निवेश योजना

आय के कई स्रोतों के प्रकार

आय के कई स्रोतों के प्रकार
Written By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Updated on: July 21, 2022 18:30 IST

टीडीएस: स्रोत पर कर कटौती के बारे में आप सभी को पता होना चाहिए

टीडीएस उन कई करों में से एक है जो आय या लाभ कमाने वाले लोगों को आयकर कानूनों के तहत सरकार को भुगतान करना होगा। यह मार्गदर्शिका आपको टीडीएस, टीडीएस पूर्ण फॉर्म, टीडीएस भुगतान और टीडीएस भुगतान ऑनलाइन की बारीकियों को समझने में मदद करेगी।

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सरकार की कमाई कैसे होती है और कर्ज़ आय के कई स्रोतों के प्रकार चुकाना कब होता है आसान

रुपया

डायरेक्ट टैक्स या प्रत्यक्ष कर वो टैक्स है जो कमाने वाला या लेनदेन करने वाला सीधे भरता है और इसकी जिम्मेदारी किसी तीसरे को ट्रांसफर नहीं हो सकती. इनमें इनकम टैक्स, और कॉरपोरेट टैक्स या कंपनियों का इनकम टैक्स शामिल है. कैपिटल गेन्स टैक्स भी ऐसा ही टैक्स है और बहुत पहले खत्म हुए वेल्थ टैक्स और एस्टेट ड्यूटी या मृत्यु कर भी ऐसे ही टैक्स थे.

और इनडायरेक्ट टैक्स या अप्रत्यक्ष कर वो होते हैं जिनका भुगतान करने वाला आगे खरीदने वाले से उसे वसूल लेता है. जैसे सेल्स टैक्स जिसकी जगह अब जीएसटी आ गया है, एक्साइज़ और कस्टम ड्यूटी.

पिछले बजट के हिसाब से इस साल सरकार को मिलने वाले हर एक रुपये में से 18 पैसे कॉरपोरेट टैक्स और 17 पैसे इनकम टैक्स से आने थे. दोनों जोड़कर 35 प्रतिशत डायरेक्ट टैक्स से मिलता. इसके ऊपर जीएसटी के 18 पैसे, सेंट्रल एक्साइज़ के सात पैसे और सीमा शुल्क के चार पैसे. यानी इनडायरेक्ट टैक्स के रूप में 29 प्रतिशत हासिल होता. तो रुपए में चौंसठ पैसे आए टैक्स से.

टैक्स के अलावा आय के साधन

इमेज स्रोत, Getty Images

चालू साल के बजट में यह 64 प्रतिशत रकम करीब बीस लाख करोड़ रुपये थी. लेकिन खर्च तो होना था लगभग तीस लाख करोड़ रुपये. तो अब बाकी का इंतजाम?

अब सरकार के पास आमदनी के तीन रास्ते और हैं. नॉन टैक्स रेवेन्यू, यानी वो कमाई जो टैक्स से नहीं आती है, लेकिन रेवेन्यू यानी राजस्व खाते की आमदनी है.

टैक्स के अलावा भी सरकार की कमाई के दर्जनों रास्ते हैं. आप सरकार आय के कई स्रोतों के प्रकार की जो सेवाएं इस्तेमाल करते हैं उनकी फीस. बिजली, टेलिफोन, गैस जैसे बिल में एक छोटा हिस्सा. तमाम चीज़ों पर मिलने वाली रॉयल्टी, लाइसेंस फीस, राज्य सरकारों को दिए कर्ज पर मिलने वाला ब्याज, रेडियो टीवी के लाइसेंस, सड़कों, पुलों का टॉल टैक्स, पासपोर्ट, वीज़ा वगैरह की फीस.

सरकारी कंपनियों के मुनाफे का हिस्सा और बीच-बीच में रिजर्व बैंक से सरकार जो रकम वसूलती रहती है वो…और भी बहुत कुछ है. हालांकि इनमें कई चीज़ों से बहुत आय के कई स्रोतों के प्रकार छोटी-छोटी रकम आती है. फिर भी कुल मिलाकर दस प्रतिशत इस रास्ते से भी आ जाता है.

और अब बची नॉन डेट कैपिटल रिसीटस यानी पूंजी खाते में आने वाली वो रकम जो कर्ज नहीं है, हालांकि राज्य सरकारों को या विदेशी सरकारों को दिए हुए कर्ज की वापसी इसी खाते में होती है.

टीडीएस: स्रोत पर कर कटौती के बारे में आप सभी को पता होना चाहिए

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वित्तीय स्रोतों के मामले में बिहार की स्थिति कमजोर : सिद्दीकी

पटना। वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि वित्तीय स्रोतों के मामले में राज्य की स्थिति पहले से ही कमजोर है। राजनीतिक वायदे को पूरा करने और सातवें वेतन आयोग को लागू करने से वित्तीय संकट के और बढ़ने की आशंका है। केंद्र सरकार योजनाओं में केंद्रीय सहायता राशि में कटौती से राज्य पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। वित्त आयोग के मानदंड में बिहार को विशेष दर्जा की सुविधा मिलनी चाहिए। वह शुक्रवार को आद्री द्वारा 14वें वित्त आयोग के ज्ञापन पर तैयार दस्तावेज के लोकार्पण समारोह में बोल रहे थे।


उन्होंने कहा कि बिहार हर साल नेपाल से बाढ़ रूपी समस्या का आयात करता है, जो राज्य के आधारभूत संरचना को ध्वस्त कर देती है। राज्य के राजस्व का एकमात्र स्रोत कर है और इसमें कई छिद्र हैं, जिन्हें रोकना होगा। वित्तीय स्रोतों को मजबूत करने के लिए राज्य में टैक्स लगाना ही एकमात्र इलाज नहीं है। इसके लिए सरकार को अन्य उपाय तलाशने होंगे। खर्च में कटौती के अलावा सरकार को कामकाज के तरीके में बदलाव करना होगा। इसका एक कारण राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव भी हो सकता है।


बिहार कंज्यूमर स्टेट : वित्तमंत्री ने कहा कि बिहार मैनुफैक्चरिंग स्टेट है। वह कंज्यूमर स्टेट है। बिहार जैसे राज्यों के लिए अलग योजना होनी चाहिए, जिसमें यहां की जरूरतों को ध्यान में रखा जाना चाहिए। बिहार प्रतिवर्ष बाढ़ की समस्या से रू-ब-रू होता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि आय के अनुसार ही परिवार को चलाना चाहिए और बचत को भी ध्यान में रखना चाहिए। राज्यों की अपनी-अपनी भौगोलिक स्थिति है, जिसके कारण उनकी समस्याएं अलग-अलग हैं और आमदनी के स्रोत भी उसी प्रकार के हैं। कोई भी योजना बनाने से पहले व्यावहारिक पक्ष देखना चाहिए। मौके पर विधान पार्षद डाॅ. राम वचन राय, प्रो. अंजन मुखर्जी और वरिष्ठ पत्रकार श्रीकांत भी मौजूद थे। अतिथियों का स्वागत आद्री के सदस्य सचिव शैबाल गुप्ता ने की, जबकि धन्यवाद ज्ञापन प्रो. प्रभात पी घोष ने की।

14वें वित्त आयोग की अनुशंसा से बिहार को होगा भारी घाटा : विजेंद्र प्रसाद यादव
ऊर्जा एवं वाणिज्य कर मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा से बिहार को भारी घाटा होगा। फंडिंग के पैटर्न में बदलाव किया गया है, जिसका सीधा असर राज्य सरकार के खजाने पर पड़ने वाला है। अभी तक जिन योजनाओं के लिए केंद्र सरकार वित्त आयोग की अनुशंसा पर 90 फीसदी राशि देती थी, उसे कम कर 60 फीसदी कर दिया गया है। पहले राज्य सरकार वित्त आयोग के सामने अपनी बातें मजबूती से नहीं रख पाती थी। लेकिन, पिछले कुछ वर्षों में राज्य की पक्ष और विपक्ष की दोनों पार्टियां मिलकर आय के कई स्रोतों के प्रकार राज्यहित में आवाज उठाने लगी हैं, जो सार्थक पहल है। वहीं, सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी गुलरेज होदा ने कहा कि राज्य में व्यय सुधार आयोग का गठन होना चाहिए। व्यय को व्यवस्थित कर बचत की जा सकती है। इससे सरकार की आय में बढ़ोतरी होगी। उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत के कई राज्यों आय के कई स्रोतों के प्रकार में व्यय सुधार पर जोर दिया गया और उसका फायदा उन राज्यों मिला है।

ऋण लेकर बेहतर कार्य करने में कोई हर्ज नहीं : रामेश्वर सिंह
विभागीय जांच आयुक्त व वरिष्ठ आईएएस अधिकारी रामेश्वर सिंह ने कहा कि ऋण लेकर भी बेहतर काम करने में कोई हर्ज नहीं है। जहां तक राज्य में राजस्व सरप्लस की बात है तो यह दूसरे राज्यों की तुलना में कर्मचारियों की कमी और आधारभूत संरचना के मेंटीनेंस में कम खर्च होने के कारण है। उन्होंने कहा कि बिहार में प्रति दस हजार पर महज चार कर्मचारी हैं, जबकि दूसरे राज्यों में इसकी संख्या प्रति दस हजार पर 20 कर्मचारी है। राज्य सरकार को बेहतर काम करवाने के लिए कर्मचारियों की संख्या बढ़ाना चाहिए। राज्य के हित में जितना संभव हो, उतना ऋण केंद्र सरकार या दूसरी एजेंसियों से लेना चाहिए। जैसे-जैसे राज्य में अधिरचना में बढ़ोतरी हो रही है, वैसे-वैसे आने वाले दिनों में मेंटेनेंस पर अधिक खर्च करना पड़ेगा। भारत आय के कई स्रोतों के प्रकार सरकार किन राज्यों में कितना निवेश करती है, उसे भी देखना जरूरी है। जनसंख्या के हिसाब से बिहार में निवेश करने का दबाव बनाया जा सकता है।

ITR Alert: ये हैं आपकी वह 10 आय जिन पर नहीं देना होता है Income Tax, देखिए पूरी लिस्ट

Tax Saving के लिए हम कई तरह के Tax छूट वाले इंस्‍ट्रूमेंट में Investment करते हैं। वहीं, आय के कुछ ऐसे स्रोत हैं, जिनसे होने वाली आमदनी पर Income Tax नहीं देना होता है।

Sachin Chaturvedi

Written By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Updated on: July 21, 2022 18:30 IST

Income Tax- India TV Hindi News

Income Tax

Highlights

  • आय के कुछ से होने वाली आमदनी पर इनकम टैक्‍स नहीं देना होता है
  • ग्रेच्‍युटी से होने वाली आमदनी पूरी तरह टैक्‍स फ्री होती है
  • VRS से होने वाली आय में 5 लाख रुपए तक की आय टैक्‍स फ्री होती है

नई दि‍ल्ली। आमदनी जितनी अधिक होती है, इनकम टैक्‍स की देनदारी उतनी बढ़ जाती है। टैक्‍स बचाने के लिए हम कई तरह के टैक्‍स छूट वाले इंस्‍ट्रूमेंट में निवेश करते हैं। वहीं, आय के कुछ ऐसे स्रोत हैं, जिनसे होने वाली आमदनी पर इनकम टैक्‍स नहीं देना होता है। आइए आय के इन स्रोतों पर डालते हैं नजर-

विदेशी सेवाओं के लिए भत्ता

अगर, आप सरकारी नौकरी में हैं और आपकी नियुक्ति देश के बाहर है और इसके एवज में कोई भत्‍ता मिलता है, तो उस पर इनकम टैक्‍स नहीं लगेगा। इनकम टैक्‍स की धारा 10(7) में यह प्रावधान किया गया है कि सरकारी सेवा में कार्यरत कर्मी जो विदेश में अपनी सेवाएं दे रहे हैं और उसकी एवज में उनको भत्‍ता मिल रहा है तो वह टैक्‍स फ्री होगा।

ग्रेच्युटी से आय

वेतनभोगी कर्मचारियों की वेतन का एक हिस्‍सा ग्रेच्युटी के रूप में काटा जाता है। कंपनी एक निश्‍चित अवधि तक नौकरी करने के आय के कई स्रोतों के प्रकार बाद कर्मचारी को ग्रेच्‍युटी का भुगतान करती है। ग्रेच्‍युटी से होने वाली आमदनी पूरी तरह टैक्‍स फ्री होती है।

स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति से आय

स्‍वैच्छिक सेवानिवृत्ति से होने वाली आमदनी में 5 लाख रुपए तक की आय टैक्‍स फ्री होती है। इनकम टैक्‍स की धारा 2BA के अनुसार अगर कोई व्‍यक्ति किसी कंपनी या लोकल अथॉरिटी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेता है, तो इससे होने वाली आय पर 5 लाख रुपए तक टैक्‍स छूट मिलेगा।

कृषि से हुई आय

कृषि से होने वाली आय पर सरकार टैक्‍स नहीं लेती है। इनकम टैक्‍स की धारा 1961 के तहत कृषि से होने वाली आय पर टैक्‍स छूट दी गई है। कृषि से हुई आय पर टैक्‍स छूट मिलता है। करदाता कृषि से होने वाली आय को अपने रिटर्न में दिखाकर टैक्‍स छूट प्राप्‍त कर सकता है।

सेविंग अकाउंट से आय

अगर सेविंग अकाउंट से मिलने वाला ब्याज 10,000 रुपए से कम है तो इस पर टैक्‍स नहीं देना होता है। यह छूट एक से अधिक अकाउंट से मिलने वाले ब्याज पर भी मिलती है। अगर, आपके पास एक से अधिक बैंक अकाउंट है और उन पर क्रमश: 10000 रुपए आय के कई स्रोतों के प्रकार और 5000 रुपए ब्याज मिलता है तो आपकी टैक्सेबल इनकम 5000 रुपए होगी।

पार्टनरशिप फर्म का शेयर

अगर, आप किसी पार्टनरशिप फर्म में पार्टनर हैं और उसके शेयर आपके पास हैं तो इनकम टैक्‍स की धारा10(2) के अनुसार फर्म में हुई आय के लिए पार्टनर इनकम टैक्‍स भरने के लिए उत्तरदायी नहीं है। शेयर के अलावा अगर आप पारिश्रमिक या दूसरे लाभ लेते हैं तो यह आय टैक्सेबल इनकम के दायरे में आएगी।

लांग टर्म कैपिटल गेन

इक्विटी या म्युचुअल फंड में किए हुए निवेश पर होने वाले लांग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्‍स छूट मिलती है। इनकम टैक्‍स की धारा 10(36) के तहत अगर एक साल से उससे अधिक समयावधि में शेयर या म्युचुअल फंड बेचने से कैपिटल गेन होता है, तो उस पर इनकम टैक्‍स छूट मिलती है। हालांकि,डेट म्युचुअल फंड पर यह लागू नहीं होता है और इससे होने वाली आय पर टैक्‍स देना होता है।

छात्रवृत्ति या पुरस्कार

किसी भी प्रकार की छात्रवृत्ति या पुरस्कार पर इनकम टैक्‍स नहीं लगता है। इनकम टैक्‍स एक्ट 1961 के तहत छात्रवृत्ति या पुरस्कार के अंतर्गत मिलने वाली रकम पर इनकम टैक्‍स नहीं लिया जाता है। छात्रवृत्ति या पुरस्कार की राशि तय नहीं की गई है।

सीनियर सिटिजन सेविंग स्‍कीम

अगर आप वरिष्ठ नागरिक हैं और आपने सीनियर सिटिजन सेविंग स्कीम (SSSS) में निवेश कर रखा है तो आपकी मूल राशि पर कोई टैक्‍स नहीं लगेगा। लेकिन, इसके ब्याज से होने वाली आय पर आपको टैक्‍स देना पड़ सकता है। साथ ही इस बात का भी ख्याल रखें कि इसका उलेल्ख आपको आयकर रिटर्न में भी करना होगा।

भविष्‍य निधि से आय

इनकम टैक्‍स की धारा 10 (11,12,13) के अनुसार ऐसी आय जो पीपीएफ, पीएफ या सेवानिवृत्ति निधि से होता है तो उस पर इनकम टैक्‍स नहीं चुकाना होता है।

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