चलने की औसत

जवाब : कोई महीना जब तुलनात्मक रूप से ज्यादा गर्म रहता है तब इससे यह संकेत मिलता है कि यह जलवायु परिवर्तन का असर है. जलवायु परिवर्तन का प्रभाव यही है कि इस साल मार्च महीने में तापमान का ज्यादा प्रभाव रहा. ऐसे में पिछले 122 चलने की औसत वर्ष में इस साल मार्च महीने में तापमा अखिल भारतीय स्तर पर औसतन सबसे अधिक रहा.
Jcb Tractor-दुनिया का सबसे तेज चलने वाला ट्रैक्टर, स्पीड जानकर आप चौक जायेगे!
Jcb Tractor-दुनिया का सबसे तेज चलने वाला ट्रैक्टर, स्पीड जानकर आप चौक जायेगे!
इससे पहले फास्ट्रैक वन के नाम था रिकॉर्ड
01 Feb, 2020
FASTRAC TWO TRACTOR जो JCB company के द्वारा बनाया गया है, इंग्लैंड के पास एलविंगटन एयरफील्ड की सड़को पर 247.4704362 kmph की सबसे तेज रफ़्तार से दौड़ कर विश्व में अपना नया कीर्तिमान स्थापित कर सारे ट्रैक्टरों को पीछे छोड़कर अपना नाम गिनीज बुक में दर्ज कराया। इस उपलब्धि की पुष्टि अधिकारिक तौर पर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा की गई है।
दुनिया के सबसे तेज ट्रैक्टर का ताज हासिल करने के बाद जेसीबी के फास्ट्रेक ने रिकॉर्ड बुक में बदलाव कर तूफान सा ला दिया है। फास्टट्रैक टू ने 217.569 kmph की औसत का रिकॉर्ड तोड़ने के लिए 247.471 kmph की औसत गति हासिल की।
इससे पहले फास्ट्रेक वन ने यह रिकॉर्ड 217.569 kmph की गति हासिल कर दुनिया में सबसे तेज गति से चलने वाले ट्रैक्टरो की लिस्ट में अपना नाम सबसे ऊपर लिखवाया था।
चलिए तो हम जानते है इसको किस तरीके से तैयार किया गया है।
खास तरीके से डिजाइन
विश्व के सबसे तेज़ ट्रैक्टर रिकॉर्ड को सुरक्षित करने के लिए, जेसीबी कम्पनी ने सुरक्षित और मजबूत निर्माण को ध्यान में रखते हुए नए फास्ट्रेक टू को विकसित किया।
इसकी बॉडीवर्क में एल्यूमीनियम पैनलों का उपयोग किया गया है जैसा की आप देख सकते है। लेकिन अभी भी मानक फास्ट्रेक वन के भागों के 50% से अधिक का उपयोग किया जाता है।
इंजन में जबरदस्त ताकत
अगर इसके पावर की बात करे तो इसमें जेसीबी ने 6 सिलेंडर इंजन को अतिरिक्त पॉवर प्रदर्शन के लिए उपयोग किया है, जिससे इसकी शक्ति को बढ़ाया है। आइये तो हम जानते है, इसमें क्या क्या खूबियां दी हुई है?
1. इसके इंजन को 1,016 HP का बनाया गया है।
2. डीज़लमैक्स इंजन का उपयोग करके फास्ट्रैक टू को अधिक पावर प्रधान करता है।
3. इसमें 6 सिलेंडर, 2,500 NM टार्क तथा 3,300 RPM दिये गए है।
4. बड़े पैमाने पर 2500 बार ईंधन पंप, बड़े इनलेट मैनिफोल्ड्स और एक बर्फ के पानी से चार्ज एयर कूलर भी जोड़ा गया है।
5. इसमें एयरफ्लो में वृद्धिकरने के लिए बड़ी टर्बो और विद्युत चालित सुपरचार्जर के साथ हाइब्रिड बूस्ट सिस्टम है।
6. जल इंजेक्शन का उपयोग दहन को ठंडा करने और पिस्टन को ठंडा करने में सहायता के लिए किया गया है।
7. इसके चेसिस को हल्का 480kg तक किया गया है ।
8. लिथियम बैटरी का उपयोग किया गया है।
सुरक्षा के लिए दिया है पैराशूट
अधिकतम सुरक्षा के लिए, इसमें एक ऐसे वाहन का निर्माण और फिर डिजाइन प्राप्त करना था, जो एक रोल केज के लिए एफआईए अनुमोदन प्राप्त करें,जो किसी भी पारंपरिक एनआईए श्रेणी में फिट नहीं था।
इसमें कई अन्य महत्वपूर्ण सुरक्षा विशेषताओं को भी फिट करना था।
1. चेसिस में बंधे रोल केज को एफआईए की मंजूरी ।
2. डबल स्किन रेसिंग ईंधन टैंक ।
3. उन्नत विभाजन प्रकार के हवा/ हाइड्रोलिक ब्रेकिंग सिस्टम भी ।
4. इसमें एक पैराशूट जोड़ा गया है, जिससे ब्रेक के काम ना करने पर यह मददगार साबित होगा।
5. एफआईए ने 6-पॉइंट रेसिंग हार्नेस और सीट को मंजूरी दी ।
नियंत्रण और स्थिरता की बेजोड़ मिसाल
JCB ने मानक फास्ट्रेक टायर विकसित किए हैं जो आमतौर पर 80 किमी प्रति घंटे की दर से रेटेड हैं, जिन्हें 260 किलोमीटर प्रति घंटे करने की मंजूरी दी गई है। टायरों में स्टील बेल्ट ने गति प्रदान करने के लिए आवश्यक उच्च शक्ति प्रदान की।
1. उच्च गोलाई की एकरूपता उच्च गति पर कंपन की कम समस्याएं देती है ।
2. कम चलने वाले ब्लॉक में पार्श्व स्थिरता और रोलिंग प्रतिरोध कम होता है ।
3. एक कम गर्मी पीढ़ी के यौगिक ने अनुकूलित पकड़ प्रदान की ।
4. टायर सेंसर ने वास्तविक समय में गर्मी और कंपन की निगरानी की ।
जेसीबी की रिकॉर्ड-ब्रेकिंग दोनों उपलब्धियां यॉर्क, इंग्लैंड के पास एलविंगटन एयरफील्ड में हुईं। वायु क्षेत्र मूल रूप से डब्ल्यूडब्ल्यू 2 के दौरान आरएएफ द्वारा इस्तेमाल किया गया था और 3.09 किलोमीटर की दूरी पर एक रनवे है, जो ब्रिटेन में सबसे लंबा है। जो यह गति परीक्षणों के लिए एक लोकप्रिय स्थान साबित हुआ है और रिकॉर्ड-ब्रेकिंग प्रयासों का इतिहास रहा है।
चलने का यह तरीका योग व जिम से भी ज्यादा फायदेमंद
दरअसल फिजिकल एक्टिविटी की कमी व ज्यादातर वक्त बैठे रहने की वजह से युवा मोटापा, ब्लड प्रेशर व अन्य बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। ऐसे में वो खुद को फिट रखने के लिए जिम का सहारा लेते हैं। वो कई घंटे जिम में पसीना बहाकर खुद को शेप में रख रहे हैं।
इसके अलावा आज के युवाओं की योग में भी रूचि बढ़ने लगी है। योग गुरु बाबा रामदेव ने इतने अच्छे तरीके से ब्रांडिंग की है कि युवा नए-नए आसन सीखकर अपने शरीर को चुस्त-दुरुस्त कर रहे हैं।
लेकिन कुछ लोग ऐसे भी है जो जिम जाने या योग करने का सोचते तो बहुत है, लेकिन अपनी सोच को वो अमल में नहीं ला पाते। ऐसे लोगों के लिए एक आसान उपाय यह है कि वो पैदल चलकर भी फिट रह सकते हैं। दरअसल एक खास तरीके से चला जाए तो वो योग करने या जिम जाने से भी ज्यादा फायदा पहुंचाता है।
चलिए आपको बताते हैं क्या है वो खास चलने का तरीका –
चलने का तरीका – चलने के कई फायदे
यह तो हम सभी जानते हैं कि मॉर्निंग वॉक करने व रात में खाना खाने के बाद घूमने से कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। एक स्टडी के अनुसार तो रोजाना 20 मिनिट चलने से मौत का खतरा कई प्रतिशत तक कम हो जाता है।
इतना ही नहीं पैदल चलने से दिल स्वस्थ रहता है और दिल की बीमारियों का खतरा 40% तक कम होता है। जब आप प्रकृति के बीच चलते हैं तो आपकी बॉडी में गुड हार्मोन्स बनते हैं और तनाव दूर होता है। इसके अलावा पैर व घुटनों की मांसपेशियां तो मजबूत होती ही है।
मगर यदि आप नीचे बताए जा रहे खास तरीके से चलेंगे तो आपके लिए फायदे और बढ़ जाएंगे।
तेज चलने से होता है फायदा
हाल ही में हुई एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि धीमे के बजाए औसत गति से चलने से दिल से जुड़ी बीमारियों से होने वाली मौत का खतरा 20% तक कम हो जाता है। जबकि तेज चलने से मृत्युदर में 24% तक की कमी आ जाती है।
कैंसर पर नहीं असर
रिसर्च से जुड़े एक सूत्र का कहना है, “ लिंग या बॉडी मास इंडेक्स का परिणामों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा, जबकि एवरेज या फ़ास्ट स्पीड से चलने का दिल संबंधी व अन्य बीमारियों से होने वाली मृत्यु के खतरे को कम करने से जरूर संबंध था। हालांकि कैंसर से होने वाली मौतों पर इस गति से चलने से कोई प्रभाव होता है या नहीं इसका कोई सबूत नहीं मिला।”
क्या होती है तेज गति?
एक्सपर्ट्स के अनुसार 5-7 किलोमीटर/घंटा की गति से चलना तेज चलना माना जाता है, परंतु असल में यह चलने वाले के फिटनेस लेवल पर भी निर्भर करता है।
इसे जानने का दूसरा तरीका यह है चलने की औसत कि उस गति से चला जाए कि वॉक खत्म होने तक पसीना आने लगे या सांस फूलने लग जाए।
टीम को पूरी उम्मीद है कि आने वाले समय में पब्लिक हेल्थ से जुड़े मैसेज व कैंपेन आदि में चलने की गति पर भी ध्यान दिया जाएगा।
ये है बेस्ट चलने का तरीका – तो यदि आप फिट रहना चाहते हैं तो रोज सुबह धीरे नहीं बल्कि तेज या कम से कम औसत गति चलने की औसत में चलने निकल जाइए।
ये हैं भारत में सबसे तेज चलने वाली ट्रेनें
केन्द्र सरकार भारत में बुलेट ट्रेन चलाने पर जोर दे रही है। एक टेल्गो ट्रेन का रेल मंत्रालय द्वारा सफल परीक्षण भी किया जा चुका है। ऐसे में क्या आप को पता है कि भारत में सबसे तेज चलने वाली और खूबसूरत ट्रेन कौन सी हैं। केन्द्र सरकार ने इस रेल बजट में प्रीमियम रेलगाड़ियों के ऐलान की बात भी की थी। हम आप को बताने जा रहे हैं भारत की उन ट्रेनों के बारे में जो हवा से बात करती हैं।
नई दिल्ली-भोपाल शताब्दी एक्सप्रेस
आगरा से दिल्ली के बीच चलने वाली यह ट्रेन यह ट्रेन 1988 में शुरू की गई थी जो 91 किलोमीटर प्रति घंटे की औसत स्पीड से चलती है। इसकी अधिकतम रफ्तार 161 किलोमीटर प्रति घंटे की है।
मुंबई-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस
मुंबई से नई दिल्ली के बीच चलने वाली इस ट्रेन की शुरुआत 1972 में हुई थी। जिसकी औसत रफ्तार 90.46 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चलती है। इसकी अधिकतम रफ्तार 130 किलोमीटर प्रति घंटे की है।
सियालदाह-नई दिल्ली दूरंतो एक्सप्रेस
सियालदाह से नई दिल्ली के बीच चलने वाली ये नॉन स्टॉप ट्रेन है। यह ट्रेन अगर कहीं रूकती है तो सिर्फ किसी तकनीकी कारणों से ही रुकती है। इसकी औसत रफ्तार 91.3 किलोमीटर प्रति घंटे की है।
नई दिल्ली-कोलकाता राजधानी एक्सप्रेस
यात्रियों ने इसे द किंग नाम दिया है। यह पहली पूरी तरह से वातानुकूलित ट्रेन है और पहली राजधानी ट्रेन है। इसकी शुरुआत 1969 में हुई थी। उस समय इसकी औसत रफ्तार 88.21 किलोमीटर प्रति घंटा है। यह ट्रेन 17 घंटे 20 मिनट में 1,445 किलोमीटर की दूरी तय करती है।
नई दिल्ली-हावड़ा दूरंतो एक्सप्रेस
इस ट्रेन की औसत रफ्तार 87.06 किलोमीटर प्रति घंटे की है। यह17 घंटे 10 मिनट में करीब 1,441 किलोमीटर की दूरी तय करती है। यह दिल्ली और कोलकाता के बीच चलने वाली एक महत्वपूर्ण ट्रेन है।
5 सवाल 5 जवाब: गर्मी और सताएगी? टेंपरेचर का अल नीनो से क्या है नाता, जानें क्या कहते हैं मौसम वैज्ञानिक
नई दिल्ली: भारत में 122 सालों में इस साल मार्च के महीने में औसत तापमान सबसे अधिक रहा. मौसम विभाग के अनुसार, आने वाले दिनों में उत्तर और मध्य भारत में लोगों को भीषण गर्मी से राहत मिलने की संभावना नहीं हैं. मौसमी परिस्थितियों, मानसून के पैटर्न, हिमालयी और तटीय क्षेत्रों पर इसके प्रभाव के बारे में भारत मौसम विज्ञान विभाग में राष्ट्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक राजेन्द्र कुमार जेनामणि से पांच सवाल और उनके जवाब.
सवाल : पिछले 122 वर्षो में इस वर्ष मार्च महीने में औसतन सबसे अधिक गर्म दिन रहने की रिपोर्ट आई है. इसके क्या कारण हैं ?
जवाब : भारत में तापमान का रिकार्ड वर्ष 1901 से रखा जाना शुरू हुआ था. साल 2022 के मार्च महीने के तापमान ने वर्ष 2010 के मार्च में दर्ज औसत अधिकतम तापमान के सर्वकालिक औसत को पार कर लिया. 2010 के मार्च में अधिकतम तापमान का औसत 33.09 डिग्री सेल्सियस रहा था लेकिन मार्च 2022 में औसत तापमान 33.1 डिग्री दर्ज किया गया.
दुनियाभर में भी पिछले दो दशक में सबसे गर्म साल देखने को मिले हैं. जलवायु परिवर्तन का असर मौसम की तीव्रता पर पड़ रहा है, भारत में भी यह भीषण बाढ़, चक्रवात या भारी बारिश के रूप में देखने को मिला है. इसमें उत्तर में पश्चिमी विक्षोभ एवं दक्षिण में किसी व्यापक मौसमी तंत्र के नहीं बनने के कारण वर्षा की कमी का प्रभाव भी एक कारण है. पिछले कुछ सालों में ऐसे दिन ज्यादा रहे हैं जब बारिश हुई ही नहीं. कुछ मामलों में बहुत ज्यादा बारिश हुई और गर्मी भी बढ़ती गई.
सवाल : पिछले कुछ वर्षो में हिमालयी क्षेत्र से लेकर तटीय इलाकों में भी तापमान में वृद्धि दर्ज की गई. वर्ष 2022 में तापमान वृद्धि का सबसे अधिक प्रभाव किन इलाकों पर देखा गया ?
जवाब : इस साल मार्च के उतरार्द्ध में देश के कई हिस्सों में तापमान में वृद्धि देखने को मिली, लेकिन बारिश कम हुई. दिल्ली, हरियाणा और उत्तर भारत के हिल स्टेशन में भी दिन के वक्त सामान्य से ज्यादा तापमान दर्ज किया गया. दिल्ली, चंदरपुर, जम्मू, धर्मशाला, पटियाला, देहरादून, ग्वालियर, कोटा और पुणे समेत कई स्थानों पर मार्च 2022 में रिकार्ड अधिकतम तापमान दर्ज किया गया.
पश्चिम हिमालयी क्षेत्र के पर्वतीय पर्यटन स्थलों पर भी दिन के वक्त काफी ज्यादा तापमान दर्ज किया गया. देहरादून, धर्मशाला या जम्मू जैसे हिल स्टेशन पर मार्च में 34-35 डिग्री सेल्सियस तक तापमान दर्ज किया गया, जो बहुत ज्यादा है. इस बार तापमान उन क्षेत्रों के अधिक रहा, अपेक्षाकृत ठंडा मौसम रहना चाहिए था. इसका एक उदाहरण पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र है , जहां लंबे समय से ऐसा कुछ नहीं देखने को मिला.
सवाल : इस साल तापमान में वृद्धि एवं गर्मी के ऐसे प्रभाव के पीछे क्या जलवायु परिवर्तन का प्रभाव है, जैसा कि कई विशेषज्ञों का कहना है ?
जवाब : कोई महीना जब तुलनात्मक रूप से ज्यादा गर्म रहता है तब इससे यह संकेत मिलता है कि यह जलवायु परिवर्तन का असर है. जलवायु परिवर्तन का प्रभाव यही है कि इस साल मार्च महीने में तापमान का ज्यादा प्रभाव रहा. ऐसे में पिछले 122 वर्ष में इस साल मार्च महीने में तापमा अखिल भारतीय स्तर पर औसतन सबसे अधिक रहा.
सवाल : पिछले महीने तापमान में इस प्रकार की वृद्धि के संबंध में कुछ वैज्ञानिक ‘अल नीनो’ प्रभाव को कारण बता रहे हैं. क्या इन दोनों में कोई संबंध है ? क्या इसका मानसून के पैटर्न पर कोई प्रभाव पड़ेगा ?
जवाब : अल नीनो प्रभाव पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में सतही जल के असामान्य रूप से तापमान बढ़ने की स्थिति को दर्शाता है. हालांकि, भारत में हाल के दिनों में तापमान में वृद्धि का अल नीनो प्रभाव से कोई संबंध नहीं है. भारत बहुत बड़ा देश है और कई मौसमी परिघटनाएं स्थानीय प्रभाव के कारण भी होती हैं .
अभी अप्रैल महीना शुरू ही हुआ है और मानसून आने में अभी समय है. हमारे पास ऐसा कोई अध्ययन नहीं है जो मार्च महीने के तापमान के आधार पर मानसून के पैटर्न से कोई संबंध जोड़ता हो . ऐसे में मानसून पर प्रभाव के बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है.
सवाल : आने वाले दिनों में देश में गर्मी क्या प्रभाव रहेगा ? विभाग का क्या पूर्वानुमान है ?
जवाब : उत्तर और मध्य भारत में फिलहाल लू और गर्मी से राहत नहीं मिलेगी. विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार, जम्मू संभाग, हिमाचल प्रदेश, विदर्भ, गुजरात, झारखंड, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश में अगने कुछ दिनों में भीषण गर्मी पड़ेगी. अरूणाचल प्रदेश, असम एवं मेघालय में बारिश होने की संभावना है.