वास्तविक उपज

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फसल नुकसान मुआवजा: 20% से अधिक फसल नुकसान पर मिलेंगे 20 हजार रुपये
बाढ़, सूखा और बारिश जैसी आपदाओं के कारण हमारे देश के किसानों को हमेशा से नुकसान होता आ रहा है। इस साल भी जलवायु परिवर्तन के कारण खरीफ की फसलों पर मौसम का बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है। बिहार में इस साल मानसून का रुख काफी निराश जनक रहा है। खरीफ सीजन की शुरुआत में बारिश की कमी ने धान के रकबे को घटा दिया तो वहीं कुछ क्षेत्रों में बाढ़ के कारण किसानों को उनकी खरीफ की फसलों का भारी नुकसान उठाना पड़ा है।
इसी कड़ी में बिहार से किसानों के लिए खुशखबरी सामने आई है। किसानों को फसल नुकसान पर राहत प्रदान करने के लिए बिहार सरकार ने बिहार राज्य फसल सहायता योजना की शुरुआत की हैं। बिहार सरकार की इस योजना के तहत बारिश,बाढ़ और सूखे जैसी प्राकृतिक आपदाओं के चलते किसानों की फसल नुकसान होने की स्थिति में सरकार आर्थिक सहायता राशि प्रदान करती हैं। इस योजना के माध्यम से किसानों को उनकी फसल पर हुए नुकसान के लिए 20 हजार रुपये तक की आर्थिक सहायता मिलती है। किसान भाईयों आज हम ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट के माध्यम से बिहार सरकार की इस योजना के वास्तविक उपज बारे में सभी जानकारी आपके साथ साझा करेंगे।
बिहार राज्य फसल सहायता योजना क्या हैं?
बिहार सरकार द्वारा राज्य के प्रत्येक किसान को बारिश, बाढ़ और वास्तविक उपज सूखे जैसी प्राकृतिक आपदाओं की वजह से खराब हुई फसलों की नुकसान की भरपाई करने के उद्देश्य से इस योजना की शुरूआत की गई है। बिहार राज्य सरकार द्वारा बिहार राज्य फसल सहायता योजना की शुरुआत करने से अब राज्य के किसानों को फसल का नुकसान होने पर आर्थिक रुप सहायता की जाएगी।
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किसानों को योजना के तहत मिल रही आर्थिक सहायता
बिहार राज्य सहकारिता विभाग की बिहार फसल सहायता योजना के जरिए किसानों की फसलों में उत्पादन दर में कमी का मूल्यांकन करने के बाद अधिकतम 2 हेक्टेयर खेत पर हुए नुकसान के लिए सहायता राशि प्रदान की जाती है। इस योजना के तहत राज्य के सभी रैयत और गैर-रैयत किसानों को शामिल किया गया है। इन श्रेणियों के किसान परिवार में से कोई भी एक सदस्य सरकार की इस योजना का लाभ ले सकता है।
- बिहार राज्य फसल सहायता योजना के जरिए वास्तविक उपज में 20 फीसदी तक नुकसान होने पर 7,500 रुपये प्रति हेक्टेयर तक की और अधिकतम 15,000 रुपये तक की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।
- वहीं फसल के वास्तविक उत्पादन में 20 फीसदी से अधिक नुकसान होने पर 10,000 प्रति हेक्टेयर तक की और अधिकतम 20,000 रुपये तक की सहायता राशि सरकार द्वारा प्रदान की जाती है।
योजना में आवेदन करने के लिए आवश्यक दस्तावेज
बिहार सरकार की इस फसल सहायता योजना में आवेदन करते समय कुछ दस्तावेजों की आवश्यकता होती हैं। जो इस प्रकार से हैं
- आवेदक का आधार कार्ड
- आवेदक का वोटर आईडी कार्ड
- आवेदक का राशन कार्ड वास्तविक उपज वास्तविक उपज
- आवेदक का खेत के कागज/ खतौनी
- आवेदक का बैंक पासबुक
- आवेदक की पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ
- आवेदक का मोबाइल नंबर
- आवेदक का फसल ख़राब होने से संबंधित घोषणा पत्र।
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बिहार राज्य फसल सहायता योजना क्या हैं?
बिहार सरकार द्वारा राज्य के प्रत्येक किसान को बारिश, बाढ़ और सूखे जैसी प्राकृतिक आपदाओं की वजह से खराब हुई फसलों की नुकसान की भरपाई करने के उद्देश्य से इस योजना की शुरूआत की गई है। बिहार राज्य सरकार द्वारा बिहार राज्य फसल सहायता योजना की शुरुआत करने से अब राज्य के किसानों को फसल का वास्तविक उपज नुकसान होने पर आर्थिक रुप सहायता की जाएगी।
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किसानों को योजना के तहत मिल रही आर्थिक सहायता
बिहार राज्य सहकारिता विभाग की बिहार फसल सहायता योजना के जरिए किसानों की फसलों में उत्पादन दर में कमी का मूल्यांकन करने के वास्तविक उपज बाद अधिकतम 2 हेक्टेयर खेत पर हुए नुकसान के लिए सहायता राशि प्रदान की जाती है। इस योजना के तहत राज्य के सभी रैयत और गैर-रैयत किसानों को शामिल किया गया है। इन श्रेणियों के किसान परिवार में से कोई भी एक सदस्य सरकार की इस योजना का लाभ ले सकता है।
- बिहार राज्य फसल सहायता योजना के जरिए वास्तविक उपज में 20 फीसदी तक नुकसान होने पर 7,500 रुपये प्रति हेक्टेयर तक की और अधिकतम 15,वास्तविक उपज 000 रुपये तक की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।
- वहीं फसल के वास्तविक उत्पादन में 20 फीसदी से अधिक नुकसान होने पर 10,000 प्रति हेक्टेयर तक की और अधिकतम 20,000 रुपये तक की सहायता राशि सरकार द्वारा प्रदान की जाती है।
योजना में आवेदन करने के लिए आवश्यक दस्तावेज
बिहार सरकार की इस फसल सहायता योजना में आवेदन करते समय कुछ दस्तावेजों की आवश्यकता होती हैं। जो इस प्रकार से हैं
- आवेदक का आधार कार्ड
- आवेदक का वोटर आईडी कार्ड
- आवेदक का राशन कार्ड
- आवेदक का खेत के कागज/ खतौनी
- आवेदक का बैंक पासबुक
- आवेदक की पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ
- आवेदक का मोबाइल नंबर
- आवेदक का फसल ख़राब होने से संबंधित घोषणा पत्र।
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योजना का हाल: फसल बीमा: प्रीमियम राशि एक लाख जमा, 78 में से 58 किसानों को सिर्फ 4633.75 रुपए ही मिला
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत इस बार खरीफ सीजन में जिले के एक लाख 4 हजार 385 किसानों ने 12 करोड़ 31 लाख 62 हजार 235.26 रुपए प्रीमियम राशि जमा किया है। फसल खराब होने की स्थिति में 5 साल के औसत उपज व फसल कटाई प्रयोग के आधार पर वास्तविक उपज को निकाला जाएगा। इसी हिसाब से मुआवजा राशि तय होगी। जबकि किसानों का कहना है कि जिस समय फसल खराब है, तो उसी हिसाब से मुआवजा मिलना चाहिए, पिछला रिकार्ड नहीं देखना चाहिए। लेकिन ऐसा वास्तविक उपज नहीं हो रहा है। नियम के फेर में अन्नदाताओं को ही नुकसान हो रहा है।
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आजादी के 75 वर्ष और कृषि क्षेत्र के वास्तविक सुधार और उत्तर प्रदेश
मिज़ाज की ये पंक्तियाँ वास्तव में एक कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के लिए एक चुनौती बयां करतीं हैं जो कि हरित क्रांति के बाद कृषि क्षेत्र में विकास के अंतराल की एक कहानी है । मौजूदा कानूनों ने भारतीय किसानों को स्थानीय मंडी और बिचौलियों का गुलाम बना रखा था। देश में कृषक के अलावा उत्पादक की प्रत्येक श्रेणी को यह तय करने की स्वतंत्रता हासिल है उन्हें अपने उत्पाद को कहां बेचना है सिवाय भारतीय किसान के ! कृषि बाजारों में प्रस्तावित सुधार जिसकी प्रस्तावना एक भारत एक बाजार वास्तविक उपज की दिशा का रास्ता पकड़ ले तो किसानों की आय दोगुनी की जा सकती है। कृषि क्षेत्र में सुधार के उपचार के रूप में 27 सितंबर 2020 को तीन कृषि से संबंधित अधिनियम सुधारों- को राष्ट्रपति ने अपनी स्वीकृति प्रदान की।