बैंक पूंजी

बजट से पूंजी न मिलने पर भी अच्छी स्थिति में सरकारी बैंक
रेटिंग एजेंसियों के मुताबिक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के लिए इस साल सरकार द्वारा केंद्रीय बजट में किसी फंड का आवंटन न किए जाने से उसके आत्मविश्वास का पता चलता है कि इन बैंकों की पूंजी की स्थिति और साथ ही वे बाजार से धन जुटाने क्षमता बेहतर है।
रेटिंग एजेंसियों का कहना है कि इस बात की संभावना बहुत कम है कि सरकार अब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में आगे कोई पूंजी डालेगी। वित्त वर्ष 21 में बेहतर मुनाफे, वित्त वर्ष 22 में बाजार से पूंजी जुटाने, वित्त वर्ष 22 में एडीशनल टियर-1 (एटी-1) बॉन्ड लाने के कारण इन बैंकों की पूंजी की जरूरत कम है।
भारतीय रिजर्व बैंक बैंक पूंजी के आंकड़ों के मुताबिक केंद्र सरकार ने 2014 और 2021 के बीच सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 3.43 लाख करोड़ रुपये डाले हैं। साथ ही वित्त वर्ष 22 में 15,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
आर्थिक समीक्षा 2021-22 में उल्लेख किया गया है कि सरकारी व बैंक पूंजी निजी क्षेत्र के बैंकों में सुधार के कारण अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का पूंजी और जोखिम भारित संपत्ति अनुपात (सीआरएआर) सितंबर 2020 के 15.84 प्रतिशत से बढ़कर सितंबर 2021 में 16.54 प्रतिशत हुआ है।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में बजट में पुनर्पूंजीकरण के प्रावधान न होने के सिलसिले में इंडियन ओवरसीज बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी पार्थ प्रतिम सेनगुप्ता ने कहा कि इसका मकसद अपने दम पर धन जुटाना है। बैंक की पूंजी पर्याप्तता मजबूत है और इसने सरकार से पूंजीगत समर्थन के लिए नहीं कहा है। सेनगुप्ता ने कहा, 'बैलेंस सीट की मजबूती बढ़ाने पर ध्यान है।'
समीक्षा में कहा गया है कि 30 सितंबर, 2021 को बैंकों की पूंजी के आधार पर देखें तो सभी सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंकों ने 2.5 प्रतिशत से ऊपर पूंजी संरक्षण बफर बरकरार रखा है।
इक्रा में फाइनैंशियल सेक्टर रेटिंग के वाइस प्रेसीडेंट और सेक्टर हेड अनिल गुप्ता ने कहा, 'सिर्फ सरकार ने वित्त वर्ष 23 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में कोई पूंजी डालने का प्रावधान नहीं रोका है, बल्कि पिछले साल केपूंजी डालने के बजट को भी 20,000 करोड़ से 15,000 करोड़ रुपये कर दिया है। इससे पता चलता है कि सरकार को भरोसा है कि सरकारी बैंक पूंजी के मामले में बेहतर स्थिति में हैं, क्योंकि वे मुनाफे में आ गए हैं और अपनी वृद्धि के लिए वे फंड जुटाने की स्थिति में हैं।'
इंडिया रेटिंग ऐंड रिसर्च में डायरेक्टर और हेड, फाइनैंशियल इंस्टीट्यूशंस प्रकाश अग्रवाल के मुताबिक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक संभवत: हाल के दशकों की तुलना में बेहतर स्थिति में हैं, उनकी बैलेंस सीट अच्छी है और वे अर्थव्यवस्था में आने वाले कर्ज की मांग पूरी करने की स्थिति में हैं।
क्रिसिल रेटिंग में सीनियर डायरेक्टर और डिप्टी चीफ रेटिंग ऑफिसर कृष्णन सीतारमण ने कहा, 'पहले जब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक संपत्ति की गुणवत्ता की चुनौतियों की वजह से घाटे में थे और उनकी पूंजी खत्म हो गई थी, सरकार ने पूंजी डालकर उनका सहयोग किया। यह स्थिति अब पूर्ण चक्र में आ गई है और बैंक मुनाफा कमा रहे हैं और उनकी पूंजी आंतरिक प्राप्तियों की वजह से बढ़ रही है।'
2019 के बाद से कर्ज में वृद्धि में कमी आ रही है, लेकिन अब तूफान थमता नजर आ रहा है। दिसंबर में कर्ज में वृद्धि ने तेजी पकड़ी है और इसमें पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 9.2 प्रतिशत वृद्धि दर्ज हुई है। विशेषज्ञों की राय है कि सरकारी बैंकों के पास कर्ज में वृद्धि को समर्थन देने के लिए पर्याप्त धन है।
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ज्यादा पूंजी जुटाने पर ध्यान दें बैंक: दास
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज कहा कि वैश्विक वित्तीय माहौल में अनिश्चितता को देखते हुए घरेलू बैंकों को बुरे समय के लिए तैयार रहने के लिए ज्यादा पूंजी जुटाने पर ध्यान देना चाहिए। दास ने कहा कि बैंकों को कर्ज की बढ़ती मांग के मद्देनजर कोष जुटाने के लिए भी ज्यादा पूंजी की जरूरत होगी।
उन्होंने समाचार चैनल ज़ी बिज़नेस के साथ बातचीत में कहा, ‘हमें खराब समय के बारे में सोचना चाहिए और इसका मुकाबला करने के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना चाहिए। हमें फंसे कर्ज पर ध्यान देना चाहिए और इस दिशा में श्रेष्ठ प्रयास करने चाहिए। इन सभी को ध्यान में रखते हुए बैंकों को ज्यादा पूंजी जुटानी चाहिए।’ उन्होंने कहा कि कर्ज की मांग भी बढ़ रही है और बैंकों को इस बढ़ी मांग के लिए कोष जुटाने की खातिर अतिरिक्त पूंजी की जरूरत होगी। आरबीआई गवर्नर ने सार्वजनिक और निजी बैंकों द्वारा पिछले दो साल में बाजार से पूंजी जुटाने के प्रयास की सराहना की और कहा कि समेकित स्तर पर बैंकों की पूंजी पर्याप्तता सहज स्थति में है।
केंद्रीय बैंक की जून 2022 की वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट के अनुसार भारतीय बैंकिंग तंत्र में पूंजी और जोखिम भारांश वाली परिसंपत्तियों का अनुपात मार्च में 16.7 फीसदी रहा।
आरबीआई के नियमन के तहत बैंकों को पूंजी-जोखिम भारांश वाली संपत्तियों का अनुपात कम से कम 9 फीसदी पर बनाए रखने की जरूरत है। गैर-बैंक सहायक इकाइयों को संबंधित नियामक द्वारा निर्धारित पूंजी पर्याप्तता अनुपात बरकरार रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘अगर किसी विशेष क्षेत्र में बैंकों या गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा अत्यधिक कर्ज दिया जाता है तो उस पर नजर रखी जाती है। और ऐसा होने पर हम उसका विश्लेषण करते हैं और इस बारे में रिपोर्ट भी मांग सकते हैं।’
आरबीआई की मौद्रिक नीति के उपायों की दिशा में बैंकिंग तंत्र पर असर के बारे में उन्होंने कहा कि बैंकों की जमा और उधारी दर के बीच अंतर अब कम हो रहा है। उन्होंने कहा कि बैंकिंग तंत्र से अतिरिक्त तरलता खींचने से बैंकों पर पूंजी जुटाने के लिए जमा दरों में बढ़ोतरी का दबाव बढ़ेगा। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार 12 अगस्त तक बैंकों की उधारी वृद्धि सालाना आधार पर 15.3 फीसदी रही जबकि जमा में इस दौरान 8.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
दास ने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है और अप्रैल-जून 2023 में यह घटकर 5 फीसदी रह सकती है। जुलाई में खुदरा मुद्रास्फीति चार माह में पहली बार 7 फीसदी से नीचे 6.7 फीसदी रही।
उन्होंने कहा कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार काफी सुदृढ़ है। हालांकि डॉलर के मुकाबले रुपये में ज्यादा उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के लिए आरबीआई को डॉलर की काफी बिकवाली करनी पड़ी है। इससे 26 अगस्त को समाप्त सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार 3.007 अरब डॉलर घटकर 561.046 अरब डॉलर रहा।
बैंकों को बाजार से पूंजी जुटाकर बैलेंसशीट मजबूत करने का निर्देश
वित्तीय सेवा विभाग के सचिव ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अधिकारियों के साथ किया मंथन। RBI ने भी पहले ही कहा था बाजार से पूंजी जुटाकर बैलेंसशीट मजबूत करने को। इससे बैंकों को कारोबार विस्तार में मदद मिलेगी।
नई दिल्ली, पीटीआइ। वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) से कहा कि वे बाजार से पूंजी जुटाकर अपनी बैलेंसशीट को मजबूत करें। पूंजी बढ़ने से बैंकों को अपने कारोबार का विस्तार करने और प्रोडक्टिव सेक्टर को ज्यादा कर्ज देने में मदद मिलेगी। वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) सचिव संजय मल्होत्रा ने मंथन 2022 में पीएसबी के शीर्ष अधिकारियों को संबोधित किया। उन्होंने उम्मीद जताई कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक लाभ कमाने समेत सभी मानकों पर बेहतर प्रदर्शन करने का प्रयास करेंगे।
बैंकों से पूंजी जुटाकर उधार देने की क्षमता बढ़ाने को कहा
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी हाल में बैंकों से पूंजी जुटाकर उधार देने की क्षमता बढ़ाने को कहा था। मल्होत्रा ने कहा कि बैंक अपनी बैलेंसशीट को मजबूत करें। उन्होंने सुझाव दिया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को आपस में अधिक सहयोग करना चाहिए और बड़े बैंकों को छोटे बैंकों का मार्गदर्शन करना चाहिए।
मंथन 2022 का आयोजन किया गया
भारतीय बैंक संघ (आइबीए) ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के शीर्ष अधिकारियों के साथ क्षेत्र से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श तथा नए सुधारों को आगे बढ़ाने को लेकर मंथन 2022 का आयोजन किया गया। इससे पहले, इसका आयोजन 2019 में हुआ था। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का पहला मंथन कार्यक्रम 2014 में हुआ था। मल्होत्रा ने सुझाव दिया कि बैंकों को दीर्घकालीन लाभ और ग्राहक को केंद्र में रखने वाली रणनीतियों पर गौर करना चाहिए।
3.3 ट्रिलियन रुपये से अधिक का निवेश करने के लिए मजबूर होना पड़ा
फंसे कर्ज संकट से निपटने में मदद करने के लिए सरकार को वित्त वर्ष 2016 और वित्त वर्ष 21 के बीच सरकारी बैंकों में 3.3 ट्रिलियन रुपये से अधिक का निवेश करने के लिए मजबूर होना पड़ा था। चालू वित्त वर्ष के लिए, हालांकि, सरकार ने किसी भी कैपिटल फ्लो का बजट नहीं किया है, क्योंकि वित्त वर्ष 2012 की पहली तीन तिमाहियों में किसी भी सरकारी बैंक ने नुकसान बैंक पूंजी दर्ज नहीं किया है।
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