विदेशी मुद्रा व्यापार का परिचय

एएसआई संकेतक

एएसआई संकेतक
श्री सूर्य पहाड़ में तीन स्तूप परिसर का दृश्य

लालगंज में बालू लदा ट्रक धराया

लालगंज पुलिस ने बालू लदे ट्रक के साथ चालक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। लालगंज थाना के एएसआई वशिष्ठ राय ने यूसुफपुर मोड़ के समीप.

लालगंज में बालू लदा ट्रक धराया

लालगंज। संवाद सूत्र

लालगंज पुलिस ने बालू लदे ट्रक के साथ चालक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। लालगंज थाना के एएसआई वशिष्ठ राय ने यूसुफपुर मोड़ के समीप ट्रक पकड़ा जिसपर लाल रंग का बालू लदा था। पुलिस ट्रक चालक को गिरफ्तार कर थाना लायी।गिरफ्तार ट्रक चालक महुआ थाना के लगुरांव गांव का राजेश राय है। ट्रक चालक और ट्रक मालिक के खिलाफ अवैध बालू ढोने की प्राथमिकी दर्ज की गयी।

KORBA:सड़क किनारे खड़े भारी वाहनों पर कार्यवाही जारी,एसपी ने की यह अपील….

कोरबा(खटपट न्यूज़)। सड़क के किनारे बेतरतीब ढंग से और बिना कोई संकेतक उपयोग किए खड़े किए जाने वाले भारी वाहनों के कारण बढ़ते हादसों के मद्देनजर यातायात अमले के द्वारा ऐसे वाहनों पर कार्रवाई की जा रही है। जिला पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह के निर्देश एवं मार्गदर्शन में सोमवार से यातायात पुलिस के द्वारा जिले भर में अभियान शुरू किया जाएगा। इस जांच कार्यवाही में यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले कार्यवाही की जद में आएंगे।

इससे पहले यातायात अमला मुस्तैद होकर उन वाहनों पर कार्रवाई कर रहा है जिन्हें लापरवाही पूर्वक सड़क किनारे खड़ा कर दिया जाता है।यातायात थाना में पदस्थ एएसआई मनोज राठौर ने बताया कि 25 ऐसे ट्रक एवं भारी वाहनों को धारा 283 मोटर व्हीकल एक्ट के तहत कार्रवाई करते हुए संबंधित थाना परिसर में खड़ा कराया गया है। थाना उरगा, बालको, कटघोरा और पाली में कुल 25 वाहनों पर मोटर व्हीकल एक्ट के तहत कार्यवाही कराई गई है। एसआई मनोज एएसआई संकेतक राठौर ने बताया कि पुलिस अधीक्षक के निर्देश व मार्गदर्शन में यातायात नियमों का पालन सुनिश्चित कराया जा रहा है। नियमों का उल्लंघन कर वाहन चलाने वालों के विरुद्ध कार्यवाही लगातार जारी रहेगी।

0 नियमों का पालन कर स्वयं और दूसरों का जीवन सुरक्षित करें: एसपी
जिला पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह ने जिले की जनता से अपील की है कि वे वाहनों को चलाते समय यातायात के नियमों का पूर्ण रूप से पालन करें। नियमों का पालन कर ले न सिर्फ अपना बल्कि दूसरों का भी जीवन सुरक्षित करने में सहयोग करेंगे। एसपी ने ट्रांसपोर्टरों एवं ट्रांसपोर्ट कंपनियों के संचालकों से एएसआई संकेतक कहा है कि वे अपने चालक एवं हेल्पर को सख्त निर्देश दें कि वाहन चलाते समय नशीले पदार्थों का उपयोग बिल्कुल ना करें। ओवरस्पीड वाहनों को ना चलाएं तथा कहीं भी ब्रेक डाउन होने पर वाहन को वहां से हटवाने और शीघ्र सुधार की व्यवस्था सुनिश्चित कराएं। भारी वाहनों को सड़क के किनारे बेतरतीब ना खड़ा करें। अगर ऐसी कोई आपात स्थिति निर्मित हो तो संकेतक आदि का उपयोग अवश्य करें ताकि दूसरों का जीवन सुरक्षित रह सके। एसपी ने अभिभावकों से भी अपील की है कि वे अपने नाबालिग बच्चों को चलाने के लिए वाहन बिल्कुल ना दें। स्कूल प्रबंधनों को भी कहा गया है कि वे विद्यालय में दो पहिया वाहन लेकर आने वाले बच्चों पर नजर रखें एवं इस संबंध में अभिभावकों को निर्देश भी जारी करें।

जालंधर में रिश्वत के खिलाफ विजिलेंस का 'डबल एक्शन', नकोदर में ASI व गोराया में पटवारी गिरफ्तार

विजिलेंस की टीम ने नकोजर में एएसआई व गोराया में पटवारी को रिश्वत लेते काबू किया।

जालंधर, जेएनएन। जिले में विजिलेंस की टीम ने रिश्वत के खिलाफ कार्रवाई करते हुए एक एएसआई व एक पटवारी को गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी अलग-अलग मामलों में की गई है। नकोदर के देहात थाने में तैनात एक एएसआई को विजिलेंस की टीम ने 5 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए काबू किया हैं। वहीं गोराया के नजदीकी गांव डलेवाल में एक पटवारी को दस हजार की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया।

पहले मामले में नकोदर देहात थाने में तैनात एएसआई मल्खराज ने लड़ाई-झगड़े के मामले को ठंडे बस्ते में डालने के बदले एक पक्ष से 20 हजार रुपये की रिश्वत मांगी। इस राशि में से जब वह पांच हजार रुपये की पहली किस्त ले रहा था तो विजिलेंस की टीम के गुप्त सूचना के आधार पर कार्रवाई करते हुए उसे काबू कर लिया। यह कार्रवाई डीएसपी दलबीर सिंह की अगुआई में की गई। गिरफ्तार एएसआई से पूछताछ की जा रही है।

कपूरथला रोड पर एलईडी लाइट्स के लिए सिर्फ खंभे हैं, लाइट नहीं l (फोटो फाइल)

गोराया में पटवारी गिरफ्तार

उधर, विजिलेंस की टीम ने गोराया में भी रिश्वत लेते हुए एक पटवारी को गिरफ्तार किया। आरोपित पटवारी विपन कुमार ने इंतकाल चढ़ाने के बदले गांव डलेवाल के चरणजीत सिंह से दस हजार रुपए कि मांग की। जिसकी शिकायत मिलने पर विजलेंस टीम ने उसे ट्रैप लगा गिरफ्तार कर लिया। चरणजीत सिंह ने बताया कि वह खेतीवाड़ी व लेबर का काम करता है। उसकी बहन जोगिंदर कोर की शादी गाव दंडबाढ़ के अवतार सिंह से हुई थी। बहन ने अपनी वसीयत उसके बेटों के नाम कर दी थी। बहन की मौत 28 मई 2020 को हो गई । चरणजीत सिंह ने बताया के पटवारी विपन कुमार ने डलेवाल में पड़ती जमीन का इंतकाल दर्ज कर दिया, लेकिन गोराया वाली जमीन का इंतकाल दर्ज नहीं किया। वह पटवारी से मिला तो उनसे दस हजार की मांग की। उसने इसकी शिकायत विजलेंस जालंधर को कर दी। इस मौके डीएसपी दलवीर सिंह एएसआई संकेतक ने बताया के पटवारी विपिन कुमार को 10 हजार रिश्वत के साथ रंगे हाथो पकड़ लिया ।

श्री सूर्य पहाड़ (असम)

विशाल ब्रह्मपुत्र नदी के तट पर स्थित, श्री सूर्य पहाड़, असम के सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक विरासत स्थलों में से एक है। असम के गोलपाड़ा शहर से लगभग 12 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित, यह स्थल एक पहाड़ी इलाके में स्थित है, जिसमें कई शैलकर्तित शिवलिंग, मन्नत स्तूप एएसआई संकेतक और हिंदू, बौद्ध और जैन धर्मों के देवी-देवताओं की नक्काशीदार आकृतियाँ हैं। 'सूर्य की पवित्र पहाड़ी' के रूप में भी प्रसिद्ध, श्री सूर्य पहाड़, यद्यपि अब खंडहर में तब्दील हो चुका है, फिर भी यह प्राचीन असम के सांस्कृतिक और धार्मिक इतिहास में गहन अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।

Gateway to Sri Surya Pahari

श्री सूर्य पहाड़ का प्रवेश द्वार

A young Maharaja Duleep Singh

श्री सूर्य पहाड़ में जैन परिसर का दृश्य

सूर्य पहाड़ नाम इस बात का संकेतक है कि शायद यह स्थल सूर्य देव की पूजा करने की प्रथा से जुड़ा था। सूर्य देव एएसआई संकेतक की उपासना असमिया लोगों के धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन में एक प्रमुख स्थान रखती है। सूर्य पहाड़ प्राचीन असम में मौजूद दो सूर्य मंदिरों में से एक है और इसका उल्लेख ‘कालिका पुराण’ में मिलता है। इस स्थल पर की गई पुरातात्विक खुदाई में विभिन्न युगों की कलाकृतियाँ प्राप्त हुई हैं, जो ईसा की 5वीं से 12वीं शताब्दी तक की हैं। यहाँ मिली पकी मिट्टी (टेराकोटा) और पत्थर की मूर्तियाँ हिंदू, जैन और बौद्ध धर्मों के संगम को दर्शाती हैं। ब्रह्मपुत्र नदी के तट पर इसकी सामरिक स्थिति के कारण, यह माना जाता है कि यह स्थल अहोम युग से पहले एक समृद्ध व्यापारिक और प्रशासनिक केंद्र के रूप में कार्य करता था। विभिन्न क्षेत्रों के यात्री और व्यापारी यहाँ एकत्रित हुआ करते थे, जिससे यह विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के मिलन का केंद्र बन गया। चीनी यात्री ह्वेन त्सांग के वृत्तांत बताते हैं कि प्रागज्योतिषपुर (महाभारत में वर्णित) की प्राचीन भूमि श्री सूर्य पहाड़ के वर्तमान क्षेत्र से संबंधित है।

पुरातत्वविदों ने पहाड़ियों के चारों ओर बिखरे हुए विभिन्न आकृतियों और आकारों के कई लिंगों की खोज की है। एक किंवदंती के अनुसार, ऋषि वेद व्यास ने दूसरी काशी बनाने के लिए इस स्थल पर 99,999 शिवलिंग स्थापित किए थे। वर्तमान काशी (वाराणसी) में 100,000 लिंग स्थापित हैं। आगे की खुदाई में पहाड़ियों एएसआई संकेतक के आसपास घरों के निशान मिले हैं। क्षेत्र के भौगोलिक और मौसम संबंधी पहलुओं को ध्यान में एएसआई संकेतक रखते हुए, इन घरों का ईंटों से सावधानीपूर्वक निर्माण और कलात्मक ढंग से अलंकरण किया गया था। इन खोजों द्वारा, प्राचीन असम में सूर्य पहाड़ के आसपास एक संपन्न एवं उन्नतिशील सभ्यता के अस्तित्व के बारे में प्रचलित विश्वास और सुदृढ़ हो जाता है।

View of the Jain complex at Sri Surya Pahari

श्री सूर्य पहाड़ में तीन स्तूप परिसर का दृश्य

View of the Three Stupa Complex in Sri Surya Pahari

ईंट मंदिर परिसर के अवशेष

श्री सूर्य पहाड़ की तलहटी में, हिंदू देवी-देवताओं की शैल नक्काशी देखी जा सकती है। इनमें भगवान शिव और भगवान विष्णु जैसे हिंदू देवताओं की मूर्तियों वाली पट्टियाँ (पैनल) हैं। बारह भुजाओं वाले भगवान विष्णु, जिनके सिर पर सात फनों वाला छत्र है, बहुत प्रमुख हैं। वर्तमान में दसभुज दुर्गा के रूप में पूजे जाने वाले ये ईश्वर, कमल के पुष्प पर खड़े हैं। यद्यपि, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने इन्हें एक पुरुष देवता के रूप में चिन्हित किया है, लेकिन अन्य विद्वान इन्हें माँ मन्शा का रूप मानते हैं। आगे दक्षिण में, ग्रेनाइट पत्थरों को काटकर बनाए गए विभिन्न आकारों के 25 मन्नत स्तूप हैं। यहाँ बौद्ध धर्म का प्रभाव सुस्पष्ट है, और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अनुसार, नक्काशी का आकार इंगित करता है कि वे बौद्ध धर्म के हीनयान चरण के दौरान बनाए गए थे। स्थल पर प्रसिद्ध जैन धर्म से एएसआई संकेतक संबंधित विभिन्न प्रकार की मूर्तियाँ और शिलालेख भी पाए गए हैं, जिनमें 9वीं शताब्दी ईसा पूर्व के प्रथम जैन तीर्थंकर- आदिनाथ की मूर्ती भी शामिल है। ये जैन अवशेष उत्तर-पूर्व भारत में जैन धर्म के अस्तित्व का प्रमाण देते हैं।

वर्तमान में श्री सूर्य मंदिर में रखी, सूर्य चक्र नामक एक नक्काशीदार पत्थर की पटिया, पुराने सूर्य मंदिर की छत का टूटा हुआ हिस्सा मानी जाती है। पटिया के आंतरिक घेरे के अंदर बनी केंद्रीय आकृति को प्रजापति (प्राचीन भारत के वैदिक काल के निर्माण देवता) के रूप में पहचाना जाता है। पटिया का बाहरी घेरा बारह कमल की पंखुड़ियों एएसआई संकेतक के रूप में है। प्रत्येक कमल की पंखुड़ी में विभिन्न सौर देवताओं की एक बैठी हुई आकृति है, जिन्हें आदित्य के नाम से जाना जाता है। सूर्य चक्र के समान ही चंद्र चक्र है, जो अब खंडहर हो चुका है।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और असम पुरातत्व विभाग द्वारा श्री सूर्य पहाड़ में की गई खुदाई में ईसा की 5वीं से 12वीं शताब्दी तक कई कलाकृतियों पाई गईं हैं। स्थल पर एक संग्रहालय है, जिसमें खुदाई में प्राप्त अधिकांश पुरावशेषों को प्रदर्शित किया गया है, जैसे पत्थर की गजसिम्हा और महिषासुरमर्दिनी की मूर्तियाँ, एक शेर का सुसज्जित सिर, एक साँचें में ढली हुई मछली, मानव आकृतियों से युक्त फ़लक, और पौराणिक जानवर, कीर्तिमुख, फूलदार और ज्यामितीय डिज़ाइनों से सजी टाइलें, इत्यादि। श्री सूर्य पहाड़ असम के समृद्ध और विभिन्न परतों वाले सांस्कृतिक इतिहास का साक्षी है, और यह उम्मीद की जाती है कि आगे की खुदाई में कई और कलाकृतियाँ प्राप्त की जाएँगी।

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