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रुझान कितने समय तक चलते हैं

रुझान कितने समय तक चलते हैं
-इसके अलावा मतगणना स्थल पर लगे बोर्ड पर प्रत्येक राउंड के बाद वोटों की गिनती चस्पा की जाती है।

रुझान कितने समय तक चलते हैं

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जानिए कैसे होती है वोटों की गिनती, कौन करता रुझान कितने समय तक चलते हैं है मतगणना

नई दिल्ली: पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आने शुरू हो गए हैं। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर, गोवा, और पंजाब के कुल 690 विधानसभा सीटों पर हुए मतदान की गिनती हो रही है और प्रथम रुझान आने शुरू हो गए हैं। मतगणना की इस पूरी प्रक्रिया में काफी लंबी जद्दोजहद होती है जिसे राज्य और केंद्र के अधिकारी, पुलिसकर्मी और अन्य कर्मचारी मिलकर रुझान कितने समय तक चलते हैं अंजाम देते हैं। तो आइए आपको बताते हैं कि आखिर काउंटिंग को कैसे अंजाम दिया जाता है और इसे किन-किन प्रक्रियाओं से गुज़रना पड़ता है। मतदान के खत्म होते ही सीलबंद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को मतगणना केंद्र पर लाकर उन्हें स्ट्रॉन्ग रुम में रखा जाता है जिसकी सुरक्षा 24 घंटे चाक-चौबंद होती है। स्ट्रॉन्ग रूम तीन स्तर के सुरक्षा चक्र से घिरी होती है ताकि किसी तरह की कोई ऐसी गतिविधि न हो जिससे की रुझान कितने समय तक चलते हैं ईवीएम को कोई नुकसान पहुंचे।

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स्वास्थ्य सेवाएं: कोरोना काल में फाजिल्का के 7 महीनों में 6 सिविल सर्जन बदले

(संजीव झांब)
कोरोना संक्रमण के चलते सरकार समय-समय पर बढ़िया स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने के दावे करती रहती हैं। इसी कड़ी में स्वास्थ्य विभाग पंजाब द्वारा अप्रत्याशित बदलियों का सिलसिला भी चलता रहता है। इसका सजीव प्रमाण सिविल सर्जन कार्यालय फाजिल्का है। जहां पर कोरोना संक्रमण के दौरान 7 मास के समय में 6 बार सिविल सर्जनों की नियुक्ति तथा स्थानांतरण किए गए। इससे सहज ही यह अनुमान लगाया जा सकता है कि यह स्थानांतरण कितना रोगियों के हित में है और कितना नियुक्त होने वाले अधिकारी और कितना स्थानांतरण करने वाले उच्चाधिकारियों/मंत्रियों के हित में है।

फाजिल्का में डॉ. सुरिंदर सिंह की नियुक्ति 28 फरवरी 2020 को बतौर सिविल सर्जन की गई थी लेकिन 2 मास के अल्प समय के उपरांत ही उनका स्थानांतरण कर दिया गया। उसके पश्चात डॉ. हरचंद सिंह सहायक सिविल सर्जन को 4 मई को कार्यवाहक सिविल सर्जन नियुक्त किया गया लेकिन मात्र लगभग 2 सप्ताह पश्चात उनका स्थानांतरण कर दिया गया। इस पर सहायक सिविल सर्जन डॉ. चंद्र मोहन कटारिया को एक बार फिर सिविल सर्जन का कार्यवाहक 20 मई को दिया गया था। 3 माह से तीन समय के उपरांत ही डॉ. एनके अग्रवाल की नियुक्ति रुझान कितने समय तक चलते हैं 12 अगस्त 2020 को फाजिल्का में की गई थी परंतु 2 सप्ताह में ही उनका स्थानांतरण भी कर दिया गया और 26 अगस्त को डॉ. भूपिंदर कौर को फाजिल्का नियुक्त किया गया। डेढ़ महीना पूरा होने से पहले ही उनका भी स्थानांतरण कर दिया गया और अब 9 अक्टूबर को एक सप्ताह पूर्व डॉ. कुंदन के पाल ने कोरोना संक्रमण के सातवें महीने में छठे सिविल सर्जन के रूप में कार्यभार संभाला है।

अश्वगंधा की खेती में बढ़ा रुझान

मोड़क स्टेशन | क्षेत्रमें औषधि फसल अश्वगंधा की कटाई जोरों पर है। फसल को जमीन से खोद कर काट कर सुखाने में काफी तेजी दिखाई दे रही है। अश्वगंधा की फसल क्षेत्र के हीरियाखेड़ी, पीपल्दा खीमच के उन खेतों में बोई जाती है, जहां पानी की अधिक समस्या है। किसानों के अनुसार यह फसल बरसात के पानी से खेतों में आई नमी से भी पैदा हो रुझान कितने समय तक चलते हैं जाती है। इस फसल को जानवर भी नहीं खाते हैं, इसलिए किसान खेतों में बहुतायत में बुआई करते हैं। किसान दुर्गालाल, किशन अहीर ने बताया कि अधिकांश खेतों पर कुओं में काफी कम पानी है।

किसान दूसरी फसलों को करने में विश्वास कम रखता है। जिसके पास सिंचाई का साधन नहीं होता वही अश्वगंधा की खेती करते हैं। अश्वगंधा की खेती करने वाले किसान बरसात के समय रुझान कितने समय तक चलते हैं खेतों में किसी प्रकार की कोई भी फसल की बुआई नहीं करते और बरसात के पानी की नमी से ही अश्वगंधा की फसल की बुआई कर देते हैं। फसल में कोई खाद और कीटनाशक दवाओं का भी छिड़काव नहीं करते हैं।

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