विदेशी मुद्रा रोष

The country’s foreign exchange reserves at a record high of $ 434 billion: देश का विदेशी मुद्रा भंडार 434 अरब डॉलर की रिकॉर्ड ऊंचाई पर
मुंबई। देश का विदेशी मुद्रा भंडार एक अक्टूबर को समाप्त सप्ताह के दौरान बढ़ कर 434.60 अरब डॉलर की नई ऊंचाई पर पहुंच गया। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति की द्वैमासिक समीक्षा की घोषणा करते हुए कहा कि एक अक्टूबर को विदेशी विनिमय भंडार ने ऊंचाई का नया डॉलर कायम किया। अप्रैल के शुरू से एक अप्रैल की अवधि में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 21.7 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा रोष की वृद्धि हुई है। केंद्रीय बैंक के ताजा साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार 27 सितंबर को समाप्त सप्ताह के बाद विदेशी मुद्रा भंडार 5.022 अरब डॉलर बढ़ कर 433.594 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया।
इससे पिछले सप्ताह भंडार 38.8 करोड़ डॉलर घट कर 428.572 अरब डॉलर पर आ गया था। सप्ताह के दौरान ज्यादातर वृद्धि विदेशी मुद्रा सम्पत्तियों में बढ़ोतरी से हुई। इस तरह की सम्पत्तियां सप्ताह के दौरान 4.944 अरब डॉलर बढ़कर 401.615 अरब डॉलर पर पहुंच गयीं। डॉलर के मुकाबले अन्य मुद्राओं की विनिमय दरों में घट बढ़ से अन्य मुद्राओं में पड़ी विदशी मुद्रा सम्मत्तियों का मूल्य भी प्रभावित होता है। सप्ताह के दौरान रिजर्व बैंक के पास पड़ा स्वर्ण भंडार 10.2 करोड़ डॉलर बढ़कर 26.945 अरब डॉलर के बराबर रहा। इस दौरान अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के पास भारत का विशेष आहरण अधिकार 70 लाख डॉलर कम हो कर 1.428 अरब डॉलर रहा। इसी तरह मुद्राकोष के पास जमा भारत का आरक्षित कोष भी 1.70 करोड़ डॉलर घट कर 3.606 अरब डॉलर के बराबर रहा।
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EDITOR PICKS
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Sri Lanka: आपातकाल दो अंतिम कोलंबो
श्रीलंका जबरदस्त आर्थिंक संकट के दौर से गुजर रहा है। देश में तेल और गैस की बढती कीमतों तथा जरूरी सामान की भारी किल्लत से लोगों के बीच रोष बहुत बढ गया और सरकार के विरोध में राजधानी कोलंबो में गुरूवार को लोग सड़कों पर उतर आये। राष्ट्रपति भवन के बाहर एकत्र हुए प्रदर्शनकारियों ने सरकार विरोधी नारे लगाये और सड़कों पर लगे बैरीकेटर्स को तोड़ते हुए पुलिस के और कई अन्य वाहनों में भी आग लगा दी थी। इस दौरान पुलिस और लोगों के बीच जमकर संघर्ष भी हुआ। सरकार विरोधी प्रदर्शन दूसरे दिन भी जारी रहे जिसके बाद राजधानी में कफ्र्यू भी लगा दिया गया था , बाद में पूरे पश्चिमी प्रांत में ही कफ्र्यू लगा दिया गया था।
आर्थिक संकट के कारण देश में बेकाबू होते हालात के बीच सरकार ने आपातकाल लगाये जाने की घोषणा कर दी है।श्रीलंका में विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से घट रहा है। विदेशी मुद्रा भंडार से ही तेल आयात का भुगतान किया जाता है और इसी कारण देश में तेल और दूसरी जरूरी चीजों की किल्लत हो रही है। इन परेशानियों के साथ देश में बिजली संकट भी गहरा गया और आधा दिन या उससे भी अधिक समय तक बिजली न आने से लोगों का गुस्सा हिसक आक्रोश में बदल गया और गुरूवार को लोग सड़कों पर उतर आये । पहले तो राष्ट्रपति भवन के बाहर गुरूवार को शांतिपूर्ण तरीके से एकत्र होकर लोगों ने आक्रोश जताया लेकिन धीरे धीरे यह आक्रोश हिसक हो गया और लोगों ने कई गाडियां फूंक दी ।
पुलिस ने हिसक प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले छोडे और तेज पानी की बौछारे डालीं । एएफपी न्यूज एजेंसी ने बताया कि इस संघर्ष में पुलिस ने 53 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार और पांच न्यूज फोटोग्राफरो को कथित रूप से हिरासत में लेकर पुलिस थाने में यातनाएं दी गयी। बाद में सरकार ने इस पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि मामले की जांच होगी।
पुलिस और प्रशासन सरकार विरोधी प्रदर्शन को रोकने के लिए भरसक प्रयास कर रहा है लेकिन यह फैलता ही जा रहा है और देश भर में लोग राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। आर्थिक संकट के कारण राष्ट्रपति राजपक्षे की लोकप्रियता का ग्राफ बहुत तेजी से नीचे आया है। वर्ष 2019 में वह बहुमत से सत्ता में आये थे और उन्हेांने देश में स्थिरता लाने का वादा किया था।
Mass protests in Sri Lanka: श्रीलंका में विरोध प्रदर्शन के बाद बंद किए गए सोशल मीडिया नेटवर्क
श्रीलंका में लोग सड़कों पर हैं. क्योंकि वे भूखे मर रहे हैं. वे विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, क्योंकि वे बिजली कटौती से परेशान हैं. लोग अपने अपने घरों से बाहर निकल कर नारे लगा रहे हैं क्योंकि उन्हें भोजन, ईंधन और गैस जैसी आवश्यक चीजें चाहिए. और उन आवाज उठाने वाले लोगों को सरकार जवाब में आपातकाल और कर्फ्यू की स्थिति दे रही है.
उन परेशान लोगों पर लाठी चार्ज और आँसू गैस के गोले छोड़े जा रहे हैं. किसी भी देश के लिए इससे दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति कुछ नहीं हो सकती. कल्पना कीजिए ऐसे जगह की जहाँ बिजली की 13-13 घंटे की लोड शेडिंग, सड़कों पर बंद पड़े स्ट्रीट लाइट्स, घुप्प अँधेरा और भूख से परेशान लोग दर दर भटक रहे हों.
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आपातकाल और कर्फ्यू -
श्रीलंका में आपातकाल की स्थिति की घोषणा करने के कुछ घंटों बाद हीं अचानक शनिवार को शाम 6 बजे से सोमवार सुबह 6 बजे तक का 36 घंटे का राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू लगा दिया गया है. खाद्य पदार्थों की कीमतों में भारी वृद्धि, दवाइयां, गैस और ईंधन जैसी आवश्यक वस्तुओं की अनुपलब्धता, घन्टों घन्टों तक बिजली कटौती और विदेशी मुद्रा की तीव्र कमी तथा अन्य भी कई प्रभावों के चलते लोगों में काफी रोष है और श्रीलंका की जनता सड़कों पर उतर कर सरकार के विरोध में उग्र प्रदर्शन करने के लिए मजबूर है. क्योंकि श्रीलंका में जो हालात बन चुके हैं उसे देखते हुए लोगों का सब्र अब चुक गया है.
पिछले गुरुवार की रात मिरिहाना में जनता ने विरोध मार्च निकाला था.
यह एक शांतिपूर्ण मार्च के रूप में शुरू हुआ परन्तु इसके बाद प्रदर्शनकारी लोगों तथा सुरक्षा बलों के बीच झड़पों के बाद यह मार्च हिंसक हो गया. राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के आदेश पर सशस्त्र बलों को बुलाने का कदम उठाया गया.
इसके बाद कानून और व्यवस्था मंत्रालय के सचिव जगत अलविस की टिप्पणी कानून और व्यवस्था मंत्री के रूप में आई कि "सशस्त्र बल - सेना, नौसेना और वायु सेना - तलाशी अभियान चला सकते हैं और लोगों को गिरफ्तार कर सकते हैं."
लोगों के गुस्से को देखते हुए श्रीलंका में मंत्रियों और सरकारी राजनेताओं सहित वीआईपी आवासों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है. वहीँ आपातकाल की स्थिति और 36 घंटे के कर्फ्यू को लागू करने के कदम पर श्रीलंका में विपक्षी दलों ने नाराजगी व्यक्त की है.
नवीनतम जानकारियों के मुताबिक जैसा कि सरकार ने कहा है कि कोलंबो शहर तथा श्रीलंका के और प्रमुख शहरों में "कानून के उल्लंघनकर्ताओं" से निपटने के लिए सुदृढ सेना को तैनात किया गया है.
- जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) के नेतृत्व वाली नेशनल पीपुल्स पावर ने भी आपातकाल की स्थिति की घोषणा की निंदा की है.
- शनिवार को 36 घंटे का कर्फ्यू लागू होने से पहले कोलंबो, अनुराधापुरा, मोटातुवा, गाले और कैंडी समेत देश के कई हिस्सों में सरकार विरोधी प्रदर्शनों का सिलसिला चलता रहा. मंचों का इस्तेमाल राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे से इस्तीफा देने के लिए और विरोध प्रदर्शन आयोजित करने के लिए किया गया है, लोगों का कहना है कि वह देश के गहरे आर्थिक संकट के लिए जिम्मेदार हैं.विदेशी मुद्रा रोष
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- कल रात एक असाधारण गजट अधिसूचना जारी की गई थी, जिसमें कर्फ्यू के घंटों के दौरान किसी भी व्यक्ति को सार्वजनिक सड़क, रेलवे ट्रैक, सार्वजनिक पार्क, सार्वजनिक मनोरंजन मैदान या अन्य सार्वजनिक मैदान या समुद्र के किनारे पर जाने से रोक दिया गया था.
- कोलंबो, श्रीलंका के सबसे खराब आर्थिक संकट से सरकार द्वारा ठीक से नहीं निपटने से नाराज विपक्षी सांसदों और हजारों लोगों ने रविवार को राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू और आपातकाल की स्थिति लागू
- करने के राष्ट्रपति के कदम की निंदा की और इसके विरोध में मार्च निकाला.
- चाय उगाने वाले पहाड़ी क्षेत्र में कैंडी शहर के पास बैरिकेड्स तोड़ने की कोशिश कर रहे विश्वविद्यालय के सैकड़ों छात्रों पर पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और पानी की बौछार भी विदेशी मुद्रा रोष की.
इस सब के बाद विरोध को दबाने की कोशिश में कल रविवार को लगभग 15 घंटे तक इंटरनेट के फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब, व्हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को बंद कर दिया गया. जिसके कारण उपयोगकर्ता इसका उपयोग करने में असमर्थ थे. दरअसल फेसबुक पोस्ट में युवाओं की भीड़ सरकार विरोधी नारे लगाते और गीत गाते हुए दिखाई दे रही है. जाहिर तौर पर बढ़ती आलोचना के कारण, बाद में सोशल मीडिया तक उपयोगकर्ताओं की पहुंच बहाल कर दी गई.
जनता का आक्रोश, विपक्ष भी गुस्से में -
राजपक्षे और सरकार के विरोध में रविवार को पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे थे क्योंकि आवश्यक खाद्य पदार्थों, ईंधन और घंटों तक कटी रहने वाली बिजली के लिए लोगों पर गुस्सा उबल रहा था.
लोग राजपक्षे पर सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए सडकों के किनारे और अपने अपने घरों के बाहर जमा हो गए.
राजपक्षे की आपातकालीन घोषणा ने उन्हें और उनके गुस्से को और अधिक भड़का दिया.
राजधानी में, विपक्षी सांसदों ने कोलंबो के मुख्य चौराहे की ओर ''दमन बंद करो'' ''गोटा घर जाओ'' लिखी हुई तख्तियां लिए हुए मार्च किया और नारे लगाए.
इधर सशस्त्र सैनिकों और पुलिस अधिकारियों ने चौक की ओर जाने वाली सड़क पर बैरिकेड्स लगा दिए. और सांसदों को चौक पर जाने से रोक दिया.
जिन सैनिकों ने सांसदों को चौक पर जाने विदेशी मुद्रा रोष से रोका उनसे विपक्षी नेता साजिथ प्रेमदासा ने कहा कि "यह असंवैधानिक है" और “आप कानून का उल्लंघन कर रहे हैं. कृपया उन लोगों के बारे में सोचें जो पीड़ित हैं. आप इस तरह एक सरकार की रक्षा क्यों कर रहे हैं?”
एक अन्य विधायक नलिन बंडारा ने कहा: “वे कब तक आपातकाल में शासन कर सकते हैं ? कर्फ्यू के हटते हीं लोग सड़कों पर वापस आने वाले हैं. ”
केन्द्र सरकार से आरपार की लड़ाई लड़ने के मूड़ में किसान, करवाया मुंडन
चंडीगढ़ । केंद्रीय कृषि कानूनों को रद्द करवाने के लिए किसान केंद्र सरकार से आरपार की लड़ाई लड़ने के मूड़ में हैं। पलवल में शनिवार को केएमपी (कुंडली-मानेसर-पलवल) पर धरने पर बैठे किसानों ने मुंडन करवाकर केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। बहरहाल, किसान सरकार को घेरने के साथ कारपोरेट घरानों के खिलाफ भी रणनीति को अमलीजामा पहनाने में जुटे हुए हैं।
किसान संगठनों की ओर से फैसला लिया गया है कि जिओ सिम को पोर्ट करवाने के साथ रिलायंस के सभी उत्पादों का बहिष्कार किया जाएगा। इसी कड़ी में शनिवार को हरियाणा के कई जिलों में किसानों ने रिलायंस मॉल और पेट्रोल पंपों का घेराव किया। किसानों के रोष को देखते हुए सभी विदेशी मुद्रा रोष जगह सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रही। हालांकि किसानों ने शांतिपूर्ण तरीके से रिलायंस पेट्रोल पंपों के सामने धरना दिया। सिरसा में किसानों के आने की सूचना से पहले ही रिलायंस मॉल को पहले ही बंद कर दिया गया था। इसके साथ ही फतेहाबाद में किसानों ने रिलायंस पेट्रोल पंप का घेराव किया और केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। किसानों के रोष को देखते हुए सभी जगहों पर सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे। एहतियात के तौर पर कई जिलों में पहले ही रिलायंस मॉल को बंद कर दिया गया था।
दूसरी ओर पलवल केएमपी-केजीपी (कुंडली-मानेसर-पलवल-कुंडली-गाजियाबाद-पलवल) इंटरचेंज पर चल रहे धरने पर किसान संगठनों के नेताओं ने पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। धरनारत किसानों ने कृषि कानूनों को रद्द करवाने की मांग को लेकर अपना मुंडन करवाया और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। धरना स्थल पर महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री बच्चू कडू, समाजसेवी मेघा पाटेकर, चरखी-दादरी से निर्दलीय विधायक सोमवीर सांगवान पहुंचे। इसके अलावा किसान नेता जगजीत सिंह, शिव कुमार कक्का व गुरनाम सिंह चढूनी भी वहां पहुंचे। जगजीत सिंह ने बताया कि 14 दिसम्बर को देशभर में किसान जिला उपायुक्तों के बाहर कृषि कानूनों को रद्द करवाने को लेकर धरना देंगे और भाजपा के मंत्री, सांसद व विधायकों का घेराव करेंगे।
आरबीआई ने अवैध विदेशी मुद्रा व्यापार साइटों की सूची जारी की
By NEWS LAMP Last updated Sep 7, 2022 71 विदेशी मुद्रा रोष 0
मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बुधवार को अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर विदेशी मुद्रा लेनदेन में शामिल संस्थाओं की एक अलर्ट सूची जारी की। OctaFX, Olymp Trade, I-Forex, FBS, Expert Option, Binomo, AVA Trade, IQ Option, Alpari, Forex.com और TP ग्लोबल फॉरेक्स सूची में शामिल 34 नामों में से हैं।
OctaFX इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) टीम दिल्ली कैपिटल्स का आधिकारिक ट्रेडिंग प्रायोजक है।
इस साल फरवरी में, आरबीआई ने लोगों को ऐसी संस्थाओं के शिकार होने की बढ़ती रिपोर्टों के बाद अनधिकृत प्लेटफार्मों पर विदेशी मुद्रा व्यापार के खिलाफ चेतावनी दी थी। आरबीआई ने कहा था कि विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत अनुमत उद्देश्यों के अलावा या आरबीआई द्वारा अधिकृत इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म (ईटीपी) के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए लेनदेन करने वाली संस्थाओं को विदेशी मुद्रा अधिनियम के तहत दंडात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
हालांकि नियामक ने उस समय इनमें से किसी भी संस्था का नाम नहीं लिया था, लेकिन इन संस्थाओं के प्राधिकरण पर स्पष्टीकरण मांगने के लिए कई संदर्भ प्राप्त हुए, जिसने अब आरबीआई को अलर्ट सूची के साथ आने के लिए मजबूर कर दिया है। अलर्ट सूची में शामिल संस्थाएं न तो विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, विदेशी मुद्रा रोष 1999 (फेमा) के तहत विदेशी मुद्रा में सौदा करने के लिए अधिकृत हैं और न ही विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म संचालित करने के लिए अधिकृत हैं।
“RBI दोहराता है कि फेमा के संदर्भ में निवासी व्यक्ति केवल अधिकृत व्यक्तियों के साथ और अनुमत उद्देश्यों के लिए विदेशी मुद्रा लेनदेन कर सकते हैं। जबकि अनुमत विदेशी मुद्रा लेनदेन इलेक्ट्रॉनिक रूप से निष्पादित किए जा सकते हैं, उन्हें केवल आरबीआई या मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों जैसे नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड, बीएसई लिमिटेड और मेट्रोपॉलिटन स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा अधिकृत ईटीपी पर ही किया जाना चाहिए। ” यह कहा
इसमें कहा गया है, “फेमा के तहत या आरबीआई द्वारा अधिकृत नहीं किए गए ईटीपी के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए विदेशी मुद्रा लेनदेन करने वाले निवासी व्यक्ति फेमा के तहत कानूनी कार्रवाई के लिए खुद को उत्तरदायी ठहराएंगे।”
4 फरवरी की टकसाल की रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई ने देखा था कि इन प्लेटफार्मों ने लॉकडाउन अवधि के दौरान कॉन्ट्रैक्ट्स फॉर डिफरेंसेज (सीएफडी) नामक एक डेरिवेटिव उत्पाद की पेशकश की थी। सीएफडी वित्तीय डेरिवेटिव ट्रेडिंग में की गई एक व्यवस्था है जहां खुले और बंद व्यापार मूल्यों के बीच निपटान में अंतर नकद-निपटान किया जाता है।
आरबीआई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, सर्च इंजन, ओवर-द-टॉप प्लेटफॉर्म और गेमिंग ऐप सहित भारतीय निवासियों को विदेशी मुद्रा व्यापार की सुविधा प्रदान करने वाले अनधिकृत ईटीपी (इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म) के भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ भी आगाह किया है। इनमें से कुछ प्लेटफॉर्म विदेशी नियामकों और वैश्विक पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं द्वारा विनियमित होने का भी दावा करते हैं, यह जोड़ा था।
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