इक्विटी पर व्यापार क्या है?

सेबी रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर, और सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर मनिकरण सिंघल ने कहा, जिसको स्टॉक की जानकारी नहीं है, शेयर कैसे खारीदा जाए, वे प्रोफेशनल मैनेजमेंट के जरिये म्युचुअल फंड में निवेश करें। इसमें सब कुछ डिसिप्लिन के तहत होता है। हर महीने SIP के जरिये जाएं। हां, अगर किसी के पास पूरा समय है, कोई निवेशक अगर मार्केट के बारे में जानता है, उसके पास रिसर्च के लिए बहुत समय है, तो फिर वो डायरेक्ट शेयर के लिए जा सकता है, वरना म्युचुअल फंड सबसे बेहतर विकल्प है।
क्या भारतीय रिएल्टी में निजी इक्विटी निवेश में कमी या कमी आएगी?
प्राइवेट इक्विटी (पीई) के निवेशक, अचल संपत्ति बाजार में भावनाओं का एक अच्छा सूचक के रूप में सेवा कर सकते हैं। पिछले कुछ महीनों में, सरकार ने कई प्रमुख पहलों की घोषणा की है, जो कि रियल एस्टेट बाजार में, शेयरधारकों के लिए व्यापार के भविष्य के पाठ्यक्रम को बदलने की संभावना है।
सबसे पहले, चार महानगरों की नगरपालिका सीमाओं और कालीन के 60 वर्ग मीटर के भीतर अपार्टमेंट के लिए 30 वर्ग मीटर का कालीन क्षेत्र में किफायती आवास की परिभाषा बदल दी गई हैचार महानगरों के बाहर के स्थान के लिए क्षेत्र, बिल्ट-अप क्षेत्र के आधार पर पूर्व परिभाषा से, पॉइटार हाउसिंग एंड एमडी, एमडी, रोहित पोद्दार, ने बताया। इसके अलावा, आयकर की छुट्टी तीन साल से बढ़ाकर पांच साल कर दी गई है, जो मेट के अधीन है। इसका मतलब यह है कि कराधान की प्रभावी दर 33.99% के बजाय 22.9 9% है, जिससे करों में 11% की बचत होती है। इसका मतलब पीई निवेशकों द्वारा निवेश किए गए धन के लिए बेहतर आईआरआर होगा, “पोद्दार बताते हैं।
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Mutual Funds: क्या आप हाइब्रिड फंड में करने जा रहे हैं निवेश, पहले जान लें ये जरूरी बातें
By: abp news | Updated at : 08 Nov 2021 08:50 PM (IST)
Mutual Funds: अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं तो आपके पास एक ऑप्शन हाइब्रिड फंड का भी है. हाइब्रिड फंड भी एक प्रकार का म्यूचुअल फंड है जो एक ही फंड के अंदर कई एसेट क्लास में निवेश करता है. फंड के प्रकार के आधार पर, यह दो या दो से अधिक एसेट क्लास का कॉम्बिनेशन हो सकता है. इनमें इक्विटी, डेब्ट, सोना और इंटरनेशनल इक्विटी अलग-अलग अनुपात में शामिल हैं. इन एसेट क्लास के बीच बहुत कम या कोई संबंध नहीं होता है. हाइब्रिड फंड की छह सब-कैटेगरी हैं. जानते हैं इनके बारे में:-
एग्रेसिव हाइब्रिड फंड
- अगर आप अधिक जोखिम ले सकते हैं तो ही इस पर विचार करें.
- इसमें 65-80 फीसदी पैसा इक्विटी (लार्ज-कैप, मिड-कैप और स्मॉल-कैप की अलग-अलग कैटेगरी) में निवेश किया जाता है.
- 20%-35% पैसा निश्चित आय उपकरणों में निवेश किया जाता है.
- पांच साल से अधिक की अवधि के लिए इस कैटेगरी पर विचार करना चाहिए.
डायरेक्ट शेयर या फिर इक्विटी म्युचुअल फंडों के जरिये करें निवेश? जानिए क्या है आपके लिए फायदे का सौदा
नई दिल्ली, नितेश कुमार तिवारी। 'लाभ जोखिम का पुरस्कार है'। प्रो० हॉले का ये कथन व्यापार जगत से लेकर निवेश बाजार के लिए सटीक बैठता है। शेयर बाजार में निवेश की बात करें तो अगर आप जानकार हैं और कंपनियों की गतिवधियों को समझते हैं तो सीधे उन शेयरों में निवेश कर सकते हैं जो आपको बेहतर रिटर्न दे सकते हैं। हालांकि, एक आम निवेशक के लिए शेयरों में निवेश के लिए कंपनियों पर रिसर्च करना एक मुश्किल काम है। आम निवेशकों के इस काम को आसान करते हैं इक्विटी म्युचुअल फंड। इक्विटी म्युचुअल किसी एक शेयर में नहीं बल्कि तमाम कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं। इस वजह से किसी एक कंपनी से होने वाले नुकसान आपके निवेश पोर्टफोलियो को प्रभावित नहीं करता है।
तेज बिकवाली की थम सकती है रफ्तार
एमआईबी सिक्योरिटीज इंडिया के मुख्य कार्याधिाकारी जिगर शाह ने पुनीत इक्विटी पर व्यापार क्या है? वाधवा को दिए साक्षात्कार में बताया कि बाजारों में खुदरा पूंजी प्रवाह ब्याज दरों में वृद्घि की शुरुआत होने से गिर सकता है। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:
वर्ष 2022 में अब तक बाजारों के प्रदर्शन पर आपका क्या नजरिया है?
वैश्विक बाजार जिंस कीमतों में वृद्घि का दबाव महसूस कर रहे हैं और कई देशों के सूचकांक नीचे आए हैं। यह गिरावट साल में अब तक के आधार पर एक अंक से लेकर करीब 18 प्रतिशत तक दर्ज की गई है। तुलनात्मक तौर पर निफ्टी और सेंसेक्स कम गिरावट के शिकार हुए हैं, जिससे ऊंची मुद्रास्फीति/ब्याज दरों से वित्त वर्ष 2023 के लिए कॉरपोरेट प्रदर्शन प्रभावित होने को लेकर चिंताओं का पता चलता है। भारतीय इक्विटी का अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन छोटे निवेशकों की भागीदारी एवं पूंजी निवेश प्रवाह पर भी निर्भर करता है, जिन्होंने पिछले साल 20 अरब डॉलर का निवेश किया। इसके अलावा ब्याज दरों में भी बदलाव नहीं आया और इसलिए इक्विटी से ऊंचे प्रतिफल वाले डेट बाजारों में इक्विटी पर व्यापार क्या है? कोष प्रवाह बहुत ज्यादा नहीं दर्ज किया गया। कुल मिलाकर निवेशक धारणा यह है कि भारतीय अर्थव्यवस्था 7-8 प्रतिशत की वृद्घि दर्ज कर सकती है।
सरकार ने किया बड़ा बदलाव, स्टार्टअप को मिलेगा सीधा फायदा, जानें क्या है खास?
By: पीटीआई, एजेंसी | Updated at : 20 Mar 2022 04:01 PM (IST)
स्टार्टअप लोन (फाइल फोटो)
Debt Investment: सरकार ने स्टार्टअप (Startups) के लिए कंपनी में किए गए लोन निवेश को इक्विटी शेयरों में बदलने की समयसीमा को बढ़ाकर 10 साल कर दिया है. सरकार के इस फैसले से उभरते उद्यमियों को कोविड-19 महामारी के प्रभाव से बाहर निकलने में मदद मिलेगी. उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) के एक नोट से यह जानकारी मिली है.
सरकार ने बढ़ाई समय सीमा
अभी तक परिर्वतीय नोट्स को इन्हें जारी करने की तारीख से पांच साल तक इक्विटी शेयरों में बदलने की अनुमति थी. अब इस समयसीमा को बढ़ाकर 10 साल कर दिया गया है.
इक्विटी शेयर जारी करने को कह सकते हैं निवेशक
कोई निवेशक स्टार्टअप में परिवर्तनीय नोट के जरिये निवेश कर सकता है, जो एक प्रकार का बांड या लोन प्रोडक्ट होता है. इस निवेश में निवेशक को यह विकल्प दिया जाता है कि यदि स्टार्टअप कंपनी का प्रदर्शन अच्छा रहता या भविष्य में वह प्रदर्शन के मोर्चे पर कोई लक्ष्य हासिल करती है, तो निवेशक उससे अपने निवेश के बदले में कंपनी के इक्विटी शेयर जारी करने को कह सकता है.