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ट्रिप में लगने वाले समय और उसकी दूरी के आधार पर बेस रेट तय किया जाता है।

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ड्रैगन फ्रूट से किसानों की बंपर कमाई, कब और कैसे करें ड्रैगन फ्रूट की खेती

Dragon Fruit ki Kheti Kaise ki Jaati hai in Hindi: भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां पर विभिन्न प्रकार की फसलों की खेती की जाती है। हालांकि कुछ फल और सब्जियां ऐसी हैं जिनकी खेती विदेशों की अपेक्षा कमाने के लिए कहां और कब तक जाना है? भारत में कम होती है। भारत में अनुकूल मौसम और डिमांड ना होने की वजह से इन फलों और सब्जियों की खेती किसान नहीं करते। हाल ही अब किसान अपनी पारंपरिक खेती को छोड़कर अन्य चीजों को भी अपने खेत में स्थान दे रहे हैं। किसान डिमांड के अनुसार खेती का चयन कर रहा है। भारत में ड्रैगन फ्रूट नमक एक फल की डिमांड काफी बढ़ रही है। किसानों ने अब इससे मोटी कमाई करना शुरू कर दिया है।

कई किसान ऐसे हैं जिन्हें यह जानकारी नहीं है कि इस फल की खेती कैसे की जाती है। लेकिन इस पोस्ट को पूरा पढने के बाद आप ड्रैगन फ्रूट की खेती से सम्बंधित जरूरी जानकारी प्राप्त कर पाएंगे। आइए ड्रैगन फ्रूट क्या है? इसकी खेती कब की जाती है? बाजार में यह कितनी कीमत पर बिकता है,आप इस फल के बीज का रोपण कैसे कर सकते हैं? आइए इसकी खेती से जुड़ी हर जानकारी के बारे में जानते हैं।

ड्रैगन फ्रूट क्या है? (What is dragon fruit)

Dragon Fruit Name in Hindi and Other Detail: ड्रैगन फ्रूट, जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है कि यह एक प्रकार का फल है। थाईलैंड, वियतनाम, श्रीलंका और इजराइल जैसे देशों में यह फूट काफी लोकप्रिय है। लेकिन अब भारत में भी इस फल की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है। भारत में इसे कमलम नाम (Dragon fruit name in hindi) से जाना जाता है। क्योंकि इस फल में कमल के समान स्पाइक्स और पंखुड़ियां होती हैं। इसका एक अन्य नाम पिताया (Pitaya) भी है। ड्रैगन फ्रूट का वैज्ञानिक नाम हाइलोसेरेसुंडाटस है। इस फल की मुख्यता तीन किसमें होती हैं। पहला सफेद गूदे वाला, जोकि गुलाबी रंग का होता है। दूसरा लाल गूदे वाला, इसका रंग भी गुलाबी होता है। तीसरा सफेद कमाने के लिए कहां और कब तक जाना है? गूदे वाला होता है, जिसका रंग पीला होता है।

Dragon Fruit Uses: एक ताजे फल के रूप में खाए जाने के साथ ही अन्य खाद्य चीजों के निर्माण में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। ड्रैगन फ्रूट के पौधे का इस्तेमाल सजावटी पौधे के रूप में भी होता है। इसके फल से आइसक्रीम, जेली, जेम, जूस और वाइन भी तैयार की जाती है। खाद्य सामग्री में उपयोग होने के साथ ही सौंदर्य हेतु भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। फेस पैक के रूप में त्वचा को निखारने के लिए यह लाभदयक है।

ड्रैगन फ्रूट की खेती कब की जाती है

कम वर्षा वाले क्षेत्रों में इसकी खेती की जाती है। बरसात को छोड़कर आप किसी भी मौसम में इसके पौधे या बीज का रोपण कर सकते हैं। इसके लिए तापमान 20 से 30 डिग्री सेल्सियस अच्छा होता है। मार्च से जुलाई के बीच में इसके पौधे और बीज लगाने के लिए बेहतर समय होता है। बहुत ज्यादा पानी के साथ ही ज्यादा सूर्य के प्रकाश से भी इसकी खेती प्रभावित होती है। सूरज की रोशनी से इसे बचाने के लिए छायादार स्थान पर इसकी खेती की जाती है।

इसकी की खेती करने के लिए किसी खास प्रकार की मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती। रेतीली दोमट मिट्टी से लेकर साधारण दोमट मिट्टी समेत विभिन्न प्रकार की मिट्टियों में भी इसकी खेती को अच्छी तरह से किया जाता है। हालांकि अच्छी जीवाश्म और जल निकासी वाली इसके लिए बेहतर मानी जाती है। इसकी खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान भी काफी मायने रखता है। जिस मिट्टी पर आप ड्रैगन फ्रूट की खेती करना चाहते हैं, उसका पीएच मान 5.5 से 7 तक होना अच्छा माना जाता है।

ड्रैगन फ्रूट के बीज और पौधे

इसकी खेती करने से पहले यह हमेशा ध्यान रखें कि आप जिन भी बीज और पौधे का रोपण कर रहे हैं उनकी किस्म अच्छी होनी चाहिए। बीज की अच्छी क्वालिटी होने पर आपको परिणाम भी अच्छे मिलेंगे। ग्राफ्टेड बीज सबसे बेहतर होते हैं। इसके अलावा ग्राफ्टेड प्लांट हो तो वे ज्यादा बेहतर होंगे, क्योंकि इसे तैयार होने में बीज की अपेक्षा कम समय लगता है।

Planting Dragon Fruit: बुवाई के समय पौधों के बीच की दूरी 2 मीटर रखें। बीजों या पौधे का रोपण करने के लिए 60 सेंटीमीटर गहरा और 60 सेंटीमीटर चौड़ा गड्ढा खोदें। इसके बाद इन गड्ढों में बीज/पौधे का रोपण करें। एक बार पौधे या बीज का रोपण होने के बाद आप को नियमित रूप से पौधों की देखरेख करनी होगी। महीने में एक बार इसे सिंचाई की आवश्यकता होती है। इसके पौधे का तना कमजोर होता है। इसलिए सीमेंट के खंभे या फिर लकड़ी की सहायता से आप इसे ऊपर की तरफ रस्सी से बांध सकते हैं। 12 से 15 महीने के बाद आपका प्लांट तैयार हो जाता है। 2 साल के बाद इसका का पौधा फल देना शुरू कर देता है, लेकिन इस समय यह कम फल देता है। तीसरे साल इसका प्रोडक्शन बढ़ जाता है।

प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना 2022

जैसा कि हम सभी लोग जानते है कि 2020 में आयी कोविड-19 महामारी के कारण हुए लॉकडाउन में सबसे ज्यादा मार झेलनी पड़ी तो वह था, गरीब। भारत में गरीबी की एक बड़ी आबादी ऐसी है, जो दिन में जब कमाने जाते कमाने के लिए कहां और कब तक जाना है? है, तभी शाम को अपना पेट भर पाते है। इन्ही श्रेणी में रेहड़ी व पटरी वाले भी आते है। जो अपने छोटे छोटे व्यवसाय सड़क किनारे लगाते है। उसी से अपने परिवार का भरण पोषण करते है।

प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना

  • अब आप एक नए पेज पर आ जायेंगे, यहां पर आपको पीएम स्वनिधि योजना आवेदन फॉर्म पीडीएफ की लिंक दिखाई देगी, आप यहां से स्वनिधि योजना आवेदन फॉर्म डाउनलोड कर सकते है।

स्वनिधि योजना में बिना गारंटी मिलता ऋण

स्वनिधि योजना में बैंक द्वारा शरुआत में मात्र 10000/- रुपये दिए जाते है, इसके लिए ग्राहक से कोई गारंटी की आवश्यकता नहीं है। यदि आप अपने बिजनेस मॉडल से बैंक को विश्वास दिला पाते है, कि आप बैंक से दिया गया यह पैसा कहां खर्च करने वाले है, आपकी इनकम कैसे होने वाली है। आप बैंक का ये पैसा समय से वापस कर पायेंगें। ऐसे में यदि बैंक आपको ऋण देने के लिए सहमत हो जाता है, तो सबसे पहले आपको 10000/- का बैंक ऋण दिया जायेगा।

यदि आपका पुनर्भुगतान (Repayment) सही रहता है, तो बैंक आपको दूसरी बार 20000/- रूपये तक का लोन दे सकता है। इसी प्रकार यदि आप दूसरी बार भी समय से जमा करते है, तो आपको यह राशि 30000/- तक बढ़ाई जा सकती है। इसीलिए आपको सलाह दी जाती है, कि यदि आपने किसी कार्य के लिए बैंक कमाने के लिए कहां और कब तक जाना है? से ऋण लिया है, तो आपको इसे समय से चूका लेना चाहिए। अन्यथा भविष्य में बैंक आपको ऋण नहीं देगी। लेकिन यदि आप समय से जमा करते है, तो बैंक में आपकी साख बनी रहेगी। भविष्य में आपको ऋण लेने में समस्या नहीं आएगी।

Svanidhi Yojana helpline Number

प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वनिधि योजना संबधी अधिक जानकारी के लिए टोल फ्री नंबर पर संपर्क कर सकते हैं। स्वनिधि के सम्बन्ध में अधिक जानकारी के लिए आपको इसकी आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा। जहां आपको Contact Us विकल्प का चयन करना होगा। जिस पर क्लिक करके अपने राज्य से संबधित अधिकारी से संपर्क कर जानकारी लें सकते है। इसके साथ ही अपना सवाल या शिकायत के लिए निचे दिए नंबर पर संपर्क कर सकते है।

Helpline number / Toll free number – 01123062850

Email id – [email protected]

FAQ

प्रश्न 1 – प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना क्या है ?

उत्तर – स्वनिधि योजना जिसे पी एम स्ट्रीट वेंडर्स स्कीम भी कहा जाता है। केंद्र सरकार के आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा रेहड़ी व पटरी (स्ट्रीट वेंडर्स) लगाने वाले छोटा-2 व्यवसाय करने वाले लोगो को सहायता उपलब्ध करवाने के लिए शरू की गयी है।

प्रश्न 2 – रेहड़ी पटरी लोन कैसे मिलेगा?

उत्तर – आप अपने नजदीकी किसी भी सरकारी बैंक से शुरुआत में 10000 रूपये तक का रेहड़ी पटरी लोन आसानी से ले सकते है।

जल, सफाई एवं स्वच्छता

A girl cups her hands under a tap and drinks clean water

खुले में शौच को समाप्त करने की दिशा में भारत में तेजी से प्रगति हो रही है जो पानी, स्वच्छता और स्वच्छता (डब्ल्यूएएसएच) में सुधार करने में बहुत बड़ा प्रभाव डाल रहा है। कुछ साल पहले, 2015 में, लगभग 568 मिलियन लोगों की भारत की लगभग आधी आबादी को शौचालयों तक पहुंच नहीं होने के कारण खेतों, जंगलों, पानी के निकायों, या अन्य सार्वजनिक स्थानों पर शौच करना पड़ता था। अकेले भारत में दक्षिण एशिया के 90 प्रतिशत और दुनिया के 1.2 बिलियन लोगों में से आधे लोग खुले में शौच करते हैं। 2019 तक, नवीनतम अनुमानों के अनुसार, लगभग शौचालय की सुविधा से वंचित लोगों की संख्या घट कर 450 मिलियन की कमी आई है। यह उपलब्धि प्रधानमंत्री की अगुवाई में कमाने के लिए कहां और कब तक जाना है? चलाए जा रहे स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) (स्वच्छ भारत अभियान) के संभव हुआ है। यूनिसेफ स्वच्छ भारत मिशन का एक गौरवपूर्ण भागीदार रहा है। भारत 2019 के अंत तक देश में खुले में शौच को समाप्त करने की उम्मीद करता है। आगे बढ़ते हुए, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि हर समय, सभी के द्वारा शौचालयों का उपयोग निरंतर हो। शहरों में या ग्रामीण इलाकों में, ऐतिहासिक रूप से भी साक्ष्य मौजूद है कि खुले में सोच करने का प्रचालन गरीब नागरिकों में देखा गया। इस अभ्यास से पर्यावरण में प्रतिदिन लाखों टन मल निकलता है, जिससे भारत के बच्चे प्रत्यक्ष रूप से संपर्क में आते हैं। इसकी वजह कमाने के लिए कहां और कब तक जाना है? से डायरिया और जलजनित बीमारियों के फैलने का खतरा तथा घरों और समुदायों में नियमित रूप से हैंडवॉशिंग और पानी सूक्ष्मजीव (microbial) से दूषित का भी ख़तरा बढ़ जाता है। इसकी वजह से भारत में पांच कमाने के लिए कहां और कब तक जाना है? साल से कम उम्र के लगभग 100,000 बच्चों की डाएरिया से मौत हो गई थी।

अब और इंतजार नहीं: कंचनमणि से प्यार करने की सजा श्रीधर को भी मिली, अपनों ने ही दोनों को छला

कल आधी रात के बाद बारिश के तेवर थोड़े ढीले हुए थे। सुबह की धूप बहुत अच्छी लग रही थी, एकदम नई-नई सी। आसमान धुलकर एकदम चमक रहा था। सूरज भी कई दिनों बाद झांका था। धूप का एक टुकड़ा खिड़की से कूदकर पलंग पर उछला तो वो धूप को ओढ़कर बिस्तर पर पैर फैला कर बैठ गईं।

वो यानी कंचन मणि… शहर के जाने माने एकमात्र गर्ल्स कॉलेज के हॉस्टल की कड़क वॉर्डन। पिछले बीस वर्षों से यही नाम सभी की जुबान पर चढ़ा हुआ था।

दस-बीस बार पढ़ चुकने के बावजूद अपना आई पैड दोबारा खोलकर पिता का मेल पढ़ा। फिर न जाने क्या सोचकर उन्होंने आई पैड को बंद किया और छोटे तौलिए से शीशे और खिड़की की सलाखें साफ कीं। सभी पर बरसात की नमी जम गयी थी।

कीमतों का अनुमान कैसे लगाया जाता है

अधिकांश शहरों में, आपके द्वारा अपनी राइड की पुष्टि करने से पहले ही आपके किराये की गणना कर ली जाती है। अन्य शहरों में, आपको किराये की अनुमानित रेंज* दिखाई देगी। आपकी कीमत को प्रभावित कर सकने वाले कुछ शुल्क और कारक :

*अपने शहर में किराये से सम्बंधित शर्तें देखें

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