निवेश योजना

बचत एवं निवेश की बुनियादी बातें

बचत एवं निवेश की बुनियादी बातें
बचत पर मिलने वाले ऊंचे ब्‍याज पर जेटली ने उठाए सवाल, कहा इससे इकोनॉमी की रफ्तार होती है धीमी

SIMPLE समाचार : शेयर में निवेश की बुनियादी बातें

स्टॉक मार्केट के इस सीरीज में हम जानेंगे की मार्केट में जो पैसा लगाते हैं उनका रिटर्न बेहतर कैसे आता है. पैसा बैंक में रखना बेहतर है या स्टॉक मार्केट में लगाना. स्टॉक मार्केट में पैसा लगाते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए. स्टॉक मार्केट में लांग टर्म में पैसा लगाना बैंक से ज्यादा फायदेमंद है. इस एपिसोड में स्टॉक मार्केट में पैसा लगाने के पांच गोल्डन रूल्स जानेंगे.

Income Tax Savings को किसी भी योजना में निवेश का आधार बनाना बेहद जोखिम भरा कदम

हर वर्ष मार्च में सामान्य आयकर दाता वर्ग का एक बड़ा तबका आयकर बचाने के नए-नए उपाय खोजने की कोशिशों से जूझता मिलता है। यह सहज-स्वाभाविक है, क्योंकि बचत भविष्य की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है। खासतौर पर पिछले वर्ष कोरोना संकट के दौरान लाखों नौकरीपेशा लोगों को जिन आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, उसने लगभग एक पूरी पीढ़ी को बचत को और अधिक गंभीरता से लेने के लिए मजबूर किया है। हर आयकर दाता चाहता है कि उसे कमाई का न्यूनतम हिस्सा टैक्स के रूप में देना पड़े। लोगों में बचत के प्रति जिस हद तक जागरूकता बढ़ी है उसे देखते हुए बहुत से करदाताओं को टैक्स बचाने वाली योजनाओं के ऑफर निरंतर एसएमएस, फोन और ई-मेल के माध्यम से मिल रहे हैं।

सरकार ने भी करदाताओं के समक्ष आयकर बचाने के कई उपकरण पेश किए हुए हैं, जिनमें निवेश के माध्यम से वे पूरे वित्त वर्ष के दौरान हुई आय पर लगने वाले टैक्स का बड़ा हिस्सा बचा सकते हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षो के दौरान यह भी देखने में आया है बचत एवं निवेश की बुनियादी बातें कि इन्हीं महीनों के दौरान बहुत से करदाता टैक्स बचाने के फेर में ऐसी योजनाओं में निवेश कर लेते हैं जिनसे तात्कालिक रूप से तो टैक्स की बचत होती दिखती है, लेकिन दीर्घकाल में वे परेशानी का सबब बन जाती हैं। ऐसे में जरूरी है कि करदाता जब टैक्स बचाने की पड़ताल करें तो कुछ बातों का विशेष रूप से ध्यान रखें।

सबसे पहली बात, ऐसी किसी भी योजना में निवेश का फैसला करने वाले करदाताओं का प्राथमिक उद्देश्य बचत होता है। कोई भी निवेश अगर बचत की बुनियादी अवधारणा पर खरा नहीं उतरता, तो वह निवेशक के लिए बहुत काम का नहीं होता है। किसी भी योजना में निवेश से पहले इस बुनियादी तथ्य को समझ लेना बेहद जरूरी है। दिक्कत यह है कि टैक्स बचत का दावा करने वाली योजनाओं के सलाहकार भी ज्यादातर मामलों में करदाताओं के समक्ष उस तात्कालिक बचत का ही जिक्र करते हैं। वे अक्सर उन योजनाओं से जुड़े दीर्घकालिक जोखिमों का जिक्र करने से बचते हैं। खासतौर पर पेशेवर जिंदगी की शुरुआत करने वाले युवाओं के समक्ष यह प्रश्न और ज्यादा चुनौतीभरा होता है, क्योंकि उन्हें टैक्स बचाने के साथ-साथ भविष्य की भी चिंता होती है। इंश्योरेंस और म्यूचुअल फंड कंपनियां भी अधिकतर उन्हीं युवाओं को लक्षित करती हैं, जिनकी बचत की आदत अभी तक बनी नहीं है। उन्हें विभिन्न कंपनियां ललचाने वाले ऑफर्स पेश करती हैं। ऐसे में यह जानना जितना मुश्किल है उतना ही जरूरी भी कि टैक्स बचत के लिए किन योजनाओं का सहारा लिया जाए और किस हद तक लिया जाए।

इसका जवाब बेहद सरल है। इसे एक उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए आपके पास किसी कंपनी की तरफ से निवेश का एक ऑफर आता है जिसमें कहा जाता है कि अमुक योजना के तहत टैक्स भी बचाया जा सकता है और एक निश्चित समय के बाद इतना गुना रिटर्न भी मिल सकता है। प्रारंभिक तौर पर यह ऑफर बेहद आकर्षक लग सकता है। लेकिन जब इस योजना की तह में जाते हैं और उस योजना के ट्रैक रिकॉर्ड का विश्लेषण करते हैं तो पता चलता है कि आपकी निवेश योजना बाजार जोखिमों से जुड़ी थी और आपने जितनी अवधि के लिए निवेश किया था, उस अवधि में उस योजना ने बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। ऐसे में योजना की अवधि खत्म हो जाती है और उसके बाद निवेशकर्ता को लगता है कि उसमें निवेश से बेहतर था कि उतनी रकम बैंक खाते में ही छोड़ दी जाती। शायद तब भी उस निवेश के मुकाबले बैंक दर पर बेहतर ब्याज मिल जाता। बहुत से बचतकर्ताओं का यही संगठित अनुभव कहीं न कहीं लोगों को भविष्य निधि संगठन समेत अन्य उन सरकारी योजनाओं में निवेश को प्रेरित करता है जिनमें रिटर्न बहुत अधिक भले नहीं हो, लेकिन जमा रकम की सुरक्षा और रिटर्न की गारंटी रहती है।

दूसरी बात, वर्तमान निश्चित रिटर्न वाली चुनिंदा सरकारी योजनाओं को छोड़ दें, तो बाकी सभी योजनाओं का रिटर्न कमोबेश बाजार जोखिमों के अधीन है। यही वजह है कि निवेश पर कमाई पूरी तरह से इस पर निर्भर है कि आपकी जोखिम लेने की क्षमता कितनी है। वर्तमान में ऐसी दर्जनों म्यूचुअल फंड और अन्य योजनाएं हैं जिनमें निश्चित रिटर्न की भले कोई गारंटी नहीं हो, लेकिन उनका सकल रिटर्न कई अन्य निवेश उपकरणों के मुकाबले अधिक है। लेकिन इस तरह की योजनाएं उन निवेशकों के लिए मुफीद हो सकती हैं जिन्होंने उस निवेश से संभावित आय के साथ भविष्य की कोई योजना नहीं जोड़ रखी हो। जाहिर है, उन योजनाओं में सिर्फ टैक्स बचत के लिहाज से निवेश किया जाए तो वह घाटे का सौदा भी हो सकता है।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि निवेश का टैक्स बचाने से सीधा संबंध नहीं है। बचत एक आदत है। सरकार द्वारा किसी भी योजना में निवेश को टैक्स बचत के दायरे में रखने का उद्देश्य यही रहता है कि निवेशक बचत के लिए प्रेरित हों, क्योंकि भविष्य में यही काम आने वाला है। ऐसे में निवेशकों के लिए बेहतर यही है कि वे सिर्फ टैक्स बचाने के लिए कभी निवेश नहीं करें। निवेश का मौलिक मकसद बचत होता है, भविष्य की सुरक्षा होती है। महज इनकम टैक्स बचत को किसी भी योजना में निवेश का आधार बनाना बेहद जोखिमभरा साबित हो सकता है।

ELSS में निवेश से पहले जानने योग्य बातें

ELSS में निवेश से पहले जानने योग्य बातें जिन्हें जान कर यदि आप Equity Linked Saving Schemes में निवेश करेंगे तो आप बेहतर तरीके से ELSS को समझ पाएंगे और एक ऐसी निवेश योजना में निवेश कर पाएंगे जहां आप बेहतर रिटर्न ग्रोथ और टैक्स में बचत के लाभ एक साथ प्राप्त कर सकते हैं। ELSS के बारे में जानने के लिए आप ELSS in Hindi हमारी साइट पर पढ़ सकते हैं। Things to know before investing in Equity Linked Saving Schemes in Hindi.

ELSS में निवेश से पहले जानने योग्य बातें

ELSS में निवेश से पहले जानने योग्य बातें

ELSS में निवेश से पहले जानने योग्य बातें – उच्च रिटर्न और टैक्स में बचत

कर बचाने के लिए उपलब्ध विभिन्न विकल्पों में सबसे अधिक प्रचलित और बेहतर रिटर्न देने वाली योजना इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) है। Equity Linked Saving Schemes डाइवर्सिफाइड इक्विटी म्यूचुअल फंड हैं जो इक्विटी और इक्विटी से संबंधित प्रतिभूतियों में आपके पैसे का एक बड़ा हिस्सा निवेश करता है। फंड मैनेजर उन कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं जिन कम्पनियों में मजबूत विकास क्षमता और लचीला व्यावसायिक मॉडल है। ELSS फंड आपको इक्विटी बाजारों की क्षमता का उपयोग करके उच्च रिटर्न प्राप्त करने की कोशिश के साथ कर लाभ उठाने का एक आसान तरीका प्रदान करता है।

ELSS में निवेश से आप आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80 सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक कर कटौती का लाभ उठाने के पात्र हैं।

ELSS में निवेश से पहले जानने योग्य बातें

Equity Linked Saving Schemes फंड धन बढ़ाने और कर लाभ का आनंद लेने का सबसे प्रभावी तरीका है। ELSS में निवेश करने से पहले कुछ चीजें आपको ध्यान में रखने की ज़रूरत है।

Things to know before investing in ELSS in Hindi

यह संभव है कि आप इक्विटी में निवेश करना चाहते हैं लेकिन यह नहीं पता कि कहां से शुरू करना है। अपने पहले चरण के रूप में ईएलएसएस फंडों को आजमा सकते हैं। शेयर बाजारों में सीधे निवेश की तुलना में, ईएलएसएस फंड इक्विटी में निवेश करने का एक आदर्श तरीका है।

पेशेवर फंड मेनेजमेंट के साथ आपको नाममात्र प्रारंभिक निवेश पर एक अच्छी तरह से डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो का लाभ मिलता है। आप 500 रुपये में एक SIP शुरू कर सकते हैं और बाजार में होने वाले उतार चढ़ाव के से तनाव मुक्त रह सकते हैं।

लॉक इन पीरियड

धारा 80 सी के तहत पेश किए गए अन्य सभी कर-बचत उत्पादों में इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम की सबसे छोटी लॉक-इन अवधि है। इसमें 3 साल की लॉक-इन अवधि है जिसका अर्थ है कि आप 3 साल पूरा होने से पहले अपने निवेश को रिडीम नहीं कर सकते हैं।

तुलनात्मक रूप से सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) में 15 साल का लॉक-इन पिरीयड है और राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (एनएससी) पांच साल के लॉक-इन पीरियड के साथ आता है।

मगर ऐसा नहीं है कि Equity Linked Saving Schemes फंड को बचत एवं निवेश की बुनियादी बातें अल्पावधि निवेश के विकल्प के रूप में देखा जाए। ईएलएसएस में एक इक्विटी निवेश होने के नाते आपको कम से कम 7 से 10 वर्षों का दीर्घकालिक निवेश की सोच रखने की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त आपको ईएलएसएस फंड में निवेश करते समय लक्ष्य उन्मुख होना चाहिए जिससे आप इस योजना का अधिकतन लाभ उठा सकते हैं।

ELSS निवेश में शामिल रिस्क

ईएलएसएस फंड ज्यादातर कंपनियों के इक्विटी स्टॉक में निवेश करते हैं। इक्विटी फंड नेट एसेट वैल्यू एनएवी में उतार-चढ़ाव का जोखिम लेते हैं। इसके कारण, ईएलएसएस फंड एक नए निवेशक के लिए जोखिम भरा प्रस्ताव प्रतीत हो सकता है। हालांकि इसकी वजह से ऐसे निवेशों का लाभ लेने से घबराना नहीं चाहिए।

आपको बस इतना करना है कि लम्बी अवधि के लिए निवेश किया जाए। अन्य परिसंपत्ति वर्गों की तुलना में, इक्विटी फंडों को लंबे समय तक औसत रिटर्न देने वाला माना जाता है। लम्बी अवधि का निवेश उतार चढ़ाव की अस्थिरता पर काबू पाने में मदद करता है। बाजार की अस्थिरता छोटी अवधि के निवेशों पर अधिक असर डालती है।

कर छूट की अधिकतम सीमा

धारा 80 सी में कर छूट के लिए कई योजनाएं उपलब्ध हैं जिसमें कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) और जीवन बीमा पॉलिसी जैसे कई निवेश योजनाएँ शामिल हैं जो कर कटौती के लिए उपयोग की जा सकतीं हैं। धारा 80 सी के तहत उपलब्ध अधिकतम कर छूट सीमा 1.5 लाख रुपये है। यदि आपने पहले से ही अन्य निवेशों के माध्यम से कुछ निवेश किया है तो ईएलएसएस में आपका पूरा निवेश कटौती के लिए उपलब्ध नहीं हो सकता। इस प्रकार आपकी निवेश राशि को अंतिम रूप देने से पहले निवेश की राशि के बारे में निर्णय लेने के लिए कुछ बुनियादी गणना करनी पड़ेगी। जानिये अन्य टैक्स सेविंग स्कीम कौन कौन सी हैं।

अधिकतम रिटर्न की उम्मीद

इक्विटी में निवेश करने के कारण ईएलएसएस फंडों में अन्य निवेशों के मुकाबले ज्यादा रिटर्न देने की क्षमता रखते है। लेकिन आप निवेश पर रिटर्न के बारे में अवास्तविक उम्मीद नहीं कर सकते हैं। इसके अलावा, इक्विटी में कोई गारंटीकृत रिटर्न नहीं है। फंड प्रदर्शन विभिन्न समय अवधि के अनुसार भिन्न भिन्न हो सकता है। केवल तभी जब आप लंबे समय तक निवेश करते हैं तभी अछे रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं।

ईएलएसएस फंडों में निवेश का सबसे अच्छा तरीका वित्तीय वर्ष की शुरुआत में ही निवेश की योजना बनाना है। साल के आखिर तक अपने कर बचत निवेश स्थगित न करें। लक्ष्य निर्धारित करके और योजनाबद्ध दृष्टिकोण अपना कर निवेश करना आपको बचत एवं निवेश की बुनियादी बातें आपकी आवश्यकताओं के अनुरूप सही ईएलएसएस फंड का चयन करने में मदद करेगा।

बचत पर मिलने वाले ऊंचे ब्‍याज पर जेटली ने उठाए सवाल

निजी क्षेत्र में निवेश के अभी भी गति न पकड़ने के बीच वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने बचत पर ऊंची ब्याज दरों को लेकर सवाल उठाए।

Abhishek Shrivastava
Published on: July 09, 2016 16:42 IST

बचत पर मिलने वाले ऊंचे ब्‍याज पर जेटली ने उठाए सवाल, कहा इससे इकोनॉमी की रफ्तार होती है धीमी- India TV Hindi News

बचत पर मिलने वाले ऊंचे ब्‍याज पर जेटली ने उठाए सवाल, कहा इससे इकोनॉमी की रफ्तार होती है धीमी

नई दिल्‍ली। निजी क्षेत्र में निवेश के अभी भी गति न पकड़ने के बीच वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने बचत पर ऊंची ब्याज दरों को लेकर सवाल उठाए। उन्‍होंने कहा कि यह सोचने वाली बात है कि क्या हमें बचत पर ऊंची ब्याज दर जारी रखनी चाहिए क्योंकि इससे कर्ज महंगा होता है और अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी होती है।

उन्होंने कहा कि भारत की स्थिति इस मामले में काफी बचत एवं निवेश की बुनियादी बातें विचित्र है, क्योंकि यहां घरेलू बचत दर भी काफी ऊंची है। जेटली ने सवाल उठाते हुए कहा, क्या हमें घरेलू बचत का प्रयोग केवल ऊंची ब्याज आय वाले साधनों में ही करना चाहिए और ऐसी ब्याज व्यवस्था बनानी चाहिए जो कि बहुत महंगी हो और अर्थव्यवस्था को धीमी बनाती हो या फिर हमें ऊंची ब्याज दरें ऐसे कोषों, बांड और शेयरों के माध्यम से मिलनी चाहिए (जो कि आर्थिक गतिविधियों और परियोजनाओं का वित्तपोषण करते हैं)।

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उन्होंने यह बात यहां बीएसई के 140 वर्ष पूरे होने की स्मृति में डाक टिकट जारी करने के दौरान कही। जेटली ने कहा कि सारी आर्थिक गतिविधियों का सार निवेश में है और यह वहां से आता है जहां संसाधन उपलब्ध होते हैं। उन्होंने कहा, इनमें से कई सारे माध्यम सुरक्षित निवेश भी हैं, जो लोगों को एक बहुत अच्छा मुनाफा देते हैं। यही वह आधार है जिस पर दुनियाभर के पेंशन कोष काम कर रहे हैं। मेरा मानना है कि इन माध्यमों से हम अगले कुछ सालों और दशकों में वृद्धि कर सकते हैं। अधिक से अधिक अवसर हमारे पास आएंगे। वित्त मंत्री अरुण जेटली के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था को ज्यादा और लंबे समय के निवेश की जरूरत है ताकि दशकों से व्याप्त बुनियादी ढांचे और औद्योगिकीकरण के घाटे की खाई को पाटा जा सके।

उन्‍होंने कहा, और सभी तरह की गतिविधियों का शुरुआती बिंदु निवेश होना चाहिए। यह संसाधनों को जुटाकर होना चाहिए, यह निजी क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों से और कभी-कभी सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के जरिये होना चाहिए, जो यह सुनिश्चत करे कि घाटे की भरपाई हो सके। जेटली ने कहा कि इस संबंध में बीएसई एक महत्वपूर्ण संस्थान है। पिछले कुछ सालों के दौरान भारत में गतिविधियां बढ़ी हैं। यह वृद्धि आवश्यक रूप से सार्वजनिक निवेश और एफडीआई बढ़ने से आई है। विकास की इस प्रक्रिया में निजी क्षेत्र का उल्लेखनीय निवेश अभी दिखना बाकी है।

बिना जोखिम अपने धन को करना है दोगुना, तो इन सुरक्षित निवेश विकल्‍पों पर करें गौर

यदि आप बिना जोखिम के अपने धन की उचित वृद्धि चाहते हैं तो इसके लिए सदैव दीर्घकालीन निवेश योजनाएं अच्छी होती हैं।

Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: July 11, 2016 8:19 IST

Safe Investment: बिना जोखिम अपने धन को करना है दोगुना, तो इन सुरक्षित निवेश विकल्‍पों पर करें गौर- India TV Hindi News

Safe Investment: बिना जोखिम अपने धन बचत एवं निवेश की बुनियादी बातें को करना है दोगुना, तो इन सुरक्षित निवेश विकल्‍पों पर करें गौर

नई दिल्‍ली। अर्थशास्‍त्र का बुनियादी सूत्र है कि प्रत्येक व्‍यक्ति को अपनी सकल आय का एक निश्चित भाग सदैव बचाना और निवेश करना चाहिए। आपकी विभिन्न वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वित्‍तीय बाजार में कई तरह के उत्‍पाद मौजूद हैं। यदि आप बिना जोखिम के अपने धन की उचित वृद्धि चाहते हैं तो इसके लिए सदैव दीर्घकालीन निवेश योजनाएं अच्छी होती हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि किसी भी दीर्घकालीन निवेश योजना के लिए निवेश का समय कम से कम 6 वर्ष या इससे अधिक होना चाहिए।

धन की उचित वृद्धि के लिए वित्‍तीय बाजार में उपलब्ध सुरक्षित निवेश विकल्पों में से कुछ के बारे में इंडिया टीवी पैसा की टीम आज यहां बता रही है। इनमें से आवश्यकता के अनुसार किसी भी विकल्प का चयन किया जा सकता है।

1- फिक्स्ड डिपॉजिट: यह सबसे सरल और प्रचलित निवेश विकल्प है। यद्यपि फि‍क्‍स्‍ड डिपॉजिट के लिए अलग-अलग बैंकों के अलग-अलग नियम हो सकते हैं, उनके ब्याज दरों में भी अंतर संभव है, किन्तु फिर भी निवेशकों द्वारा बैंकों के फिक्स्ड डिपॉजिट सबसे अच्छे विकल्प के रूप में स्वीकार किए जाते हैं। क्‍योंकि यह बचत का सबसे अच्छा विकल्प है, जो अपनी अवधि की पूर्णता पर धन की लाभ सहित वापसी को सुनिश्चित करता है।

2- राष्ट्रीय बचत पत्र: आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80सी के अंतर्गत आयकर से मुक्त बचत प्रमाण भारत सरकार द्वारा जारी किए जाते हैं। इसे भारतीय डाक सेवा के किसी भी स्थानीय केंद्र (पोस्ट ऑफिस) से प्राप्त किया जा सकता है। यह 5 अथवा 10 वर्ष की अवधि के लिए होते हैं और आवश्यकता पड़ने पर इन्हें किसी भी बैंक के पास गिरवी रख कर कर्जा भी लिया जा सकता है।

3- पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ): छोटी-छोटी जमाओं द्वारा एक निश्चित लाभ प्राप्त करने के लिए पब्लिक प्रोविडेंट फंड का विकल्प बहुत अच्छा है। यह सन 1968 में वित्त मंत्रालय द्वारा शुरू की गई एक बेहतरीन योजना है, जो जमाकर्ता को बचत के साथ-साथ टैक्‍स बचत का विकल्प भी देती है। इस योजना की एक अच्छी बात यह है कि इस योजना में एक निवेश वर्ष में 500 रुपए से 1.5 लाख रुपए तक एक बार में भी जमा किया जा सकता है, किन्तु इसमें परिपक्वता अवधि तक निरंतर निवेश आवश्यक है। क्‍योंकि इस योजना की एक परिपक्वता अवधि होती है और उसके पूरे होने के बाद निवेश की रकम को पूरा प्राप्त किया जा सकता है।

4- मनी मार्केट और संबंधित फंड: बचत खाते की तुलना में जब आप अधिक लाभ चाहते हैं तो वित्तीय बाजार और उनसे संबंधित फंड अच्छा लाभ देते हैं। यदि आपके पास सरप्लस पैसा है, तो यह अतिरिक्‍त धन बचत खाते से अधिक लाभ हेतु वित्तीय बाजारों और उनसे संबंधित फंड्स में निवेश करना चाहिए। वित्तीय बाजारों और बचत एवं निवेश की बुनियादी बातें उनसे जुड़े उत्पादों में निवेश हेतु निवेशक में निवेश योग्यता का होना आवश्यक है।

5-रियल एस्टेट निवेश: भूमि का एक टुकड़ा कौन नहीं चाहता है? अधिकांश लोग अपनी आय का निवेश अपने लिए एक घर की खरीद हेतु करते हैं इस क्षेत्र में निवेश से पहले निवेश होने योग्य संपत्ति और उसके कागजात की जांच भली भांति अवश्य करें।

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