शुरुआती लोगों के लिए निवेश के तरीके

किस ब्रोकर का उपयोग करना है?

किस ब्रोकर का उपयोग करना है?

एल्गो ट्रेडिंग में किस्मत आजमाएं तो कम ही पूंजी लगाएं

शेयर बाजार की तेजी छोटे निवेशकों को इक्विटी की ओर खींच रही है। ऐसे में कुछ निवेशक एल्गोरिदम कारोबार में भी किस्मत आजमा रहे हैं। कंप्यूटर-प्रोग्राम पर आधारित कारोबार में खुदरा निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी के कारण ब्रोकर भी उनको इस सुविधा की पेशकश करने लगे हैं। पिछले कुछ महीनों में 5पैसा, जीरोधा, एसएमसी ग्लोबल सिक्योरिटीज और अपस्टॉक्स जैसे शेयर ब्रोकरों ने अपने प्लेटफॉर्मों पर छोटे निवेशकों को ऑटोमेटेड सौदे करने की सुविधा दी है। 5पैसा के मुख्य कार्याधिकारी प्रकाश गगडानी ने कहा, 'हमने हाल में जब से एल्गोरिदम कारोबार के लिए प्लेटफॉर्म शुरू किया है, तब से हमको एल्गोरिद्म कारोबार के बारे में छोटे निवेशकों से बड़ी तादाद में पूछताछ मिल रही है।' वह कहते हैं कि इनमें से कई निवेशक या तो एल्गो ट्रेडिंग को आजमाना और जानना चाहते हैं कि यह प्रणाली किस तरह काम करती है या फिर किस ब्रोकर का उपयोग करना है? उनकी अपनी खुद की रणनीति है और इसके लिए वे इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करना चाहते हैं। ब्रोकरों और निवेशकों की मांग को देखते हुए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) भी एल्गो ट्रेडिंग में छोटे निवेशकों की भागीदारी के लिए नियमों की योजना बना रहा है। बाजार नियामक एक ऐसे श्वेत पत्र पर काम कर रहा है जो यह स्पष्टï करेगा कि किस हद तक व्यक्तिगत निवेशकों को कंप्यूटर प्रोग्राम पर आधारित सौदों के इस्तेमाल की किस ब्रोकर का उपयोग करना है? अनुमति दी जानी चाहिए। इस समय खुदरा निवेशकों के लिए एल्गोरिदम ट्रेडिंग के कोई नियम-कानून नहीं है।

एल्गो ट्रेडिंग एक ऐसा कंप्यूटर प्रोग्राम है जो निवेशक द्वारा तय नियमों के आधार पर खरीदारी या बिकवाली कर देता है। यदि निवेशक किसी विमानन कंपनी का शेयर तब खरीदना चाहता है जब तेल कीमतों में गिरावट आए तो वे ऐसे अवसरों की पहचान के लिए वे प्रोग्राम तैयार कर सकते हैं। एल्गो कारोबार का ज्यादातर इस्तेमाल डेरिवेटिव सौदों के लिए होता है जिसे मल्टी-लेग स्ट्रेटजी यानी बहुआयामी रणनीति भी कहा जाता है। इसमें एक समय में एक से अधिक सौदे किए जाते हैं। उदाहरण के लिए, टू-लेग स्ट्रेटेजी यानी दोतरफा रणनाति में निवेशक वायदा खरीद सकता है और साथ ही पुट को भी बेच सकता है। तकनीकी विश्लेषण का इस्तेमाल करने वाले निवेशक चार्ट और पैटर्न के आधार पर भी सौदे कर सकते हैं।

शुरू से ही ऐसे प्रोग्राम मौजूद हैं जो मौके की पहचान में निवेशकों की मदद करते रहे हैं। लेकिन ब्रोकरों ने ऐसे प्लेटफॉर्म की पेशकश नहीं की जो अवसर की पहचान करके अपने आप से सौदे कर सकें। लेकिन अब छोटे निवेशकों पर ध्यान दे रहे ब्रोकर उनके लिए अपने आप हो जाने वाले सौदों की पेशकश कर रहे हैं। एल्गो के इस्तेमाल का एक सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें सौदों से जुड़ी किसी तरह की धारणा नहीं होती है। विश्लेषकों का कहना है कि लगभग 95 प्रतिशत लोग दिन के कारोबार में रकम गंवाते हैं और लगभग 70 प्रतिशत नए डीमैट खाते तीन महीने के अंदर बंद हो जाते हैं। छोटे निवेशकों को एल्गोरिदम ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर मुहैया कराने वाली कंपनी क्वांटइंडिया डॉट इन के संस्थापक रामकृष्णन एस कहते हैं, 'लोग ट्रेडिंग तो शुरू कर देते हैं, लेकिन जब उन्हें नुकसान होता है तो इसे बंद कर देते हैं। लोग बाजार में आते हैं, कुछ पैसा कमाते हैं, फिर बड़े नुकसान का शिकार हो जाते हैं और बाजार से निकल जाते हैं। यह इसलिए होता है क्योंकि इससे उनकी भावनाएं और इच्छाएं जुड़ जाती हैं।'

चूंकि सौदे स्वत: होते हैं। इसलिए निवेशक को अवसर तलाशने और सौदे करने के लिए हर समय कंप्यूटर के सामने बैठे रहने की जरूरत नहीं होती है। प्रोग्राम-आधारित ट्रेडिंग अधिक तेज भी है और इसमें कई सौदे तुरंत और एक साथ किए जा सकते हैं। जीरोधा के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी नितिन कामत कहते हैं, 'चूंकि इसमें ऑर्डरों का प्रबंधन कंप्यूटर ही करता है, इसलिए ऐसे कारोबार में भावनाएं हावी होने की कम आशंका रहती है।' इसमें अच्छी बात यह है कि यदि निवेशक की अपनी खुद की रणनीति है तो वह यह बहुत अच्छी तरह से समझ सकता है कि विभिन्न बाजार हालात में एल्गो ने किस तरह से काम किया।

निवेशक बाजार में अचानक उतार-चढ़ाव से स्वयं को बचाने के लिए भी एल्गो का इस्तेमाल कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, निफ्टी एक दिन में लगभग 15 मिनट के अंदर 300 अंक लुढ़क सकता है। अगर कंप्यूटर का सॉफ्टवेयर बाजार पर नजर रखे हुए है तो वह अपने आप आपकी पोजीशन खत्म कर देगा। लेकिन यदि कारोबारी पारंपरिक तौर पर कारोबार कर रहा है तो उसे अपनी पूरी पूंजी से हाथ धोना पड़ सकता है।

निवेशकों के पास या तो एक्सचेंज से मान्यता प्राप्त उन रणनीतियों को इस्तेमाल करने का विकल्प होता है जो ब्रोकरों के प्लेटफॉर्मों पर उपलब्ध होती हों या फिर वे अपनी स्वयं की रणनीति बना सकते हैं। अपनी स्वयं की रणनीति बनाने के लिए किसी निवेशक को ब्रोकर के जरिये एक्सचेंज से संपर्क करने और अपनी रणनीति मंजूर करानी होगी। इस वजह से ब्रोकर द्वारा एल्गो ट्रेडिंग के लिए की जाने वाली पेशकश थोड़ी अलग होती है। 5पैसा और एसएमसी ग्लोबल सिक्योरिटीज के पास अपने प्लेटफॉर्मों पर एक्सचेंज-स्वीकृत रणनीतियां हैं। एल्गो ट्रेडिंग को अच्छी तरह से समझने के लिए नए निवेशक इन लोकप्रिय रणनीतियों का इस्तेमाल कर सकते हैं।

लेकिन जीरोधा जैसे ब्रोकर किसी तरह की रणनीति की पेशकश नहीं करते हैं। वे महज प्लेटफॉर्म मुहैया कराते हैं जहां उनके ग्राहक प्रोग्राम लिख सकते हैं और अपने सौदे अपने आप कर सकते हैं मगर तभी जब उनकी रणनीति एक्सचेंज मंजूर कर दे। चूंकि एल्गो ट्रेड के कारण दुनिया में कुछेक बार बाजार धराशायी हो चुके हैं। लिहाजा एक एक्सचेंज यह जांच करता है कि कोई प्रोग्राम कैसे समूचे कारोबार को प्रभावित कर सकता है। 5पैसा अपने प्लेटफॉर्म और रणनीति मंजूर कराने के लिए सालाना 25,000 रुपये वसूलती है। यदि कोई व्यक्ति यह नहीं जानता है कि कंप्यूटर प्रोग्राम किस तरह लिखा जाए तो ब्रोकर कोडिंग में उसकी मदद करता है और उसका शुरुआती शुल्क 25,000 रुपये है।

वर्ष 2012 में एक अमेरिकी वित्तीय सेवा कंपनी नाइट कैपिटल गु्रप ने ट्रेडिंग में चूक की वजह से 30 मिनट के अंदर 44 करोड़ डॉलर गंवा दिए। यह सही है कि एल्गोरिदम प्रणाली शेयर कारोबार का भविष्य है लेकिन एक्सचेंज, कारोबारी या ब्रोकर के छोर पर छोटी सी चूक भी आपकी पूंजी साफ कर सकती है। लिहाजा, यह जरूरी है कि कोई निवेशक ब्रोकर द्वारा पेश की जा रही प्रौद्योगिकी को अच्छी तरह से समझने में थोड़ा वक्त लगाए। आपको कुछ तकनीकी समझ होना जरूरी है। अगर आप कोई चूक करते हैं तो आपको यह पता होना चाहिए कि उसे कैसे दूर करें। निवेश के किसी दूसरे तौर-तरीके की तरह इसमें भी निवेशक को एल्गो ट्रेडिंग समझने के लिए भी अपना वक्त देना पड़ेगा जिससे कि इसका डर खत्म हो जाए। साथ ही उसे इस्तेमाल की जा रही अपनी रणनीति को और बेहतर बनाना होगा। कोई व्यक्ति अगर वाकई सार्थक मुनाफा कमाना चाहता है तो उसे कम से कम 3 से 6 महीने तक अपनी रणनीति का इस्तेमाल करना होगा। यदि आपको शुरू में प्रतिफल नहीं मिले तो शुरुआती महीनों में ही एल्गो को अलविदा न कहें। चेन्नई के 41 वर्षीय प्रोग्रामर राजेश गणेश इस समय एक एल्गो-ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर के कोड लिख रहे हैं। गणेश कहते हैं, 'कई प्लेटफॉर्म अपने निवेशकों को ऐतिहासिक डेटा के आधार पर किस ब्रोकर का उपयोग करना है? अपनी रणनीतियां आजमाने की अनुमति देते हैं। उन रणनीतियों का इस्तेमाल न करें जो परखी हुई न हों। यदि आप तकनीक के शौकीन हैं और अपने स्वयं के कोड्ïस लिख सकते हैं तो ऐसे परिदृश्य के विपरीत रणनीति को आजमाएं जिसमें बाजार में गिरावट आई हो या बाजार में अचानक बड़ा उतार-चढ़ाव आया हो।' चूंकि छोटे निवेशकों के लिए एल्गो ट्रेडिंग अभी शुरुआती अवस्था में है, इसलिए अपने डायरेक्ट इक्विटी पोर्टफोलियो का छोटा हिस्सा ही इसमें इस्तेमाल करें। कई ब्रोकरों और विश्लेषकों का कहना है कि निवेशकों को एल्गो पर आधारित शेयरों में ट्रेडिंग के लिए अपने पोर्टफोलियो का 15-20 फीसदी से ज्यादा हिस्सा नहीं लगाना चाहिए।

स्टॉक मार्केट के निवेशकों के लिए बड़ी खबर, 1 किस ब्रोकर का उपयोग करना है? जुलाई से डीमैट खातों में होगा बड़ा बदलाव, ब्रोकर्स को करना होगा ये काम

पूंजी बाजार नियामक सेबी ने घोषणा की कि स्टॉक ब्रोकरों के सभी अनटैग डीमैट खातों को जून के अंत तक टैग किया जाना चाहिए. 1 जुलाई से टैग न किए गए किसी भी डीमैट खाते (Demat Account) में कोई भी सिक्योरिटीज जमा नहीं की जाएंगी.

स्टॉक मार्केट के निवेशकों के लिए बड़ी खबर, 1 जुलाई से डीमैट खातों में होगा बड़ा बदलाव, ब्रोकर्स को करना होगा ये काम

TV9 Bharatvarsh | Edited By: संजीत कुमार

Updated on: Jun 21, 2022 | 7:50 AM

शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने वालों के लिए बड़ी खबर है. कैपिटल मार्केट रेग्युलेटर सेबी (Sebi) ने कहा है कि स्टॉक ब्रोकरों के सभी डीमैट खाते (Demat Account), जो बिना टैग के हैं, उन्हें जून के अंत तक उचित रूप से टैग करने की जरूरत है. 1 जुलाई से बिना टैग वाले किसी भी डीमैट खाते में सिक्योरिटीज को जमा करने की अनुमति नहीं होगी. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक सर्कुलर में कहा, हालांकि, कॉरपोरेट कार्यों के कारण क्रेडिट की अनुमति होगी.बैंक और डीमैट खातों की टैगिंग उस उद्देश्य को दर्शाती है जिसके लिए उन बैंक/डीमैट खातों का रखरखाव किया जा रहा है और ऐसे खातों की स्टॉक एक्सचेंजों/डिपॉजिटरी को रिपोर्ट करना.

सेबी ने किस ब्रोकर का उपयोग करना है? आगे कहा कि अगस्त से बिना टैग वाले किसी भी डीमैट खाते में सिक्योरिटीज के डेबिट की भी अनुमति नहीं होगी. स्टॉक ब्रोकर को 1 अगस्त से ऐसे डीमैट खातों को टैग करने की अनुमति देने के लिए स्टॉक एक्सचेंजों से मंजूरी लेनी होगी और बदले में एक्सचेंजों को अपने इंटर्नल पॉलिसी के अनुसार जुर्माना लगाने के बाद दो वर्किंग डे के भीतर इस तरह की मंजूरी देनी होगी. सेबी ने कहा, स्टॉक ब्रोकरों के सभी डीमैट खाते जो बिना टैग के हैं, उन्हें 30 जून, 2022 तक उचित रूप से टैग करने की जरूरत है.

इन डीमैट खातों पर लागू नहीं होगा नियम

यह फ्रेमवर्क उन डीमैट खातों के लिए लागू नहीं होगा जिनका उपयोग स्टॉक ब्रोकरों द्वारा बैंकिंग गतिविधियों के लिए विशेष रूप से किया जाता है जो बैंक भी हैं. वर्तमान में, स्टॉक ब्रोकरों को केवल पांच श्रेणियों के तहत डीमैट खातों को बनाए रखने की जरूरत होती है – प्रोप्रिएटर अकाउंट, पूल खाता, क्लाइंट अनपेड सिक्योरिटीज, क्लाइंट सिक्योरिटीज मार्जिन प्लेज अकाउंट और मार्जिन फंडिंग अकाउंट के तहत क्लाइंट सिक्योरिटीज.

नियमों के तहत, स्टॉक ब्रोकर के मालिकाना डीमैट खातों को ‘स्टॉक ब्रोकर प्रोपराइटरी अकाउंट’ के रूप में नामित करना किस ब्रोकर का उपयोग करना है? वॉलेंटरी है और जिन खातों को टैग नहीं किया गया है, उन्हें प्रोपराइटरी माना जाएगा.

वित्त वर्ष 2021 में सेबी की कुल आय 1.55 फीसदी बढ़ी

पूंजी बाजार नियामक सेबी की कुल आय वित्त वर्ष 2020-21 में मामूली रूप से बढ़कर 826 करोड़ रुपए हो गई. आय बढ़ने का मुख्य कारण निवेश और शुल्क से होने वाली आय का बढ़ना है. सेबी के वार्षिक खातों के अनुसार, 31 मार्च, 2021 को समाप्त वर्ष के लिए नियामक का कुल खर्च बढ़कर 667.2 करोड़ रुपए हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष में 588.14 करोड़ रुपए था.

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दूसरी ओर, नियामक की शुल्क आय 608.26 करोड़ रुपए से बढ़कर 610.10 करोड़ रुपए, निवेश से आय 170.35 करोड़ रुपए से बढ़कर 182.21 करोड़ रुपए और अन्य आय 18.15 करोड़ रुपए से बढ़कर 21.5 करोड़ रुपए हो गई.

Explainer : क्‍या है अल्‍गो ट्रेडिंग और सेबी के किस नियम से ब्रोकर्स में मचा हड़कंप, क्‍या इस ट्रेडिंग से मिलता है तय रिटर्न?

सेबी ने अल्‍गो ट्रेडिंग को लेकर ब्रोकर्स के लिए नियम बना दिए हैं.

सेबी ने अल्‍गो ट्रेडिंग को लेकर ब्रोकर्स के लिए नियम बना दिए हैं.

सेबी ने हाल में ही अल्‍गो ट्रेडिंग को लेकर नियम बनाया है. देश में तेजी से बढ़ रही इस ट्रेडिंग को लेकर अभी तक कोई रेगुले . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : September 07, 2022, 15:15 IST

हाइलाइट्स

पिछले सप्‍ताह बाजार नियामक सेबी ने इसे लेकर कुछ नियम बना दिए हैं.
स्‍टॉक की खरीद-फरोख्‍त पूरी तरह कंप्‍यूटर के जरिये की जाती है.
इसमें जैसे ही आप बटन दबाते हैं, कंप्‍यूटर ट्रेडिंग शुरू कर देता है.

नई दिल्‍ली. अग्‍लो ट्रेडिंग जिसका पूरा नाम अल्गोरिदम ट्रेडिंग (Algorithm Trading) है, यह वैसे तो भारत में नया कॉन्‍सेप्‍ट है लेकिन इसका इस्‍तेमाल साल 2008 से ही होता रहा है.

अल्‍गो ट्रेडिंग को लेकर अभी तक ब्रोकर तय रिटर्न का दावा करते थे, लेकिन पिछले सप्‍ताह बाजार नियामक सेबी ने इसे लेकर कुछ नियम बना दिए हैं और इसके बाद से ट्रेडिंग की इस नई विधा पर बहस भी शुरू हो गई है. इस बहस को हवा तब मिली जब जिरोधा के फाउंडर निखिल कामत ने अल्‍गो ट्रेडिंग के तय रिटर्न वाले दावे पर सवाल उठाए. उन्‍होंने कहा, अभी तक इसे लेकर काफी भ्रम फैलाया जा चुका है.

कैसे होती है अल्‍गो ट्रेडिंग
अल्‍गो ट्रेडिंग में स्‍टॉक की खरीद-फरोख्‍त पूरी तरह कंप्‍यूटर के जरिये की जाती है. इसमें स्‍टॉक चुनने के लिए जिस गणना का उपयोग होता है, वह भी कंप्‍यूटर द्वारा ही किया जाता है. इसीलिए इसका नाम ऑटोमेटेड या प्रोग्राम्‍ड ट्रेडिंग भी है. इसके लिए कंप्‍यूटर में पहले से ही अलग-अलग पैरामीटर्स के हिसाब से गणनाएं फीड की जाती हैं. साथ ही स्‍टॉक को खरीदना या बेचना है उसका निर्देश, शेयर बाजार का पैटर्न और सभी नियम व शर्ते भी पहले से फीड कर दी जाती हैं. जैसे ही आप बटन दबाते हैं, कंप्‍यूटर ट्रेडिंग किस ब्रोकर का उपयोग करना है? शुरू कर देता है.

इस सिस्‍टम का लिंक स्‍टॉक एक्‍सचेंज के सर्वर से जुड़ा होता है, लिहाजा बाजार की पल-पल की अपडेट भी मिलती रहती है. इसकी मदद से ट्रेडिंग का समय काफी बच जाता है और ब्रोकर किस ब्रोकर का उपयोग करना है? को भी सही स्‍टॉक चुनने में मदद मिलती है. यही कारण है कि अभी तक ब्रोकर यह दावा करते थे कि अल्‍गो ट्रेडिंग के जरिये तय रिटर्न मिलना आसान है. उनका तर्क था कि यह सिस्‍टम किसी स्‍टॉक की भविष्‍य की संभावनाओं और पुराने प्रदर्शन का सही व सटीक आकलन कर सकता है.

क्‍यों पड़ी सेबी की निगाह
बाजार नियामक सेबी ने दिसंबर, 2021 में ही कहा था कि वह जल्‍द ही अल्‍गो ट्रेडिंग को लेकर कुछ नियम बनाने वाला है. सेबी के दखल देने की सबसे बड़ी वजह यह है कि अभी भारतीय शेयर बाजार में होने वाली करीब 50 फीसदी ट्रेडिंग इसी विधा के जरिये की जाती है. इससे पहले तक यह ट्रेडिंग पूरी तरह नियंत्रण से बाहर थी, लेकिन अब सेबी ने इसे लेकर कुछ नियम बना दिए हैं.

क्‍या है सेबी का नया नियम
बाजार नियामक ने पिछले सप्‍ताह एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा कि जो भी ब्रोकर अल्‍गो ट्रेडिंग की सेवाएं देते हैं, वे प्रत्‍यक्ष या अप्रत्‍यक्ष किसी भी रूप में स्‍टॉक के पुराने प्रदर्शन या भविष्‍य की संभावनाओं की जानकारी अपने उत्‍पाद के साथ नहीं दे सकेंगे. यह कदम ब्रोकर्स के उन दावों के बाद उठाया गया है, जिसमें अल्‍गो ट्रेडिंग की मदद से निवेशकों को तय और ऊंचे रिटर्न का झांसा दिया जाता था.

सेबी ने अपने सर्कुलर में यह भी कहा है कि अगर कोई ब्रोकर या उससे जुड़ी फर्म ने अपनी वेबसाइट या अन्‍य किसी माध्‍यम से किए गए प्रचार-प्रसार में अल्‍गो ट्रेडिंग से जुड़े इन कयासों का उल्‍लेख किया है तो सर्कुलर जारी होने के 7 दिन के भीतर उसे हटा दिया जाना चाहिए. निवेशकों के हितों को देखते हुए ब्रोकर भविष्‍य में ऐसा कोई प्रलोभन नहीं दे सकेंगे.

क्‍या सच में फायदेमंद है अल्‍गो ट्रेडिंग
भारतीय शेयर बाजार में अल्‍गो ट्रेडिंग का इस्‍तेमाल तेजी से बढ़ रहा है और अब तो आधे से ज्‍यादा ब्रोकर इसी का इस्‍तेमाल करते हैं. ऐसे में यह तो तय है कि अल्‍गो ट्रेडिंग कुछ फायदेमंद है, लेकिन इसका सही उपयोग तभी किया जा सकता है, जबकि ब्रोकर को कुछ सटीक जानकारियां मिल सकें. इसमें स्‍टॉक की हिस्‍ट्री, उसके आंकड़ों का वेरिफिकेशन और रिस्‍क मैनेजमेंट की गणना सबसे जरूरी है.

क्‍यों बढ़ रहा इसका चलन
1-हिस्‍ट्री की सही समीक्षा : सबसे जरूरी है कि किसी स्‍टॉक के पिछले प्रदर्शन की सही समीक्षा और उसके बाजार पैटर्न को समझकर ही उसके भविष्‍य में प्रदर्शन का आकलन लगाना चाहिए, जो कंप्‍यूटर बेहतर तरीके से करता है.
2-गलतियों की कम गुंजाइश : अल्‍गो ट्रेडिंग का पूरा काम कंप्‍यूटर के जरिये होता है. ऐसे में ह्यूमन एरर जैसी चीजों किस ब्रोकर का उपयोग करना है? की आशंका शून्‍य हो जाती है. साथ ही यह रियल टाइम के प्रदर्शन के आधार पर भी स्‍टॉक का चुनाव कर सकता है.
3-भावनात्‍मक प्रभाव में कमी : अल्‍गो ट्रेडिंग में किसी स्‍टॉक का चुनाव करते समय मानवीय भावनाएं आती हैं, क्‍योंकि इसकी गणना और चुनाव पूरी तरह से मशीन के हाथ में होता है.
4-ज्‍यादा रणनीति का सृजन : कंप्‍यूटर एल्‍गोरिद्म के जरिये एक ही समय में सैकड़ों रणनीति बनाई जा सकती है. इससे आपका जोखिम प्रबंधन मजबूत होता है और निवेश पर ज्‍यादा रिटर्न कमाने के कई रास्‍ते खुलते हैं.
5-एरर फ्री ट्रेडिंग : अल्‍गो ट्रेडिंग पूरी तरह मशीन पर आधारित होने के नाते इसके जरिये गलत ट्रेडिंग या मानवीय गलतियों की आशंका भी खत्‍म हो जाती है. यही कारण है कि खुदरा निवेशकों में भी अब अल्‍गो ट्रेडिंग का चलन बढ़ रहा है.

इसके नुकसान भी हैं
-अल्‍गो ट्रेडिंग में बिजली की खपत ज्‍यादा होती है और पावर बैकअप न होने पर कंप्‍यूटर क्रैश भी हो सकता है. इससे गलत ऑर्डर, डुप्लिकेट ऑर्डर या फिर लापता ऑर्डर भी हो सकते हैं.
-ट्रेडिंग के लिए बनाई जा रही रणनीति और उसकी वास्‍तविक रणनीति के बीच अंतर हो सकता है. कई बार कंप्‍यूटर में खराबी की वजह से भी ऐसी स्थिति आ सकती है.
-कंप्‍यूटर आपको कई रणनीति और रिटर्न का कैलकुलेशन और रास्‍ता बताएगा, जो आपका नुकसान भी करा सकता है, क्‍योंकि बाजार की वास्‍तविक स्थितियां मशीनी रणनीति से अलग हो सकती हैं.

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यह है भारत के उन्नत ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म

ट्रेडिंग प्लेटफॉर्

भारत के श्रेष्ठ स्टॉक ब्रोकर्स की सूची नीचे दी गई है:

    : खास तौर पर मोबाइल से ट्रेडिंग करने के लिए

एंजेल ब्रोकिंग – Angel Broking

एंजेल ब्रोकिंग रेटिंग:

एंजेल ब्रोकिंग भारत में उन शुरुआती कंपनियों में से एक है जिन्होंने उस दौरान रिटेल निवेशकों को सस्ता एवं उन्नत ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म प्रदान करना शुरू कर दिया था। 2.15 मिलीयन ग्राहकों के साथ एंजेल ब्रोकिंग आज भारत का श्रेष्ठ स्टॉक ब्रोकर बन चुका है।

एंजेल ब्रोकिंग डैशबोर्ड

एंजेल ब्रोकिंग

मैं एंजेल ब्रोकिंग ऐप का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं जो कि प्रयोग करने में सरल है और आसान सुविधाओं से लैस है। जब कभी भी मैं घर से बाहर होता हूं या अपने लैपटॉप से दूर होता हूं उस समय ट्रेडिंग के लिए मैं इस ऐप का उपयोग करता हूं। उनका ऐप आधारित प्लेटफार्म यकीनन ही उन्नत है एवं सभी तरह के उन्नत ट्रेडिंग टूल्स तथा इंडिकेटर से लैस है।

मोबाइल से ट्रेडिंग करने के लिए मैं एंजेल ब्रोकिंग का पुरजोर समर्थन करता हूं।

मैं यह महसूस करता हूं कि उनका वेब आधारित ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म, उनके ऐप के समकक्ष नहीं है और उन्हें इस पर अत्यधिक मेहनत करने की आवश्यकता है ताकि वह भारत के अन्य डिस्काउंट ब्रोकर्स का मुकाबला कर सकें।

मैं सोचता किस ब्रोकर का उपयोग करना है? हूं वे इस पर बड़ी जोर शोर से कार्य कर रहे हैं क्योंकि मैं उनके वेबसाइट सेक्शन (उदाहरण के तौर पर रियल टाइम में प्रॉफिट एंड लॉस अपडेट) में और एंजेल ब्रोकिंग ऐप में भी कई सुधार देख चुका हूं।

मैं नहीं जानता क्यों परंतु मुझे उनके प्लेटफार्म पर ट्रेडिंग करना पसंद है,शायद इस कारण कि यह मेरे द्वारा प्रयोग किया गया सबसे पहला ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है।

एंजेल ब्रोकिंग रियल टाइम डाटा के साथ सबसे अग्रणी निवेश सुझाव आधारित सेवा है। ARQ के द्वारा ग्राहक स्टॉक से संबंधित बाय ओर सेल अलर्ट प्राप्त करते हैं। इसकी सटीकता 60 से 70% (प्रति दस ट्रेड् में से 6-7 ट्रेड लाभ संबंधित और तीन ट्रेड जोखिम संबंधित) है, जोकि ट्रेडिंग कम्युनिटी में बहुत ही प्रभावशाली मानी जाती है।

एंजेल ब्रोकिंग की हमारे देश में अन्य डिस्काउंट ब्रोकर की तुलना में बड़ी संख्या में भौतिक शाखाएं हैं। एंजेल ब्रोकिंग डीमैट अकाउंट ओपन करने की प्रक्रिया का वीडियो देखने के लिए क्लिक कीजिए।

  • यह प्रयोग में आसान और उन्नत टूल्स तथा इंडिकेटर से लैस ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है।
  • बाय तथा सेल ऑर्डर के लिए एक समान दर से ₹20 ब्रोकरेज।
  • वार्षिक मेंटेनेंस शुल्क ₹450 (करो को छोड़कर)।
  • डिलीवरी ऑर्डर के लिए कोई ब्रोकरेज नहीं (अर्थात यदि आप स्टॉक खरीदते हैं और उसको एक लंबे अंतराल के लिए होल्ड करते हैं तो ऐसे स्टॉक को खरीदने व बेचने के लिए आप पर ब्रोकरेज शुल्क लागू नहीं होता है)। विशेषता के साथ डायरेक्ट म्युचुअल फंड निवेश का ऑप्शन।
  • निवेश सिखाने के लिए निशुल्क वेबीनार।
  • एंजेल ब्रोकिंग रोबो ऑर्डर सुविधा, तुरंत बाय, सेल तथा स्टॉप लॉस ऑर्डर करने में आपकी मदद करता है। यह नौकरी पेशा लोगों के लिए बहुत ही सुविधाजनक है।

नुकसान

  • वेब आधारित ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म में सुधार की आवश्यकता है।
  • कई बार ग्राहक सेवा एजेंट्स और रिलेशनशिप मैनेजर व्यस्त समय के दौरान ग्राहकों की समस्याओं का समाधान प्रदान करने के लिए उपलब्ध नहीं होते हैं।

जीरोधा – Zerodha

जीरोधा रेटिंग:

बिना हिचकिचाहट यह भारत का उन्नत ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है। जीरोधा अपनी आधुनिक सेवाओं और ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के कारण भारत की डिस्काउंट श्रेणी का श्रेष्ठ शेयर मार्केट ब्रोकर बन चुका है। अधिकांश रिटेल इन्वेस्टर्स तथा संस्थाएं जीरोधा को अपने डिफॉल्ट ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के रूप में पसंद करते हैं।

जीरोधा अकाउंट को ओपन करने की क्रमबद्ध प्रक्रिया की जानकारी के लिए इस पोस्ट को ध्यानपूर्वक पढ़िए।

जीरोधा Zerodha

यह ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म उन्नत चार्टिंग सेवाओं से लैस है। इस ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म में चार्ट को अध्ययन करने के लिए दो ऑप्शन है: Tradingview और ChartIQ। दोनों ही चार्टिंग प्लेटफार्म बहुत उन्नत हैं और ट्रेडिंगव्यू तो मेरा पसंदीदा है।

इस प्लेटफार्म की 2010 में शुरुआत करने के बाद इसके संस्थापक नितिन कामत इसको और अधिक ऊंचाइयों पर ले गए और भारतीय ट्रेडिंग समुदाय को एक किफायती ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म प्रदान किया। यह भारत के सफलतम स्टार्टअप्स में से एक है।

जीरोधा के 3 मिलियन से अधिक ग्राहक है और उनमें से अधिकतर रिटेल श्रेणी से संबंध रखते हैं। संपूर्ण भारत में, रिटेल ट्रेडिंग में जीरोधा का अपना स्वयं का 15% का योगदान है जो कि अत्यंत सराहनीय है।

जीरोधा डीमैट अकाउंट के साथ आप अनेक ट्रेडिंगव्यू पेड टूल्स में प्रवेश कर सकते हैं जैसे कि उसी स्क्रीन पर उपलब्ध मल्टी टाइम फ्रेम विंडो। ट्रेडिंग इन ऑप्शंस के लिए आप सेंसिबुल की मदद ले सकते हैं जोकि जीरोधा अकाउंट के साथ एकीकृत है।

सेंसिबुल के अनेक फीचर्स का आप निशुल्क लाभ उठा सकते हैं उदाहरण के तौर पर व्हाट्सएप में प्राइज अलर्ट। सेंसिबल पेड प्लेन का उपयोग आप सशुल्क सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं।

जीरोधा काईट मोबाइल ऐप को बहुत अच्छी तरह से डिजाइन किया गया है और यह आपको वेबसाइट पर उपलब्ध सभी ट्रेडिंग टूल्स में प्रवेश प्रदान करता है।

जीरोधा GTT (Good Till Trigger) सुविधा का उल्लेख करना अति आवश्यक है। यह आपको एल्गो ट्रेडिंग का अनुभव प्रदान करता है। आपको केवल बाय सेल तथा स्टॉप लॉस प्राइस को निश्चित करना है और उसके बाद निश्चिंत हो जाना है। आपको दिन भर अपने सिस्टम के सामने बैठे रहने की आवश्यकता नहीं है। इसका उपयोग करने के बाद सब स्वयं ही हो जाता है।

जीरोधा जीटीटी ऑर्डर एक सशुल्क सेवा है परंतु अकाउंट के साथ आपको प्रथम 3 महीनों के लिए GTT Order सेवा का अतिरिक्त लाभ मिलता है। अपने ट्रेडिंग अनुभव में सुधार करने के लिए आप कोई सुविधा का उपयोग करना चाहिए।

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