश सेगमेंट में रिलायंस को खरीदने से सावधान हैं क्योंकि यह बहुत जोखिम भरा है, और आप इसे फ्यूचर्स मार्केट में नहीं खरीदना चाहेंगे क्योंकि फ्यूचर्स आपको असीमित जोखिम के लिए उजागर करता है।

आप घोषणा के परिणामस्वरूप दर में वृद्धि से चूकना नहीं चाहते हैं, और आप अस्थिरता को खत्म करने के लिए थोड़ी सी राशि का जोखिम उठाने को तैयार हैं। आपके लिए, एक कॉल विकल्प एकदम सही है।

उदाहरण:

आप विकल्प बाजार में तरलता के आधार पर, एक ऐसे समय में जब मौजूदा कीमत INR 1950 है, एक रिलायंस कॉल ऑप्शन में INR 1970 की स्ट्राइक लागत के साथ व्यापार करने में रुचि हो सकती है।

चूंकि उस कॉल विकल्प को 10 रुपये पर उद्धृत किया गया था, आपको प्रति स्टॉक INR 10, या INR 2,500 का प्रीमियम खर्च करना होगा (रु 10 x 250 यूनिट)।

यदि रिलायंस का नकद बाजार मूल्य INR 1980 प्रति शेयर तक पहुंच जाता है (यानी, आपकी स्ट्राइक लागत रु 1970 + प्रीमियम 10 रुपये का शुल्क लिया गया) तो आपका मुनाफा शुरू हो जाता है।

PE का क्या अर्थ है? – What is PE in Stock Market in Hindi?

PE, Put Option का संक्षिप्त रूप है, हालाँकि, वास्तविक पूर्ण रूप पुट यूरोपियन है। पुट विकल्प (Put Option) एक अनुबंध है जो धारक को एक निश्चित समय अवधि के भीतर एक विशिष्ट लागत पर वास्तविक सुरक्षा के मूल्य से पहले बेचने या बेचने की प्रतिबद्धता नहीं बल्कि विशेषाधिकार देता है।

स्ट्राइक रेट वह निश्चित मूल्य है जिस पर पुट ऑप्शन का ट्रेडर बेचेगा। शेयरों, मुद्राओं, बांडों, वस्तुओं, वायदा और सूचकांकों को पुट विकल्प के लिए मूल संपत्ति के रूप में आदान-प्रदान किया जाता है।

कॉल ऑप्शन पुट ऑप्शन के बिल्कुल विपरीत है। किसी भी बाजार में विक्रेता के बिना बोली लगाने वाला कभी नहीं हो सकता। समान रूप से, आप विकल्प खंड में पुट विकल्प के बिना कॉल विकल्प प्राप्त नहीं कर सकते।

शेयर पुट ऑप्शन उसी तरह से काम करते हैं जैसे स्टॉक कॉल ऑप्शन करते हैं। इस स्थिति में, फिर भी, विकल्प निवेशक शेयर के मूल्य पर मंदी की स्थिति में है और गिरावट शेयर बाजार को कैसे समझें से लाभ की उम्मीद करता है।

पुट ऑप्शन खरीदते समय ध्यान रखने योग्य बातें?

पुट ऑप्शन शेयर उसी तरह से काम करते हैं जैसे स्टॉक कॉल ऑप्शन करते हैं। इस स्थिति में, फिर भी, विकल्प निवेशक शेयर के मूल्य पर मंदी की स्थिति में है और गिरावट से लाभ की उम्मीद करता है।

आपको स्टॉक की चाल पर कड़ी नजर रखनी चाहिए। यह संभव है कि शेयर की कीमत गिरती है, लेकिन फिर समाप्ति से ठीक पहले फिर से बढ़ जाती है। इसका मतलब यह होगा कि आप लाभ का मौका चूक गए हैं।

उदाहरण:

मान लें कि आप ABC स्टॉक के मालिक हैं और अनुमान लगाते हैं कि कंपनी का तिमाही प्रदर्शन विश्लेषकों की अपेक्षाओं से कम होगा। यह INR 1950 के मौजूदा स्टॉक मूल्य प्रति स्टॉक में गिरावट का कारण हो सकता है।

आप मूल्य में गिरावट से लाभ के लिए प्रति शेयर 10 रुपये के बाजार द्वारा निर्धारित प्रीमियम पर INR 1930 के स्ट्राइक मूल्य पर ABC पर एक पुट विकल्प (Put Option) खरीद सकते हैं। मान लें कि अनुबंध लॉट में 250 शेयर हैं। एबीसी पर एक पुट ऑप्शन खरीदने के लिए, आपको 2,500 रुपये (250 स्टॉक x 10 रुपये प्रति इक्विटी) का प्रीमियम देना होगा।

फायदा क्या होगा?

यदि शेयर की कीमत 1930 रुपये तक गिरती है, तो आप अपने पुट विकल्प का उपयोग करने पर विचार कर सकते हैं। फिर भी, यह आपके 10 रुपये/स्टॉक प्रीमियम को कवर नहीं करता है। नतीजतन, आप स्टॉक की कीमत कम से कम 1920 रुपये तक गिरने तक इंतजार करना चाह सकते हैं।

तब तक देखें जब तक कि स्टॉक 1910 रुपये या 1900 के स्तर तक न गिर जाए, अगर कोई संकेत है कि यह होगा। यदि नहीं, तो अवसर का लाभ उठाएं और जितनी जल्दी हो सके विकल्प का उपयोग करें। प्रीमियम लागत घटाने के बाद, आप प्रति शेयर 10 रुपये का लाभ अर्जित करेंगे।

नुकसान क्या हो सकता है?

हालाँकि, आप विकल्प की अवहेलना कर सकते हैं यदि शेयर की लागत पूर्वानुमान के अनुसार गिरने के बजाय बढ़ती है। आपका नुकसान 2,500 रुपये या 10 रुपये प्रति शेयर तक सीमित रहेगा।

ऑप्शंस एंड पुट को भारतीय बाजार में किसी भी सिक्योरिटीज पर बेचा या खरीदा नहीं जा सकता है। सेबी के सख्त विनिर्देशों को पूरा करने वाले केवल उन शेयरों को विकल्प व्यापार करने की अनुमति है। इन शेयरों को शीर्ष 500 शेयरों में से चुना गया था, जिसमें पिछले 6 महीनों में औसत दैनिक बाजार मूल्यांकन और औसत नियमित कारोबार की मात्रा जैसे मापदंडों को ध्यान में रखा गया था।

हमें आशा है की यह ब्लॉग पोस्ट को पढ़ने के बाद आपके सवाल Stock Market में CE और PE क्या है? (What is CE & PE Share Market Example in Hindi इसका जवाब शेयर बाजार को कैसे समझें आपको आसानी से मिल गया होगा। हालांकि, हम अनुशंसा करते हैं कि आप F&O सेगमेंट में प्रवेश करने से पहले एक संरक्षक से भविष्य और विकल्पों को ठीक से सीख लें।

विकास तिवारी इस ब्लॉग के मुख्य लेखक हैं. इन्होनें कम्प्यूटर साइंस से Engineering किया है और इन्हें Technology, Computer और Mobile के बारे में Knowledge शेयर करना काफी अच्छा लगता है.

मदन सबनवीस का कॉलम: शेयर बाजार में लगातार बढ़त दिखी है, महामारी से स्टॉक मार्केट कैसे बचा रहा और आगे क्या होगा?

मदन सबनवीस, चीफ इकोनॉमिस्ट, केयर रेटिंग्स - Dainik Bhaskar

जहां अर्थव्यवस्था की स्थिति पर अब तक सामने आए आर्थिक आकंड़ों पर काफी भ्रम है, वहीं एक हिस्सा, जो महामारी और लॉकडाउन के असर से बचा हुआ है, वह है स्टॉक मार्केट। पहले देखते हैं कि सेंसेक्स किस गति से चला। जनवरी 2020 में यह 40,723 पर था और लॉकडाउन की घोषणा पर मार्च 2020 में 29,648 पर आ गया।

जून में अनलॉक पर 34,916 का आंकड़ा छुआ। जुलाई के बाद से लगातार बढ़ते हुए सितंबर में 38,068 के पार चला गया, जब संक्रमण उच्चतम स्तर पर था। मार्च 2021 तक यह 49,509 पर था। दूसरी लहर के बावजूद यह मई तक 51,937 पर पहुंच गया और जून में 52,000 के पार चला गया। कोई इसे कैसे समझा सकता है?

पहले आधारभूत बातें देखें। स्टॉक मार्केट भविष्य की कमाई दिखाता है, वर्तमान की नहीं। वास्तव में, अगर आज कमाई कम है और संभावना उच्च है, तो यह समझ में आने पर कि सबसे खराब समय खत्म हो गया है, बाजार ऊपर बढ़ना शुरू कर देगा। भारतीय बाजार के मामले में कॉर्पोरेट प्रदर्शन के संदर्भ में बुरा समय निकल गया है।

सवाल यह है कि यह कैसे समझें कि पहले लॉकडाउन की घोषणा से पहले सेंसेक्स 30,000 के नीचे था, लेकिन तब से 70% बढ़ गया है? दिलचस्प है कि सेंसेक्स मार्च 2020 से 70% बढ़ गया, जबकि बीएसई 100 व बीएसई 500 मार्च 2020 की तुलना में दोगुनी हो गईं। हर तरफ पागलपन है और यह केवल 30 बड़ी कंपनियों तक सीमित नहीं है।

दूसरा कारण फंड का फ्लो भी हो सकता है। यहां विदेशी पोर्टफोलियो निवेश और म्यूचुअल फंड की भूमिका है। पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं में नकदी का प्रवाह बना हुआ है जिसके कारण धन शेयर बाजार को कैसे समझें उभरते बाजारों में चला गया है और भारत को इससे लाभ हुआ है। यहां निवेश शायद सिर्फ त्वरित रिटर्न के लिए हुआ।

म्यूचुअल फंड ने इक्विटी फंडों में रुचि देखी है और खरीदार बन गए हैं क्योंकि लोगों के पास कम रिटर्न के कारण बैंक डिपॉजिट के कम विकल्प बचे हैं। निवेश का प्रलोभन इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि जब बाजार बढ़ता है तो खुदरा ग्राहक इसकी सवारी करना चाहते हैं जिससे सीधे इक्विटी में, साथ ही फंड के जरिए अधिक निवेश होता है। इसलिए इससे बढ़त मिली।

तीसरा कारण बाहरी प्रभाव है, जहां वैश्विक इंडेक्सों से संकेत लिए जा रहे हैं। आज अमेरिका को ग्रोथ के लिए सर्वश्रेष्ठ बाजार माना जा रहा है। अमेरिकी स्टॉक मार्केट बढ़ने पर उसकी प्रेरणा से अन्य बाजारों के बढ़ने की भी प्रवृत्ति रहती है। चौथा टीकाकरण संबंधी अंदरूनी कारण है। जब टीके की खबर आई तो बाजार में उत्साह दिखने लगा। आज भी यह भाव है कि बाजार पर संक्रमणों की संख्या की तुलना में टीके की प्रगति का ज्यादा असर है। अब संक्रमित घट रहे हैं और टीका लगवा चुकी आबादी की संख्या बढ़ रही है, जिससे सेंसेक्स को एक और बूस्ट मिला है।

पांचवां, आरबीआई व सरकार द्वारा अपनाए गए रवैये की भी भूमिका रही है। आरबीआई के उदार रवैये से बाजार को मदद मिली है क्योंकि महंगाई बढ़ने पर चिंता थी, जिससे आदर्शत: आरबीआई की स्थिति प्रभावित होती क्योंकि मौद्रिक नीति समिति को महंगाई को लक्ष्य करना था। सरकार सुधारों पर सकारात्मक रही है, लेकिन प्रोत्साहन पर बहुत जोर नहीं है। सुधारों से बाजार में आशावाद आया है।

इसी गति से न सही, लेकिन बढ़त निश्चित दिख रही है। लेकिन यह गति किससे प्रभावित हो सकती है? क्वान्टिटेटिव ईजिंग (केंद्रीय बैंक द्वारा मुद्रा की आपूर्ति में नई मुद्रा की शुरुआत) की वापसी से बाजार अस्थिर हो सकता है, हालांकि यह इस साल नहीं होगा। वैश्विक वृद्धि भी सकारात्मक रहेगी। तीसरी लहर आती भी है, तो देश इसके लिए ज्यादा तैयार दिख रहा है। कुलमिलाकर बाजार ऊपर की ओर जाएगा, हालांकि गति अनिश्चित है। अर्थव्यव्सथा पहले ही नीचे हैं, जो और बुरी नहीं हो सकती और यह बाजार के लिए अच्छी बात होगी।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

शेयर बाजार में निवेश करने से पहले इन 7 बातों का रखें ध्‍यान

Stock Market: अगर आप शेयर बाजार (Stock Market) में निवेश करने की योजना बना रहे हैं तो आपको कुछ बातों का ध्‍यान रखना जरूरी है.

  • Jaya Rai
  • Publish Date - April 7, 2021 / 01:14 PM IST

शेयर बाजार में निवेश करने से पहले इन 7 बातों का रखें ध्‍यान

सेंसेक्स में एचसीएल टेक दो प्रतिशत से अधिक की बढ़त के साथ शीर्ष पर था, वहीं इन्फोसिस, भारती एयरटेल, टेक महिंद्रा, एलएंडटी, रिलायंस इंडस्ट्रीज और आईसीआईसीआई बैंक के शेयरों में भी तेजी देखी गयी

अगर आप शेयर बाजार (Stock Market) में निवेश करने की योजना बना रहे हैं तो आपको कुछ बातों का ध्‍यान रखना जरूरी है. अगर इन बातों को जाने बिना आपने निवेश किया तो आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है. शेयर बाजार (Stock Market) में अगर समझदारी से निवेश किया जाए तो आपको बेहतरीन रिटर्न मिलता है. वहीं कई बार जाने-अनजाने में निवेशकों को भारी नुकसान भी उठाना पड़ जाता है. ऐसे में शेयर बाजार (Stock Market) में निवेश करने से पहले उसके बारे में अच्‍छे से जान लेना बेहद जरूरी है. यहां हम आपको 7 ऐसी बातें बताने जा रहे हैं जिनका ध्‍यान रखने से आपको शेयर बाजार में अच्‍छा रिटर्न मिलेगा.

पहले मूल बात को समझें:
शेयर बाजार (Stock Market) में निवेश करने से पहले आपको इसके बारे में अच्‍छे से जानकारी होना जरूरी है. वहीं इससे भी ज्‍यादा जरूरी ये है कि आप जिस कंपनी के शेयर खरीदने जा रहे हैं उसके बारे में भी अच्‍छी जानकारी हो. इसी के साथ आपको इस बात का भी अंदाजा होना चाहिए कि शेयर बाजार में निवेश करने का सबसे अच्‍छा समय कौन सा है.

स्टॉप लॉस का करें इस्‍तेमाल:
यह शेयर बाजार में आपके नुकसान को कम करने के सबसे अच्‍छे तरीकों में से एक है. ये बाजार में आपके मुनाफे को बनाए रखता है. आप अपने स्टॉक के लिए स्टॉप लॉस को ठीक कर सकते हैं. इसके इस्‍तेमाल से विशेष स्टॉप लॉस के स्तर पर कीमत हिट होने पर आपका स्टॉक अपने आप बिक जाएगा. वहीं अगर शेयर की कीमत गिरती है तो आपको ज्‍यादा नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा.

अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाएं:
केवल एक कंपनी या एक सेक्टर में निवेश करना कभी भी अच्छा विचार नहीं है. इसे ऐसे समझें कि अगर कंपनी अच्‍छा प्रदर्शन नहीं करती है तो आपको नुकसान होगा. ऐसे में छोटे, मध्‍य और बड़े-कैप शेयरों में निवेश करना हमेशा अच्‍छा होता है. इससे शेयर बाजार में आपके मुनाफा कमाने की संभावना ज्‍यादा होती है.

एक स्थापित व्यवसाय में करें निवेश:
निवेश करने से पहले समझदारी बेहद जरूरी है. हमेशा व्यापार में निवेश न करें बल्कि उन व्यवसायों में निवेश करें जो टर्नअराउंड कंपनियों के लिए जाने के बजाय अच्छी तरह से स्थापित हैं. निवेश करने से पहले कंपनी की बुनियादी बातों के साथ भविष्य के विकास और क्षमता को समझें. वहीं किसी शेयर के मूल्यांकन पर ध्यान दें.

लांग टर्म पर दें ध्‍यान:
कई बार लोग जब शेयर बाजार में प्रवेश करते हैं तो तुरंत मुनाफा कमाने की सोचने लगते हैं. लेकिन शेयर बाजार में जल्‍दबाजी ठीक नहीं है. शॉर्ट टर्म के लिए शेयर बाजार में सोचने की जगह इसमें लांग टर्म के लिए निवेश करने के बारे में सोचे. हमेशा लांग टर्म में मिलने वाले रिटर्न को ध्‍यान में रखकर शेयर खरीदने के बारे में सोचे. इसकी वजह है कि शेयर बाजार में लांग टर्म के लिए निवेश लंबे समय में अन्य परिसंपत्तियों की तुलना में काफी बेहतर प्रदर्शन करते हैं.

अफवाहों से बचे:
शेयर बाजार में हमेशा अपनी योजना से चलना अच्‍छा होता है. शेयर बाजार में निवेश कर रहे हैं तो कभी भी स्टॉक और उनके प्रदर्शन के बारे में अफवाहों पर ध्‍यान न दें और इसके आधार पर निर्णय न लें. अफवाहों से दूर रहना हमेशा अच्‍छा होता है. हमेशा ही ऐसे एक विशेष स्टॉक को खरीदें या बेचे जिसे आप प्रभावित हुए बिना समझते हैं.

ब्रोकर को चुनने में बरतें सावधानी:
जब शेयर बाजार में ट्रेडिंग या निवेश करते हैं, तो आपको ब्रोकर चुनने में बहुत सावधानी बरतनी होती है. हमेशा उनके साथ अपना ट्रेडिंग खाता खोलने से पहले ब्रोकर की पृष्ठभूमि या प्रतिष्ठा की जांच करें. ब्रोकर चुनने में सावधानी बरतने से आपको बाद में किसी तरह की समस्‍या नहीं होगी.

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