ऋण और निवेश

बचत करना सीखें
हम पहले ही सीख चुके हैं कि निवेश क्या है। दोहरान के लिए, निवेश करना पूंजी को धन कमाने के लिए अलग अलग उपकरणों में नियोजित करना है। आपकी निधि से कुछ लाभ अर्जित करने के लिए और उसे मुद्रास्फीति से सुरक्षित करने के लिए निवेश सर्वश्रेष्ठ तरीका है। यद्यपि, यह एक बड़ा प्रश्न खड़ा करता है। आपको किन उपकरणों में निवेश करना चाहिए? निम्न संदर्शिका आपकी सहायता कर सकती है।
उपलब्ध निवेश विकल्प इस प्रकार हैं:
इक्विटी शेयर:
इक्विटी शेयर कंपनियों द्वारा आपकी पूंजी के बदले में जारी किए गए अंश होते हैं। अंशधारक कंपनी के मालिक होते हैं एवं वे कंपनी से लाभांश प्राप्त करते हैं। वे कंपनी में प्रस्तावों पर अपना मत भी दे सकते क्योंकि वे मालिक होते हैं। कंपनियाँ अपने अंश शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध कर देती हैं ताकि लोग उनके शेयरों में किसी भी समय निवेश कर सकें। देश में मुंबई शेयर बाज़ार और राष्ट्रीय शेयर बाज़ार दो मुख्य शेयर बाज़ार हैं। इक्विटी शेयरों का बड़ी मात्रा में व्यापार यहीं से होता है।
इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड:
एक्विटी म्यूचुअल फ़ंड वे कंपनियाँ हैं जो निवेशकों से धन इकट्ठा करती हैं और उन्हें इक्विटी शेयरों में निवेश करती हैं। व्यक्तिगत रूप से कंपनियों के विषय में खोज करने के बजाय, अधिकांश व्यक्ति इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करने को अधिक सुविधाजनक समझते हैं। ये लार्ज कैप, स्माल कैप एवं मिड केप फ़ंड हो सकते हैं और ऐसे फ़ंड हो सकते हैं जो विशेष प्रसंग के अनुसार बने होते हैं जैसे फार्मास्यूटिकल फ़ंड, इनफ्रास्ट्रक्चर फ़ंड आदि। ये वे इक्विटी फ़ंड हैं जो विदेश में सूचीबद्ध कंपनियों में भी निवेश करते हैं।
शेयर बाज़ार में खरीदी बेची जाने वाले निधियाँ (एक्स्चेंज ट्रेडेड फ़ंड):
एक्स्चेंज ट्रेडेड फ़ंड वे म्यूचुअल फ़ंड हैं जो शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध हैं। ये अंतर्निहित संपत्ति की गतिविधि की ही नकल करते हैं। इंडेक्स फ़ंड व इंडेक्स ई टी एफ की निवेश सूची इंडेक्स के समान ही होती है इसलिए वे इंडेक्स के लगभग समान ही लाभ प्रदान करते हैं। मेटल फ़ंड (धातु निधियाँ) धातुओं को भौतिक रूप में अपने पास रखने के समान ही किन्तु तरलता की सुविधा के साथ लाभ प्रदान करते हैं। इन निधियों में निवेश अपेक्षाकृत कम होते हैं क्योंकि निधि/फ़ंड को अपनी निवेश रणनीति को बदलने की आवश्यकता नहीं होती है। क्योंकि शेयर बाज़ार से होने वाले लाभ निश्चित नहीं होते, इक्विटी फ़ंड से लाभ घटते बढ़ते हुए होते हैं।
ऋण म्यूचुअल फ़ंड:
ऋण म्यूचुअल फ़ंड निवेशकों से निधि एकत्र करते हैं और उन्हें निश्चित आय वाले उपकरणों में निवेश कर देते हैं। ये ऋण म्यूचुअल फ़ंड निवेश के पकने के आधार पर पुनः वर्गीकृत किए गए हैं। आपके पास रातों रात पकने वाले म्यूचुअल फ़ंड से लेकर कॉल मनी तक (पकने की अवधि 7 दिन) शॉर्ट टर्म (कम अवधि के), मीडियम टर्म (बीच वाली अवधि के) व लॉन्ग टर्म (लंबी अवधि के) फ़ंड हैं जिनका पोर्टफोलियो पकने की अवधि के आधार पर बदलता है। ऋण फ़ंड निश्चित आय प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं जिनसे स्थिर लाभ होते हैं। यद्यपि, लंबी समयावधि वाले ऋण फ़ंड, बॉन्ड जिनके लाभ अस्थिर या घटते बढ़ते रहते हैं, में निवेश करते हैं।
सावधि जमा:
ये बैंक, डाकघर या कंपनियों द्वारा प्रदान किए जाने वाले सावधि जमा होते हैं। आप कहाँ निवेश करते हैं इस आधार पर ब्याज दर में अंतर होता है। यदि आप कॉर्पोरेट सावधि जमा में निवेश करने के विषय में सोचते हैं तो निवेश की रेटिंग को देख लेना आवश्यक है। रेटिंग देने वाली एजेंसियाँ इन जमाओं को रेटिंग देती हैं। यदि जमा की रेटिंग AA से कम है, तो अपनी निधि को कहीं और रखना अधिक सुरक्षित है। हो सकता है कि कंपनी बुरी न हो लेकिन निधि को उच्च रेटिंग प्राप्त सावधि जमा जहां आपकी पूंजी सुरक्षित रहती है, में निवेश करना बेहतर है। कॉर्पोरेट सावधि जमा की अपेक्षा बैंक व डाकघर के सावधि जमा अधिक सुरक्षित होते हैं।
बॉन्ड:
बॉन्ड कंपनियों द्वारा एकत्र की गई वह निधि होती है जहां वे आपको उस धनराशि पर ब्याज देने हेतु अनुबंधित होती हैं। बॉन्ड कंपनियों,नगरपालिकाओं, राज्य व केंद्र सरकारों द्वारा जारी किए जा सकते हैं। पुनः, इन बॉन्ड में निवेश करने के पहले इनकी रेटिंग के प्रति जागरूक रहें। आप इन बॉन्ड में सीधे निवेश कर सकते हैं अथवा आप अपनी निधि को ऋण म्यूचुअल फ़ंड जो बॉन्ड में निवेश करते हैं, में डाल सकते हैं।
ऋण पत्र:
ऋण पत्र प्रत्याभूत उपकरण हैं जहां ऋण पत्रों द्वारा जारी की गई निधियाँ कंपनी की किसी सम्पत्ति द्वारा प्रत्याभूत होती हैं। इसका अर्थ ये है कि यदि कंपनी मूलधन को न चुका पाये, तो वह सम्पत्ति ऋणपत्रों के मोचन हेतु धन प्रदान करने के लिए बेच दी जाएगी। यह निवेशक को सुरक्षा प्रदान करता है। आप ऋण पत्रों में निवेश करने के लिए अपने ब्रोकर से संपर्क कर सकते हैं।
डेरिवेटिव:
डेरिवेटिव अल्पकालिक उत्पाद होते हैं जिनका मूल्य एक अंतर्निहित सम्पत्ति पर निर्भर करता है। इस बाज़ार को भविष्य का बाज़ार भी कहा जाता है। इनमें स्टॉक डेरिवेटिव, इंडेक्स डेरिवेटिव, मुद्रा डेरिवेटिव व कोमोडिटी डेरिवेटिव होते हैं। यद्यपि जब तक आप तकनीकी रूप से निपुण न हों, डेरिवेटिव में निवेश की सलाह नहीं दी जाती है क्योंकि आप अपना धन गँवा सकते हैं।
इक्विटी शेयर, म्यूचुअल फ़ंड, एक्स्चेंज ट्रेडेड फ़ंड व डेरिवेटिव में निवेश करने के लिए, आपको एक डीमैट खाते व एक ट्रेडिंग खाते की आवश्यकता होगी। आप ऋण और निवेश किसी भी निक्षेपागार प्रतिभागी जो NSDL या CDSL के साथ पंजीकृत हो, के साथ अपना डीमैट खाता खोल सकते हैं। इन दोनों ही निक्षेपागारों (depositeries) की अपनी वेबसाइट पर पंजीकृत निक्षेपागारों की सूची है। आपको एक ट्रेडिंग खाते की भी आवश्यकता होगी जिसे आप किसी भी SEBI पंजीकृत ब्रोकर के यहाँ खोल सकते हैं। यदि आप कोमोडिटी में व्यापार करना चाहते हैं तो आपको MCX में पंजीकृत ब्रोकर के यहाँ एक विशेष ट्रेडिंग खाता खोलना होगा।
UPI के माध्यम से सार्वजनिक ऋण निवेश की सीमा SEBI द्वारा 5 लाख रुपये तक बढ़ाई गई
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India – SEBI) ने सार्वभौमिक भुगतान इंटरफ़ेस (universal payments interface – UPI) तंत्र के माध्यम से सार्वजनिक ऋण प्रतिभूतियों को जारी करने में आवेदन करने वाले खुदरा निवेशकों के लिए निवेश सीमा को पहले के 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया है। यह कदम भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम एनपीसीआई द्वारा अवरुद्ध राशि एएसबीए प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश द्वारा समर्थित यूपीआई-आधारित अनुप्रयोगों के लिए प्रति लेनदेन सीमा बढ़ाने का निर्णय लेने के बाद आया है।
निजी वित्त पोषण को उत्प्रेरित करने और आर्थिक विकास को ऋण और निवेश समर्थन देने के लिए विश्व बैंक ने भारत को 75 करोड़ डॉलर के ऋण को मंजूरी दी
वाशिंगटन, जून 29, 2022 – विश्व बैंक के कार्यकारी निदेशक मंडल ने आज भारत सरकार (जीओआई) को 75 करोड़ डॉलर के विकास नीति ऋण (डीपीएल) को मंजूरी दे दी है। इससे बुनियादी ढांचे, छोटे व्यवसायों और हरित वित्त बाजारों में निजी क्षेत्र के निवेश का लाभ उठाकर वित्तपोषण की कमी को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण सुधारों का समर्थन किया जा सकेगा।
पिछले एक दशक में और अपने महत्वाकांक्षी सतत विकास लक्ष्यों के तहत, भारत सरकार ने वित्तीय समावेशन के साथ-साथ वित्तीय क्षेत्र और घरेलू पूंजी बाजारों की स्थिरता में सुधार के लिए कई उपाय किए हैं। इसके परिणामस्वरूप कोविड-19 संकट और अन्य बाहरी झटकों का सामना करने के लिए यह क्षेत्र अधिक कुशल और लचीला बन गया है।
इस प्रगति के बावजूद, अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों के लिए सार्वजनिक संसाधनों और वित्तीय जरूरतों पर काफी दबाव बना हुआ है। बुनियादी ढांचे और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए वार्षिक वित्त का अंतर जीडीपी के 4 प्रतिशत और क्रमशः ₹ 18-25 ट्रिलियन [1] के बीच होने का अनुमान है। इसके अलावा, विश्व बैंक के अनुमान बताते हैं कि सरकार की COP26 प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए आवश्यक ऊर्जा संक्रमण के लिए सकल घरेलू उत्पाद के 1.5 प्रतिशत के वार्षिक संचयी निवेश की आवश्यकता होगी।
भारत के लिए विश्व बैंक के कार्यवाहक देश निदेशक हिदेकी मोरी ने कहा कि " महामारी के झटकों से भारत को उबारने का समर्थन करने और अपने महत्वाकांक्षी सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए देश की निवेश जरूरतों को पूरा करने में सक्षम कुशल वित्तीय प्रणाली ऋण और निवेश सबसे महत्वपूर्ण है।" उन्होंने कहा कि "इस परिचालन का उद्देश्य देश के विकास लक्ष्यों का समर्थन करने के लिए निजी संसाधनों का लाभ उठाकर सार्वजनिक ऋण और निवेश वित्त पर दबाव को कम करना है।"
डीपीएल द्वारा समर्थन दिए जाने वाले प्रमुख सुधारों में शामिल हैं:
- लंबी अवधि के निजी क्षेत्र वित्त को उत्प्रेरित करना। परिचालन बुनियादी ढांचे के लिए एक नया विकास वित्तीय संस्थान स्थापित करने में मदद करेगा जो निजी क्षेत्र से दीर्घकालिक वित्त का लाभ उठाएगा; परिसंपत्ति मुद्रीकरण के जरिए बुनियादी ढांचे के लिए निजी वित्तपोषण एकत्र करेगा, और प्रतिभूतिकरण के जरिये आवास वित्त उधारदाताओं को पूंजी बाजार से जोड़ेगा।
- हरित वित्त के लिए बाजारों का विकास करना। परिचालन देश के पहले सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड जारी करने और निम्न कार्बन विकल्पों को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय कार्बन बाजार विकसित करने का समर्थन करता है।
- एमएसएमई और महिला उद्यमियों के लिए ऋण तक पहुंच में सुधार करना। यह परिचालन प्रमुख एमएसएमई क्रेडिट गारंटी योजनाओं को मजबूत करने का समर्थन करता है ताकि कोविड-19 से सबसे अधिक प्रभावित उद्योग क्षेत्रों की निरंतर पहुंच सुनिश्चित की जा सके और साथ ही जोखिम-मुक्ति तंत्र के जरिए महिला उधारकर्ताओं की ऋण तक पहुंच में सुधार किया जा सके।
टीम टास्क लीडर और प्रमुख वित्तीय क्षेत्र के विशेषज्ञ मेहनाज़ एस. सेफेवियन और अलेक्जेंडर पंकोव ने कहा कि "भारत जलवायु परिवर्तन के अत्यधिक प्रभावों के चपेट में होने के कारण, अर्थव्यवस्था को अधिक टिकाऊ और लचीला विकास मॉडल को अपनाना होगा जिसके लिए सार्वजनिक और निजी, दोनों क्षेत्रों के वित्त को जुटाए जाने की आवश्यकता है। " उन्होंने कहा कि "जलवायु अनुकूलन और शमन उद्देश्यों के लिए धन जुटाने के लिए नए उपकरणों का निर्माण देश के सतत विकास लक्ष्यों में योगदान देगा।"
75 करोड़ डॉलर के वादे में से, 66.7 करोड़ डॉलर इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (आईबीआरडी) से ऋण के रूप में होगा, और 8.3 करेड़ डॉलर का वित्त पोषण विश्व बैंक की रियायती ऋण शाखा, अंतरराष्ट्रीय विकास संघ (आईडीए) से एक क्रेडिट के जरिए किया जाएगा। ऋण और क्रेडिट क्रमशः आईबीआरडी शर्तों और आईडीए गैर-रियायती शर्तों पर होंगे, जिनकी अंतिम परिपक्वता 18.5 वर्ष होगी, जिसमें 5 वर्ष की छूट अवधि भी शामिल है।
[1] भारत के एमएसएमई का वित्तपोषण: भारत में एमएसएमई की ऋण आवश्यकता का अनुमान, आईएफसी, 2018
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विदेशी निवेश वित्त
एक्ज़िम बैंक भारतीय कंपनियों को विदेशों में उत्पादन इकाइयों को स्थापित करने तथा विदेशी बाजार प्रौद्योगिकी, कच्चे माल, ब्रांड, आई पी आर इत्यादि में पहुंच बनाने ऋण और निवेश तथा विदेशी कंपनियों को अधिग्रहीत करने के लिए प्रोत्साहित करता है। इस प्रकार के विदेशी निवेशों को वित्तपोषण प्रदान करने के लिए एक्ज़िम बैंक निम्नलिखित सुविधाएं प्रदान करता है।
- विदेशी संयुक्त उद्यमों (जेवी)/पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगियों (डब्लूओएस) में भारतीय कंपनियों के इक्विटी निवेश के 80% तक का मियादी ऋण।
- भारतीय कंपनियों द्वारा विदेशी संयुक्त उद्यमों / पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगियों को प्रदान किए गए ऋण के 80% तक का मियादी ऋण।
- विदेशी संयुक्त उद्यमों/पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगियों को निम्नलिखित के आंशिक वित्तपोषण के लिए मियादी ऋण
- आस्तियों के अधिग्रहण के लिए किया गया पूँजी व्यय
- कार्यशील पूँजी
- अन्य कंपनी में इक्विटी निवेश
- ब्रांड / पेटेन्ट /अधिकार/अन्य बौद्धिक संपदा अधिकारों के अधिग्रहण के लिए
- किसी अन्य कंपनी के अधिग्रहण के लिए
- कोई अन्य कार्यकलाप जिसके लिए (अन्यथा) वह कंपनी तब एक्ज़िम बैंक से वित्तपोषण ऋण और निवेश प्राप्त करने के लिए पात्र होती जब वह कोई भारतीय कंपनी होती।
- विदेशी संयुक्त उद्यमों / पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगियों को मियादी ऋण/कार्यशील पूँजी जुटाने के लिए गारंटी सुविधा
वित्तपोषण या सेवाएं प्राप्त करने के लिए पात्रता
एक्ज़िम बैंक की निधिक/गैर-निधिक सहायता सामान्य तौर पर भारतीय प्रवर्तक (प्रमोटर) कंपनी की जमानत पर आधारित होती है। एक्ज़िम बैंक का वित्तपोषण भारतीय रिज़र्व बैंक के मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार भारतीय रुपए में (भारतीय उधारकर्ताओं को) तथा विदेशी मुद्रा में उपलब्ध है। मियादी वित्तपोषण पर वाणिज्यिक ब्याज दरें लगाई जाती हैं। चुकौती उपयुक्त मासिक/त्रैमासिक किस्तों में होती है। प्रमोटर को न्यूनतम 20% मार्जिन देना होता है और जमानत में अन्य चीजों के साथ-साथ विदेशी संस्था की आस्तियों पर समुचित प्रभार, भारतीय प्रवर्तक की कॉर्पोरेट गारंटी, राजनैतिक और/अथवा वाणिज्यिक जोखिम कवर, विदेशी उद्यम में भारतीय प्रवर्तक द्वारा धारित शेयरों की गिरवी इत्यादि शामिल हैं।
अधिक जानकारी के लिए कृपया हमें [email protected] पर लिख भेजें।
विदेशी निवेश वित्त
एक्ज़िम बैंक ने स्विट्ज़रलैंड में एक भारतीय फार्मासूटिकल कंपनी की अनुषंगी संस्था को मियादी ऋण प्रदान किया।
एक्ज़िम बैंक ने मेडिकल और संबंधित शिक्षा के क्षेत्र में एंटिगा में विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिए एक भारतीय विश्वविद्यालय को सहयोग प्रदान किया गया।
एक्ज़िम बैंक ने ब्रास केजेज़ निर्माता कंपनी को रोमानिया में एक कंपनी के 100% इक्विटी शेयरों के अधिग्रहण के लिए आंशिक वित्तपोषण के रूप में रुपया मियादी ऋण प्रदान किया।
कर्ज के बोझ तले ग्रामीण परिवार, 18 राज्यों में औसत ऋण दोगुना से अधिक
देश में महज छह साल में ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले परिवारों के ऋण में 84 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। स्टेट बैंक (एसबीआई) के आर्थिक शोध विभाग की बुधवार को जारी ऋण एवं निवेश सर्वे रिपोर्ट में कहा गया.
देश में महज छह साल में ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले परिवारों के ऋण में 84 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। स्टेट बैंक (एसबीआई) के आर्थिक शोध विभाग की बुधवार को जारी ऋण एवं निवेश सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2012 से 2018 तक छह वर्ष में ग्रामीण परिवारों के औसत ऋण में 84 प्रतिशत और शहरी परिवारों के ऋण में 42 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इस अवधि में 18 राज्यों में ग्रामीण परिवारों का औसत ऋण दोगुना से अधिक हो गया, जबकि महाराष्ट्र, राजस्थान और असम सहित पांच राज्यों में शहरी और ग्रामीण दोनों घरों में औसत ऋण में दोगुना वृद्धि हुई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना महामारी के कारण परिवारों के ऋण सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के प्रतिशत की दर में वृद्धि हुई है। यह वित्त ऋण और निवेश वर्ष 2020-21 में तेजी से बढ़कर 37.3 प्रतिशत हो गई, जबकि वित्त वर्ष 2019-20 में 32.5 प्रतिशत थी। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी के प्रतिशत के रूप में परिवारों के ऋण में 34 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि यह पूर्ण रूप से बढ़ गया है।
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में परिवारों के कर्ज के वर्ष 2021 में वर्ष 2018 के स्तर से दोगुना होने का अनुमान है। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2०12 में ऋणग्रस्तता का सूचक ऋण-परिसंपत्ति अनुपात ग्रामीण परिवारों के लिए 3.2 था, जो वर्ष 2018 में बढ़कर 3.8 हो गया। इसी तरह शहरी परिवारों के लिए यह अनुपात 3.7 से बढ़कर 4.4 हो गया है। इस अवधि में केरल, मध्य प्रदेश और पंजाब तीन ऐसे राज्य थे, जहां ऋण-परिसंपत्ति अनुपात में कम से कम 100 आधार अंक की गिरावट देखी गई।
गैर-संस्थागत ऋण में गिरावट दर्ज की गई
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस अवधि में अच्छी बात यह ऋण और निवेश ऋण और निवेश रही कि वर्ष 2018 में ग्रामीण क्षेत्र में, गैर-संस्थागत ऋण एजेंसियों के बकाया कर्ज कम होकर 34 प्रतिशत रह गया, जबकि 2012 में यह 44 प्रतिशत रहा ऋण और निवेश था। इस तरह लगभग सभी राज्यों में गैर-संस्थागत ऋण में भारी गिरावट दर्ज की गई है। बिहार, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, हरियाणा और गुजरात में गैर-संस्थागत ऋण की हिस्सेदारी में काफी गिरावट आई है। यहां तक कि हरियाणा और राजस्थान में कर्ज माफी की योजना लागू होने से गैर-संस्थागत ऋण की हिस्सेदारी में भी गिरावट आई।