ट्रेडर्स के लिए शुरुआती गाइड

मुद्रा पहलू

मुद्रा पहलू
क्रिप्टोक्यूरेंसी के उपयोगकर्ताओं के पास उनकी राजनीतिक स्वतंत्रता और अनिवार्य रूप से अभेद्य डेटा सुरक्षा के कारण विशेषाधिकार हैं जो सामान्य मुद्रा उपयोगकर्ताओं के लिए उपयोगी नहीं थे। जहां क्रिप्टोकुरेंसी के प्रकार की पूंजी उपयोग की जाती है वहां एक सरकार अपने अधिकार क्षेत्र में स्थित एक चेकिंग खाते को आसानी से फ्रीज या जब्त कर सकती है ; यह समान करने की कोशिश करना बहुत चुनौतीपूर्ण है।इसके अतिरिक्त , नियामक अधिकारियों की एक बड़ी मात्रा इस मुद्रा के उपयोग के संदेह में है। क्योकि क्रिप्टोकरेंसी आम तौर पर गुप्त लेनदेन या बेहतर ब्लैक मार्केट लेनदेन की सुविधा प्रदान करती है। पारंपरिक भुगतान गेटवे के विपरीत , पेपाल की तरह , कई क्रिप्टोकरेंसी में धनवापसी कोई अंतर्निहित नहीं है , हालांकि कुछ नए क्रिप्टोकरेंसी ने इस सुविधा को पेश किया है।

Bangladeh Crisis: बांग्लादेश बैंक

क्रिप्टोकुरेंसी और संघीय मुद्रा में क्या अंतर है?

हिंदी

क्रिप्टोक्यूरेंसी मुद्रा ( संपत्ति ) का एक डिजिटल या आभासी रूप है , जो क्रिप्टोग्राफी से घिरा हुआ एक नेटवर्क है जो बड़ी संख्या में कंप्यूटरों में वितरित किया जाता है जिसे मुद्रा पहलू नकली या दोहरा खर्च करना लगभग असंभव हो जाता है। मूल रूप से , यह एक ऐसी व्यवस्था है जो ऑनलाइन सुरक्षित भुगतान की अनुमति देती है जिसे आभासी टोकन के संदर्भ में दर्शाया गया है।

जो ब्लॉकचेन तकनीक का समर्थन करते हैं यह उसी विकेंद्रीकृत नेटवर्क पर काम करता है , सूचना को एक से अधिक तरीके से रिकॉर्ड करने की एक प्रणाली है , जो सिस्टम को बदलना या धोखा देना बहुत मुश्किल या असंभव बनाती है। यह संरचना उन्हें सरकारों और नियामक प्राधिकरणों के नियंत्रण से बाहर रहनेहोने की अनुमति देती है।

क्रिप्टोकरेंसी भी किसी भी अन्य संघीय मुद्राओं की तरह ही इकाइयों के में मूल्य मे होता है। उदाहरण के लिए , जैसे कि आपको 50 रुपये या $50 मिले हैं। हालांकि , जैसे 50 रुपये और $50 का मूल्य अलग है उसी तरह आप यह कह सकते हैं कि आपके पास केवल 50 बिटकॉइन हैं , औरवैसे ही 50 बिटकॉइन के विनिमय का मूल्य भी अलग होगा।

वर्चुअल बटुए की चुनौती

बिटक्वाइन्स

बिटक्वाइन्स के फ़ायदे तो बहुत हैं लेकिन नुकसान भी कम नहीं.

अगर आप अपने बैंक पर भरोसा नहीं करते तो अब आप अपनी दौलत बिट्क्वाइन नाम की वर्चुअल मुद्रा में जमा कर सकते हैं.

यूरोप में ऐसा हो भी मुद्रा पहलू रहा है. अब तो यूरोपीय केंद्रीय बैंक को भी ये फ़िक्र सता रही है कि कहीं बिटक्वाइन बैंकों पर लोगों के भरोसे पर कहीं सेंध ना लगा दे.

बिटक्वाइन्स कंप्यूटर से संबंधित कुछ बेहद जटिल काम करने के बदले कमाई जाती हैं.

पहले इन्हें उन लोगों को दिया गया था जिन्होंने ये सिस्टम स्थापित करने में योगदान दिया था.

लेकिन अब लोग बिटक्वाइन्स ख़रीद कर इसे एक वर्चुअल बटुए में रख सकते हैं.

फ़ायदे और मुद्रा पहलू नुकसान

बिटक्वाइन्स का इस्तेमाल करने वाले इसकी ख़ूब तारीफ़ करते हैं.

ऐसे ही एक व्यक्ति ट्रेस मायेर ने बीबीसी को बताया, "मुझे बिटक्वाइन्स की ये बात अच्छी लगती है कि आप इन्हें दुनिया में कहीं भी, किसी को भी और किसी भी वक़्त भेज सकते हैं. और इन्हें ना तो ज़ब्त किया जा सकता है और ना ही किसी तरह रोका जा सकता है. "

ज़ाहिर है फ़ायदे हैं तभी तो प्रचलन बढ़ रहा है लेकिन बिटक्वाइन्स के कुछ ख़तरे भी हैं.

इस नए प्रचलन पर नज़र रखने वाले डेनियल नॉउल्स कहते हैं कि बिटक्वाइन्स की कीमत में हर समय उतार-चढ़ाव आता रहता है.

डेनियन नॉल्स ने बीबीसी को बताया, "आप ये कतई नहीं चाहेंगे कि आपकी जेब में पड़ा दस पाउंड का नोट कल बीस पाउंड हो जाए और परसों पांच पाउंड ही रह जाए. ये बहुत अस्थिर है."

भविष्य

अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि इस वर्चुअल मुद्रा का भविष्य क्या है. कुछ जानकार मानते हैं कि बिटक्वाइन वर्चुअल मुद्रा की दिशा में पहला क़दम है.

हाइपेरोन एडवाइज़री से जुड़े डेव बर्च इस के भविष्य के बारे में आश्वस्त हैं.

डेव बर्च कहते हैं, "क्या इसका अर्थ ये है कि लोग भविष्य में पाउंड के बदले बिटक्वाइन्स का इस्तेमाल करेंगे - मुझे इसपर यक़ीन नहीं है. लेकिन क्या लोग बिटक्वाइन्स का प्रयोग करेंगे - शायद हां. नई अर्थव्यवस्था को नए किस्म का पैसा चाहिए जैसेकि औद्योगिक क्रांति को सैंकड़ों वर्ष पहले मौजूदा मुद्रा की ज़रुरत पड़ी थी."

बिटक्वाइन्स का एक दूसरा पहलू भी है. ऐसी मुद्रा से ड्रग्स और हथियार भी ख़रीदे जा सकते हैं. और मुद्रा पहलमुद्रा पहलू ू हैकर्स की भी बिटक्वाइन्स एकाउंट पर नज़र है. हैरानगी की बात नहीं है कि मुद्रा पहलू अमरीका और यूरोप में सरकारें इन्हें रेग्यूलेट करने की बात कर रही है. लेकिन यूरोप में जिनका भरोसा बैंकों से उठ गया है वो शायद अब वर्चुअल मुद्रा को ही तरजीह देंगे.

रुपये में कमजोरी से गिरा विदेशी मुद्रा भंडार, एक्सचेंज रेट से 67 प्रतिशत तक आई गिरावट: RBI

रुपये में कमजोरी से गिरा विदेशी मुद्रा भंडार, एक्सचेंज रेट से 67 प्रतिशत तक आई गिरावट: RBI

TV9 Bharatvarsh | Edited By: सौरभ शर्मा

Updated on: Sep 30, 2022 | 2:41 PM

चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से विदेशी मुद्रा भंडार में हुई आई कमी की मुख्य वजह एक्सचेंज रेट में हुआ बदलाव है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने पॉलिसी समीक्षा में कहा कि रिजर्व में आई कुल गिरावट का 67 प्रतिशत, एक्सचेंज रेट में हुए बदलाव से देखने को मिला है. उन्होंने कहा कि अमेरिकी मुद्रा के मजबूत होने तथा अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल के बढ़ने से एक्सचेंज रेट में बदलाव देखने को मिला. गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में तेज गिरावट हुई है. वहीं इस दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में तेज गिरावट देखने को मिली है. भंडार दो अप्रैल को 606.475 अरब अमेरिकी डॉलर था, जबकि 23 सितंबर को यह घटकर 537.5 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया. यह लगातार आठवां सप्ताह था, जब विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट हुई.

14 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ा डॉलर इंडेक्स

चालू वित्त वर्ष में 28 सितंबर तक छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर में 14.5 प्रतिशत की तेजी आई है. ऐसे में दुनिया भर के करंसी मुद्रा पहलू मार्केट में भारी उथल-पुथल मची हुई है. दास ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा जारी करते हुए कहा कि ज्यादातर दूसरे देशों की तुलना में भारतीय रुपये की गति व्यवस्थित रही है. उन्होंने कहा कि समीक्षाधीन अवधि में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में 7.4 प्रतिशत की गिरावट आई, जो अन्य करंसी के मुकाबले काफी बेहतर है.दास ने यह भी कहा कि एक स्थिर विनिमय दर वित्तीय और व्यापक आर्थिक स्थिरता तथा बाजार के विश्वास का प्रतीक है. उन्होंने कहा कि रुपया एक स्वतंत्र रूप से छोड़ी गई मुद्रा है और इसकी विनिमय दर बाजार द्वारा निर्धारित होती है. उन्होंने कहा, ”आरबीआई ने (रुपये के लिए) कोई निश्चित विनिमय दर तय नहीं की है. वह अत्यधिक अस्थिरता को रोकने के लिए बाजार में हस्तक्षेप करता है.” दास ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार की पर्याप्तता के पहलू को हमेशा ध्यान में रखा जाता है और यह मजबूत बना हुआ है. उनके अनुसार 23 सितंबर, 2022 तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 537.5 अरब डॉलर था.

डिजिटल मुद्रा और क्रिप्टोकरेंसी पर RBI का मंथन, केंद्रीय बैंक ने कही ये बड़ी बात

डिजिटल मुद्रा और क्रिप्टोकरेंसी पर RBI का मंथन, केंद्रीय बैंक ने कही ये बड़ी बात

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) और निजी क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े तमाम पहलुओं पर चर्चा की गई है। बता दें कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी के नियमन के लिए कानून लाने की तैयारी में है।

RBI ने क्या कहा: आरबीआई के बयान के मुताबिक बैंक नोट की परिभाषा में संशोधन के लिए अपने गठन से संबंधित आरबीआई अधिनियम 1934 में संशोधन का प्रस्ताव सरकार के समक्ष रखा है। इसमें डिजिटल मुद्राओं को भी शामिल करने की योजना है। रिजर्व बैंक क्रिप्टोकरेंसी के खिलाफ कई बार राय व्यक्त कर चुका है। वह इसे देश की वित्तीय स्थिरता के लिए गंभीर मानता मुद्रा पहलू है। इसी वजह से वह आने वाले समय में अपने नियमन में एक डिजिटल मुद्रा सीबीडीसी लाने की तैयारी में है।

विस्तार

बांग्लादेश मे विदेशी मुद्रा का संकट गंभीर होता जा रहा है। अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि अगर ये सिलसिला जारी रहा, तो जल्द ही बांग्लादेश बड़े संकट में फंस सकता है। उनके मुताबिक आयात की बढ़ी लागत, निर्यात से मुद्रा पहलू घटी आमदनी, डॉलर के मुकाबले बांग्लादेशी मुद्रा टका की कीमत में गिरावट और कोविड-19 महामारी के दौरान टाले गए भुगतान की अब आई देनदारी का संकट को गहराने में योगदान रहा है।

ताजा आंकड़ों के मुताबिक 19 अक्तूबर को खत्म हुए हफ्ते में बांग्लादेश का विदेशी मद्रा भंडार 35.98 बिलियन डॉलर रह गया, जबकि साल भर पहले यह 46.19 बिलियन डॉलर था। अगस्त 20121 में बांग्लादेश के विदेशी मुद्रा भंडार में 48 बिलियन डॉलर से ज्यादा की रकम थी।

अर्थशास्त्रियों के मुताबिक सबसे अधिक चिंता की बात आयात की लागत का बढ़ना और निर्यात से आमदनी घटना है। इन दोनों वजहों से इस वित्त वर्ष में बांग्लादेश के विदेशी मुद्रा भंडार में 4.5 बिलियन डॉलर की गिरावट आई है। यह बांग्लादेश जैसे देश के लिए गहरी चिंता का विषय है कि जिसका विदेशी मुद्रा भंडार कोविड लॉकडाउन के समय भी बढ़ रहा था। उस दौर में निर्यात में गिरावट आई थी, लेकिन आयात भी घटे थे। साथ ही विदेश में रहने वाले बांग्लादेशियों ने मुद्रा पहलू अपेक्षाकृत अधिक रकम वापस भेजी थी। इसके अलावा उस दौरान आयात बिल और कर्ज की किस्तों का भुगतान भी रुक गया था। अर्थशास्त्रियों के मुताबिक इससे विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा था, लेकिन देनदारी भी बढ़ गई थी। अब ये पहलू बांग्लादेश के लिए भारी पड़ रहा है।

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