ओपनिंग ब्रोकर

डीमैट अकाउंट क्या है और इसे कैसे खोले सारी जानकारी हिंदी में
कोरोना काल के बाद लोगों के बीच एक सवाल बहुत पॉपुलर हो कर उभरा है की डीमैट अकाउंट क्या है। इसका एक बहुत बड़ा कारण रहा है कोरोना की वजह से लगने वाला लॉकडाउन। जिससे लोगों के काम – धंधे ठप्प हो गए। और लोग अब घर बैठे कुछ इनकम कमाना चाहते थे। जिसकी वजह से बड़ी संख्या में लोग शेयर बाजार की तरफ आकर्षित हुए। परन्तु अब सवाल ये था की शेयर बाजार में इन्वेस्ट कैसे किया जाए। क्योंकि इसके लिए सबसे पहले एक डीमैट अकाउंट का होना जरूरी है। इसीलिए आज हम आपको इस डीमैट अकाउंट की पूरी जानकारी देने जा रहे है।
डीमैट अकाउंट क्या है और इसकी जरूरत क्यों होती है –
सन 1996 से पहले किसी भी कंपनी के शेयर physical form में होते थे। मतलब जैसे हम किसी भी जमीन के मालिकाना हक का पता उसके कागजात देखकर पता करते है ठीक उसी तरह ये शेयर भी हमारे पास इन्ही कागजात के रूप में होते थे। जिनको संभालना ,बेचना, खरीदना इत्यादि बहुत ही मुश्किल होता था। क्योंकि सन 1996 से पहले जब भी किसी शेयर को खरीदना या बेचना होता था तो इसके लिए उस व्यक्ति या उसके स्टॉक ब्रोकर को स्टॉक एक्सचेंज में फिजिकल रूप में उपस्थित होना पड़ता था। जो की एक बहुत ही कठिन प्रक्रिया थी। जिस कारण बहुत से लोग तो शेयर मार्किट में इसीलिए इन्वेस्ट नहीं करते थे। इसके अलावा तब शेयर्स के physical form में होने के कारण इनके चोरी, गुम या नष्ट होने का खतरा भी बना रहता था।
परन्तु सन 1996 के बाद भारत की सबसे बड़ी स्टॉक एक्सचेंज NSE ने एक फैसला लिया की अब के बाद कोई भी शेयर physical form में नहीं रहेंगे और इन सभी को digital form में बदल दिया जाएगा। जिससे शेयर मार्किट में आम आदमी भी आसानी से इन्वेस्ट कर सकेगा। इसके अलावा जैसे लोग 1996 से पहले physical shares को तिजोरी में संभाल के रखते थे वैसे ही आज के समय में डीमैट अकाउंट वैसी ही तिजोरी है जहाँ आज के digital form में शेयर संभाल के रखे जाते है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते है की डीमैट अकाउंट एक ऐसा अकाउंट होता है जहाँ हमारे शेयर्स को डिजिटल रूप में संभाल कर रखा जाता है। और इसको हम अपने मोबाइल या लैपटॉप से manage कर सकते है। इसे हम डिजिटल तिजोरी भी कह सकते है।
अब हम सोच रहे होंगे की जब हमारे शेयर डीमैट अकाउंट में होते है तो उनकी देखरेख कौन करता है। क्योंकि उनको हैकर द्वारा चुराया भी जा सकता है। तो ऐसा नहीं है दोस्तों। क्योंकि ये शेयर्स भारत सरकार द्वारा अधिनियमित दो depository ( जिनमे शेयर्स डिजिटल रूप से सेफ रखे जाते है ) CDSL ओपनिंग ब्रोकर और NSDL के पास रखे जाते है। और इन शेयर्स की देखरेख की जिम्मेवारी इन्ही की होती है। और यह सारी प्रक्रिया बहुत ही सेफ होती है। इसीलिए जिसको भी शेयर मार्किट में इन्वेस्ट करना है उसको डीमैट अकाउंट खुलवाना सबसे जरूरी है क्योंकि इसके बिना हम आज के समय में शेयर मार्किट में इन्वेस्ट नहीं कर सकते। इसके अलावा investing के लिए आपके पास trading account होना भी जरूरी है जो डीमैट account खुलवाने के साथ – साथ अपने आप खुल जाता है।
डीमैट अकाउंट कहाँ खुलवाए –
अब तक आपको इतना तो समझ आ चूका होगा की डीमैट अकॉउंट क्या है और इसकी जरूरत क्यों होती है। अब सवाल उठता है की इसे कहाँ खुलवाए। इसके लिए आज के समय में बहुत से ब्रोकर है। परन्तु यह ब्रोकर भी तीन तरह के होते है।
- Full service broker – ये कुछ ऐसे ब्रोकर होते है जिनका ब्रोकरेज ज्यादा होता है क्योंकि ये कुछ अतिरिक्त सेवाएं देते है जैसे – समय – समय पर टिप देना या किसी ट्रेड के लिए call करना जिसे हम call in trade भी कह सकते है इसके अलावा ट्रेड से जुडी किसी भी प्रॉब्लम के लिए एक मैनेजर देना जिससे आप कभी भी अपनी प्रॉब्लम को शेयर कर सकते है। परन्तु इसके लिए ये बहुत ज्यादा ब्रोकरेज लेते है। इसके अलावा इनके द्वारा दी जाने वाली टिप और कॉल भी साधारण होती है।
- Bank – आजकल कुछ बैंक भी saving account के साथ – साथ डीमैट अकाउंट को भी open करते है। मगर इनकी ब्रोकरेज discount broker से बहुत ज्यादा होती है।
- Discount broker – दोस्तों अब तीसरी तरह के ब्रोकर आते है जो की आज के समय में सबसे उपयुक्त है और इन्हे हम discount ब्रोकर के नाम से भी जानते है। इनकी ब्रोकरेज बहुत ही कम होती है इसके अलावा इनका अकाउंट ओपनिंग चार्ज भी ना के बराबर होता है। इनके कुछ के नाम है जैसे – Angle broking, upstocks, zerodha, 5 paisa, Groww इत्यादि भारत के कुछ famous stock broker है। इन पर समय समय पर बहुत से ऑफर चलते रहते है। इसीलिए आप इनके ऑफर्स को चेक करके अपने लिए बेस्ट ब्रोकर ढूंढ सकते है। इसीलिए आज के समय अनुसार हमे डिस्काउंट ब्रोकर पर ही अकाउंट खुलवाना चाहिए।
अपना डीमैट अकाउंट खुलवाते समय किन बातों का ख्याल रखे –
दोस्तों हमे ये तो पता चल गया है की हमे अपना डीमैट अकाउंट डिस्काउंट ब्रोकर पर ही खुलवाना चाहिए परन्तु इसके अलावा भी कुछ ऐसी बाते है जिनका हमे डीमैट अकाउंट खुलवाते समय मुख्य ओपनिंग ब्रोकर रूप से तीन बातों का ध्यान रखना चाहिए –
- Annual maintenance charge ( A.M.P. ) – दोस्तों किसी भी डिस्काउंट ब्रोकर से अपना अकाउंट खुलवाने से पहले यह पता कर ले की उसका A.M.P. क्या है। क्योंकि कई ब्रोकर आपका अकाउंट तो फ्री में खोल देते है परन्तु उनका annual maintenance charge बहुत ज्यादा होता है। इसीलिए डीमैट खुलवाते समय इस बात का ध्यान रखे की आपका A.M.P. कम से कम या फिर शून्य हो।
- ब्रोकरेज – वैसे तो डिस्काउंट ब्रोकर की ब्रोकरेज बहुत कम होती है परन्तु बहुत से ऐसे ब्रोकर है जिनकी ब्रोकरेज जीरो होती है। अगर बाकी सब चीजे ठीक है तो किसी ऐसे ही ब्रोकर पर डीमैट अकाउंट खुलवाए जो जीरो ब्रोकरेज लेता हो।
- अकाउंट ओपनिंग चार्ज – आप किसी ऐसे डिस्काउंट ब्रोकर के साथ जिसका अकाउंट ओपनिंग चार्ज भी जीरो हो।
डीमैट अकाउंट कैसे खोले और इसके लिए क्या – क्या जरूरी है –
अब आप इतना तो समझ चुके होंगे की डीमैट अकाउंट क्या है और इसे कहाँ खुलवाए और इसकी क्या जरूरत है।परन्तु अब सवाल उठता है की इसे कैसे खुलवाए या खोले और इसके लिए क्या – क्या जरूरी है।
जरूरी चीजें – डीमैट अकाउंट के लिए सबसे पहले आपका किसी भी bank मे एक saving account होना बहुत जरूरी है। इसके अलावा आपके पास आधार कार्ड, पैन कार्ड और वो मोबाइल नंबर जो आपके आधार कार्ड और पैन कार्ड से लिंक है जरूरी होना चाहिए। और यह मोबाइल नंबर एक्टिव होना चाहिए क्योंकि इसी पर वेरिफिकेशन के लिए otp आएगा। इसके अलावा आपका आधार आपके पैन कार्ड से लिंक होना चाहिए। तो अब डीमैट account खोलने की प्रक्रिया को समझते है –
1. सबसे पहले डीमैट अकाउंट खोलने के लिए सबसे पहले जिस भी ब्रोकर पर अप अपना अकाउंट खोलना चाहते हो उसकी app या वेबसाइट पर जाए ।
2. इसके बाद वहां दिख रहा sign up का option दबाये और अपनी बेसिक जानकारी fill करें। जिसमे आपका नाम, पता, जन्म तिथि इत्यादि होंगी।
3. अब निचे दिए continue के बटन को दबाये और अगले पेज पर अपने आधार कार्ड और पैन कार्ड की कॉपी स्कैन कर दो।
4. इसके बाद continue करें और अपने आधार कार्ड लिंक मोबाइल नंबर पर आये otp को fill करें। कई बार यह otp आपकी email पर भी आ सकता है। इसलिए उसे भी check कर ले।
5. अब आपके account को एक्टिव होने के लिए 2 से 3 दिन का समय लग जाता है। इसके बाद आपको ब्रोकर की तरफ से user id और possword मिल जाता है। जिसको डालने के बाद आपका account एक्टिव हो जाएगा और आप trading करना शुरू कर सकते हो।
इस सारी प्रक्रिया मे आपके डीमैट और trading account दोनों ही open हो जाते है। इसके बाद आप अपने saving account को अपने डीमैट account से जोड़े और investing शुरू करें।
मैं आशा करता हूँ की इसलिए आर्टिकल मे आपको डीमैट से जुडी सभी प्रकार की जानकारी मिल गई होंगी। परन्तु अगर कोई जानकारी रह गई हो तो अप निचे कमेंट कर सकते हो।
Zerodha: एक-एक ग्राहक को फोन करके कामत खुद खोलते थे अकाउंट, अब कंपनी की वेल्यूएशन अरबों में
नीतिन कामत की कंपनी ज़ेरोधा आज भारत की सबसे बड़ी डिस्काउंट ब्रोकर फर्म है.
नीतिन कामत ने 2010 में ज़ेरोधा की शुरुआत की. तब वे खुद लोगों को कॉल करके अपना नाम सचिन बताते और अकाउंट खोलने उनके घर जाते थे.
- News18.com
- Last Updated : September 07, 2021, 10:51 IST
नई दिल्ली. ज़ेरोधा (Zerodha) के फाउंडर नीतिन कामत (Nithin Kamath) आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है. उनकी कंपनी इस समय भारत की सबसे बड़ी डिस्काउंड ब्रोकर फर्म है. परंतु नीतिन और उनकी कंपनी के इस मुकाम तक पहुंचने में कई साल और कड़ी मेहनत लगी है.
नीतिन कामत जब 17 साल के थे, तब उनका परिचय स्टॉक ट्रेडिंग की दुनिया से हुआ था. शुरुआती दिनों में उन्होंने उसी तरह पैसा बर्बाद किया, जैसे कि हर नया ट्रेडर करता है. हालांकि बाद में उन्होंने शेयर मार्केट से ही कुछ पैसा कमाया भी. अपनी पढ़ाई के बाद वे ओपनिंग ब्रोकर ट्रेंडिंग की दुनिया में पूरी तरह उतर आए थे. बाद में बाजार क्रैश हुआ तो मजबूरी में उन्हें एक कॉल सेंटर में मात्र 8000 रुपये महीने की नौकरी भी करनी पड़ी.
सचिन बनकर खोलते थे लोगों के अकाउंट
नीतिन कामत ने खुद इस बात का जिक्र किया है कि अगस्त 2010 में जब उन्होंने ज़ेरोधा की शुरुआत की तो उनके पास टीम हायर करने के लिए पैसा नहीं था. शुरुआत में उन्होंने अपना नाम सचिन रखकर लोगों को कॉल करके सेल्सपर्सन की बात करते थे.
वह खुद सचिन के नाम से लोगों को फोन करते, उनसे अपॉइंटमेंट लेते और अकाउंट ओपनिंग के लिए फॉर्म भरवाने का काम करते थे. नीतिन ने खुद पर सेमीनार में कहा कि उन्होंने तकरीबन 500-600 अकाउंट खोले थे.
एक साल में खुले 1 हजार अकाउंट
नीतिन कामत चूंकि काफी समय से शेयर मार्केट से जुड़े हुए थे और बाजार की चाल को लेकर उनकी समझ काफी अच्छी थी, तो कई लोग उनसे सीधे संपर्क में थे. जब उन्होंने ज़ेरोधा शुरू किया तो शुरुआती एक हजार अकाउंट होल्डर्स को खुद ज्वाइन कराया. लगभग एक हजार अकाउंट खोलने में एक साल का वक्त लग गया.
सेल्फ-मेड अमीर हैं नीतिन और निखिल
नीतिन और निखिल दोनों कंपनी के को-फाउंडर हैं. नीतिन बड़े हैं और निखिल छोटे हैं. पिछले साल 2020 में IIFL वेल्थ और हुरुन इंडिया की 40 और उसके नीचे की उम्र के सेल्फ-मेड अमीरों की सूची में दोनों भाइयों को जगह दी गई. दोनों की संपत्ति तकरीबन 24 हजार करोड़ है.
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शेयर बाजार में ट्रेडिंग का समय बढ़ने से किसे फायदा होगा?
पहले बाजार 9.45 बजे सुबह खुलता था, अभी वो 9 बजे खुलता है और 3.30 बजे बंद होता है
एक बार फिर देश के शेयर बाजारों में ट्रेडिंग का समय बढ़ने को लेकर चर्चा होने लगी है. कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी और स्टॉक एक्सचेंज इस बारे में विचार कर रहे हैं. ऐसी खबरें हैं कि शेयर बाजार में ट्रेडिंग का वक्त कम से कम डेढ़ घंटे और ज्यादा से ज्यादा 4 घंटे तक बढ़ाया जा सकता है.
इस बारे में कोई भी फैसला सेबी को करना है, लेकिन स्टॉक एक्सचेंज चाहते हैं कि बाजार में ट्रेडिंग का समय बढ़ाकर शाम 5 बजे या 7.30 बजे तक कर दिया जाए. वैसे तो अक्टूबर 2009 में सेबी ने एक्सचेंजों को सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक शेयर मार्केट खोले जाने की मंजूरी दी थी. इसके बाद ट्रेडिंग का ओपनिंग टाइम तो सुबह 9 बजे कर दिया गया लेकिन ब्रोकरों के विरोध के कारण क्लोजिंग टाइम शाम 3.30 से आगे नहीं बढ़ाया गया.
पहले बाजार 9.45 बजे सुबह खुलता था, अभी वो 9 बजे खुलता है और 3.30 बजे बंद होता है. ट्रेडिंग के लिए समय 9.15 से 3.30 तक का रखा गया है. सुबह 9 से 9.15 तक का समय प्री-ओपनिंग सौदों के लिए होता है.
एक्सचेंज क्यों बढ़ाना चाहते हैं ट्रेडिंग का समय
एक्सचेंजों का कहना है कि ट्रेडिंग का समय बढ़ाने से ग्लोबल शेयर बाजारों के साथ भारतीय बाजारों का तालमेल बेहतर होगा. एक्सचेंजों की दलील है कि इससे ना सिर्फ विदेशी निवेशकों को भारत में ट्रेडिंग के लिए ज्यादा वक्त मिलेगा, बल्कि कमोडिटी एक्सचेंजों के साथ भी बेहतर तालमेल हो सकेगा.
इसका फायदा ज्यादा सौदों और वॉल्यूम के रूप में दिखेगा. हालांकि एक्सचेंजों की इन दलीलों से सभी भारतीय ब्रोकर सहमत नहीं हैं. माना जा रहा है कि ट्रेडिंग का समय बढ़ाना बड़े ट्रेडर्स और ब्रोकरेज हाउस के लिए तो फायदेमंद रहेगा, लेकिन छोटे ब्रोकरेज हाउस को इससे नुकसान होगा. इसलिए छोटे ब्रोकरेज हाउस लगातार ट्रेडिंग का समय बढ़ाए जाने का विरोध करते रहे हैं.
छोटे ब्रोकर क्यों कर रहे हैं विरोध
छोटे ब्रोकरेज हाउसेज का कहना है कि कड़े मुकाबले और लगातार बढ़ रहे ऑटोमेशन की वजह से ब्रोकिंग का धंधा पहले से ही काफी दबाव में है. ऐसे में अगर ट्रेडिंग का समय बढ़ाया जाता है, तो इससे छोटे और मध्यम आकार के ब्रोकरों के लिए लागत बढ़ेगी और उन्हें नुकसान झेलना पड़ेगा. उन्हें न सिर्फ दो शिफ्टों में काम करना होगा, बल्कि स्टाफ की संख्या भी बढ़ानी पड़ेगी.
छोटे ब्रोकरों के मुताबिक बड़े ब्रोकरेज हाउस तो दूसरे काम-धंधों से कमाई कर लेते हैं, और उनके पूरे बिजनेस का सिर्फ 5-10% हिस्सा ही ब्रोकिंग से आता है. इसलिए उन्हें ट्रेडिंग का समय बढ़ाए जाने से दिक्कत नहीं है.
छोटे ब्रोकरों का ये भी कहना है कि स्टॉक एक्सचेंज सिर्फ अपना फायदा देख रहे हैं. ट्रेडिंग का समय बढ़ाने से विदेशी बाजारों से तालमेल बढ़ने की दलील में कोई दम नहीं है, क्योंकि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में शेयर बाजार के खुलने का समय अलग-अलग है.
Opening and closing time of stock market in India
भारतीय शेयर बाजार के खुलने तथा बंद होने के समय को तीन भागो में बांटा गया है। इस आर्टिकल में आप भारतीय शेयर बाजार के opening and closing time के बारे में विस्तार से जानेंगे। तो चलिए जानते हैं- Opening and closing time of stock market in India, Stock market की टाइमिंग को तीन भागों डिवाइड किया गया है। 1.प्री ओपनिंग सेशन 2. नार्मल सेशन या रेग्युलर सेशन 3. पोस्ट क्लोजिंग सेशन
1.प्री ओपनिंग सेशन
Market Opening शरुआत प्रीओपनिग सेशन से होती है।प्रीओपनिंग सेशन का समय सुबह नौ बजे से नौ पंद्रह तक होता है इसमें तीन स्लॉट होते है। पहला स्लॉट सुबह नौ बजे से नौ बजकर आठ मिनट तक, इसे ऑर्डर एंट्री पीरियड कहते ,है, इस पीरियड में शेयर खरीद तथा बिक्री के ऑर्डर दे सकते है।
अगर आपको अपना आर्डर रद्द करना है तो वो भी कर सकते है। नौ बजकर सात या आठ मिनट के दौरान यह स्लॉट खत्म हो जाता है। Life Insurance Corporation Lic के initial public offer (IPO) से पैसे कैसे कमायें?
दूसरा स्लॉट सबह नौ बजकर आठ मिनट से नौ बजकर बारह मिनट तक होता है। इस स्लॉट में ऑर्डर मैचिंग की प्रक्रिया की जाती है तथा नार्मल सेशन की opening price निकाली जाती है। इस सेशन में शेयर खरीदने तथा बेचने के आर्डर केंसिल या मॉडिफाई नहीं कर सकते। Initial Public Offering (IPO) क्या है और यह कैसे काम करता है?
तीसरा स्लॉट नौ बजकर बारह मिनट से नौ बजकर पंद्रह मिनट तक होता है। इसे बफर पीरियड कहते है। इस सेशन में प्रीओपनिंग सेशन का स्मूथली ट्रांसफर होता है। जिस कीमत पर ज्यादातर buy / sell आर्डर मैच होते है वह equilibrium price कहलाती है और वही नॉर्मल सेशन की ओपनिंग प्राइस होती है।
Bilateral ओपनिंग ब्रोकर ओपनिंग ब्रोकर Matching System में जब शेयर खरीदने तथा बेचने की कीमत मैच हो जाती है, तो आर्डर ऑटोमेटिक रूप से पूरा हो जाता है। अगर शेयर खरीदने तथा बेचने वाले ज्यादा हो, तो कीमत तथा समय की प्रायोरिटी के हिसाब से सारे ऑर्डर पूरे किये जाते है। उम्मीद है आपको Opening and closing time of stock market in India पर यह लेख पसंद आ रहा होगा।
2.नॉर्मल सेशन (continuous session )
नॉर्मल सेशन की शरूआत सुबह नौ बजकर पंद्रह मिनट से होती है तथा यह साढ़े तीन बजे तक लगातार चलता है। इसे continuous session भी कहते है। इस सेशन में आप सुबह के सवा नौ बजे से शाम के साढ़े तीन बजे तक आप जब भी चाहे शेयर खरीद तथा बेच सकते है। शेयर मार्केट निवेश के दौरान ध्यान देने योग्य बातें
नॉर्मल सेशन में bilateral matching system का उपयोग किया जाता है, यानी कि जब buyer तथा seller की प्राइस मैच हो जाती है, तब वह सौदा अपने आप पुरा हो जाता है। अगर शेयर खरीदने तथा बेचने वाले ज्यादा हो, तब टाइम की प्रायोरिटी के हिसाब से सारे सौदे पूरे किये जाते है।
Bilateral Matching System की वजह से stock market opening प्राइस बहुत volatile रहती है। इसी volatility को कम करने के लिए प्रीओपनिंग सेशन लाया गया। फांग शेयरऔर फांग कंपनी क्या हैं ?
जिसमे मल्टी लेयर्ड मैचिंग सिस्टम यानी जिस प्राइस पर ज्यादातर आर्डर मैच होते हैं। उस प्राइस को नॉर्मल सेशन की ओपनिंग प्राइस बनाकर, स्टॉक एक्सचेंज ने ओपनिंग प्राइस वोलेटिलिटी को कम करने का प्रयास किया है।
इंडिया में बहुत कम ट्रेडर्स प्रीओपनिंग सेशन में पार्टिसिपेट करते है, ज्यादातर ट्रेडर्स नॉर्मल ट्रेडिंग सेशन की शुरुआत में ही ट्रेडिंग करते हैं। इसलिए नॉर्मल ट्रेडिंग सेशन के शुरू के दस, पंद्रह मिनट बहुत ही वोलेटाइल रहते है। नार्मल सेशन के शुरुआत में आपको बहुत सोच समझ कर ट्रेड करना चाहिए।
यदि आप शेयर मार्केट में नुकसान नहीं उठाना चाहते तो आपको बेंजामिन ग्राहम द्वारा लिखित बुक 'द इंटेलिजेंट इन्वेस्टर बुक (हिंदी) को एक बार जरूर पढ़ना चाहिए। इस बुक को शेयर मार्केट की बाइबिल भी कहा जाता है। The intelligent investors book को जरूर पढ़ना चाहिए।
नॉर्मल सेशन खत्म होने के बाद यानि साढ़े तीन बजे के बाद के दस मिनट का टाइम क्लोजिंग प्राइस के कैलकुलेशन के लिए होता है। इस दस मिनट में यानी साढ़े तीन बजे से तीन बजकर चालीस मिनट तक क्लोजिंग प्राइस का कैलकुलेशन होता है क्योंकि साढ़े तीन बजे जब नॉर्मल सेशन ट्रेडिंग बंद हो जाती है।
तब stocks तथा index का जो बंद होने का भाव होता है वह closing price नहीं होता है। शेयरों तथा इंडेक्स की क्लोजिंग प्राइस उनकी आखिरी आधे घंटे यानि तीन से साढ़े तीन के बीच के ट्रेडिंग प्राइस का औसत होता है। शेयर ओपनिंग ब्रोकर बाजार से पैसे कमाने के दस सबसे अच्छे तरीके क्या हैं?
इंडेक्स जैसे निफ़्टी इंडेक्स, आईटी इंडेक्स, बैंक इंडेक्स आदि का क्लोजिंग प्राइस इनके इंडेक्स में जो भी शेयर शामिल हैं। उनके आखिरी आधे घंटे के ट्रेडिंग प्राइस का वेटेड एवरेज होते है। जिसे वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस कहते है। ज्यादातर closing price दो या तीन मिनट में ही आ जाते है यानि की तीन बजकर बत्तीस या तैंतीस मिनट पर।
Post Closing Session
पोस्ट क्लोजिंग सेशन तीन चालीस से चार बजे तक होता है। यानी कि सिर्फ बीस मिनट के लिए। हम इस सेशन में नार्मल सेशन के क्लोजिंग प्राइस पर शेयर खरीद तथा बेच सकते है- जैसे मन लीजिये इंफोसिस के शेयर का क्लोजिंग प्राइस 600 रूपये है तथा कोई ट्रेडर इंफोसिस के शेयर खरीदना या बेचना चाहता है, तो वह post closing session में 600 रूपये के भाव पर खरीद या बेच सकता है।
प्रीओपनिंग सेशन तथा पोस्ट क्लोजिंग सेशन सिर्फ cash segment में ही होते है। फ्यूचर एंड ऑप्शन में ये दोनों सेशन नहीं होते है।संक्षेप में Stock market opening and closing in India इस प्रकार है -
9, 00 AM To 9 ; 15 AM , Price Opening Session
9, 15 AM To 3 ; 30 PM Normal Session ( Regular Session )
3, ओपनिंग ब्रोकर 30 PM To 3 ; 40 PM Closing Price Calculation
3, 40 PM To 4 ; 00 PM Post Closing Session
कई बार ऐसा होता है कि stock market open session के दौरान किसी कारणवश शेयर खरीद या बेच नहीं पाहैं। तब After Market Order यानि AMO का उपयोग कर सकते है। आफ्टर मार्केट ऑर्डर में आप अपने शेयर खरीदने तथा बेचने के ऑर्डर, स्टॉक मार्केट बंद होने से लेकर स्टॉक मार्केट खुलने तक दे सकते है। इस समय में वास्तविक ट्रेडिंग नहीं होती है, क्योंकि तो बंद ही Stock market रहता है आप बस अगले ट्रेडिंग सेशन के लिए ऑर्डर प्लेस सकते है।
अलग-अलग ब्रोकर्स के आफ्टर मार्केट ऑर्डर का समय अलग हो सकता है। कुछ स्टॉक ब्रोकर आफ्टर मार्केट ऑर्डर कि सुविधा नहीं प्रदान करते है। Stock market में एक स्पेशल ट्रेडिंग सेशन भी होता है, जिसे दीपावली पर किया जाता है। इसे मुहूर्त ट्रेडिंग भी कहते है। इसमें दीपावली के दिन एक घंटे के लिए ट्रडिंग होती है। मुहूर्त ट्रडिंग ज्यादातर शाम के समय होती है।
एक रिक्वेस्ट है, प्लीज़ इस आर्टिकल में दिखाये गये किसी एक विज्ञापन पर किल्क अवश्य करें क्योंकि यह बिल्कुल फ्री है। जिससे इस साइट के मेंटिनेंस के लिए कुछ अर्निग्स भी हो सके। धन्यवाद
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Groww ऐप में हर महीने या सालाना कितना चार्ज कटता है, अगर ट्रेडिंग करे या न करें?
नमस्कार दोस्त, आज के इस आर्टिकल में Gorww App के चार्ज के बारे में जानेंगे की, Groww ऐप में हर महीने या सालाना कितना चार्ज कटता है, यदि हम ट्रेडिंग करे या न करें तो?
यदि आप भी Gorww App Charges In Hindi में जानना चाहते हैं तो आज आप सही जगह पर आए है।
तो सबसे पहले आपकी जानकारी के लिए बता दू की यदि आप यदि आपने Gorww App में अभी तक सिर्फ अकाउंट बनाया है तो उसके लिए कोई चार्ज नहीं लिया जाएगा।
लेकिन यदि आप Groww App में अकाउंट बनाने के बाद कोई ट्रेडिंग करते है या इन्वेस्टमेंट करते है तो आपको चार्ज देना होगा।
Groww App ने खुद ही कहा है की, हम यूजर से तभी चार्ज लेते है जब यूजर बाजार से कोई खरीदी या बिक्री करता है। जो सबसे अच्छी बात है।
तो आइए अब आगे Gorww App के Charges के बारे में जानते है….
Groww App Cherges in Hindi ( ग्रो एप कितना चार्ज लेता है?)
दोस्तो जब भी आप शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट या ट्रेडिंग के लिए किसी ब्रोकर की मदद से जा रहे है तो वे आप से अलग अलग चार्ज लेते है। वैसे ही ऑनलाइन आज जितने भी ऐप है वो सभी इसी तरह काम करते है और आपसे चार्ज लेते है।
हरेक ब्रोकर आपसे 4 प्रकार के ब्रोकरेज फीस को लेता है, नीचे मैने ब्रोकरेज फीस के बारे में बताया है…
Groww App Account Opening Charges in Hindi
दोस्तो शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट करने के लिए हमे ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत होती है। आप ट्रेडिंग अकाउंट को किसी ब्रोकर के पास खोल सकते है। मार्केट में दूसरे जो ऐप है या यू कहे की ब्रोकर है वे अकाउंट ओपनिंग का चार्ज लेते है। कई सारे ब्रोकर अकाउंट ओपनिंग के लिए ₹0-₹500 का चार्ज लेते है। लेकिन यदि आप अपना ट्रेडिंग अकाउंट ग्रो ऐप ओपनिंग ब्रोकर में ओपन करवाते है तो उसके लिए आपको कोई चार्ज देने की जरूरत नही है। क्योंकि अकाउंट ओपनिंग के लिए groww app कोई चार्ज नहीं लेता है।
Groww App AMC(Annual Maintenance Charge) Charge in Hindi (एनुअल मेंटेनेंस चार्ज)
AMC यानी की Annual Maintenance Charge, आपने ब्रोकर के पास अकाउंट बनाया है तो आपको यह Annual Maintenance Charge देना होता है। कई सारे ब्रोकर है जो ₹300-₹1000 का हर साल या तिहाई को देना होता है। लेकिन Groww App अपने यूजर इन्वेस्टर से AMC(Annual Maintenance Charge) नही लेता है।
ये भी जरूर पढ़े:
Grow App Brokerage Charges के बारे में
दोस्तो जब भी कोई यूजर शेयर खरीदता है या बेचता है तो उस समय पर हरेक ब्रोकरेज एक चार्ज वसूल करता है जिसे Brokerage Charges कहा जाता है। ज्यादातर सभी ब्रोकर इसी चार्ज की वजह से कमाई करते है। जब भी हम कोई शेयर बाजार से खरीदते है या बेचते है तो हमे चार्ज देना होता है। Groww App में आपको हरेक buying या selling पर आपको ₹20 या 0.05% में से जो कम होगा उस चार्ज को देना होता है।
Groww App Brokerage Charges Overview
Account Opening Charge: ₹0
AMC Charge: ₹0
Brokrage Charge: 0.05% or ₹20, (जो सबसे कम होगा)
D.P Charge: ₹13.50+18%GST = ₹15.93
आज आपने क्या जाना: Gorww App Charges Details In Hindi
दोस्तो आज के इस आर्टिकल में आपने Groww App Charges Details In Hindi में जाना की, Groww ऐप में हर महीने या सालाना कितना चार्ज कटता है, अगर ट्रेडिंग करे या न करें?
मुझे उम्मीद है कि आपको यह जानकारी हेल्पफुल लगी होगी, यदि आर्टिकल अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तो के साथ शेयर जरूर करे और उन सभी लोगो के साथ यह आर्टिकल शेयर करे जो शेयर मार्केट में इंटरेस्टेड है।