शेयर बाजार में हेरफेर

The signage of Minish Patel's business | Photo: Telegram
बाजार में हेरफेर रोकने के लिए नई तकनीकों का प्रयोग
क्या आपने ब्लैक एज का नाम सुना है? हेज फंड उद्योग पर इसी नाम से लिखी गई लोकप्रिय पुस्तक में लेखक शीला कोल्हाटकर ने ब्लैक एज को 'सबसे मूल्यवान जानकारी' के तौर पर परिभाषित किया है, जिसमें यह मालिकाना हक, गैर-सार्वजनिक तथा बाजार में बदलाव लाने वाले कुछ अहम कारकों से जुड़े हो सकते हैं। इसमें किसी तरह का संदेह नहीं है कि पूरे विश्व के पूंजी बाजार नियामक इस तरह की जानकारी के प्रवाह पर रोक लगाने के लिए अथक प्रयास करने के साथ ही इनकी मदद से अवैध लाभ लेने वालों को दंडित भी कर रहे हैं। हालांकि व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन, फेसबुक और टेलीग्राम जैसे संचार माध्यमों के जमाने में इस तरह की जानकारी के प्रवाह पर रोक लगाना बहुत मुश्किल है।
इस बीच, भारतीय पूंजी बाजार नियामक सेबी भेदिया कारोबार जैसी बाजार को प्रभावित करने वाली गतिविधियों तथा सूचनाओं पर रोक लगाने के लिए नई तकनीकों का उपयोग करने जा रहा है। सेबी ने 500 करोड़ रुपये की पूंजी के साथ तकनीकी विकास के लिए चार वर्ष का खाका तैयार किया है। यह विभिन्न तरह के डेटा को समाहित करते हुए वृहद रिपॉजिटरी 'डेटा लेक' तैयार करेगी और कृत्रिम मेधा (एआई) एवं मशीन लर्निंग जैसी नवीन तकनीकों की मदद से डेटा मॉडलिंग तथा एनालिटिक्स क्षमताएं विकसित करेगी। फिलहाल ई-कॉमर्स, टेलीकॉम, बैंकिंग तथा वित्तीय सेवाएं जैसे विभिन्न उद्योग नई तकनीकों तथा उपकरणों की मदद से डेटा मॉडलिंग का उपयोग कर रहे हैं जिससे कारोबार में मदद मिलने के साथ ही निर्णय लेने की क्षमता में तेजी तथा सटीकता बढ़ी है।
‘सिर्फ मजे के लिए था’- शेयर बाजार में गिरावट के लिए ‘काला जादू’ का इस्तेमाल करने से गुजरात के ब्रोकर का इंकार
The signage of Minish Patel's business | Photo: Telegram
मुंबई: राजकोट के एक स्टॉकब्रोकर (शेयर बाजार के दलाल) और विश्लेषक, जो उस वक्त सबकी आलोचना का विषय बन गए थे जब उन्होंने यह दावा किया था कि उन्होंने शेयर बाजार में हेरफेर पिछले हफ्ते शेयर बाजार में गिरावट लाने के लिए ‘काले जादू’ का इस्तेमाल किया था. उन्होंने अब यह स्पष्ट किया है कि वह सिर्फ मजाक कर रहे थे.
मिनिश पटेल, जिनके टेलीग्राम नाम के सोशल मिडिया प्लेटफार्म पर लगभग 12 लाख सब्सक्राइबर्स हैं, ने इस मंगलवार एक बयान जारी कर दावा किया कि वह ‘कुछ समाचार माध्यमों द्वारा घोर गैर-जिम्मेदाराना रिपोर्टिंग से हैरान और स्तब्ध हैं’. उन्होंने जोर देकर कहा कि उनका काला जादू वाला संदेश ‘हल्के फुल्के अंदाज में’ और ‘हास्य के शुद्ध इरादे से’ दिखाया गया था’.
‘ऐसी मूर्खतापूर्ण टिप्पणी नहीं करनी चाहिए’
टेलीग्राम पर पोस्ट किये गए अपने स्पष्टीकरण वाले संदेश में पटेल ने दावा किया कि उनकी यह ‘मजेदार’ टिप्पणी उनके चैनल पर ग्राहकों द्वारा बार-बार पूछे जाने वाले इन प्रश्नों के बाद की गई थी कि वह बाजार की इतनी सटीक भविष्यवाणी कैसे कर लेते हैं और क्या उनके पास उनकी मदद करने के लिए किसी प्रकार का सॉफ्टवेयर है या नहीं.
पटेल ने अपने संदेश, जिसे दिप्रिंट ने भी देखा है, में कहा, ‘मैं इस सब से थक गया था क्योंकि वे मेरे अनुभव और स्क्रीन को पढ़ने के मेरे कौशल पर विश्वास नहीं कर रहे थे. इसलिए इस तरह के सवाल से बचने के लिए मैंने चैनल में सभी के मनोरंजन के इरादे से सब के लिए एक आम संदेश दे दिया कि ‘मैं बाजार की भविष्यवाणी के लिए काले जादू का उपयोग करता हूं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘मैं अंधविश्वास अथवा काला जादू में यकीन नहीं करता. बाजार में किसी के द्वारा भी हेरफेर नहीं किया जा सकता है, यह पूरी तरह से जनता पर निर्भर है कि वे बाजार को कैसे देखते हैं. इसे विशुद्ध रूप से हास्य के इरादे से दिखाया गया था.’
रोहतक PGIMS के हास्टल मेस से कैश से लाखों रुपये के हेरफेर में बैठी जांच, स्टोर कीपर ने दी थी शिकायत
रोहतक पीजीआइ के ब्वायज हास्टल के आडिट रिपोर्ट में सामने आए 16 लाख रुपये के हेरफेर की जांच पहले ही चल रही है। अब हास्टल के स्टोर कीपर का चार्ज संभाल रहे क्लर्क ने हास्टल अधीक्षक पर मैस कैश से पांच लाख रुपये ले जाने का आरोप लगाया है।
रोहतक, जागरण संवाददाता। रोहतक पीजीआइ के ब्वायज हास्टल में इन दिनों सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। एक कर्मचारी पर इसकी गाज पहले ही गिर चुकी है। आडिट रिपोर्ट में सामने आए 16 लाख रुपये के हेरफेर की जांच पहले ही चल रही है। अब हास्टल के स्टोर कीपर का चार्ज संभाल रहे क्लर्क ने हास्टल अधीक्षक पर मैस कैश से पांच लाख रुपये ले जाने शेयर बाजार में हेरफेर का आरोप लगाया है। जिसकी शिकायत उसने कुलपति, निदेशक व रजिस्ट्रार को भेजी। शिकायत पर निदेशक कार्यालय की ओर से जांच शुरू कर दी गई है। जांच का जिम्मा हास्टल वार्डन को सौंपा गया है। वार्ड ने इस मामले में अधीक्षक से पक्ष स्पष्ट करने के लिए कहा है।
Lucknow: हेरफेर कर खुले बाजार में बेची जा रही थीं केजीएमयू की दवाएं, STF ने तीन को दबोचा
लखनऊ में केजीएमयू की दवाएं हेरफेर कर खुले बाजार में बेजी जा रहीं थीं। यूपी एसटीएफ ने माल के साथ तीन आरोपितों को दबोच लिया। सभी की गिरफ्तारी चौक से हुई है। भारी मात्रा में सरकारी दवाएं बरामद की गई हैं।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। एसटीएफ ने किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी केजीएमयू के दवाओं को बाजार में बेचकर मुनाफा कमाने वाले गिरोह का राजफाश किया है। मरीजों का हक छीनकर आरोपित दवा व्यापारियों के साथ मिलीभगत कर सालों से फर्जीवाड़ा कर रहे थे। एसटीएफ ने गुरुवार को केजीएमयू में संविदा पर कार्यरत तीन कर्मचारियों को गिरफ्तार किया। आरोपितों के पास से भारी मात्रा में सरकारी अस्पतालों की दवाएं मिली हैं। एसटीएफ की नजर अभी शहर के अन्य सरकारी संस्थानों पर भी है। इसके लिए टीमें लग चुकी हैं।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई)
एनएसई (NSE) का पूरा नाम नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड है यह भारत का सबसे बड़ा वित्तीय बाजार है और दुनिया के टॉप 10 शेयर बाजार में से एक है। इसकी स्थापना 1992 में हुआ था और इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय शेयर बाजार में सरल और पारदर्शी बनाना है, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग शेयर बाजार में निवेश कर सके। सन 1994 में एनएसई (NSE) ने पहली बार भारतीय शेयर बाजार में इलेट्रॉनिक ट्रेडिंग की शुरुवात किया।
1992 शेयर बाजार में हेरफेर के प्रसिद्ध घोटाले के बाद, जिसमें एक प्रसिद्ध निवेशक ने भारतीय शेयर बाजार में हेरफेर शेयर बाजार में हेरफेर किया गया था। तब वित्त मंत्रालय ने भारत सरकार तहत, निवेशकों तक शेयर बाजार को आसानी से पहुंचने के उद्देश्य से एनएसई की स्थापना का निर्णय लिया गया था। इसकी संस्था की स्थापना की सिफारिस M.J. शेरवानी समिति ने भी किया था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज भारत का सबसे बड़ा और तकनीकी रूप से एक विकसित स्टॉक एक्सचेंज है। इसकी स्थापना सन 1992 में 25 करोड़ पूँजी के साथ मुंबई में किया गया। एनएसई का प्रमुख सूचकांक, निफ्टी 50 है, इसके अंतर्गत 50 कम्पनियाँ रजिस्टर्ड है। सूचकांक में सम्मिलित कंपनियों का समय-समय का आकलन किया जाता है और पुरानी कंपनियों के स्थान पर वे नयी सर्वोत्तम कम्पनीयों को शामिल किया जाता है | इसका उपयोग निवेशकों द्वारा बड़े पैमाने पर भारत और दुनिया भर में भारतीय पूंजी बाजार के बैरोमीटर के रूप में किया जाता है। एनएसई (NSE) द्वारा 1996 में NIFTY 50 इंडेक्स आरम्भ किया गया था।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का उद्देश्य
एनएसई (NSE) के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित है।
- सभी निवेशकों को शेयर बाजार में निवेश करने तथा शेयर खरीदने और बेचने की सुविधा प्रदान करना |
- सभी निवेशक सामान रूप से प्रतिभूति को खरीद और बेच सके।
- शेयर बाजार को निष्पक्ष, पारदर्शी और दक्ष बनाना।
- ख़रीदे और बेचे गए शेयर को अल्प समय में हस्तानांतरित करना।
- प्रतिभूति बाजार को अंतरास्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप स्थापित करना।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के कार्य
दोस्तों ,अब हम नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड के कार्य प्रणाली के बारें में विस्तार से जानेंगे।
अगर कोई निवेशक नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से शेयर बाज़ार में निवेश करना चाहता है तो सबसे पहले उसको मार्किट आर्डर के द्वारा आर्डर देना होता है , और कंप्यूटर ट्रेडिंग जो एक स्वचालित प्रक्रिया है के माध्यम से आपके आर्डर का मिलान किया जाता है। जब कोई निवेशक मार्किट आर्डर देता है तो उसे एक नंबर दिया जाता है जिसको यूनिट नंबर कहा है। शेयर बाजार में हेरफेर कंप्यूटर ट्रेडिंग में खरीदने और बेचने व्यक्ति का नाम गुप्त रखा जाता है। खरीदने वाले व्यक्ति को बेचने वाले व्यक्ति को कोई जानकारी नहीं रहता है और बेचने वाले व्यक्ति को खरीदने वाले व्यक्ति की कोई जानकारी नहीं रहता है।
जब आपका आर्डर को कोई मिलान नहीं मिलता है तो आर्डर के क्रम को मिलाने के लिए आर्डर सूची से जोड़ा जाता है, और यह प्राइस टाइम (Price time) के प्राथमिकता के आधार शेयर बाजार में हेरफेर पर निर्धारित किया जाता है। सर्वोत्तम मूल्य के आर्डर को पहले प्राथमिकता दिया जाता है और एकसमान मूल्य वाले आर्डर को पहले आर्डर के आधार पर प्राथमिकता दिया जाता है।